उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती देश ग्रीनलैंड के समुद्री तट का जल सदा बर्फीला रहता है। यहाँ समुद्र के जल में छोटी-बड़ी हिमशिलाएं अनगिनित संख्या में तैरती रहती हैं। कई बार देखा जाता है कि छोटी हिमशिला एक दिशा में बह रही होती हैं तो बड़ी हिमशिलाएं उनके विपरीत दिशा में बह रही होती हैं। इस विरोधाभास का कारण है उन हिमशिलाओं को संचालित करने वाली शक्तियाँ। छोटी हिमशिलाएं सतह पर चल रही हवा के वेग से प्रभावित होकर बहती हैं, लेकिन बड़ी हिमशिलाएं जल में डूबी अपनी गहराई के कारण गहरे जल की धाराओं के प्रभाव से बहती हैं।
हमें भी जब परेशानियों, कठिनाईयों और परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है, तो दो प्रकार के प्रभाव हमारे जीवन में कार्य करते हैं - एक वे जो सतह पर बहने वाली हवाओं के समान अस्थिर, अप्रत्याशित एवं दुखदायी होते हैं, और दूसरे प्रभाव - जो पहले प्रभावों से अधिक शक्तिशाली तथा गहरे समुद्र की धाराओं के समान होते हैं - परमेश्वर की अटल योजनाओं और ज्ञान के, उसके विश्वासियों के जीवन को संचालित करने वाले प्रभाव।
परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार आसफ अन्यायी और दुष्ट लोगों की समृद्धि को समझने के लिए परेशान था; जब वह परमेश्वर के सम्मुख इस विष्य पर मनन करने आया, तो उसे इस बात से संबंधित परमेश्वर का उद्देश्य समझ में आया (भजन ७३:१७)। अय्युब ने क्लेषों का सामना करते हुए परमेश्वर पर अपने विश्वास के संबंध में कहा, यदि वह मुझे घात भी करेगा तौभी मैं उस पर भरोसा रखूँगा (अय्युब १३:१५)। पौलुस प्रेरित इस बात पर दृढ़ था कि, "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलतियों २:२०); अपने इसी विश्वास के कारण वह कह सका "हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते" (२ कुरिन्थियों ४:८)।
चाहे सतह पर चलने वाली हवाएं कितने भी रुख बदलें, कितनी भी तेज़ चलें; हमें घबराने की आवश्यक्ता नहीं है। यदि हमारा विश्वास सृष्टि के सृजनहार परमेश्वर प्रभु यीशु पर है तो उसके प्रेम और ज्ञान की सामर्थी गहरी धाराएं हमें शांति पूर्वक सही दिशा में ही ले कर चलती रहेंगी; वह ही हमारा संचालक रहेगा, संसार की परिस्थितियां नहीं। - डेनिस डी हॉन
मसीह के साथ तूफान का सामना करना बिन मसीह के शांत जल में यात्रा करने से उत्तम है।
मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों २:२०
बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:७-१८
2Co 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
2Co 4:8 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
2Co 4:9 सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2Co 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2Co 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
2Co 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।
2Co 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
2Co 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिस ने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जान कर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।
2Co 4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।
2Co 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2Co 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त जीवन महिमा उत्पन्न करता जाता है।
2Co 4:18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
2Co 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
2Co 4:8 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
2Co 4:9 सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2Co 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2Co 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
2Co 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।
2Co 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
2Co 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिस ने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जान कर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।
2Co 4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।
2Co 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2Co 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त जीवन महिमा उत्पन्न करता जाता है।
2Co 4:18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह १४-१६
- इफिसियों ५:१-१६
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