ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सूर्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सूर्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 15 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – और विज्ञान – 3

 

            पिछले लेख में हमने सृष्टि की रचना से संबंधित कुछ वैज्ञानिक बातों के द्वारा देखा था कि वे बातें और जानकारियाँ परमेश्वर के वचन बाइबल का समर्थन करती हैं, और वैज्ञानिकों द्वारा उनके खोजे जाने से सदियों पहले, परमेश्वर ने अपने वचन में उन्हें लिखवा दिया था।

            आज हम देखेंगे कि किस प्रकार से अंतरिक्ष से संबंधित बातें भी यही दिखाती हैं कि वैज्ञानिकों की खोज परमेश्वर के वचन बाइबल के तथ्यों की ही पुष्टि करती है; जिसे वे नई खोज कहते हैं, वह बाइबल में हजारों वर्ष पहले ही लिख दी गई थी।

अंतरिक्ष अर्थात खगोल-शास्त्र से संबंधित कुछ तथ्यों पर ध्यान कीजिए:

·        दूरबीन और अंतरिक्ष में स्थापित किए गए हबल टेलिस्कोप से भी लगभग 4000 हजार वर्ष पहले बाइबल में व्यवस्थाविवरण 10:14 में "स्वर्ग(आकाश) और सबसे ऊंचा स्वर्ग (आकाश)" ("heavens and the highest heavens") तथा "सबसे ऊंचे स्वर्ग; heaven of heavens" (1 राजाओं 8:27) की बात लिखी है। अब दूरबीन तथा हबल टेलिस्कोप के द्वारा विज्ञान यह कहने पाया है कि आकाशमण्डल में एक तो हमारे चारों ओर का वातावरण वाला 'आकाश' है, तथा उससे आगे फिर सुदूर अंतरिक्ष है जिसमें सितारे और नक्षत्र आदि स्थित हैं।

·        बिना किसी उपकरण की सहायता के, मानवीय आँखों से देखे जा सकने वाले सितारों की संख्या लगभग 5000 ही आँकी गई है। दूरबीन के आविष्कार से हजारों वर्ष पहले, जब किसी भी मनुष्य के पास अंतरिक्ष में दूर तक देख पाने का कोई साधन नहीं था, आज से लगभग 2600 वर्ष पहले परमेश्वर ने अपने नबी, यिर्मयाह की भविष्यवाणी में अपने लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की तुलना देने के लिए लिखवाया था, "जैसा आकाश की सेना की गिनती और समुद्र की बालू के किनकों का परिमाण नहीं हो सकता है उसी प्रकार मैं अपने दास दाऊद के वंश और अपने सेवक लेवियों को बढ़ा कर अनगिनत कर दूंगा" (यिर्मयाह 33:22); अर्थात समुद्र-तट  के बालू के किनकों के समान आकाशमंडल के सितारों की संख्या अनगिनत है। गैलीलियो ने 17वीं शताब्दी में दूरबीन का आविष्कार किया और आकाशमंडल के सितारों और नक्षत्रों को देखना तथा अध्ययन करना आरंभ किया, और पहचाना कि अंतरिक्ष कितना विशाल है और उसके खगोलीय पिंड कितने अनगिनत हैं। आज भी वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अनेकों प्रकार के बहुत दूर तक देख पाने वाले उपकरणों के द्वारा अरबों-खरबों सितारों, नक्षत्रों, खगोल पिंडों के होने का अनुमान लगाया है, उनके बारे में बहुत सी बातों की खोज की है, किन्तु अंतरिक्ष की सीमाएं और सितारों की सही संख्या अभी भी एक अनुमान है, स्थापित तथ्य नहीं। यिर्मयाह में होकर परमेश्वर द्वारा बाइबल में लिखवाई गई बात, लिखवाए जाने के 2600 वर्ष बाद भी सही है, अकाट्य है।

·        यद्यपि सितारों, नक्षत्रों और विभिन्न खगोल पिंडों की कुल संख्या मनुष्य आज तक ठीक जान नहीं पाया है, किन्तु यह भी एक वैज्ञानिक तथ्य है कि यह संख्या चाहे बहुत विशाल हो, किन्तु अंततः सीमित (finite) है। बाइबल में परमेश्वर के एक अन्य नबी, यशायाह ने यह बात आज से लगभग 2750 वर्ष पहले अपने भविष्यवाणी की पुस्तक में परमेश्वर की प्रेरणा से लिख दी थी: "अपनी आंखें ऊपर उठा कर देखो, किस ने इन को सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले ले कर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में के कोई बिना आए नहीं रहता" (यशायाह 40:26)। न केवल यहाँ पर, वरन भजन संहिता में भी परमेश्वर ने लिखवा दिया था कि वह तारों को गिनता है, उनमें से प्रत्येक का नाम रखता है: "वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है" (भजन 147:4) - अर्थात उनकी संख्या कितनी भी विशाल क्यों न हो, सीमित है।

·        दूरबीन के आविष्कार से सदियों पहले बाइबल में लिख दिया गया था कि प्रत्येक सितारा या नक्षत्र अपने आप में अनुपम है, अनूठा है:  "सूर्य का तेज और है, चान्‍द का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)" (1 कुरिन्थियों 15:41)। जिसे वैज्ञानिक अब जानने और पहचानने लगे हैं, वह बाइबल में लगभग दो हज़ार वर्ष पहले लिखा जा चुका था।

·        बाइबल में परमेश्वर ने बारंबार यह कहा है कि वह आकाश या आकाशमण्डल को 'तानता' या 'फैलाता' है:

o   अय्युब 9:8 – वह आकाशमण्डल को अकेला ही फैलाता है, और समुद्र की ऊंची ऊंची लहरों पर चलता है;

o    यशायाह 42:5 – ईश्वर जो आकाश का सृजने और तानने वाला है, जो उपज सहित पृथ्वी का फैलाने वाला और उस पर के लोगों को सांस और उस पर के चलने वालों को आत्मा देने वाला यहोवा है, वह यों कहता है:

o   यिर्मयाह 51:15 – उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है

o   ज़कर्याह 12:1 इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा को आकाश का तानने वाला, पृथ्वी की नेव डालने वाला और मनुष्य की आत्मा का रचने वाला है, उसकी यह वाणी है

            बीसवीं सदी के आरंभिक समय तक भी वैज्ञानिकों (आईंस्टाईन सहित) का यही मानना था कि अंतरिक्ष या आकाशमण्डल गतिहीन या स्थिर (static) है। कुछ अन्य यह कहते थे कि गुरुत्वाकर्षण के बल के कारण अंतरिक्ष को सिकुड़ कर संक्षिप्त (collapsed) हो जाना चाहिए था। फिर खगोल-शास्त्री और अंतरिक्ष वैज्ञानिक एडविन हबल ने 1929 में यह दिखाया कि दूर स्थित नक्षत्र (galaxies) पृथ्वी से और भी दूर होते चले जा रहे हैं, तथा वे जितने अधिक दूर स्थित हैं, उतनी ही अधिक तेजी से और दूर होते चले जा रहे हैं। इस खोज ने अंतरिक्ष विज्ञान में खलबली मचा दी, और अनेकों नई धारणाओं को जन्म दिया, तथा आईंस्टाईन ने भी अपनी गलती को माना और सुधारा। जिसे अंतरिक्ष वैज्ञानिक आज तथ्य मानने लगे हैं, वह परमेश्वर ने 4000 वर्ष से भी पहले अपने वचन बाइबल में लिख दिया था।

·        बाइबल की प्राचीनतम पुस्तकों में से एक, अय्यूब की पुस्तक में, लगभग 4000 वर्ष पहले, परमेश्वर अय्यूब से प्रश्न करता है, “क्या तू कचपचिया (Pleiades) का गुच्छा गूंथ सकता वा मृगशिरा (Orion) के बन्धन खोल सकता है? ["Can you bind the cluster of the Pleiades, Or loose the belt of Orion?]” (अय्यूब 38:31)। यह विज्ञान को अब पता चला है कि कचपचिया (Pleiades) का गुच्छा गुरुत्वाकर्षण के बल के द्वारा परस्पर गूँथा या बंधा हुआ है; जबकि मृगशिरा (Orion) के बन्धन खुले हुए हैं और इस कारण उसके सितारे एक-दूसरे से दूर होते चले जा रहे हैं क्योंकि उनका परस्पर गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें एक साथ बांधे रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।

·        बाइबल में लगभग 3000 वर्ष पहले भजन 19:6 में, सूर्य के विषय लिखा है “वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।” एक समय था जब वैज्ञानिक बाइबल के इस पद का उपहास करते थे, और उन्हें लगता था कि यह पद पृथ्वी को केंद्र और सूर्य को उसके चारों ओर घूमने वाला बताता है। साथ ही, उनकी यह भी धारणा थी कि सूर्य अंतरिक्ष में अपने स्थान पर स्थिर (stationary) है। किन्तु अब विज्ञान यह जान गया है कि बाइबल की बात सही है, सूर्य एक स्थान पर स्थिर नहीं है, वरन वास्तव में अंतरिक्ष में एक बहुत विशाल चक्र की परिधि पर लगभग 600,000 मील प्रति घंटे की गति से चक्कर लगा रहा है।

 

            एक बार फिर, सृष्टि अपने सृष्टिकर्ता की पुष्टि करती है, उसकी महिमा करती है; उसके विरुद्ध कोई गवाही नहीं देती है। यही अद्भुत सृष्टिकर्ता, आपके प्रति अपने महान प्रेम के अंतर्गत, आपको अपने साथ रहने और संसार पर आने वाले विनाश से बच जाने के लिए निमंत्रण दे रहा है। क्योंकि उसने अपने इस महान प्रेम के अंतर्गत आपके पापों की सजा को अपने ऊपर लेकर क्रूस पर दिए गए अपने बलिदान के द्वारा सह लिया, और आपके लिए उस सजा से मुक्त होने का प्रावधान तैयार कर के दे दिया है; इसलिए सच्चे मन और वास्तविक पश्चाताप से की गई आपकी एक प्रार्थना, “हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा करें, और मुझे अपनी शरण में ले लें; मुझे अपना लें” आपके अनन्तकाल को सदा के लिए बदल कर सुरक्षित कर देगी।

            क्या आप अपने सृष्टिकर्ता के इस प्रेम और क्षमा भरे निमंत्रण को स्वीकार करेंगे, और उसकी शरण में आ जाएँगे, और सुरक्षित हो जाएँगे? वह आपसे प्रेम करता है, आपका भला ही चाहता है, और आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

 

बाइबल पाठ: भजन 139:1-14

भजन 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।

भजन 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।

भजन 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।

भजन 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।

भजन 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।

भजन 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।

भजन 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? या तेरे सामने से किधर भागूं?

भजन 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!

भजन 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,

भजन 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।

भजन 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्‍धेरा हो जाएगा,

भजन 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।

भजन 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।

भजन 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 91-93
  • रोमियों 15:1-13 

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

सुरक्षा



      ब्रिटेन में रहने के कारण मैं सामान्यतः धूप में निकलने से होने वाले त्वचा के गहरे रंग के लिए चिन्तित नहीं होती हूँ, क्योंकि अधिकानाशातः सूर्य बादलों से छुपा रहता है। लेकिन हाल ही में मैंने कुछ समय स्पेन में बिताया, और मुझे बहुत शीघ्र यह एहसास हो गया कि मेरी हलके रंग की त्वचा के कारण मैं दस मिनिट से अधिक धूप में नहीं रह सकती थी, मुझे छाते के नीचे शरण लेनी ही पड़ती थी।

      मैं जब उस भूमध्यसागरीय क्षेत्र की चिलचिलाती धूप के बारे में विचार कर रही थी, तब मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के हमारे दाहिनी ओर आड़ होने की बात और अधिक गहराई से समझ में आई। मध्य-पूर्व के निवासी जानते थे कि चिलचिलाती धूप क्या होती है, और सूर्य की इस तेज धूप से शरण पाना कितना महत्वपूर्ण होता है।

      भजनकार, भजन 121 में प्रभु के आड़ होने के इस शब्द-चित्र को प्रयोग करता है, जिसे प्रभु की भलाई और विश्वासयोग्यता के विषय स्वयं से एक संवाद के रूप में देखा जा सकता है। जब हम इस भजन को अपनी प्रार्थनाओं में प्रयोग करते हैं, तब हम अपने आप को आश्वस्त कर सकते हैं कि प्रभु हमें कभी नहीं छोड़ेगा, वह हमारे चारों ओर एक सुरक्षा-कवच बनाए रखता है। जैसे हम छातों के नीचे सूर्य से सुरक्षा लेते हैं, वैसे ही हम प्रभु में भी अपने लिए एक सुरक्षित स्थान को पा सकते हैं।

      हम अपनी आँखों को आकाश और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता की ओर लगाते हैं, क्योंकि चाहे धूप के समय हों या बरसात के, हमें उससे उपहार, तरोताजगी, और सुरक्षा सदा मिलती रहती है। - एमी बाउचर पाई


हमारी सुरक्षा हमारा प्रभु परमेश्वर है।

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। - भजन 18:2

बाइबल पाठ: भजन 121
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 79-80
  • रोमियों 11:1-18



सोमवार, 13 दिसंबर 2010

विश्राम का समय

पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में ३६५ और १/४ दिन लगते हैं। इस कारण हर चौथे साल वर्ष में ३६६ दिन गिने जाते हैं और यह अतिरिक्त दिन फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार हमारा कैलेन्डर का नक्षत्रों से निर्धारित समय से सामन्जस्य बना रहता है।

प्राचीन इस्त्राएल के कैलेन्डर में प्रमेश्वर ने एक अद्भुत रीति से सामाजिक बातों को फिर से सही सामन्जस्य में लाने की विधि ठहराई थी। जैसे मनुष्य के लिये सप्ताह का सातवां दिन विश्राम का दिन निर्धारित किया गया (निर्गमन २०:८-१०), वैसे ही भूमि के लिये भी सातवां वर्ष विश्राम का वर्ष ठहराया गया (लैव्यवस्था २५:४) जिससे उसकी उर्वरता की परिपूर्ति हो सके। इसके साथ ही इस विश्राम के सातवें वर्ष में लोगों के कर्ज़ भी माफ होने थे (व्यवस्थाविवरण १५:१-११) और इब्रानी दास भी स्वतंत्र किये जाने थे। अर्थात, यह विश्राम का वर्ष, भूमि और समाज को एक नई शुरूआत देता था।

हमारे व्यस्त कार्यक्रमों और भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें भी जीवन की कई बातों में सामन्जस्य बैठाने और व्यवसाय, परिवार, मण्डली के कामों को सुचारू रूप से चलाने के लिये उनका पुनःअवलोकन करने की आवश्यक्ता होती है। इसके लिये परमेश्वर की इस विश्राम विधि का पालन करना लाभदायक है; इसके द्वारा अपने लिये विश्राम और प्रार्थना सहित अपने कार्यों और अपनी प्रथमिकताओं पर विचार करके आगे बढ़ने के लिये सामर्थ पुनः प्राप्त करी जा सकती है। प्रभु यीशु ने अपने जीवन से इसे दिखाया - वह स्वयं प्रार्थना करने के लिये एकान्त में जाया करता था (लूका ६:१२, मरकुस १:३५) और उसने अपने चेलों को भी ऐसा करने की शिक्षा दी "प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्‍होंने किया, और सिखाया था, सब उस को बता दिया। उस ने उन से कहा, तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्‍योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्‍हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। (मरकुस ६:३०, ३१)

ये विश्राम और प्रार्थना के समय हमारे थकित जीवनों में नई जान डालने और हमें अपने कार्य तथा ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में और अधिक कार्यकुशल बनाने के लिये आवश्यक हैं, क्योंकि ये हमारे शरीरों की रचना में परमेश्वर द्वारा स्थापित किये गये हैं।

अपने जीवन में विश्राम के उचित समय बनाए रखिये - ये आपके, आपके परिवार के और समाज के भले के लिये परमेश्वर की व्यवस्था हैं। - डेनिस फिशर


अपने समय का सर्वोत्तम प्रयोग करने के लिये प्रार्थना में समय लगाना सीखिये।

परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे। - लैव्यवस्था २५:४


बाइबल पाठ: लैव्यवस्था २५:१-७

फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,
इस्त्राएलियों से कह, कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूं, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।
छ: वर्ष तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी अपनी दाख की बारी छांट छांटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;
परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे। उस में न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छांटना।
जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगे उसे न काटना, और अपनी बिन छांटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
और भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहने वाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।

एक साल में बाइबल:
  • होशै १२-१४
  • प्रकाशितवाक्य ४