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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

असफल?

   अमेरिका में १९३० के आस-पास बड़ी आर्थिक मंदी आई थी और देश की अर्थ व्यवस्था और देश का बुरा हाल हो गया था। बहुत से लोगों को अपने घरों से बेघर होकर प्लाइवुड, तिरपाल, कंबल आदि से बनीं जीर्ण हाल झुग्गियों में रहना पड़ा था। देश की उस स्थिति के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति हर्बट हूवर की नीतियों को उत्तरदायी माना गया था, इसलिए उन जीर्ण झुग्गियों को लोग उस समय ’हूवरविल्स’ कहते थे।

   किंतु विचित्र बात है कि यही हूवर जिन्हें अब इतना अयोग्य माना जा रहा था, उन्हें ही पहले अपनी योग्यता और कुशलता के लिए जाना जाता था। उनके भूवैज्ञानिक इंजिनियरिंग के कौशल के कारण औस्ट्रेलिया और चीन में बड़ी सफल खनन परियोजनाएं आरंभ करी जा सकीं। उन्होंने कई मानवोत्थान के कार्यों के लिए कुशल नेत्रत्व प्रदान किया था। किंतु जब १९२९ में स्टॉक मार्किट गिरा और अर्थ व्यवस्था संकट में आई तो परिस्थितियां हूवर के नियंत्रण के बाहर थीं; फिर भी वे इतिहास में सदा के लिए १९३० की आर्थिक मंदी और इस के कारण हुई देश की बदहाली के साथ जोड़ दिए गए।

   जीवन में घटने वाली किसी एक बड़ी असफलता का अर्थ यह नहीं होता कि उस व्यक्ति का सारा जीवन ही असफल है। यदि ऐसा होता तो हम परमेश्वर के वचन बाइबल के कई पात्रों को असफल व्यक्ति मानते ना कि परमेश्वर के लोगों के रूप में और प्रेर्णादायक जीवन चरित्र वाले। उदाहरण के लिए, क्या हम अब्राहम को झूठा और स्वार्थी (उत्पत्ति १२:१०-२०), मूसा को परमेश्वर का अनाज्ञाकारी (निर्गमन २०:१-३) या दाउद को व्यभिचारी और हत्यारा (२ शमूएल ११) कह कर स्मरण करते हैं, यद्यपि उनके जीवनों में ऐसी कमज़ोरियां घटीं थीं?

   उनके पापों के बावजूद ये सभी मनुष्य अपने स्थिर विश्वास और परमेश्वर के लिए कार्य करने वाले महान जन माने जाते हैं और उनके नाम आदर से लिए जाते हैं। ये, और इनके जैसे कई अन्य लोग वे हैं जो "...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए..." (इब्रानियों ११:३३-३४)।

   यह परमेश्वर की महानता और सामर्थ है कि जो उस पर विश्वास लाते हैं, वह उन निर्बल और अयोग्य पात्रों को भी अपनी महीमा के पात्र बना लेता है और मनुष्यों में भी उन्हें आदर दिलवाता है। यदि हमने अपने पापों से पश्चाताप करके अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित किया है तो हमारा बीता जीवन चाहे जैसा भी रहा है, हम असफल नहीं रहेंगे। परमेश्वर हमें अभी भी उपयोगी बना सकता है, बड़े सामर्थी रूप से उपयोग कर सकता है; आवश्यक्ता है तो बस उसके प्रति हमारे विश्वास और आज्ञाकरिता की। - डेनिस फिशर


अकसर असफलता की राख से ही सफलता निकलती है।

...विश्वास ही के द्वारा...निर्बलता में बलवन्‍त हुए... - इब्रानियों ११:३३-३४
 
बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:२४-३४
Heb 11:24 विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्‍कार किया।
Heb 11:25  इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा।
Heb 11:26 और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्‍योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।
Heb 11:27 विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्‍योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।
Heb 11:28 विश्वास ही से उस ने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्‍त्राएलियों पर हाथ न डाले।
Heb 11:29  विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
Heb 11:30  विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
Heb 11:31  विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा ना मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिथे कि उस ने भेदियों को कुशल से रखा था।
Heb 11:32 अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते, धर्म के काम किए, प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त कीं, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34 आग ही ज्‍वाला को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए, लड़ाई में वीर निकले, विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १७-१८ 
  • मत्ती २७:२७-५०

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

प्रेम प्रदर्शन

   चीनी समाज का नव-वर्ष और वैलिन्टाईन दिवस २०१० में एक ही दिन पड़े। यद्यपि ये दोनो समारोह बिलकुल भिन्न हैं, तौ भी उनके मनाए जाने कि रीतियों में कुछ समानताएं हैं। दोनो ही प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए हैं, दोनो ही में प्रेम करने वाले एक दूसरे को उपहार दे कर अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं। वैलिन्टाइन दिवस पर प्रेमी जुगल एक दूसरे को लाल गुलाब भेंट करके एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को दर्शाते हैं तो चीनी नव-वर्ष पर परिवार के सद्स्य ’हौंग-बाओ’ (लाल रंग की पोटली में रखे पैसे) एक दुसरे को देकर एक दुसरे के प्रति अपने प्रेम को जताते हैं।

   हमारे प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों को आज्ञा दी कि वे एक दुसरे के प्रति प्रेम रखें और उसे प्रदर्शित करें क्योंकि इसी से लोग जानेंगे कि वे प्रभु यीशु के चेले हैं (यूहन्ना १३:३४, ३५)। जो प्रेम प्रभु चाहता है कि उसके चेले आपस में प्रकट करें, वह प्रेमी जोड़ों के ’रोमैंटिक’ प्रेम से तथा पारिवारिक सदस्यों के आपसी भाईचारे के प्रेम से भिन्न है। प्रभु का प्रेम निस्वार्थ प्रेम है जिसके लिए मूल युनानी भाषा में ’अगापे’ शब्द प्रयोग हुआ है। प्रभु ने चेलों को प्रेम प्रगट करने की अपनी आज्ञा में यही अगापे शब्द का प्रयोग किया; ऐसा प्रेम जो प्रत्युत्तर में कुछ नहीं चाहता। इसी प्रेम का प्रकटिकरण प्रभु ने किया, जब उसने भोजन के समय एक पात्र में पानी लेकर चेलों के पांव धोए, जब वह क्रूस पर समस्त मानव जाति कि पापों के बदले चढ़ गया, जब आज भी वह सभी को पाप क्षमा का खुला निमंत्रण देता है।

   आज क्या कोई ऐसा है जिसे आप यह अगापे प्रेम प्रदर्शित कर सकते हैं? - सी. पी. हिया


तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों ६:२

यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - युहन्ना १३:३५
बाइबल पाठ: युहन्ना १३:१-५, ३३-३५
Joh 13:1  फसह के पर्ब्‍ब से पहिले जब यीशु ने जान लिया, कि मेरी वह घड़ी आ पहुंची है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊं, तो अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम वह रखता था, अन्‍त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा।
Joh 13:2 और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्‍किरयोती के मन में यह डाल चुका था, कि उसे पकड़वाए, तो भोजन के समय।
Joh 13:3  यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूं, और परमेश्वर के पास जाता हूं।
Joh 13:4 भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए, और अंगोछा लेकर अपनी कमर बान्‍धी।
Joh 13:5 तब बरतन में पानी भरकर चेलों के पांव धोने और जिस अंगोछे से उस की कमर बन्‍धी थी उसी से पोंछने लगा।

Joh 13:34  मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो।
Joh 13:35  यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १५-१६ 
  • मत्ती २७:१-२६

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

बदलाव का समय

   मेरे एक मित्र ने एक बार मुझ से कहा, "मैंने अपने जीवन में बहुत सी बातों को बदलते हुए देखा है, और मैं उन सब के विरुद्ध हूँ।" शायद जो मेरे मित्र ने कहा या किया अतिश्योक्ति थी, किंतु इस बात से अधिकांश सहमत होंगे कि हम बदलाव नहीं चाहते, विशेषकर तब जब वह हमारी आदतों और व्यवहार से संबंध रखता हो।

   यह भी एक कारण था कि प्रभु यीशु अपने समय के धर्मगुरुओं और धर्म के अगुवों में लोकप्रीय नहीं थे। प्रभु यीशु ने उन लोगों के परंपरागत स्थापित भले कार्यों और स्वधार्मिकता के मूल्यों और बातों को चुनौती दी थी। परमेश्वर के वचन बाइबल के लूका ७ अध्याय में दी गई एक घटना पर ध्यान कीजिए: शमौन नाम का एक फरीसी (धर्मगुरू) बहुत खिन्न हुआ जब उस ’धर्मी’ के घर में एक पापिनी स्त्री ने आकर बड़ी उदार रीति से प्रभु यीशु के लिए अपना आदर और सम्मान प्रकट किया। प्रभु यीशु ने तुरंत शमौन के मन के विचार भांप लिए और उसकी स्वधार्मिकता के भाव को एक नीतिकथा के द्वारा चुनौती दी। प्रभु ने कहा, एक महाजन के दो देनदार थे, एक बहुत कर्ज़ के नीचे था और दूसर थोड़े, लेकिन दोनो ही चुका पाने की स्थित में नहीं थे। महाजन ने उनकी दशा पर दया करके उन दोनो ही के कर्ज़ को पूर्णतः माफ कर दिया। फिर प्रभु ने शमौन से पूछा: "...सो उन में से कौन उस से अधिक प्रेम रखेगा?" (लूका ७:४२)। शमौन का उत्तर स्वभाविक था, वह जिसका अधिक कर्ज़ माफ हुआ था (पद ४३)। तब प्रभु ने शमौन के स्वधर्मी स्वभाव और घमंड की ओर इशारा करके उसे समझाया और निष्कर्ष में उस से कहा, "...जिस का थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है" (पद ४७)।

   प्रभु यीशु की यही चुनौती आज भी सार्थक है, विशेष कर उसके अनुयायीयों के लिए। बहुत बार मसीही विश्वासी इस बात में निश्चिंत हो जाते हैं कि वे संसार से बहुत भले हैं और यह भूल जाते हैं कि वे भले अपनी किसी योग्यता या अपने किसी धार्मिकता से नहीं वरन इसलिए हैं क्योंकि प्रभु ने उनको बहुत कुछ क्षमा किया है।

   यदि आज यह स्थिति आप के जीवन में है, तो निश्चय जानिए कि आप के लिए यह समय अविलंब बदलाव का समय है। - जो स्टोवैल


जब परमेश्वर बातें बदलना आरंभ करता है तो वह पहले हमें बदलने से आरंभ करता है।

यह देखकर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है क्योंकि वह तो पापिनी है। - लूका ७:३९

बाइबल पाठ: लूका ७:३६-५०
Luk 7:36  फिर किसी फरीसी ने उस से विनती की, कि मेरे साथ भोजन कर; सो वह उस फरीसी के घर में जाकर भोजन करने बैठा।
Luk 7:37  और देखो, उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई।
Luk 7:38  और उस के पांवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पांव बारबार चूमकर उन पर इत्र मला।
Luk 7:39  यह देख कर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है क्योंकि वह तो पापिनी है।
Luk 7:40  यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा; कि हे शमौन मुझे तुझ से कुछ कहना है वह बोला, हे गुरू कह।
Luk 7:41  किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पांच सौ, और दूसरा पचास दीनार धारता था।
Luk 7:42  जब कि उन के पास पटाने को कुछ न रहा, तो उस ने दोनो को क्षमा कर दिया: सो उन में से कौन उस से अधिक प्रेम रखेगा।
Luk 7:43  शमौन ने उत्तर दिया, मेरी समझ में वह, जिस का उस ने अधिक छोड़ दिया: उस ने उस से कहा, तू ने ठीक विचार किया है।
Luk 7:44  और उस स्त्री की ओर फिर कर उस ने शमौन से कहा; क्‍या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्‍तु तू ने मेरे पांव धोने के लिये पानी न दिया, पर इस ने मेरे पांव आंसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा!
Luk 7:45  तू ने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूं तब से इस ने मेरे पांवों का चूमना न छोड़ा।
Luk 7:46  तू ने मेरे सिर पर तेल नहीं मला; पर इस ने मेरे पांवों पर इत्र मला है।
Luk 7:47  इसलिये मैं तुझ से कहता हूं कि इस के पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्‍योंकि इस ने बहुत प्रेम किया; पर जिस का थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।
Luk 7:48  और उस ने स्त्री से कहा, तेरे पाप क्षमा हुए।
Luk 7:49  तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने अपने मन में सोचने लगे, यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?
Luk 7:50  पर उस ने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १४ 
  • मत्ती २६:५१-७५

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

ज्योति

   अमेरीकी कारोबारी मार्क बेन्ट ने $२५०,००० शोध पर खर्च करके सौर उर्जा से चलने वाले और कम खर्च में बनकर उपलब्ध हो सकने वाले टॉर्च विकसित किए और बनाए। एक दिन की सौर उर्जा से एक टॉर्च ७ घंटे की रौशनी लोगों को उपलब्ध कराता है। ऐसे हज़ारों टॉर्च अफ्रीका के शरणार्थी शिविरों में मुफ्त या बहुत कम खर्च पर बाँटे गए हैं जहां वे घरों, स्कूलों और अस्पतालों में जीवन दायक रौशनी प्रदान कर रहे हैं; ऐसे स्थानों में जहां अन्धकार के कारण अपराध और हिंसा के कार्यों को प्रोत्साहन मिलता था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु मसीह के चित्रण में ज्योति और अन्धकार की तुलना अकसर देखने को मिलती है: "जो लोग अन्धियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी" (यशायाह ९:२); "उस [यीशु] में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। और ज्योति अन्‍धकार में चमकती है; और अन्‍धकार ने उसे ग्रहण न किया" (युहन्ना १:४-५)।

    प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा "तुम जगत की ज्योति हो..." (मत्ती ५:१४)। आज, हम जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, हम पर प्रभु की जीवन दायक ज्योति के फैलाने का दायित्व है। प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखा: "तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्‍तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)" (फिलिप्पियों २:१५)।

   उस अनुग्रह और सामर्थ द्वारा जो हमें परमेश्वर से मिली है, हम परमेश्वर पर निर्भर होकर, अपने चारों ओर के आत्मिक अन्धकार से डरे और दबे बिना, जगत में ज्योति के समान चमकने वाले और दूसरों को जीवन का मार्ग दिखाने तथा जीवन ज्योति की ओर आकर्षित करने वाले बनें। - डेविड मैककैसलैंड


प्रभु यीशु आत्मिक अन्धकार से भरे संसार को जीवन ज्योति देने आया।

तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्‍तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)। - फिलिप्पियों २:१५

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१२-१८
Php 2:12  सो हे मेरे प्यारो, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष करके अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ।
Php 2:13 क्‍योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्‍छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्‍छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
Php 2:14  सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो।
Php 2:15 ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्‍कलंक सन्‍तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)।
Php 2:16 कि मसीह के दिन मुझे घमण्‍ड करने का कारण हो, कि न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ।
Php 2:17 और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्‍दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्‍द करता हूं।
Php 2:18 वैसे ही तुम भी आनन्‍दित हो, और मेरे साथ आनन्‍द करो।
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १३ 
  • मत्ती २६:२६-५०

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

उस पार

   मेरे एक मित्र से किसी ने कहा, "साल के बाद मिलते हैं" तो मेरे मित्र का उत्तर कुछ विचित्र लगा, क्योंकि उसने कहा, "हाँ, उस पार मिलेंगे।" यद्यपि यह कहने में उसका तात्पर्य था कि नौसेना में एक साल के कार्य पर भेजे जाने के कारण साल पूरा होने के ’उस पार’ ही अब मिलना हो पाएगा, लेकिन क्योंकि यह वाक्यांश साधारणतया दूसरे संदर्भ - मृत्युओपरांत की दशा के लिए प्रयोग होता है, इसलिए मेरे विचार जीवन की अनिश्चितताओं की ओर चले गए। मैं सोचने लगा, एक साल के बाद कौन यहां होगा और कौन नहीं किसे पता है? उस पार वालों में से कौन स्वर्ग में होगा?

   हम निश्चय ही यह नहीं जानते कि एक वर्ष, या अगला एक घंटा भी क्या लाने वाला है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में इस अनिश्चितता के विषय में लिखा है। उसने उन लालची व्यापोरियों को संबोधित करते हुए उन्हें उलाहना दी और कहा, "तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे। और यह नहीं जानते कि कल क्‍या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्‍या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है" (याकूब ४:१३-१४)। टिप्पणीकार पीटर डेविड ने याकूब की इस बात पर टिप्पणी में कहा कि याकूब उन व्यापारियों को उनकी मूर्खता बता रहा था, और याकूब के कहने का तात्पर्य था कि, "तुम जो बड़ी बड़ी योजनाएं बनाते हो ज़रा सुनो और ध्यान दो; जीवन पर तुम्हारा क्या कोई नियंत्रण है जो तुम ऐसे योजनाएं बना रहे हो?"

   याकूब ने उन्हें स्मरण दिलाया कि जीवन भाप के समान क्षणभंगुर है। ऐसे में बिना परमेश्वर की इच्छा जाने और बिना अपना जीवन उसे समर्पित किए, अपनी लालसाओं की पूर्ति के लिए कोई भी योजना बनाना मूर्खता है। योजना बनाना बुरा नहीं है लेकिन घमण्ड करना और घमण्ड में आकर योजनाओं मे परमेश्वर को ना रखना बुरा है, पाप है। क्योंकि केवल वो ही है जो भविष्य जानता है इसलिए जो कुछ उसकी इच्छा के अनुसार होगा अन्ततः वही चिरस्थायी और सफल होगा, बाकी सब बिना कोई लाभ दिए मिट जाएगा।

   जीवन का कोई क्षेत्र परमेश्वर के नियंत्रण के बाहर नहीं है। इसलिए जब हम योजनाएं बनाएं तो व्यापारियों को दी गई याकूब की चेतावनी में उसका अगला वाक्य हमें स्मरण रखना चाहिए, "इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे" (याकूब ४:१५)। - एनी सेटास


परमेश्वर की इच्छा में बनी और परमेश्वर को समर्पित योजनाएं ही सफल योजनाएं होती हैं।

...तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है। - याकूब ४:१४

बाइबल पाठ: याकूब ४:१०-१७
Jas 4:10  प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।
Jas 4:11  हे भाइयों, एक दूसरे की बदनामी न करो, जो अपने भाई की बदनामी करता है, या भाई पर दोष लगाता है, वह व्यवस्था की बदनामी करता है, और व्यवस्था पर दोष लगाता है, तो तू व्यवस्था पर चलने वाला नहीं, पर उस पर हाकिम ठहरा।
Jas 4:12  व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही है, जिसे बचाने और नाश करने की सामर्थ है? तू कौन है, जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है?
Jas 4:13  तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ उठाएंगे।
Jas 4:14 और यह नहीं जानते कि कल क्‍या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्‍या तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
Jas 4:15  इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे।
Jas 4:16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्‍ड करते हो; ऐसा सब घमण्‍ड बुरा होता है।
Jas 4:17  इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ११-१२ 
  • मत्ती २६:१-२५

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

सही निवेष

   मैं स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के साथ मनुष्यों पर उन के लोभ और धन के भय के प्रभाव देखकर विचार करता हूँ कि धन संचय उनके लिए कितना महत्वपूर्ण हो गया है। सन १९८० में बनी एक फिल्म के एक पात्र की धारणा थी: "लोभ भला है, सही है और सफल बनाता है। लोभ ही अमेरिका को बचाएगा" -  आज की अमेरिका की आर्थिक और नैतिक स्थिति इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यह विचार कितना मूर्खतापूर्ण था और है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु से एक व्यक्ति का वार्तालाप मुझे स्मरण आता है। उस व्यक्ति ने प्रभु यीशु के पास आकर निवेदन किया कि प्रभु उसके भाई से बात करके संपत्ति के बंटवारे में उन की सहयाता करे। प्रभु यीशु ने उसका यह निवेदन ठुकरा दिया परन्तु उस व्यक्ति के साथ एक बड़ी भलाई करी; उसे उसके निवेदन के पीछे छुपे उद्देश्य और उसके नतीजों से अवगत करा दिया: "और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१५)।

   इसके साथ ही प्रभु ने एक नीतिकथा के द्वारा सही निवेष के बारे में भी सिखाया; प्रभु ने बताया कि कैसे एक मनुष्य के पास बहुत उपज हुई और वह अपनी संपत्ति की वृद्धि और उससे मौज-मस्ती की योजनाएं बनाने लगा। तब परमेश्वर ने उस से कहा: "हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा? ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिए धन बटोरता है, परन्‍तु परमेश्वर की दृष्‍टि में धनी नहीं" (लूका १२:२०-२१)।

   लोभ के साथ समस्या यह है कि अन्ततः जमा किया हुआ धन बना नहीं रहता; किंतु और भी बुरी बात यह है कि लोभ करने वाला मनुष्य भी बना नहीं रहता। बेहतर है कि हम परमेश्वर के पास स्वर्ग में अपना धन संजोएं, आत्मिक बातों में निवेष करें, परमेश्वर की दृष्टि में धनवान बनें; जिससे हमारा धन अनन्त काल तक हमारे लिए हमारे साथ रहे और हमें लाभ देता रहे। - डेविड रोपर

हमारा असली धन वह है जो हमने अनन्तता के लिए निवेष किया है।

क्‍योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा। - लूका १२:३४

बाइबल पाठ: लूका १२:१३-३१
Luk 12:13  फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
Luk 12:14  उस ने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
Luk 12:15  और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
Luk 12:16  उस ने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
Luk 12:17  तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्‍या करूं, क्‍योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
Luk 12:18  और उस ने कहा, मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
Luk 12:19  और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
Luk 12:20  परन्‍तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
Luk 12:21  ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्‍तु परमेश्वर की दृष्‍टि में धनी नहीं।
Luk 12:22  फिर उस ने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्‍या खाएंगे? न अपने शरीर की कि क्‍या पहिनेंगे?
Luk 12:23  क्‍योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
Luk 12:24  कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्‍हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luk 12:25  तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में ऐक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luk 12:26  इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो?
Luk 12:27  सोसनों के पौधों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Luk 12:28  इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है, तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्‍यों न पहिनाएगा?
Luk 12:29  और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
Luk 12:30  क्‍योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
Luk 12:31  परन्‍तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ८-१० 
  • मत्ती २५:३१-४६

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

सहभागिता

   सामान्य रीति से परमेश्वर अपनी सृष्टि में होकर और सृष्टि के द्वारा कार्य करता है; इसी कारण प्रार्थनाओं के उत्तर प्रमाणित कर पाना कठिन हो जाता है। सी.एस. ल्यूइस ने लिखा है, "केवल विश्वास ही इस संबंध की पुष्टि कर सकता है; इसके लिए कोई प्रयोगसिद्ध प्रमाण नहीं दिया जा सकता।" हमारा यह मानना कि हमारी प्रार्थना का उत्तर मिला है किसी वैज्ञानिक कसौटी पर प्रमाणित हो सकने वाली किसी बात पर आधारित नहीं है, वरन हमारे विश्वास पर आधारित है।

   परमेश्वर को अनुभव करने के जो माध्यम और विधियां हमें उपलब्ध हैं - प्रकृति, बाइबल, प्रभु भोज, चर्च, अन्य लोग आदि, वे भौतिक हैं, स्पर्श किए जा सकते हैं या अनुभव किए जा सकते हैं। किंतु परमेश्वर की स्थिति भौतिक नहीं है, वह आत्मिक है। प्रार्थना इसी अंतर को प्रतिबिंबित करती है।

   चाहे हम परमेश्वर से किसी समस्या में सीधे सीधे हस्तक्षेप करने के लिए प्रार्थना करते हैं, किंतु हमें इस बात से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वह हमारे स्वभाव और विकल्पों में होकर परोक्ष रूप से ही उस प्रार्थना का कोई उत्तर दे दे। एक नशे की आदत से ग्रसित व्यक्ति प्रार्थना कर सकता है कि, "प्रभु मुझे आज नशे से बचा कर रखना।" उसकी इस प्रार्थना का उत्तर किसी अप्रत्याशित रीति से शराब की बोतलों या नशे की किसी अन्य वस्तु का उसकी अलमारी ग़ायब हो जाना नहीं होगा, वरन उसके अन्दर ही नशे के विरुद्ध उसके निर्णय की दृढ़ता द्वारा अथवा किसी अनपेक्षित किंतु वफादार मित्र से सहायता के रूप में या ऐसे ही किसी तरह से आ जाएगा।

   चाहे परमेश्वर किसी आलौकिक रीति से हमारी स्मस्या सुलझाए, या अपनी आज्ञाकारिता के लिए हमें सामर्थ दे, हम परमेश्वर के स्वभाव पर भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी प्रार्थना सुनता है और उत्तर देता है; क्योंकि अपने प्रत्येक विश्वासी और और उस पर किए गए विश्वास द्वारा बनी अपनी प्रत्येक सन्तान से उसकी घनिष्ठ और आत्मीय सहभागिता है। - फिलिप यैन्सी


प्रार्थना का एक महत्वपूर्ण भाग है उस प्रार्थना के उत्तर का एक भाग बनने को तैयार रहना।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। - फिलिप्पियों ४:६

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-१०
Heb 11:1  अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अन देखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Heb 11:2  क्‍योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्‍छी गवाही दी गई।
Heb 11:3  विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Heb 11:4  विश्वास की से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Heb 11:5  विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला, क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Heb 11:6  और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
Heb 11:7  विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
Heb 11:8  विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं, तौभी निकल गया।
Heb 11:9  विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रहकर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया।
Heb 11:10 क्‍योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ६-७ 
  • मत्ती २५:१-३०