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शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

प्रेमी


   १२वीं शताब्दी में जन्मे एक विलक्षण और दया भाव से भरे व्यक्ति, असिसी के सन्त फ्रांसिस, की जीवनी को लेखक जी. के. चेस्टरटन ने उनके हृदय की एक झलक के साथ आरंभ किया। चेस्टरटन लिखते हैं: "जैसे सन्त फ्रांसिस ने मानवता से नहीं वरन मनुष्यों से प्रेम किया, वैसे ही उन्होंने मसीहियत से नहीं मसीह यीशु से प्रेम किया...पाठकों को उनकी जीवन की कहानी अविश्वसनीय प्रतीत हो सकती है, और वे उनके जीवन का अर्थ समझना भी आरंभ नहीं कर सकते जब तक वे यह ना समझ लें कि इस महान आध्यात्मिक सन्त के लिए उसका धर्म किसी सिद्धांत का पालन करना नहीं वरन एक प्रेम संबंध निभाना था।"

   जब एक आलोचक ने प्रभु यीशु से पूछा कि व्यवस्था की सबसे बड़ी आज्ञा क्या है तो: "उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है" (मत्ती २२:३७-३८)। प्रश्नकर्ता अपने प्रश्न के द्वारा प्रभु यीशु को परखना और फंसाना चाहता था, परन्तु प्रभु यीशु ने उसे परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात समझाई - परमेश्वर से हमारा संबंध प्रेम का संबंध है और हमारे हृदय की बात है, किसी विधि-विधान को पूरा करने की नहीं।

   यदि हम परमेश्वर को अपनी आज्ञाएं मनवाने के लिए तत्पर एक कठोर व्यक्तित्व के रूप में देखते हैं और उसकी आज्ञाकारिता में रहना हमें एक बोझ या मजबूरी लगती है, तो हमने उसके प्रेम को समझा ही नहीं है और उससे हमारा संबंध उथला है, महज़ औपचारिकता है जिसे जैसे तैसे निभाते रहना हम अपना कर्तव्य मात्र समझते हैं और प्रयास करते रहते हैं। ऐसे में हमारी गिनती भी उन लोगों में है जिनके लिए प्रभु ने कहा, "पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है" (प्रकाशितवाक्य २:४)।

   परमेश्वर से हमारा संबंध प्रभु यीशु मसीह में होकर एक प्रगाढ़ प्रेम का संबंध है और प्रेम का भरपूर आनन्द पाने के लिए हमें उससे अपने सारे हृदय, प्राण और बुद्धि से प्रेम करना होगा, क्योंकि एक प्रेमी ही प्रेम के मूल्य और आनन्द को जान सकता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु को जीवन में प्रथम स्थान दीजिए और आप अन्त तक बने रहने वाला आनन्द पाएंगे।

उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। - मत्ती २२:३७

बाइबल पाठ: मत्ती २२:३४-४०
Matt 22:34  जब फरीसियों ने सुना, कि उसने सदूकियों का मुंह बन्‍द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए।
Matt 22:35  और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा।
Matt 22:36  हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?
Matt 22:37  उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।
Matt 22:38  बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।
Matt 22:39  और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Matt 22:40  ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १०-१२ 
  • मत्ती ४

गुरुवार, 3 जनवरी 2013

महत्व और पहचान


   टी.वी. पर दिखाया जाने वाला एक पुराना कार्यक्रम एक ऐसे स्थल पर आधारित था जहां कुछ लोग नियमित रूप से आते रहते थे। वे लोग इसलिए उस स्थल पर एकत्रित होते थे क्योंकि उन्हें वहां एक दूसरे से अपनी पहचान और स्वागत मिलता था, सब एक दुसरे को नाम से जानते थे। हम सब की चाह होती है कि हम अपने आस-पास के लोगों में स्वीकार किए जाएं, उनमें हमारी पहचान और हमारा महत्व हो।

   लेकिन कुछ लोग जीवन के उन किनारों पर रहते हैं जहां उनके लिए यह मानना कठिन होता है कि उनका कोई महत्व या पहचान है, या किसी को उनकी कोई परवाह है। बच्चों में यह बात अकसर देखी जाती है, यदि कोई बच्चा अपने हम-उम्र बच्चों से अधिक लंबा, या मोटा, या कुशल हो जाता है या अन्य बच्चों के समान कुशल नहीं होने पाता, तो बाकी बच्चे उसकी उपेक्षा करते हैं, उसका मज़ाक उड़ाते हैं और उसका उपहास करते हैं। कोई व्यसक यदि अपने आस-पास के लोगों और उनके व्यवहार से भिन्न होता है तो उसे नज़रंदाज़ किया जाता है, उसे महत्वहीन और पहचानरहित महसूस करवाया जाता है।

   लेकिन हमारे प्रभु परमेश्वर के साथ ऐसा कभी नहीं होता। हम उसके सामने और उसके स्वर्गदूतों के सामने कितने भी कम सामर्थी और कैसे भी अनाज्ञाकारी हों, उसने हमारी कीमत इतनी आंकी कि हमारे उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र को भी ना रख छोड़ा, वरन उसे हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए बलिदान होने को दे दिया, जिससे उसके साथ फिर से हमारा संबंध स्थापित हो सके। वह कभी भी स्वर्गदूतों या अन्य महान और नामी विश्वासियों के सामने हमें किसी भी रीति से गौण महसूस नहीं होने देता, वरन उनके समान ही दर्जा देता है और स्वर्ग्दूतों को हमारी सेवा-टहल करने वाला बना दिया है (इब्रानियों १:१३-१४)। जो भी प्रभु यीशु में विश्वास और पापों की क्षमा के द्वारा परमेश्वर के पास आता है, वह परमेश्वर की संतान और स्वर्गीय वस्तुओं का वारिस हो जाता है। हम परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए हैं (उत्पत्ति १:२७), उसने हमारे जन्म से पहले ही हमारे लिए योजनाएं बनाईं हैं और वह हमारे जीवनों में रुचि रखता है (भजन १३९:१-१६)। उसका उद्देश्य हमें नीचा दिखाने का कभी नहीं होता, वरन वह सदा ही हमें ऊँचे पर रखना चाहता है।

   चाहे संसार में या हमारी अपनी नज़रों में हमारा महत्व और पहचान हो या ना हो, हमारे परमेश्वर पिता की नज़रों में हमारा बहुत महत्व है "और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है" (भजन १३९:१७); उसने हमें अपनी संतान होने की पहचान दी है और उसका प्रेम सदा हमारे प्रति गहराई से बना रहता है। - सिंडी हैस कैस्पर


जिस परमेश्वर ने इस सृष्टि को सृजा, वही आपसे भी प्रेम तथा आपकी परवाह करता है।

जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। - भजन १३९:१५

बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१७
Psa 139:1  हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psa 139:2  तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। 
Psa 139:3  मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। 
Psa 139:4  हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। 
Psa 139:5  तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। 
Psa 139:6  यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गंभीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psa 139:7  मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? 
Psa 139:8  यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! 
Psa 139:9  यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, 
Psa 139:10  तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। 
Psa 139:11  यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, 
Psa 139:12  तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psa 139:13  मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। 
Psa 139:14  मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। 
Psa 139:15  जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। 
Psa 139:16  तेरी आंखों ने मेरे बेड़ौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे। 
Psa 139:17  और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है।

एक साल में बाइबल: 

  • विलापगीत ३-५ 
  • इब्रानियों १०:१९-३९

बुधवार, 2 जनवरी 2013

परेशानीयाँ


   मैंने गोल्फ खेलने का कोई भी ऐसा स्थान नहीं देखा है जिसमें अवरोध ना हों। वे अवरोध उस खेल का एक भाग हैं। गंभीरता से गोल्फ खेलने वाले इन अवरोधों को चुनौतियों के रूप में लेते हैं और अपने खेल कौशल को जाँचने के लिए सबसे कठिन अवरोधों वाले मैदानों पर जाकर खेलने के लिए लंबी यात्राएं करने को तैयार रहते हैं।

   हम सब के जीवनों में परेशानीयाँ जीवन का एक अनिवार्य भाग हैं; हम सब अपने जीवन काल में समस्याओं से होकर अवश्य ही निकले हैं। यह खराब स्वास्थ्य हो सकता है, या आर्थिक घटी; संबंधों तथा रिश्तेदारियों में दरार और दूरी हो सकता है, या नौकरी छूट जाना या फिर अन्य कोई अन्य ग़म। यही समस्याएं, चाहे वे मसीही विश्वास से संबंधित हों अथवा सामान्य सांसारिक जीवन से, हमारी अन्तर्दशा की वास्तविक स्थिति उजागर करती हैं। इसलिए हमें चकित नहीं होना चाहिए यदि हमारे मसीही विश्वास के लिए परखे जाने और उसकी खराई प्रकट करने के लिए परमेश्वर हमें संसार के लोगों से उपहास और घृणा का सामना भी करने देता है (१ पतरस ४:१२)।

   ऑलिवर वैण्डल होम्स ने कहा था, "यदि मैं किसी ऐसी विधि को जानता जिससे समस्याओं से बचा सके तो मैं उसे कभी सार्वजनिक नहीं करता; क्योंकि उसे सार्वजनिक करने के द्वारा मैं किसी का कोई लाभ नहीं करूँगा। समस्या में आने से ही उसका सामना करने की सामर्थ भी आती है...समस्याओं से मित्र के समान ही मिलें, क्योंकि जीवन में अनेक बार उन से मिलना होता रहेगा। मित्र के समान मिलेंगे तो मित्र के समान उन से लाभान्वित भी होंगे।"

   जब हम परेशानीयों में पड़ें तो उससे विस्मित ना हों, क्योंकि परमेश्वर उनका उपयोग हमारी आत्मा कि सहनशक्ति परखने के लिए कर रहा है कि हम अपनी वास्तविकता जान सकें; "इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें" (१ पतरस ४:१९) क्योंकि वह हर बात में हमारे लिए भला ही करेगा। - डेनिस डी हॉन


बड़ी समस्याओं से ही बड़ी विजय मिलती है।

हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है। - १ पतरस ४:१२

बाइबल पाठ: १ पतरस ४:१२-१९
1Pet 4:12  हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
1Pet 4:13  पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो।
1Pet 4:14  फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
1Pet 4:15  तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए।
1Pet 4:16  पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
1Pet 4:17  क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
1Pet 4:18  और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?
1Pet 4:19  इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४-६ 
  • मत्ती २

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

पठन और मनन


   सिंगापुर के एक होटल ने द्रुत गति उपाहार योजना आरंभ करी - ३० मिमिट में चाहे जितना खाएं और केवल आधी कीमत दें। इस योजना के अन्तर्गत भोजन करने वाले एक व्यक्ति ने अपने अनुभव के बारे में कहा: "मैं शिष्टाचार भूल गया और मैंने अपना मुँह भोजन सामग्री से ठूस लिया; मैंने सुशील रहने का ध्यान नहीं रखा और फिर दिन भर पेट की जलन और बदहज़मी से परेशान रहा और मेरी भूख भी जाती रही।"

   मुझे लगता है कि परमेश्वर के वचन बाइबल के अपने पठन और मनन को भी हम ऐसे ही द्रुत गति के उपाहार के समान ही लेते हैं। हम उपलब्ध समय अनुसार जल्दी जल्दी जितना संभव हो पढ़ तो लेते हैं किंतु जो पढ़ रहे हैं उसपर मनन नहीं करते; फिर सोचते हैं कि हम अपने बाइबल पढ़ने से कुछ सीख क्यों नहीं पा रहे हैं!

   लाभप्रद होने के लिए, शारीरिक भोजन के समान, आत्मिक भोजन को भी अच्छे से चबा चबा कर ही ग्रहण किया जाता है। हम में से जो लंबे समय से मसीही विश्वासी रहे हैं, कई बार बाइबल के अपने जाने-माने और अनेक बार पढ़े हुए खंड जल्दी से पढ़ जाते हैं। परन्तु ऐसा करने से जो उस खंड में से परमेश्वर हमें सिखाना चाहता है वह हम से अन्देखा हो जाता है। इस बात का एक निश्चित प्रमाण है हमारा बाइबल पढ़ने के पश्चात कुछ भी नया नहीं सीखना।

   भजनकार ने परमेश्वर के वचन के प्रति सही रवैये के बारे में लिखा: "मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा" (भजन ११९:१५)। यही परमेश्वर के वचन के प्रति सही व्यवहार है - उस पर मनन करने के लिए समय लगाना।

   हमारी बाइबल पठन के प्रति उस द्रुत गति उपाहार वाली प्रवृति ना हो - उससे कुछ लाभ नहीं होगा। केवल परमेश्वर के वचन पर मनन द्वारा ही हम अपने आत्मिक जीवन के लिए कुछ प्राप्त कर सकते हैं। - सी. पी. हीया


बिना मनन के बाइबल पढ़ना मानो बिना चबाए भोजन खाना।

हे परमेश्वर, तू मेरा ईश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। - भजन ६३:१

बाइबल पाठ: भजन ११९:१-१६
Ps 119:1  क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
Ps 119:2  क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
Ps 119:3  फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
Ps 119:4  तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं।
Ps 119:5  भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!
Ps 119:6  तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी।
Ps 119:7  जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।
Ps 119:8  मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
Ps 119:9  जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
Ps 119:10  मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
Ps 119:11  मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
Ps 119:12  हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
Ps 119:13  तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
Ps 119:14  मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
Ps 119:15  मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
Ps 119:16  मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १-३ 
  • मत्ती १

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

पुनःअवलोकन


   गाड़ियों में चालक के सामने दर्पण लगे होते हैं जिनमें चालक पीछे की ओर देख सकता है। जीवन के लिए मेरा सदा ही यह मानना रहा है कि पीछे की ओर देखने से आप परमेश्वर के अदृश्य हाथ को अपने जीवन में कार्यकारी स्पष्टता से देख सकते हैं। जब हम पीछे की ओर, जीवन के बीते समयों और अनुभवों को, देखते हैं तो हमारे लिए यह समझना सरल हो जाता है कि परमेश्वर ने हमें उस स्थान पर क्यों रखा जहाँ हम अपने आप को पाते हैं; क्यों कुछ लोगों और परिस्थितियों को हमारे जीवन में आने या हमारे जीवन से जाने दिया; क्यों हमें परेशानियों और तकलीफों को झेलने दिया; क्यों वह हमें भिन्न स्थानों पर लेकर गया; क्यों कुछ नौकरियाँ दिलवाईं और कार्य करवाए या नहीं करने दिए।

   मैंने अपने जीवन में परमेश्वर की बुद्धिमता और प्रेम को बेहतर समझा है जब मैंने उन बातों पर मनन किया जो मेरी जीवन यात्रा से संबंधित रही हैं - क्योंकि मैं और मेरी जीवन यात्रा उसी के हाथ की कारिगरी ही तो हैं (भजन ९२:४)। भजनकार के साथ मैं भी आनन्दित होता हूँ यह देखकर कि कैसे परमेश्वर ने मेरी भी सहायता करी, मेरा भी मार्गदर्शन किया और मेरी सफलताओं का भी कर्ता रहा है (भजन १११)।

   जीवन यात्रा में आगे की ओर देखने पर हमें मार्ग इतना स्पष्ट नहीं दिखता जितना पीछे देखने पर दिखता है। जब किसी यात्रा में मार्ग कोहरे से ढका हो, टेढ़ा-मेढ़ा हो, उबड़-खाबड़ हो तब क्या आपने भय और अनिश्चितता का अनुभव किया है? आते समय, परिस्थितियाँ और हालात ऐसे हि अनिश्चित तथा भयावह लगते हैं। अगले वर्ष में प्रवेश करने से पहले जीवन यात्रा के पीछे की ओर देखने वाले दर्पण में एक दृष्टि डालें, और अपने जीवन काल का पुनःअवलोकन करें। आप आनन्द के साथ एहसास करेंगे कि जब परमेश्वर ने कहा: "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" तो उसने यह वायदा पूरी गंभीरता से किया और उसे निभाया है (इब्रानियों १३:५)। "इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है" (इब्रानियों १३:६)।

   जीवन के पुनःअवलोकन द्वारा प्रमाणित परमेश्वर के सदा साथ बने रहने और सहायक होने के वायदे में विश्वास के साथ आप आते २०१३ में पूरे आत्मविश्वास तथा निडरता से प्रवेश कर सकते हैं। क्योंकि उसके वायदे अटल हैं इसलिए वह जैसे बीते समय में आपके साथ रहा है वैसे ही आगे भी रहेगा। - जो स्टोवैल


बीते समयों में मिला परमेश्वर का मार्गदर्शन आते समयों के लिए हमें साहस देता है।

क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा। - भजन ९२:४

बाइबल पाठ: भजन १११
Ps 111:1  याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।
Ps 111:2  यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उन से प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं।
Ps 111:3  उसके काम का वैभवमय और ऐश्वरर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
Ps 111:4  उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।
Ps 111:5  उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।
Ps 111:6  उसने अपनी प्रजा को अन्यजातियों का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है।
Ps 111:7  सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,
Ps 111:8  वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
Ps 111:9  उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भय योग्य है।
Ps 111:10  बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • मलाकी १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य २२

रविवार, 30 दिसंबर 2012

संतुलन


   महान भौतिक शास्त्री और नोबल पुरुस्कार विजेता एल्बर्ट आईन्सटाईन ने अपने पुत्र एड्युअर्ड को लिखे एक पत्र में उसे सलाह दी थी: "जीवन एक साईकिल चलाने के समान है। अपना संतुलन बनाए रखने के लिए आगे बढ़ते रहना अनिवार्य है।" यह सलाह बहुत बुद्धिमतापूर्ण और व्यावहरिक है।

   यही सलाह मसीही जीवन पर भी लागू होती है। ऐसे बहुत से मसीही विश्वासी हैं जो अपने विश्वास के सहारे कठिन और दुखदाई परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहते हैं, परन्तु यदि वे किसी व्यक्तिगत नैतिक पराजय में पड़ जाते हैं तो अपने जीवन का संतुलन खो कर निराशाओं में गिर जाते हैं। फिर उनके जीवन में पछताते हुए हाथ मलते रहना और अपने आप को परमेश्वर की क्षमा के अयोग्य समझना उन्हें उठने नहीं देते और वे अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम अनेक ऐसे पात्रों को पाते हैं जो अपने जीवनों में गंभीर पराजयों में पड़े: इब्राहिम ने फिरौन से अपनी पत्नि सारा के बारे में झूठ बोला (उत्पत्ति १२:११-१७); याकूब ने अपने भाई की आशीषें पाने के लिए अपने पिता को धोखा दिया (उत्पत्ति २७:१८-२९); मूसा ने परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता करी और चट्टान से बोलने की बजाए उस पर लाठी से चोट करी (गिनती २०:७-१२)। इनकी असफलताओं के बावजूद इनके विषय में इब्रानियों ११:३९ में लिखा गया है: "...और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई...।" बाइबल के ये पात्र अन्ततः प्रशंसा के पात्र इसलिए बने क्योंकि अपने गिरने के बाद ये गिरे हुए नहीं पड़े रहे, वरन इन्होंने पुनः परमेश्वर की ओर दृष्टि करी और फिर से उसके पीछे चल निकले।

   क्या किसी पाप में पड़ने के कारण या कोई गलत निर्णय लेने के कारण आप अपना आत्मिक संतुलन खो बैठे हैं और अपने आप को गिरा हुआ अनुभव कर रहे हैं? अपनी गलती अथवा पाप के लिए पश्चाताप करें और अनुग्रह में पुनः अवसर देने वाले परमेश्वर प्रभु यीशु से क्षमा मांगें। वह आपको फिर से उठा कर खड़ा करेगा और आगे बढ़ने की सामर्थ देगा - यह उसका वायदा है: "" (१ यूहन्ना १:९)। - डेनिस फिशर


हमारा परमेश्वर पुनः अवसर देने वाला परमेश्वर है।

धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है। - भजन ३४:१९

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:३२-४०
Heb 11:32  अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34 आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Heb 11:35 स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।
Heb 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्‍धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Heb 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Heb 11:38  और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Heb 11:39  संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
Heb 11:40  क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।
एक साल में बाइबल: ज़कर्याह १३-१४ प्रकाशितवाक्य २१

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

मानकस्तर


   इंटरनैट के आरंभिक दिनों में इंटरनैट के विकास करने वाले अपने अपने मानक और स्तर बनाते थे, जिसका परिणाम था गड़बड़। जो एक कंप्यूटर पर अच्छा दिखता था, वह किसी अन्य कंप्यूटर पर अस्त-व्यस्त होता था और पढ़ा नहीं जा सकता था। इसलिए लोगों ने इंटरनैट को अनियंत्रित और अस्त-व्यस्त जाल कहना आरंभ कर दिया। इस गड़बड़ी में से व्यस्थित स्वरूप को लाने के लिए विकास करने वालों ने एक दूसरे के साथ संपर्क कर के कुछ सामान्य मानकस्तर बनाए जो सबके लिए एक समान हों और सब जिनका पालन करें। इन समान रूप से लागू नियमों एवं स्तरों के अन्तर्गत कार्य करने से ही इंटरनैट पर व्याप्त गड़बड़ समाप्त हुई, अव्यवस्थित व्यवस्थित हो गया और इंटरनैट विकसित होकर सबके लिए लाभकारी बन गया।

   समाज के उत्थान और सुचारू रूप से कार्य करने तथा सब के लिए लाभकारी होने के लिए भी समान मानकस्तर आवश्यक हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि जब इस्त्राएल को परमेश्वर मिस्त्र की गुलामी से निकाल कर लाया तो उनके जीवन को व्यवस्थित रूप से व्यतीत करने के लिए कुछ नियम दिए जो सब के लिए एक समान लागू होने थे (व्यवस्थाविवरण ४:१)। यदि ये नियम ना होते तो गड़बड़ तथा अराजकता होती; परन्तु इन नियमों के कारण इस्त्राएली समाज इतना व्यवस्थित और सुचारू रूप से चलने वाला था कि यह बात वहां की अन्य जातियों में इस्त्राएल के परमेश्वर की महिमा का कारण ठहरी (व्यवस्थाविवरण ४:८)।

   आज पाप और स्वार्थ से भरे इस अव्यवस्थित संसार में जहाँ हर कोई अपनी ही चलाना चाहता है, दुसरों को नियंत्रित करके उन पर पर हावी रहना चाहता है, मसीही विश्वासी मसीह की व्यवस्था के आधीन रहते हैं (गलतियों ६:२) क्योंकि मसीह स्वयं परमेश्वर कि व्यवस्था की परिपूर्णता है (मत्ती ५:१७)। जब हम मसीह द्वारा स्थापित मानक स्तर के आधीन हो जाते हैं और जैसा परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया, वैसा ही प्रेम दूसरों के साथ भी करने लगते हैं तो ना केवल हम आपस में शांति तथा सामनजस्य से रहने लगते हैं वरन साथ ही संसार के सामने गवाही रखते हैं के हमारा उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर कितना महान और कैसा अतुल्य है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर तथा दूसरे लोगों के प्रति हमारे प्रेम के द्वारा ही लोग जानने पाएंगे कि हमारा परमेश्वर कितना महान है।

फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं? - व्यवस्थाविवरण ४:८

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ४:१-१०
Deut 4:1  अब, हे इस्राएल, जो जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूं उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिस से तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ।
Deut 4:2  जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना।
Deut 4:3  तुम ने तो अपनी आंखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या क्या किया; अर्थात जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभों को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला;
Deut 4:4  परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो।
Deut 4:5  सुनो, मैं ने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उस में तुम उनके अनुसार चलो।
Deut 4:6  सो तुम उन को धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।
Deut 4:7  देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब कि हम उसको पुकारते हैं?
Deut 4:8  फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं?
Deut 4:9  यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो जो बातें तुम ने अपनी आंखों से देखीं उन को भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहे; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना।
Deut 4:10  विशेष कर के उस दिन की बातें जिस में तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझ से कहा था, कि उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊं, जिस से वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने लड़के बालों को भी यही सिखाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह ९-१२ 
  • प्रकाशितवाक्य २०