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शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

शान्ति से परिपूर्ण जीवन

   चीन में मिशनरी कार्य करने वाले हड्सन टेलर से मिलने एक पास्टर पहुँचे। टेलर के कार्य के बोझ और फिर भी सदा उन के शान्त बने रहने को देख कर वह पास्टर आश्चर्यचकित थे। एक दिन हिम्मत बांध कर उन्होंने टेलर से कहा, "आप पर लाखों की देख-रेख का बोझ है, मुझ पर कुछ गिने-चुने हुओं का ही; आपको कितने ही अति आवश्यक पत्र लिखने पड़ते हैं, मुझे थोड़े से ही और कम महत्व के। फिर भी मैं चिंतित और परेशान रहता हूँ लेकिन आप सदा शान्त रहते हैं। आपकी इस शान्ति का रहस्य क्या है?" टेलर ने उत्तर दिया, "यदि परमेश्वर की वह शान्ति जो समझ से परे है मेरे हृदय में बसी न हो तो मैं अपना कार्य कभी पूरा नहीं कर सकता।" बाद में उस पास्टर ने टेलर के विष्य में लिखा, "वे सदा परमेश्वर में बने रहते थे, और परमेश्वर उन में। युहन्ना १५ में प्रभु यीशु द्वारा कही गई परमेश्वर में बने रहने की बात के वे सजीव और सच्चे उदाहरण थे।"

   यदि हम चिंतित, अशान्त और भयभीत होते हैं और उस शान्ति की लालसा रखते हैं जिसके बारे में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, तो हड्सन टेलर के समान हमें मसीह में बने रहने का पालन करना चहिए। इसका तात्पर्य है कि हम लगातार मसीह के सम्पर्क में रहें, जिससे उसका शान्त स्वभाव हमारे जीवनों को प्रभावित करता रहे। मसीह में बने रहने के मार्ग का आरंभ होता है हर ऐसे पाप का अंगीकार कर लेने से, जिस के बारे में हम जानते हों, और उसकी क्षमा मांग कर उसका तिरिस्कार कर लेने द्वारा; इसके बाद अपने आप को पूर्णतः उसे समर्पित करके हर बात में विश्वासयोग्यता से उसकी ओर देखना और उसी की सामर्थ द्वारा सब कुछ करना। अर्थात सदा सर्वदा हर बात के लिए पूर्णतः उस पर निर्भर रहना।

   यदि हम मसीह में बने रहना सीख लेंगे तो शान्ति के आनन्द से भरा जीवन बिताने वाले हो जाएंगे। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

जब मसीह मन में राज्य करेगा, तो मन शान्ति से भर जाएगा।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - युहन्ना १४:२७
 
बाइबल पाठ: १४:२७-१५-७
    Joh 14:27  मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
    Joh 14:28  तुम ने सुना, कि मैं ने तुम से कहा, कि मैं जाता हूं, और तुम्हारे पास फिर आता हूं: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्‍दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूं क्‍योंकि पिता मुझ से बड़ा है।
    Joh 14:29  और मैं ने अब इस के होने के पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।
    Joh 14:30  मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूंगा, क्‍योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ में उसका कुछ नहीं।
    Joh 14:31  परन्‍तु यह इसलिये होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूं: उठो, यहां से चलें।
    Joh 15:1  सच्‍ची दाखलता मैं हूं और मेरा पिता किसान है।
    Joh 15:2  जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
    Joh 15:3  तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
    Joh 15:4  तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।
    Joh 15:5  में दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
    Joh 15:6  यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाई फेंक दिया जाता, और सूख जाता है, और लोग उन्‍हें बटोर कर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
    Joh 15:7  यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३०-३१ 
  • फिलिप्पियों ४

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011

जोखिम

   मेरा एक मित्र ने, मुख्य राजमार्ग पर गाड़ी चलाते हुए, एक खतरनाक परिस्थिति देखी - एक ट्रक चालक ने मार्ग पर लापरवाही से चल रहे एक दूसरे चालक को बचाने के लिए अपनेर ट्रक को तेज़ी से एक तरफ काटा, और मार्ग के किनारे की बाड़ से टकरा गया। ट्रक की तेल टांकी से तेल रिसने लगा। किसी भी क्षण आग लग सकती थी और विस्फोट हो सकता था। मेरा मित्र अपनी गाड़ी से निकला और दौड़ कर ट्रक चालक के पास पहुँचा, जो बेसुध हो गया था, और उसे खींच कर बाहर निकाला और सुरक्षित स्थान पर इलाज के लिए ले गया। मेरा मित्र वर्तमान का "नेक सामरी" बना, जिसने अपने "पड़ौसी" की सहायता के लिए अपनी जान का जोखिम उठाया।

   प्रभु यीशु द्वारा दिये गए "नेक सामरी" के दृष्टांत में उन्होंने समझाया कि हमारा "पड़ौसी" कौन है - हर वह व्यक्ति जिसे हमारी सहयता की अवश्यक्ता है। इस कथा में, एक सामरी व्यक्ति ने यरुशलेम से यरीहो के मार्ग में डाकुओं द्वारा लूट और पीट कर अधमरा कर के छोड़ दिए गए यहूदी की सहायता करी, यद्यपि यहूदी लोग सामरियों से नफरत करते थे। उस मार्ग पर सहायता के लिए रुक कर, सामरी ने अपनी जान का जोखिम भी उठाया क्योंकि डाकू उसे भी लूट-पीट कर वैसा ही कर सकते थे। उसने अपने "पड़ौसी" की सहायता के लिए अपनी जान जोखिम में डाली।

   यदि हम प्रभु यीशु द्वारा लूका १०:२५-३७ में दी गई इस कथा को गंभीरता से लेते हैं तो हम भी अपने समय और साधनो द्वारा दूसरों की सहायता करेंगे। हो सकता है कि हमारे पास कुछ रोमांचकारी करने का अवसर ना हो, लेकिन सहायता के अवसर अवश्य होंगे; जैसे, किसी निराश व्यक्ति के साथ बैठ कर उसका ढाढस बंधाना, एड्स से पीड़ित किसी व्यक्ति को सांत्वना देना, गलतफहमी के शिकार किसी भोले और सही व्यक्ति की सच्चाई उजागर करने का प्रयास करना, आदि। दूसरों के साथ दया और हमदर्दी का बर्ताव करके हम परमेश्वर द्वारा हम पर करी गई दया और उससे मिले उद्धार के लिए उसके प्रति धन्यवादी हो सकते हैं; परमेश्वर से मिले नए स्वभाव को प्रदर्शित कर सकते हैं। जब हम दूसरों की सहायता के लिए हाथ बढ़ाते हैं तो हम प्रभु यीशु के प्रति अपनी आज्ञाकरिता को और परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं।

   अपने "पड़ौसी" की सहायता के लिए जोखिम उठाना भला जोखिम है, इसे उठाने से डरिए नहीं। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


हम कितना त्याग करने को तैयार रहते हैं, यही हमारे प्रेम का नाप है।

खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना, न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना। - ज़कर्याह ७:९, १०
 
बाइबल पाठ: लूका १०:२५-३७
    Luk 10:25  और देखो, एक व्यवस्थापक उठा और यह कह कर, उस की परीक्षा करने लगा कि हे गुरू, अनन्‍त जीवन का वारिस होने के लिये मैं क्‍या करूं?
    Luk 10:26  उस ने उस से कहा; कि व्यवस्था में क्‍या लिखा है? तू कैसे पढ़ता है?
    Luk 10:27  उस ने उत्तर दिया, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
    Luk 10:28  उस ने उस से कहा, तू ने ठीक उत्तर दिया है, यही कर: तो तू जीवित रहेगा।
    Luk 10:29  परन्‍तु उस ने अपनी तईं धर्मी ठहराने की इच्‍छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है?
    Luk 10:30  यीशु ने उत्तर दिया, कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेर कर उसके कपड़े उतार लिए, और मार-पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए।
    Luk 10:31  और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्‍तु उसे देख के कतरा कर चला गया।
    Luk 10:32  इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतरा कर चला गया।
    Luk 10:33  परन्‍तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देख कर तरस खाया।
    Luk 10:34  और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डाल कर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ा कर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की।
    Luk 10:35  दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकाल कर भटियारे को दिए, और कहा, इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा।
    Luk 10:36  अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?
    Luk 10:37  उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २८-२९ 
  • फिलिप्पियों ३

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

सच्चा मार्ग

   सच्चे आनन्द की खोज सदा ज़ारी रहती है। नित नई पुस्तकें प्रकाशित होती हैं जो कलह और दुखः के अन्त का दावा करती हैं। आतिष्बाज़ी के समान, जो कुछ पल को आकाश को रौशन और रंगबिरंगा कर देती  है, फिर बुझकर नीचे गिर जाती है, और आकाश वैसा ही अन्धियारा रह जाता है, ये पुस्तकें और इनकी विचारधारा भी कुछ समय को लोगों को लुभाती हैं, फिर पुस्तकें और विचारधारा लुप्त हो जाती हैं और मनुष्य उसी अन्धकार में जीवन का मार्ग और शांति तलाशता रह जाता है; जब तक कि कोई नई पुस्तक नहीं आ जाती।

   लेखक एवं दार्शनिक हेन्री थोरियु ने कहा, "यह है मनुष्य: पुस्तकों का लिखने वाला, शब्दों के जाल बुनने वाला, चित्रकार, १०,००० प्रकार के दर्शन और तत्वज्ञान प्रस्तुत करने वाला। वह अपने विचारों में मगन होता है, दूसरे के विचारों का परिहास करता है; अपने मार्ग को ही सही मानता है, दूसरे के मार्गों को गलत मानता है। लेकिन उन करोड़ों पुस्तकों में जो उसने अपने लिए लिख ली हैं, एक भी ऐसी नहीं है जो उसे यह बता सके कि चैन और आराम से एक साँस भी वह कैसे ले सकता है। मनुष्य सृष्टि का इतिहास लिख लेता है, लेकिन उसे अपना इतिहास पता नहीं होता; राष्ट्रों की नियति के निर्णय लेता है, लेकिन अपनी नियति नहीं जानता और ना ही अगले १० मिनिट के लिए भी अपने भविष्य को निर्धारित अथवा निर्देषित कर सकता है।"

   थोरियु का यह कथन सही है कि हमारी अपनी लिखीं अच्छी से अच्छी पुस्तकें अथवा हमारा अपना उचत्तम दर्शन और ज्ञान हमें स्थायी शांति दे पाने में असमर्थ है। यदि हमारे पास निर्भर होने के लिए जो है वह केवल हमारे अपने ज्ञान और प्रयास का नतीजा होता, तो हम मार्ग विहीन तथा घोर निराशा की स्थिति में होते। लेकिन संसार के इतिहास में सभी पुस्तकों से भिन्न एक पुस्तक है - परमेश्वर का वचन, बाइबल। केवल यही वह पुस्तक है जो सृष्टि के आदि से अन्त तक का इतिहास सुनाती है; मनुष्य कि पिछली दशा तथा भविष्य का हाल बताती है; चिर स्थाई एवं अनन्त स्वतंत्रता, शांति और आनन्द का सच्चा मार्ग दिखाती है, क्योंकि इस पुस्तक के लेखक वह है जिसका दावा है कि, "मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं" (युहन्ना १४:६); और आज तक इस पुस्तक की कोई बात कोई दावा कभी गलत अथवा झूठी नहीं निकली।

   जीवन का सच्चा मार्ग खोज रहे हैं? प्रभु यीशु और परमेश्वर का वचन बाइबल ही वह मार्ग है। - डेव एग्नर


जो पुस्तकें मनुष्य बनाता है और जो पुस्तक मनुष्य को बना देती है, उनमें परस्पर ज़मीन आसमान का अन्तर है।

ईश्वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है। - २ शमुएल २२:३१

बाइबल पाठ: २ शमुएल २२:३१
    2Sa 22:31  ईश्वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।
    2Sa 22:32  यहोवा को छोड़ क्या कोई ईश्वर है? हमारे परमेश्वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है?
    2Sa 22:33  यह वही ईश्वर है, जो मेरा अति दृढ़ क़िला है, वह खरे मनुष्य को अपने मार्ग में लिए चलता है।
    2Sa 22:34  वह मेरे पैरों को हरिणियों के से बना देता है, और मुझे ऊंचे स्थानों पर खड़ा करता है।
    2Sa 22:35  वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, यहां तक कि मेरी बांहें पीतल के धनुष को झुका देती हैं।
    2Sa 22:36  और तू ने मुझ को अपने उद्धार की ढाल दी है, और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है।
    2Sa 22:37  तू मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा करता है, और मेरे पैर नहीं फिसले।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २६-२७ 
  • फिलिप्पियों २

बुधवार, 5 अक्टूबर 2011

तूफानों का सामना

   एक बुज़ुर्ग नाविक ने कहा, "जब भीष्ण समुद्री तूफान उठते हैं तो बचने के लिए हम केवल एक ही काम कर सकते हैं; बचने का केवल एक ही मार्ग होता है - जहाज़ को एक विशेष स्थिति में लाकर उसे वैसे ही बनाए रखने के प्रयास में लगे रहें, जब तक तूफान थम न जाए।"

   इस विचार पर टिप्पणी करते हुए रिचर्ड फुलर ने लिखा, "यही बात मसीही विश्वासी को भी करनी चाहिए। जैसे पौलुस प्रेरित की एक समुद्री यात्रा में हुआ, घने बादलों और तूफान की भीषणता के कारण न सूर्य दिखता था और न चाँद सितारे, बस तूफान के भयानक हिचकोले जहाज़ को झकझोर रहे थे (प्रेरितों २७:९-२५), वैसे ही कई बार जीवन के तूफान मसीही विश्वासी को भी झकझोरते रहते हैं। ऐसे में कोई युक्ति काम नहीं आती, कोई पिछला अनुभव मार्ग नहीं दिखाता, केवल एक ही मार्ग रह जाता है - अपनी जीवन नैया को एक विशेष स्थिति में लाकर, उसे वैसे ही बनाए रखें। अपने आप को परमेश्वर में अपने विश्वास में स्थिर कर लें और उसकी विश्वासयोग्यता तथा मसीह यीशु के अनन्त प्रेम को दृढ़ता से थामे रहें।"

   ज़िन्दगी के तूफानों और झकझोरों का सामना परमेश्वर के वचन की अडिग प्रतिज्ञाओं तथा परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को दृढ़ता से थामे रह कर ही किया जा सकता है। हमारा विश्वास इतना दृढ़ होना चाहिए कि अय्युब के समान हम कह सकें कि चाहे वह मुझे घात भी करे तो भी मैं उस पर विश्वास बनाए रखूँगा (अय्युब १३:१५)। जो उस पर ऐसा विश्वास बनाए रखते हैं, उन्हें वह अपनी सिद्ध शांति प्रदान करता है - "जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है" (यशायाह २६:३)।

   भजनकार के समान हमारे भी दिल की पुकार होनी चाहिए, "हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये विपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिए रहूंगा" (भजन ५७:१)। - रिचर्ड डी हॉन


तूफान की प्रचण्डता ही लंगर की सामर्थ दिखाती है।

परमेश्वर मेरा उद्धार है, मैं भरोसा रखूंगा और न थरथराऊंगा; क्योंकि प्रभु यहोवा मेरा बल और मेरे भजन का विषय है, और वह मेरा उद्धारकर्ता हो गया है। - यशायाह १२:२
 
बाइबल पाठ: भजन ५७:१-११
    Psa 57:1  हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये विपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिए रहूंगा।
    Psa 57:2  मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है।
    Psa 57:3  ईश्वर स्वर्ग से भेज कर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलने वाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा।
    Psa 57:4  मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार हैं।
    Psa 57:5  हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
    Psa 57:6  उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पड़े।
    Psa 57:7  हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।
    Psa 57:8  हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा।
    Psa 57:9  हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा।
    Psa 57:10  क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंची है।
    Psa 57:11  हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २३-२५ 
  • फिलिप्पियों १

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

आशा का लंगर

 सर्दियों की बारिश में एक अख़बार बाँटने वाला लड़का एक घर के दरवाज़े की ओट में खड़ा "प्रातः का अखबार" पुकार रहा था। बारिश से वह भीग गया था और ठंड से काँप रहा था। गर्म कोट और छाते के सहारे एक व्यक्ति उसके पास आया और उससे अखबार लेते हुए बोला, "ऐसा मौसम तुम्हारे लिए बहुत परेशानी वाला है; है ना?" लड़के ने उत्तर दिया, "श्रीमन, मैं इससे विचलित नहीं होता, क्योंकि सूर्य फिर अवश्य ही चमकेगा।"

   विपरीत परिस्थितियों की सर्द हवाएं और पाप के घने बादल हमें अवश्य निराश कर सकते हैं, लेकिन हम बेहतर दिनों की आशा रख सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि परमेश्वर नियंत्रण में है और हमारे जीवनों में कार्यरत है। इसी आशा को परमेश्वर के वचन में "आत्मा का लंगर" कहा गया है (इब्रानियों ६:१९)। यह वह लंगर है जो कभी निराश नहीं करता (रोमियों ५:५), सदा की धार्मिकता का वायदा देता है (गलतियों५:५), अनन्त जीवन इसके साथ जुड़ा है (तीतुस १:२)। यह वह जीवित आशा है जो मसीह के मृतकों में से पुनरुत्थान (१ पतरस १:३) और मसीह के पुनरागमन (तीतुस २:१३) पर आधारित है।

   जब परिस्थितियाँ सामर्थ से बाहर प्रतीत हों और जीवन के तनाव हमें दबाने और पीसने लगें तो इस बात में आश्वस्त रहें कि जिस प्रभु यीशु ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए, वह अब भी हमारे हित में कार्य कर रहा है और हमें कभी निस्सहाय नहीं छोड़ेगा। हम परमेश्वर के वायदों पर पूरा भरोसा रख कर धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। हमारा "आशा का लंगर" हमें स्थिर रखेगा और भटकने नहीं देगा। - डेनिस डी हॉन

भोर से पहले अन्धकार घना हो जाता है।

वह आशा हमारे प्राण के लिये ऐसा लंगर है जो स्थिर और दृढ़ है, और परदे के भीतर तक पहुंचता है। - इब्रानियों ६:१९
 
बाइबल पाठ: इब्रानियों ६:९-२०
    Heb 6:9  पर हे प्रियो यद्यपि हम ये बातें कहते हैं तौभी तुम्हारे विषय में हम इस से अच्छी और उद्धार वाली बातों का भरोसा करते हैं।
    Heb 6:10  क्‍योंकि परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर रहे हो।
    Heb 6:11  पर हम बहुत चाहते हैं, कि तुम में से हर एक जन अन्‍त तक पूरी आशा के लिये ऐसा ही प्रयत्‍न करता रहे।
    Heb 6:12  ताकि तुम आलसी न हो जाओ; वरन उन का अनुकरण करो, जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं।
    Heb 6:13  और परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा देते समय जब कि शपथ खाने के लिये किसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनी ही शपथ खा कर कहा।
    Heb 6:14  कि मैं सचमुच तुझे बहुत आशीष दूंगा, और तेरी सन्‍तान को बढ़ाता जाऊंगा।
    Heb 6:15  और इस रीति से उस ने धीरज धर कर प्रतिज्ञा की हुई बात प्राप्‍त की।
    Heb 6:16  मनुष्य तो अपने से किसी बड़े की शपथ खाया करते हैं और उन के हर एक विवाद का फैसला शपथ से पक्का होता है।
    Heb 6:17  इसलिये जब परमेश्वर ने प्रतिज्ञा के वारिसों पर और भी साफ रीति से प्रगट करना चाहा, कि उसकी मनसा बदल नहीं सकती तो शपथ को बीच में लाया।
    Heb 6:18  ताकि दो बे-बदल बातों के द्वारा जिन के विषय में परमेश्वर का झूठा ठहरना अन्‍होना है, हमारा दृढ़ता से ढाढ़स बन्‍ध जाए, जो शरण लेने को इसलिये दौड़े हैं, कि उस आशा को जो साम्हने रखी हुई है प्राप्‍त करें।
    Heb 6:19  वह आशा हमारे प्राण के लिये ऐसा लंगर है जो स्थिर और दृढ़ है, और परदे के भीतर तक पहुंचता है।
    Heb 6:20  जहां यीशु मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बनकर, हमारे लिये अगुए की रीति पर प्रवेश हुआ है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २०-२२ 
  • इफिसियों ६

सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

हर परिस्थिति में जयवंत

   मैं पाल और वायु के सहारे चलने वाली नौकाओं की एक नौका दौड़ देखने गया। मुख्य प्रतिस्पर्धा दो नौकाओं ’लिबर्टी’ और ऑस्ट्रेलिया २’ में थी। ’लिबर्टी’ नौका की बनावट कुछ भारी थी और वह १५-२० नौट की गति वाली हवाओं में सबसे अच्छी चलती थी जब कि ’ऑस्ट्रेलिया २’ की बनावटा हलकी थी किंतु उसकी तली को स्थिरता के लिए विशेष प्रकार से बनाया गया था और वह ७-१२ नौट की गति वाली हवाओं में सबसे अच्छी चलती थी। लेकिन हवा और परिस्थिति कैसी भी हो, दोनो नौकाओं के नाविक उपलब्ध वायु वेग का भरपूरी से उपयोग करके अपनी नौका को आगे निकाल ले जाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे थे।

   मसीही विश्वासी भी कुछ बातों में इन दोनो नौकाओं के समान होते हैं; कुछ के चरित्र का निखार जीवन की तेज़ हवाओं और विपरीत परिस्थितियों में होता है, तो कुछ जीवन की धीमी हवाओं और सहज परिस्थितियों में निखर कर सामने आते हैं। लेकिन जीवन की परिस्थितियाँ कैसी भी हों, हमें, उन नाविकों के समान, परमेश्वर द्वारा दी गई हर परिस्थिति का भरपूरी से उपयोग करना सीखना चाहिए। हमारा परमेश्वर पिता जानता है कि हमारी बनावट कैसी है और किन परिस्थितियों में हम सबसे अच्छा कार्य कर सकते हैं। भजनकार कहता है, "क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठ कर तरंगों को उठाती है" (भजन १०७:२५); तथा, "वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं" (भजन १०७:२९)। जैसे परमेश्वर प्रकृति पर पूर्णतः नियंत्रण रखता है, वैसे ही हमारे जीवन की परिस्थितियों पर भी पूर्णतः नियंत्रण रखता है।

   उस नौका दौड़ के प्रतिस्पर्धियों को तो मौसम की पूर्व जानकरी देने वालों से आते समय के मौसम और वायु वेग की जानकारी पर निर्भर रहना पड़ता है, वह चाहे वह जानकारी सही निकले या गलत; लेकिन परमेश्वर के विश्वासियों को यह आश्वासन है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, हमारा परमेश्वर सदैव हमारे साथ है। जीवन का ’मौसम’ चाहे शांत हो अथवा ’तूफानी’ हमारा परमेश्वर हमें सुरक्षित हमारी बन्दरगाह तक लेकर आएगा। - पौल वैन गोर्डर


हम वायु की दशा और दिशा तो नहीं बदल सकते लेकिन अपने जीवन नौका के पाल को अवश्य ठीक से नियंत्रित कर सकते हैं।

तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है। - भजन १०७:२८
 
बाइबल पाठ: भजन १०७:२१-३१
    Psa 107:21  लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
    Psa 107:22  और वे धन्यवादबलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें।
    Psa 107:23  जो लोग जहाज़ों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्यापार करते हैं;
    Psa 107:24  वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं।
    Psa 107:25  क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठकर तरंगों को उठाती है।
    Psa 107:26  वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उन के जी में जी नहीं रहता;
    Psa 107:27  वे चक्कर खाते, और मतवाले की नाई लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।
    Psa 107:28  तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है।
    Psa 107:29  वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।
    Psa 107:30  तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है।
    Psa 107:31  लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १७-१९ 
  • इफिसियों ५:१७-३३

रविवार, 2 अक्टूबर 2011

संचालक कौन?

   उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती देश ग्रीनलैंड के समुद्री तट का जल सदा बर्फीला रहता है। यहाँ समुद्र के जल में छोटी-बड़ी हिमशिलाएं अनगिनित संख्या में तैरती रहती हैं। कई बार देखा जाता है कि छोटी हिमशिला एक दिशा में बह रही होती हैं तो बड़ी हिमशिलाएं उनके विपरीत दिशा में बह रही होती हैं। इस विरोधाभास का कारण है उन हिमशिलाओं को संचालित करने वाली शक्तियाँ। छोटी हिमशिलाएं सतह पर चल रही हवा के वेग से प्रभावित होकर बहती हैं, लेकिन बड़ी हिमशिलाएं जल में डूबी अपनी गहराई के कारण गहरे जल की धाराओं के प्रभाव से बहती हैं।

   हमें भी जब परेशानियों, कठिनाईयों और परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है, तो दो प्रकार के प्रभाव हमारे जीवन में कार्य करते हैं - एक वे जो सतह पर बहने वाली हवाओं के समान अस्थिर, अप्रत्याशित एवं दुखदायी होते हैं, और दूसरे प्रभाव - जो पहले प्रभावों से अधिक शक्तिशाली तथा गहरे समुद्र की धाराओं के समान होते हैं - परमेश्वर की अटल योजनाओं और ज्ञान के, उसके विश्वासियों के जीवन को संचालित करने वाले प्रभाव।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार आसफ अन्यायी और दुष्ट लोगों की समृद्धि को समझने के लिए परेशान था; जब वह परमेश्वर के सम्मुख इस विष्य पर मनन करने आया, तो उसे इस बात से संबंधित परमेश्वर का उद्देश्य समझ में आया (भजन ७३:१७)। अय्युब ने क्लेषों का सामना करते हुए परमेश्वर पर अपने विश्वास के संबंध में कहा, यदि वह मुझे घात भी करेगा तौभी मैं उस पर भरोसा रखूँगा (अय्युब १३:१५)। पौलुस प्रेरित इस बात पर दृढ़ था कि, "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलतियों २:२०); अपने इसी विश्वास के कारण वह कह सका "हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते" (२ कुरिन्थियों ४:८)।

   चाहे सतह पर चलने वाली हवाएं कितने भी रुख बदलें, कितनी भी तेज़ चलें; हमें घबराने की आवश्यक्ता नहीं है। यदि हमारा विश्वास सृष्टि के सृजनहार परमेश्वर प्रभु यीशु पर है तो उसके प्रेम और ज्ञान की सामर्थी गहरी धाराएं हमें शांति पूर्वक सही दिशा में ही ले कर चलती रहेंगी; वह ही हमारा संचालक रहेगा, संसार की परिस्थितियां नहीं। - डेनिस डी हॉन

मसीह के साथ तूफान का सामना करना बिन मसीह के शांत जल में यात्रा करने से उत्तम है।

मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों २:२०
 
बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:७-१८
    2Co 4:7  परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
    2Co 4:8  हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
    2Co 4:9  सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
    2Co 4:10  हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
    2Co 4:11  क्‍योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
    2Co 4:12  सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।
    2Co 4:13  और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
    2Co 4:14  क्‍योंकि हम जानते हैं, जिस ने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जान कर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।
    2Co 4:15  क्‍योंकि सब वस्‍तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।
    2Co 4:16  इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
    2Co 4:17  क्‍योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्‍त जीवन महिमा उत्‍पन्न करता जाता है।
    2Co 4:18  और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्‍योंकि देखी हुई वस्‍तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुएं सदा बनी रहती हैं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १४-१६ 
  • इफिसियों ५:१-१६