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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

सुरक्षित स्थान

 

         मेरी और मेरे भाइयों की परवरिश पश्चिम वर्जिनिया के पहाड़ी ढालों पर उगे जंगलों के निकट के क्षेत्र में हुई थी, जो हमारी कल्पनाओं की उड़ानों के लिए एक अच्छी पृष्ठभूमि प्रदान करता था। चाहे टारजन के समान पेड़ों की लताओं पर झूलना हो या स्विस फैमिली रोबिनसन के सदस्यों के समान पेड़ों पर घर बनाकर रहना हो, हम उन कहानियों और फिल्मों की बातों के अनुरूप दृश्यों को बना और निभा सकते थे। हमारा एक मनपसंद खेल था किले बनाकर उनमें रहना और सोचना कि हम काल्पनिक शत्रुओं के आक्रमणों से सुरक्षित हैं। वर्षों बाद मेरे बच्चे भी चादरों, तकियों और कम्बलों से ऐसे ही किले बनाकर उनमें छुपते थे और अपने आप को अपने काल्पनिक शत्रुओं से सुरक्षित अनुभव करते थे। हमारे लिए एक छुपने का शरण स्थान होने की इच्छा रखना, जहाँ हम सुरक्षित अनुभव करें स्वाभाविक लालसा है।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में इस्राएल के भजनकार दाऊद ने भी एक सुरक्षित स्थान को चाहा, और इसके लिए उसने परमेश्वर को ही अपनी सुरक्षा के लिए शरणस्थान बनाया। वो भजन 17:8 में कहता है,अपने आंखों की पुतली के समान सुरक्षित रख; अपने पंखों के तले मुझे छिपा रख।” जब हम पुराने नियम में दिए गए दाऊद के जीवन, और उसपर लगभग निरंतर बने रहने वालों खतरों के वर्णन को पढ़ते हैं, तो हमें बोध होता है कि उसे परमेश्वर पर कितना अद्भुत भरोसा था (पद 6)। उन खतरों के बावजूद, वह निश्चित था कि उसकी सच्ची सुरक्षा परमेश्वर ही में है।

         हम भी इसी भरोसे का अनुभव कर सकते हैं। वह परमेश्वर जिसने हम से प्रतिज्ञा की है कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, और न कभी त्यागेगा (इब्रानियों 13:5), हम अपने जीवनों के लिए प्रति दिन उसी पर भरोसा रख सकते हैं। यद्यपि हम एक खतरनाक संसार में रहते हैं, परन्तु हमारा परमेश्वर हमें शान्ति और आश्वासन देता है – अभी भी और अनन्तकाल के लिए भी। वही हमारा सुरक्षित स्थान है। - बिल क्राउडर

 

परमेश्वर का धन्यवाद करें कि वह आपका सुरक्षित शरण स्थान है।


तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है। - इब्रानियों 13:5-6

बाइबल पाठ: भजन 17:1-9

भजन संहिता 17:1 हे यहोवा परमेश्वर सच्चाई के वचन सुन, मेरी पुकार की ओर ध्यान दे। मेरी प्रार्थना की ओर जो निष्कपट मुंह से निकलती है कान लगा।

भजन संहिता 17:2 मेरे मुकद्दमे का निर्णय तेरे सम्मुख हो! तेरी आंखें न्याय पर लगी रहें!

भजन संहिता 17:3 तू ने मेरे हृदय को जांचा है; तू ने रात को मेरी देखभाल की, तू ने मुझे परखा परन्तु कुछ भी खोटापन नहीं पाया; मैं ने ठान लिया है कि मेरे मुंह से अपराध की बात नहीं निकलेगी।

भजन संहिता 17:4 मानवी कामों में मैं तेरे मुंह के वचन के द्वारा क्रूरों की सी चाल से अपने को बचाए रहा।

भजन संहिता 17:5 मेरे पांव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं।

भजन संहिता 17:6 हे ईश्वर, मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, क्योंकि तू मुझे उत्तर देगा। अपना कान मेरी ओर लगाकर मेरी बिनती सुन ले।

भजन संहिता 17:7 तू जो अपने दाहिने हाथ के द्वारा अपने शरणागतों को उनके विरोधियों से बचाता है, अपनी अद्भुत करुणा दिखा।

भजन संहिता 17:8 अपने आंखों की पुतली के समान सुरक्षित रख; अपने पंखों के तले मुझे छिपा रख,

भजन संहिता 17:9 उन दुष्टों से जो मुझ पर अत्याचार करते हैं, मेरे प्राण के शत्रुओं से जो मुझे घेरे हुए हैं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यहेजकेल 42-44
  • 1 यूहन्ना 1

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

शरण स्थान


     जब मैं ओक्लाहोमा में रहता था, तो मेरा एक मित्र था, जॉन, जो चक्रवाधी तूफानों का “पीछा” करता था। जॉन बड़े ध्यान से अपने समान अन्य तूफ़ान का पीछा करने वालों के और स्थानीय रडार यंत्र के साथ संपर्क में बना रहता था, और उनकी सहायता से एक सुरक्षित दूरी से लोगों को उस चक्रवाध की स्थिति, दिशा, और संभावित मार्ग बताता रहता था, जिससे जो लोग उस तूफ़ान के मार्ग में हों, वे अपनी सुरक्षा की तैयारी कर लें। एक दिन एक चक्रवाध ने अचानक और इतनी तीव्रता से अपनी दिशा बदली कि जॉन बड़े खतरे में पड़ गया। किन्तु संयोग से उसे एक शरण स्थान मिल गया, और वह वहाँ सुरक्षित रह सका।

     जॉन के उस दोपहर के अनुभव से मुझे एक अन्य विनाशकारी बात का स्मरण हो आता है – हमारे जीवनों में बसा हुआ पाप। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है, “परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है” (याकूब 1:14-15)। इस पद में पाप के दुष्परिणामों का एक क्रम दिया गया है। वह जो आरम्भ में अहानिकारक प्रतीत होता है, वही अचानक ही नियंत्रण से बाहर होकर विनाशकारी बन सकता है। परन्तु हम मसीही विश्वासियों को हमारा प्रभु परमेश्वर एक शरण स्थान प्रदान करता है, जो हमें सदा उपलब्ध रहता है।

     परमेश्वर का वचन हमें यह भी आश्वासन देता है कि कभी भी परमेश्वर हमें किसी परीक्षा में नहीं डालता है, और हम अपने बुरे या गलत चुनावों के लिए अपने आप को ही दोषी कह सकते हैं। परमेश्वर का आश्वासन है “तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको” (1 कुरिन्थियों 10:13)। जब हम उसकी ओर मुड़ते हैं, और परीक्षा की घड़ी में उससे सहायता की प्रार्थना करते हैं, तब हमारा प्रभु हमें उस परिस्थिति पर जयवंत होने तथा सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक सामर्थ्य एवं मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाता है।

     प्रभु यीशु सदा हमारा दृढ़ और विश्वसनीय शरण स्थान है। - जेम्स बैंक्स

 

जगत का उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, हमारे जीवनों के तूफानों में हमारा शरण स्थान है।


परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरण स्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं। - भजन 73:28

बाइबल पाठ: याकूब 1:12-18

याकूब 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।

याकूब 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।

याकूब 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।

याकूब 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।

याकूब 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।

याकूब 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।

याकूब 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15


शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

सुरक्षा



      ब्रिटेन में रहने के कारण मैं सामान्यतः धूप में निकलने से होने वाले त्वचा के गहरे रंग के लिए चिन्तित नहीं होती हूँ, क्योंकि अधिकानाशातः सूर्य बादलों से छुपा रहता है। लेकिन हाल ही में मैंने कुछ समय स्पेन में बिताया, और मुझे बहुत शीघ्र यह एहसास हो गया कि मेरी हलके रंग की त्वचा के कारण मैं दस मिनिट से अधिक धूप में नहीं रह सकती थी, मुझे छाते के नीचे शरण लेनी ही पड़ती थी।

      मैं जब उस भूमध्यसागरीय क्षेत्र की चिलचिलाती धूप के बारे में विचार कर रही थी, तब मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के हमारे दाहिनी ओर आड़ होने की बात और अधिक गहराई से समझ में आई। मध्य-पूर्व के निवासी जानते थे कि चिलचिलाती धूप क्या होती है, और सूर्य की इस तेज धूप से शरण पाना कितना महत्वपूर्ण होता है।

      भजनकार, भजन 121 में प्रभु के आड़ होने के इस शब्द-चित्र को प्रयोग करता है, जिसे प्रभु की भलाई और विश्वासयोग्यता के विषय स्वयं से एक संवाद के रूप में देखा जा सकता है। जब हम इस भजन को अपनी प्रार्थनाओं में प्रयोग करते हैं, तब हम अपने आप को आश्वस्त कर सकते हैं कि प्रभु हमें कभी नहीं छोड़ेगा, वह हमारे चारों ओर एक सुरक्षा-कवच बनाए रखता है। जैसे हम छातों के नीचे सूर्य से सुरक्षा लेते हैं, वैसे ही हम प्रभु में भी अपने लिए एक सुरक्षित स्थान को पा सकते हैं।

      हम अपनी आँखों को आकाश और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता की ओर लगाते हैं, क्योंकि चाहे धूप के समय हों या बरसात के, हमें उससे उपहार, तरोताजगी, और सुरक्षा सदा मिलती रहती है। - एमी बाउचर पाई


हमारी सुरक्षा हमारा प्रभु परमेश्वर है।

यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। - भजन 18:2

बाइबल पाठ: भजन 121
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 79-80
  • रोमियों 11:1-18



बुधवार, 10 जनवरी 2018

शरणस्थान


   मार्च 2014 में, मेरे मूल-निवास स्थान में जनजातीय संघर्ष आरंभ हो गया, और मेरे पिता के घराने को, अन्य शरणार्थियों के साथ, उस इलाके की राजधानी शहर में शरण लेनी पड़ी। सँसार के इतिहास में अनेकों बार, अनेकों स्थानों पर जब लोगों ने अपने आप को असुरक्षित अनुभव किया है तो वे अन्य स्थानों पर सुरक्षा और कुछ बेहतर ढूँढते हुए गए हैं।

   मैं अपने लोगों से मिलने गया, और उनके साथ बातचीत कर रहा था, मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में, यहोशू 20:1-9 में उल्लेखित शरण नगरों का ध्यान आया। ये वे निर्धारित सुरक्षित स्थान थे जहाँ पर “बदला लेने वाले सम्बन्धियों” से बचकर, जब तक कि उसका न्याय नहीं हो जाता था, वह व्यक्ति जिसने गलती से हत्या कर दी हो, शरण ले सकता था (पद 3)।

   आज भी लोग शरण स्थान खोजते  हैं, परन्तु भिन्न कारणों से। चाहे इन शरणस्थानों की आज भी आवश्यकता है, और इनमें लोगों को भोजन और रहने का स्थान मिल जाता है, परन्तु ये स्थान शरणार्थियों और भगोड़ों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते हैं – यह तो केवल प्रभु परमेश्वर में ही संभव हो पाता है। जो परमेश्वर के साथ चलते हैं, वे उसमें सच्चा और सबसे सुरक्षित शरणस्थान पाते हैं। जब प्रभु ने प्राचीन इस्त्राएल को देश-निकाला दिया, तो उनके संबंध में प्रभु ने कहा, “परन्तु तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है कि मैं ने तुम को दूर दूर की जातियों में बसाया और देश देश में तितर-बितर कर दिया तो है, तौभी जिन देशों में तुम आए हुए हो, उन में मैं स्वयं तुम्हारे लिये थोड़े दिन तक पवित्र स्थान ठहरूंगा” (यहेजकेल 11:16)।

   हम भजनकार के साथ प्रभु से पूरे भरोसे के साथ कह सकते हैं, “तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा” (भजन 32:7)। - लौरेंस दर्मानी


जो परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित हैं, उन्हें कुछ हिला नहीं सकता है।

यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उस में भाग कर सब दुर्घटनाओं से बचता है। - नीतिवचन 18:10

बाइबल पाठ: यहोशू 20:1-9
Joshua 20:1 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा,
Joshua 20:2 इस्राएलियों से यह कह, कि मैं ने मूसा के द्वारा तुम से शरण नगरों की जो चर्चा की थी उसके अनुसार उन को ठहरा लो,
Joshua 20:3 जिस से जो कोई भूल से बिना जाने किसी को मार डाले, वह उन में से किसी में भाग जाए; इसलिये वे नगर खून के पलटा लेने वाले से बचने के लिये तुम्हारे शरणस्थान ठहरें।
Joshua 20:4 वह उन नगरों में से किसी को भाग जाए, और उस नगर के फाटक में से खड़ा हो कर उसके पुरनियों को अपना मुकद्दमा कह सुनाए; और वे उसको अपने नगर में अपने पास टिका लें, और उसे कोई स्थान दें, जिस में वह उनके साथ रहे।
Joshua 20:5 और यदि खून का पलटा लेने वाला उसका पीछा करे, तो वे यह जानकर कि उसने अपने पड़ोसी को बिना जाने, और पहिले उस से बिना बैर रखे मारा, उस खूनी को उसके हाथ में न दें।
Joshua 20:6 और जब तक वह मण्डली के साम्हने न्याय के लिये खड़ा न हो, और जब तक उन दिनों का महायाजक न मर जाए, तब तक वह उसी नगर में रहे; उसके बाद वह खूनी अपने नगर को लौटकर जिस से वह भाग आया हो अपने घर में फिर रहने पाए।
Joshua 20:7 और उन्होंने नप्ताली के पहाड़ी देश में गलील के केदेश को, और एप्रैम के पहाड़ी देश में शकेम को, और यहूदा के पहाड़ी देश में किर्य्यतर्बा को, (जो हेब्रोन भी कहलाता है) पवित्र ठहराया।
Joshua 20:8 और यरीहो के पास के यरदन के पूर्व की ओर उन्होंने रूबेन के गोत्र के भाग में बसेरे को, जो जंगल में चौरस भूमि पर बसा हुआ है, और गाद के गोत्र के भाग में गिलाद के रमोत को, और मनश्शे के गोत्र के भाग में बाशान के गालान को ठहराया।
Joshua 20:9 सारे इस्राएलियों के लिये, और उन के बीच रहने वाले परदेशियों के लिये भी, जो नगर इस मनसा से ठहराए गए कि जो कोई किसी प्राणी को भूल से मार डाले वह उन में से किसी में भाग जाए, और जब तक न्याय के लिये मण्डली के साम्हने खड़ा न हो, तब तक खून का पलटा लेने वाला उसे मार डालने न पाए, वे यह ही हैं।


एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 25-26
  • मत्ती 8:1-17



मंगलवार, 21 मार्च 2017

न्यायी शरणस्थान


   जब कोई अभियुक्त अदालत में न्यायी के सामने खड़ा होता है, तो वह अदालत के न्याय और रहम दोनों पर निर्भर होता है। यदि अभियुक्त निर्दोष है तो अदालत और न्यायी को उसे सुरक्षा देने वाले शरणस्थान के समान होना चाहिए। परन्तु यदि वह दोषी है तो अदालत तथा न्यायी से आशा की जाती है कि वे उसको उचित दण्ड दें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में नहूम की पुस्तक में, निनवे शहर के संदर्भ में, हम परमेश्वर को उपरोक्त दोनों ही - न्यायी और शरणस्थान, रूपों में देखते हैं। वहाँ परमेश्वर के विषय लिखा है, "यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है" (नहूम 1:7)। और इससे अगली ही पद में परमेश्वर के विषय लिखा है, "परन्तु वह उमड़ती हुई धारा से उसके स्थान का अन्त कर देगा, और अपने शत्रुओं को खदेड़ कर अन्धकार में भगा देगा" (नहूम 1:8)। इससे लगभग 100 वर्ष पहले, योना के वहाँ परमेश्वर का प्रचार करने पर, निनवे के लोगों ने पश्चाताप किया था, परमेश्वर की क्षमा को पाया था और सुरक्षित हो गए थे (योना 3:10)। परन्तु अब नहूम के दिन आने पर, निनवे के लोग परमेश्वर के विरुद्ध योजना बना रहे थे (नहूम 1:9, 11)। नहूम की पुस्तक के तीसरे अध्याय में हम निनवे के नाश का वर्णन पाते हैं।

   अनेकों लोग मनुष्यों के साथ परमेश्वर के व्यवहार का केवल एक ही पहलू जानते हैं दूसरा नहीं। वे या तो यह सोचते हैं कि परमेश्वर केवल पवित्र है और हम अपवित्र मनुष्यों को दण्ड देना चाहता है; या यह कि परमेश्वर दयालु है और केवल दया और करुणा के साथ ही कार्य करता है। सत्य यह है कि परमेश्वर न्यायी भी है और शरण्स्थान भी। पतरस ने लिखा कि प्रभु यीशु "...अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था" (1 पतरस 2:23)। तभी तो, "वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए" (1 पतरस 2:24)।

   परमेश्वर के बारे मे संपूर्ण सत्य, सुसमाचार है! परमेश्वर न्यायी है, परन्तु प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान एवं पुनरुत्थान के कारण, हम परमेश्वर के पास उसे अपना शरस्थान बनाकर जा सकते हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर का न्याय और करुणा कलवरी के क्रूस पर
 प्रभु यीशु के बलिदान में दिखाई देते हैं।

क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों 4:15-16

बाइबल पाठ: नहूम 1:1-15
Nahum 1:1 नीनवे के विषय में भारी वचन। एल्कोशी नहूम के दर्शन की पुस्तक।
Nahum 1:2 यहोवा जल उठने वाला और बदला लेने वाला ईश्वर है; यहोवा बदला लेने वाला और जलजलाहट करने वाला है; यहोवा अपने द्रोहियों से बदला लेता है, और अपने शत्रुओं का पाप नहीं भूलता। 
Nahum 1:3 यहोवा विलम्ब से क्रोध करने वाला और बड़ा शक्तिमान है; वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा। यहोवा बवंडर और आंधी में हो कर चलता है, और बादल उसके पांवों की धूलि है। 
Nahum 1:4 उसके घुड़कने से महानद सूख जाते हैं, और समुद्र भी निर्जल हो जाता है; बाशान और कर्म्मैल कुम्हलाते और लबानोन की हरियाली जाती रहती है। 
Nahum 1:5 उसके स्पर्श से पहाड़ कांप उठते हैं और पहाडिय़ां गल जाती हैं; उसके प्रताप से पृथ्वी वरन सारा संसार अपने सब रहने वालों समेत थरथरा उठता है।
Nahum 1:6 उसके क्रोध का साम्हना कौन कर सकता है? और जब उसका क्रोध भड़कता है, तब कौन ठहर सकता है? उसकी जलजलाहट आग की नाईं भड़क जाती है, और चट्टानें उसकी शक्ति से फट फटकर गिरती हैं। 
Nahum 1:7 यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है। 
Nahum 1:8 परन्तु वह उमड़ती हुई धारा से उसके स्थान का अन्त कर देगा, और अपने शत्रुओं को खदेड़ कर अन्धकार में भगा देगा। 
Nahum 1:9 तुम यहोवा के विरुद्ध क्या कल्पना कर रहे हो? वह तुम्हारा अन्त कर देगा; विपत्ति दूसरी बार पड़ने न पाएगी। 
Nahum 1:10 क्योंकि चाहे वे कांटों से उलझे हुए हों, और मदिरा के नशे में चूर भी हों, तौभी वे सूखी खूंटी की नाईं भस्म किए जाएंगे। 
Nahum 1:11 तुझ में से एक निकला है, जो यहोवा के विरुद्ध कल्पना करता और नीचता की युक्ति बान्धता है।
Nahum 1:12 यहोवा यों कहता है, चाहे वे सब प्रकार के सामर्थी हों, और बहुत भी हों, तौभी पूरी रीति से काटे जाएंगे और शून्य हो जाएंगे। मैं ने तुझे दु:ख दिया है, परन्तु फिर न दूंगा। 
Nahum 1:13 क्योंकि अब मैं उसका जूआ तेरी गर्दन पर से उतार कर तोड़ डालूंगा, और तेरा बन्धन फाड़ डालूंगा।
Nahum 1:14 यहोवा ने तेरे विषय में यह आज्ञा दी है कि आगे को तेरा वंश न चले; मैं तेरे देवालयों में से ढली और गढ़ी हुई मूरतों को काट डालूंगा, मैं तेरे लिये कबर खोदूंगा, क्योंकि तू नीच है।
Nahum 1:15 देखो, पहाड़ों पर शुभसमाचार का सुनाने वाला और शान्ति का प्रचार करने वाला आ रहा है! अब हे यहूदा, अपने पर्व मान, और अपनी मन्नतें पूरी कर, क्योंकि वह ओछा फिर कभी तेरे बीच में हो कर न चलेगा, और पूरी रीति से नाश हुआ है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 7-9
  • लूका 1:21-38


मंगलवार, 2 अगस्त 2016

अनुग्रह-स्थल


   अमेरिका के टेनेस्सी प्रांत के मेम्फिस शहर में स्थित ग्रेसलैंड मैन्शन एक ऐसा घर है जिसे देखने के लिए प्रति वर्ष अनेकों सैलानी जाते हैं। इस भवन का निर्माण सन 1930 में हुआ था, और इसका नाम इस भवन के मूल मालिक की बुज़ुर्ग रिश्तेदार ’ग्रेस’ के नाम पर रखा गया था। इसे यह ख्याति बाद में इसमें रहने वाले विश्व-प्रसिद्ध गायक एल्विस प्रैस्ली के कारण मिली, और आज एल्विस के घर को देखने के लिए ही सैलानी वहाँ आते हैं।

   मुझे वह नाम ’ग्रेसलैंड’ अर्थात ’अनुग्रह-स्थल’ बहुत पसन्द है क्योंकि यह मुझे उस क्षेत्र का स्मरण दिलाता है जहाँ परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में होकर मुझे प्रदान करी गई मेरे पापों की क्षमा के बाद मुझे अपनाकर रखा है। परमेश्वर ने मुझे पाप के अन्धकार से निकाल कर अपनी ज्योति के अनुग्रह-स्थल में निवास करने का आदर प्रदान किया है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ" (रोमियों 5:15)। मैं सदा ही इस बात का आभारी तथा धन्यवादी रहूँगा कि पौलुस जिन ’बहुतेरे लोगों’ का उल्लेख यहाँ पर कर रहा है, उन में से एक मैं भी हूँ; और मेरे किसी कर्म, गुण, योग्यता, उपलब्धि, ख्याति या विशेषता के कारण नहीं परन्तु परमेश्वर के महान प्रेम के कारण ही मेरा स्थानान्तरण उसके अद्भुत, अनन्त और अनुपम अनुग्रह-स्थल में हुआ है। प्रभु यीशु मसीह में स्वेच्छा से लाए गए विश्वास और उनसे माँगी गई पापों की क्षमा ने मेरे लिए यह संभव कर दिया है।

   परमेश्वर के उस अनुग्रह-स्थल में होने की आशीष के बारे में विचार करें; यह एक ऐसा स्थान है जिसमें होकर परमेश्वर ने हमें अपनी उपस्थिति में रहने का सौभाग्य प्रदान किया है, और उसका यह अनुग्रह दिन-प्रतिदिन हमारे जीवनों में अविरल एक समान प्रवाहित होता रहता है; हमारी किसी बात के कारण यह अनुग्रह ना बढ़ता है और ना ही घटता है, वरन हर बात, हर परिस्थिति में सदा उपलब्ध और एक समान बना रहता है। पौलुस अपने अनुभव के आधार पर हमें आशवस्त करता है कि हम यदि किसी असहनीय, अति निराशाजनक परिस्थिति में भी पड़ जाएं जिसका हल नहीं मिल पा रहा हो, तब भी यह अनुग्रह हमें उस परिस्थिति से पार लगा देता है (2 कुरिन्थियों 12:9)। जीवन और संसार हमारे सामने कुछ भी क्यों ना ले आएं, लेकिन हमें परमेश्वर के अनुग्रह-स्थल से अलग कभी नहीं कर सकते।

   क्या आपने परमेश्वर के इस अनुग्रह-स्थल में अपना स्थान ले लिया है? - जो स्टोवैल


स्मरण रखें कि परमेश्वर ने आपको कहाँ रखा है और उसके अनुग्रह-स्थल में सदा आनन्दित रहें।

और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। - 2 कुरिन्थियों 12:9

बाइबल पाठ: रोमियों 5:10-21
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? 
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Romans 5:16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे। 
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। 
Romans 5:20 और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 
Romans 5:21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 60-62
  • रोमियों 5


सोमवार, 1 अगस्त 2016

शरणस्थान


   हम ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा के दौरान एक नगर में प्रवेश कर रहे थे; वहाँ हमने एक स्वागत सन्देश लिखा हुआ देखा: "जो भी शरण या आश्रय का स्थान ढूँढ़ रहे हैं हम उनका स्वागत करते हैं।" इस प्रकार का यह स्वागत सन्देश परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम के काल में परमेश्वर द्वारा बनवाए गए शरण नगरों की याद दिलाता है: "तब ऐसे नगर ठहराना जो तुम्हारे लिये शरणनगर हों, कि जो कोई किसी को भूल से मार के खूनी ठहरा हो वह वहां भाग जाए। वे नगर तुम्हारे निमित्त पलटा लेने वाले से शरण लेने के काम आएंगे, कि जब तक खूनी न्याय के लिये मण्डली के साम्हने खड़ा न हो तब तक वह न मार डाला जाए" (गिनती 35:11-12)। उस समय में, यदि कोई गलती से किसी को मार डाले, या किसी पर हत्या का आरोप आए, तो अपनी जान बचाने के लिए वह कुछ निर्धारित नगरों में जाकर, जब तक उसका न्याय नहीं हो जाता, वहाँ सुरक्षित रह सकता था। परमेश्वर की ओर से अपने लोगों के लिए यह प्रयोजन करवाया गया था।

   यह केवल प्राचीन इस्त्राएल के मानने के लिए एक प्रथा मात्र ही नहीं थी, वरन यह अपने लोगों के लिए परमेश्वर के हृदय, उसकी भावनाओं की सूचक भी थी। जीवन की असफलताओं, दुःखों और हानियों में परमेश्वर स्वयं अपने लोगों का ऐसा सुरक्षित आश्रय स्थान, जहाँ वे शांति और सांत्वना पाएं, बनना चाहता है। हम भजन 59:16-17 में पढ़ते हैं, "परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जयजयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है। हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करूणामय परमेश्वर है"

   हर समय, हर काल और हर स्थान पर समस्त मानव जाति के लिए शरणस्थान कोई नगर नहीं, वरन परमेश्वर स्वयं बनना चाहता है, क्योंकि उसने हमें रचा है, वह हमसे अनन्तकाल के प्रेम से प्रेम करता है, और अपने साथ हमारा मेल-मिलाप करवाने के लिए उसने अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु मसीह को भी हमारे पापों के बदले बलिदान कर दिया।

   आज यह शरणस्थान सभी के लिए सारे समय खुला है, उपलब्ध है; कैसे अभागे होंगे वे जो परमेश्वर के प्रेम और इस अवसर को ठुकरा कर कहीं और अपना शरणस्थान खोजेंगे और अनन्तकाल के विनाश में चले जाएंगे। आज, अभी प्रभु यीशु को अपना शरणस्थान बना लीजिए। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु ही वास्तविक शरणस्थान है; उसी में सच्चा आश्रय और विश्राम है।

यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है। - नहूम 1:7

बाइबल पाठ: भजन 59:9-17
Psalms 59:9 हे मेरे बल, मुझे तेरी ही आस होगी; क्योंकि परमेश्वर मेरा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 59:10 परमेश्वर करूणा करता हुआ मुझ से मिलेगा; परमेश्वर मेरे द्रोहियों के विषय मेरी इच्छा पूरी कर देगा।
Psalms 59:11 उन्हें घात न कर, न हो कि मेरी प्रजा भूल जाए; हे प्रभु, हे हमारी ढाल! अपनी शक्ति से उन्हें तितर बितर कर, उन्हें दबा दे। 
Psalms 59:12 वह अपने मुंह के पाप, और ओठों के वचन, और शाप देने, और झूठ बोलने के कारण, अभिमान में फंसे हुए पकड़े जाएं। 
Psalms 59:13 जलजलाहट में आकर उनका अन्त कर, उनका अन्त कर दे ताकि वे नष्ट हो जाएं तब लोग जानेंगे कि परमेश्वर याकूब पर, वरन पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करता है।
Psalms 59:14 वे सांझ को लौटकर कुत्ते की नाईं गुर्राएं, और नगर के चारों ओर घूमें। 
Psalms 59:15 वे टुकड़े के लिये मारे मारे फिरें, और तृप्त न होने पर रात भर वहीं ठहरे रहें।
Psalms 59:16 परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जयजयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है। 
Psalms 59:17 हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करूणामय परमेश्वर है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 57-59
  • रोमियों 4


शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

बचाव का मार्ग


   पश्चिमी वर्जीनिया के अपालाचियन पहाड़ों से होकर गुज़रने वाले राजमार्ग 77 पर अनियंत्रित ट्रकों को मार्ग से किनारे कर के रोक लेने के लिए ढलानों पर अनेक स्थान बने हुए हैं। ये आधे-पक्के किए हुए स्थान राजमार्ग के उस भाग पर स्थित हैं जो 6 मील की दूरी में 1300 फीट नीचे उतर आता है। सड़क के घुमावदार होने के साथ इस तीव्र ढलान के कारण गाड़ियों, विशेषकर ट्रकों के लिए समस्या होने की संभावना सदा बनी रहती है, इसीलिए अधिकारियों ने उनकी सहायता के लिए पहले से ही उपाय बना कर रख दिया है।

   जैसे ढाल पर अनियंत्रित गाड़ी या ट्रक को बचने का मार्ग चाहिए होता है, हमें भी जीवन के मार्ग में कई बातों से बचने में सहायता चाहिए होती है, विशेषकर तब जब अनियंत्रित अभिलाषाएं हमारे आत्मिक जीवन को जोखिम में डालने लगती हैं। हमारा परमेश्वर पिता हमारी इस संभावना और स्थिति को अच्छे से जानता है, इसीलिए उसने हमारी सहायता के लिए पहले ही से साधन बना कर दे दिया है। जब भी हम किसी अनुचित प्रलोभन या लालसा में पड़ें, तो परमेश्वर के वायदे को स्मरण रखें: "...परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा..." (1 कुरिन्थियों 10:13)। परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमें प्रलभोनों को "नहीं" कहने की सामर्थ देता है; जब शैतान ने प्रभु यीशु की सेवकाई के आरंभ में उनके 40 दिनों के उपवास के पश्चात भोजन, अधिकार तथा परमेश्वर पर विश्वास की बातों को लेकर परीक्षा करी तो प्रभु यीशु ने उसके प्रत्येक वार को परमेश्वर के वचन के सही प्रयोग के द्वारा विफल किया।

   जब हम किसी प्रलोभन या परीक्षा में पड़ें तो हमें प्रतीत हो सकता है कि बस अब हमारा विनाश आने ही वाला है, बीते समयों की असफलताएं तथा दूसरों द्वारा हमारे तिरिस्कार की यादें हमारी निराशा को और भी बढ़ा सकती हैं। लेकिन ऐसे में भी हम परमेश्वर पर भरोसा बनाए रख सकते हैं कि हमारी हर परीक्षा में वह हमारे प्रति वफादार और सहायक है; वह ना केवल हमें परीक्षा का सामना करने की सामर्थ देगा वरन उससे बच कर निकल पाने का मार्ग भी देगा। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


प्रलोभन और परीक्षा से बचने का सबसे उत्त्म मार्ग है परमेश्वर कि शरण में भाग जाना।

इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, वह विश्वासयोग्य ईश्वर है; और जो उस से प्रेम रखते और उसकी आज्ञाएं मानते हैं उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा पालता, और उन पर करूणा करता रहता है; - व्यवस्थाविवरण 7:9 

बाइबल पाठ: मत्ती4:1-11 1 कुरिन्थियों 10:12-13
Matthew 4:1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो। 
Matthew 4:2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्‍त में उसे भूख लगी। 
Matthew 4:3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं। 
Matthew 4:4 उसने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। 
Matthew 4:5 तब इब्‍लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। 
Matthew 4:6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे। 
Matthew 4:7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर। 
Matthew 4:8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर 
Matthew 4:9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा। 
Matthew 4:10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। 
Matthew 4:11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

1 Corinthians 10:12 इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े। 
1 Corinthians 10:13 तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 123-125
  • 1 कुरिन्थियों 10:1-18