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बुधवार, 4 सितंबर 2013

मिट्टी के ढेर

   कॉलेज का अध्यक्ष होने के नाते मेरी ज़िम्मेदारियों में से एक है सालाना दीक्षांत समारोह। एक वर्ष, जब मैं दीक्षांत समारोह के लिए जा रहा था तो मेरा मन इस विचार से प्रफुल्लित था कि हमारे कॉलेज से शिक्षा पाए हुए स्नातक अब बाहर निकल कर संसार के सामने जीवन बदल देने वाले प्रभु यीशु मसीह में पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को ले जाने के लिए तैयार हैं। चलते चलते एक स्थान पर मैंने कुछ चींटियों को बड़ी मेहनत के साथ अपने कार्य को करते देखा; वे धरती के नीचे से मिट्टी के कण ला ला कर बाहर रखती जा रही थीं और वह मिट्टी जमा होकर एक ढेर बनती जा रही थी। मेरे मन में विचार आया, अरे भई संसार में मिट्टी के ढेर बनाने से भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य अभी शेष हैं, लेकिन उन चींटियों के लिए तो वही कार्य सबसे महत्वपूर्ण था और वे संसार की अन्य सभी बातों से बेखबर अपने उसी कार्य में लगी हुई थीं।

   कभी कभी हमारे लिए भी उन चींटियों के समान ही अपनी ही दुनिया में खो जाने और परमेश्वर की नज़र में कोई महत्वहीन कार्य करने में लगे रह जाना बहुत सरल होता है। हम अपनी ही दिनचर्या और कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि व्यक्तिगत रीति से परमेश्वर के व्यापक और महान कार्य का आनन्द लेने से अपने आप को वंचित कर लेते हैं। परमेश्वर के आत्मा का कार्य दक्षिणी अमेरिका में फैल रहा है; अफ्रिका में प्रतिदिन हज़ारों लोग प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर रहे हैं और पापों से क्षमा प्राप्त कर रहे हैं; अपने मसीही विश्वास के कारण संसार के लोगों से सताव झेलने वाले अपने विश्वास और मसीही सुसमाचार के प्रचार में बिना रुके बढ़ते ही जा रहे हैं; एशिया के देशों में उद्धार का सुसमाचार जड़ पकड़ता जा रहा है। क्या अपनी ही सीमित दिनचर्या से बाहर निकल कर इन सब बातों की तरफ आपका ध्यान कभी गया है? क्या इन बातों ने आपकी प्रार्थनाओं में स्थान पाया है? क्या इनमें सहयोगी होने की इच्छा आपके अन्दर भी जागृत हुई है?

   हमारा महत्वहीन बातों में मन लगाए रखना मुझे परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही एक बात याद दिलाता है: "क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है" (2 तिमुथियुस 4:10); क्या कभी देमास को इस बात का पछतावा हुआ होगा कि उसने सुसमाचार प्रचार में संभागी होने की आशीष को छोड़कर संसार की दौलत रूपी मिट्टी के ढेर अपने लिए चुन लिए थे?

   देमास को पछतावा हुआ था या नहीं, यह तो हम नहीं जानते लेकिन आज हम अपने लिए तो यह निर्णय कर ही सकते हैं कि देमास के समान हम परमेश्वर की अनन्त आशीषों के भण्डार छोड़कर संसारिक दौलत के मिट्टी के ढेर अर्जित करने में जीवन नहीं बिताएंगे वरन परमेश्वर द्वारा हमें दी गई योग्यताओं और गुणों को उसके राज्य और कार्य की बढ़ौतरी के लिए ही प्रयोग करेंगे। - जो स्टोवैल


संसार के महत्वहीन कार्य आपका ध्यान परमेश्वर के महत्वपूर्ण कार्यों से हटाने ना पाएं।

क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है। - 2 तिमुथियुस 4:10

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 4:6-18
2 Timothy 4:6 क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
2 Timothy 4:7 मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2 Timothy 4:8 भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
2 Timothy 4:9 मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्न कर।
2 Timothy 4:10 क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
2 Timothy 4:11 केवल लूका मेरे साथ है: मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है।
2 Timothy 4:12 तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
2 Timothy 4:13 जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्‍तकें विशेष कर के चर्मपत्रों को लेते आना।
2 Timothy 4:14 सिकन्‍दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
2 Timothy 4:15 तू भी उस से सावधान रह, क्योंकि उसने हमारी बातों का बहुत ही विरोध किया।
2 Timothy 4:16 मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, वरन सब ने मुझे छोड़ दिया था: भला हो, कि इस का उन को लेखा देना न पड़े।
2 Timothy 4:17 परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
2 Timothy 4:18 और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्‍वर्गीय राज्य में उद्धार कर के पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 143-145 
  • 1 कुरिन्थियों 14:21-40


मंगलवार, 3 सितंबर 2013

आँसू

   छोटे से राष्ट्र हेती में सन 2010 में आए विनाशकारी भूकम्प से हुई बरबादी और जान-माल के नुकसान तथा उसके कारण वहाँ के लोगों द्वारा झेली जाने वाली कठिनाईयों की तसवीरें टेलिविज़न पर हम सब ने देखी हैं और उनसे अभिभूत भी हुए हैं। उन अनेक दिल दहला देने वाली तस्वीरों में से एक थी एक महिला की जो अपने चारों ओर की तबाही को देखकर फूट-फूट कर रो रही थी। उस स्त्री का मस्तिष्क अपने लोगों की उस भयानक त्रासदी को संभाल नहीं पा रहा था, उसका हृदय टूट गया था और परिणामस्वरूप उसके आँसू बहे जा रहे थे। उसकी यह प्रतिक्रीया समझ में आती थी क्योंकि कभी कभी जिस कष्ट का सामना हम करते हैं उसके लिए आँसू ही उचित प्रत्युत्तर होते हैं।

   मैं जब उस तस्वीर को ग़ौर से देख रहा था तो मुझे अपने प्रभु यीशु की अनुकंपा स्मरण हो आई। प्रभु यीशु भी आँसुओं के महत्व को जानते थे, और वे भी रोए थे। लेकिन उनका रोना एक अलग ही प्रकार के विनाश के कारण था - पाप द्वारा लाए गए विनाश के कारण। जब वे अपने पकड़वाए और क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले यरुशलेम की ओर बढ़ रहे थे, उस यरुशलेम शहर की ओर जहाँ परमेश्वर का मन्दिर भी था लेकिन जो अब भ्रष्टाचार और अन्याय जैसे दुराचारों के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों तथा तकलीफों से भरा हुआ था, तो प्रभु के आँसू बहने लगे: "जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया" (लूका 19:41)। प्रभु यीशु उस नगर के प्रति अपने दुख और वहाँ के लोगों पर तरस आने के कारण रोया।

   आज जब हम अपने आस-पास संसार में अमानुषिकता, पीड़ा तथा पाप को देखते हैं जिसके कारण संसार में विनाश और त्रासदी व्याप्त है, तो हमारा प्रत्युत्तर क्या होता है? यदि हमारे प्रभु यीशु का हृदय संसार की इस दुर्दशा से टूटता है तो क्या हमारा नहीं टूटना चाहिए? जब हम अपने प्रभु की उस पीड़ा को पहचानेंगे तथा अनुभव करेंगे तो उसके समान ही हम भी संसार को पाप की पीड़ा और त्रासदी से छुड़ाने के लिए प्रयास करने वाले बन जाएंगे - वह छुटकारा जो प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा समस्त संसार के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है। - बिल क्राउडर


अनुकंपा दूसरों के दुख में उन्हें आराम पहुँचाने हेतु जो भी आवश्य्क हो उसका प्रबंध करती है।

जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया। - लूका 19:41

बाइबल पाठ: लूका 19:37-44
Luke 19:37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुंचा, तो चेलों की सारी मण्‍डली उन सब सामर्थ के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्‍दित हो कर बड़े शब्द से परमेश्वर की स्‍तुति करने लगी।
Luke 19:38 कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्‍ति और आकाश मण्‍डल में महिमा हो।
Luke 19:39 तब भीड़ में से कितने फरीसी उस से कहने लगे, हे गुरू अपने चेलों को डांट।
Luke 19:40 उसने उत्तर दिया, कि तुम से कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।
Luke 19:41 जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया।
Luke 19:42 और कहा, क्या ही भला होता, कि तू; हां, तू ही, इसी दिन में कुशल की बातें जानता, परन्तु अब वे तेरी आंखों से छिप गई हैं।
Luke 19:43 क्योंकि वे दिन तुझ पर आएंगे कि तेरे बैरी मोर्चा बान्‍धकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएंगे।
Luke 19:44 और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में हैं, मिट्टी में मिलाएंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तू ने वह अवसर जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 140-142 
  • 1 कुरिन्थियों 14:1-20


सोमवार, 2 सितंबर 2013

उद्देश्य

   बचपन में मेरा एक नायक था पीट मारविक, जो एक उच्चकोटि का बास्केटबॉल खिलाड़ी था और एक जादूगर के समान गेंद को नियंत्रित करता था। अब समस्या यह थी कि मेरी अपने नायक पीट के समान होने की इच्छा मेरे उस बात से संतुष्ट होने के आड़े आ रही थी जैसा परमेश्वर मुझे बनाना चाहता था। जब मुझे यह एहसास हुआ कि मैं कभी पीट के समान नहीं खेल पाऊँगा तो मैं बहुत निराश हो गया, और इस निराशा में कुछ समय के लिए अपनी कॉलेज की टीम में खेलना भी छोड़ दिया, केवल इसलिए क्योंकि मैं पीट के समान नहीं हो पा रहा था। आज भी बच्चे ऐसा ही करते हैं; जैसा और जिस कार्य के लिए परमेश्वर ने उन्हें बनाया है उससे असंतुष्ट होकर वे वैसा होने की लालसा रखते हैं जैसा उनका कोई सांसारिक नायक या नायिका है।

   मसीही गायक जौनी डीयाज़ ने इस प्रवृति को पहचानते हुए एक गीत लिखा और गाया जिसका शीर्षक है "More Beautiful You" (और भी अधिक सुन्दर आप)। इस गीत के आरंभ की पंक्ति का सार है: "एक 14 वर्षीय लड़की एक पत्रिका के पन्ने पलटते हुए कहती है, मुझे ऐसा बनना है।" कुछ लड़के-लड़कियों की यह लालसा होती है कि वे अपनी पसन्द के किसी नायक-नायिका के समान बनें जैसे मैं पीट मारविक के समान बनना चाहता था। डीयाज़ ने गीत में आगे कहा: "आप से सुन्दर और कोई हो नहीं सकता; संसार के लोगों के झांसों में मत आओ; तुम्हें एक उद्देश्य के लिए रचा गया है, और केवल एक तुम ही हो जो उस उद्देश्य को पूरा कर सकते हो।" डीयाज़ ने इस गीत में वही बात कही है जो परमेश्वर के वचन बाइबल में एक भजनकार ने हज़ारों वर्ष पहले कही थी: "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन 139:14)।

   परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक को अपनी इच्छानुसार एक उद्देश्य के लिए रचा है और गुणों से भरा है। विश्वास रखिए, उस उद्देश्य के लिए आपसे अधिक उपयोगी और बेहतर और कोई कभी हो ही नहीं सकता। संसार के नश्वर नायकों के समान बनने के प्रयासों में अविनाशी परमेश्वर द्वारा दिए स्वरूप, सुन्दरता और गुणों को नज़रन्दाज़ मत कीजिए। - डेव ब्रैनन


हम परमेश्वर की अनुपम एवं श्रेष्ठ कलाकृति हैं।

मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। - भजन 139:14

बाइबल पाठ: भजन 139:1-14
Psalms 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psalms 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
Psalms 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
Psalms 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
Psalms 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
Psalms 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा,
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 137-139 
  • 1 कुरिन्थियों 13


रविवार, 1 सितंबर 2013

महत्व

   जिस चर्च का मैं पास्टर हूँ, वहाँ एक इतवार मैंने तीन बच्चों को बुलाया और उन से कहा कि मैंने चर्च में कुछ गोल लपेटे हुए कागज़ छुपाए हैं जिन पर परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ पद लिखे हुए हैं। यदि वे उन्हें ढूँढ़ कर उनमें लिखे पद सबके सामने पढ़ कर सुनाएंगे तो मैं उन्हें इनाम दूँगा। बच्चों का उन कागज़ों को ढूँढ़ने का जोश देखते ही बनता था। चर्च में कोई ऐसी जगह नहीं बची जिसे उन्होंने उलट-पुलट कर देख ना लिया हो, यहाँ तक कि लोगों से आज्ञा लेकर उन्होंने उनके बटुवों और थैलों को भी छान लिया। उन कागज़ों को ढूँढ़ कर पढ़ने से उन्हें और चर्च में एकत्रित सभी लोगों को बहुत आनन्द आया। यह वास्तव में एक तरीका था चर्च के लोगों को परमेश्वर के वचन के प्रति जागरूक करने और उन्हें समय लगाकर तथा परिश्रम करके उस वचन के अद्भुत सत्यों को जानने, उन्हें दूसरों के सामने बोलने और उससे मिलने वाली आशीषों को पहचानने के लिए उत्साहित करने का।

   बाइबल में राजाओं के दूसरे वृतांत के 22 तथा 23 अध्याय में हम पढ़ते हैं कि कैसे राजा योशिय्याह और यहूदा के लोगों ने परमेश्वर के वचन के महत्व और आनन्द को पुनः प्राप्त किया। राजा योशिय्याह के निर्देश पर जब यरुशलेम के मन्दिर की सफाई और मरम्मत का कार्य हिल्कियाह याजक (पुरोहित) द्वारा करवाया गया तो उसे वहाँ परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल को दी गई व्यवस्था की लिखित प्रति मिली। यह पुस्तक लाकर राजा योशिय्याह को पढ़कर सुनाई गई, और उसने उस पुस्तक में लिखी बातों को आदर दिया, और उन्हें और गहराई से समझने का प्रयास किया (2 राजा 22:10, 11, 12-20) और फिर अपनी प्रजा के लोगों का नेतृत्व किया कि वे भी उसके महत्व को समझें और उसके प्रति अपने समर्पण के लिए वचनबद्ध हों (2 राजा 23:1-4)।

   आज हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब परमेश्वर का वचन संपूर्ण या आंशिक रूप में बहुतायत और बहुत सरलता से संसार की लगभग प्रत्येक भाषा में सब के लिए उपलब्ध है - छपी हुई पुस्तक-पुस्तिकाओं के रूप में, सुनने की रिकौर्डिंग्स एक रूप में और इन्टरनैट पर भिन्न रूपों में। कमी परमेश्वर के वचन की उपलब्धता या उसे समझाने वाले सहायकों की नहीं है वरन लोगों की उस जीवनदायी वचन के प्रति रुचि रखने की है, उस वचन के महत्व को समझने की है। आईए हम निर्णय लें कि परमेश्वर के वचन बाइबल को प्रतिदिन नियमित रूप से अपने जीवनों में स्थान देंगे, उसके अद्भुत सत्यों के खोजी होंगे और उन सत्यों को फिर दूसरों के सामने रखने वाले भी बनेंगे।

   जीवन में महत्वपूर्ण बनाना है तो परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में महत्व दीजिए। - मार्विन विलियम्स


लिखित वचन बाइबल से प्रेम करना ही जीवित वचन प्रभु यीशु को जानना है।

और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा। - 2 राजा 22:8

बाइबल पाठ: 2 राजा 22:8-23:3
2 Kings 22:8 और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा।
2 Kings 22:9 तब शापान मंत्री ने राजा के पास लौट कर यह सन्देश दिया, कि जो चान्दी भवन में मिली, उसे तेरे कर्मचारियो ने थैलियों में डाल कर, उन को सौंप दिया जो यहोवा के भवन में काम कराने वाले हैं।
2 Kings 22:10 फिर शपान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया, कि हिलकिय्याह याजक ने उसे एक पुस्तक दी है। तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा।
2 Kings 22:11 व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुन कर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े।
2 Kings 22:12 फिर उसने हिलकिय्याह याजक, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अकबोर, शापान मंत्री और असाया नाम अपने एक कर्मचारी को आज्ञा दी,
2 Kings 22:13 कि यह पुस्तक जो मिली है, उसकी बातों के विष्य तुम जा कर मेरी और प्रजा की और सब यहूदियों की ओर से यहोवा से पूछो, क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इस कारण भड़की है, कि हमारे पुरखाओं ने इस पुस्तक की बातें न मानी कि कुछ हमारे लिये लिखा है, उसके अनुसार करते।
2 Kings 22:14 हिलकिय्याह याजक और अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया ने हुल्दा नबिया के पास जा कर उस से बातें की, वह उस शल्लूम की पत्नी थी जो तिकवा का पुत्र और हर्हस का पोता और वस्त्रों का रखवाला था, (और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी)।
2 Kings 22:15 उसने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,
2 Kings 22:16 यहोवा यों कहता है, कि सुन, जिस पुस्तक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है, उसकी सब बातों के अनुसार मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डाला चाहता हूँ।
2 Kings 22:17 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शांत न होगी।
2 Kings 22:18 परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है।
2 Kings 22:19 इसलिये कि तू वे बातें सुन कर दीन हुआ, और मेरी वे बातें सुन कर कि इस स्थान और इसके निवासियों देख कर लोग चकित होंगे, और शाप दिया करेंगे, तू ने यहोवा के साम्हने अपना सिर नवाया, और अपने वस्त्र फाड़ कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है, यहोवा की यही वाणी है।
2 Kings 22:20 इसलिये देख, मैं ऐसा करूंगा, कि तू अपने पुरखाओं के संग मिल जाएगा, और तू शांति से अपनी कबर को पहुंचाया जाएगा, और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर डाला चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन्होंने लौट कर राजा को यही सन्देश दिया।
2 Kings 23:1 राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को अपने पास इकट्ठा बुलवाया।
2 Kings 23:2 और राजा, यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और नबियों वरन छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग ले कर यहोवा के भवन में गया। तब उसने जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी, उसकी सब बातें उन को पढ़ कर सुनाईं।
2 Kings 23:3 तब राजा ने खम्भे के पास खड़ा हो कर यहोवा से इस आशय की वाचा बान्धी, कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूंगा, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी आज्ञाएं, चितौनियां और विधियों का नित पालन किया करूंगा, और इस वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी है पूरी करूंगा। और सब प्रजा वाचा में सम्भागी हुई।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 135-136 
  • 1 कुरिन्थियों 12


शनिवार, 31 अगस्त 2013

सीखने वाली आत्मा

   एक दिन हमारे चर्च में आराधना आरंभ होने से थोड़ा सा ही पहले मैंने एक युवक को अपनी माँ के साथ वार्तालाप करते सुना। वे दोनों चर्च के सूचना पटल पर लगी सूचनाएं पढ़ रहे थे जिनमें से एक थी कि चर्च में आने वाले लोग जुलाई और अगस्त के महीनों में प्रतिदिन परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक का एक अध्याय पढ़ने की चुनौती लें; नीतिवचन में 31 अध्याय हैं। उस युवक ने अपनी माँ से पूछा, अगस्त के अन्त पर आकर लोग क्या करेंगे, अगस्त में तो 30 ही दिन होते हैं? उसकी माँ ने उत्तर दिया, नहीं अगस्त में भी 31 दिन होते हैं, वह फिर बोला नहीं, 30 ही दिन होते हैं!

   जब आराधना के समय हमारा एक दूसरे से मिलने और अभिनंदन करने का समया आया तो मैंने पीछे मुड़कर उस जवान से हाथ मिलाया, उसे "हैलो" कहा और मुस्कुराते हुए यह भी कहा कि अगस्त में वास्तव में 31 दिन होते हैं। वह फिर अपनी बात पर अड़ गया और बोला, नहीं, 31 दिन नहीं होते; एक के बाद एक कोई भी दो महीनों में 31 दिन कैसे हो सकते हैं? इतने में आराधना में स्तुति गीत आरंभ हो गया, और मैं मुस्कुराते हुए फिर सामने की ओर मुड़ गई।

   उस छोटे सी मुलाकात और वार्तालाप ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि एक सीखने वाली आत्मा को विकसित करना हमारे लिए कितना आवश्यक है, अन्यथा हम कभी अपने ही विचारों की सीमाओं के आगे नहीं बढ़ पाएंगे। नीतिवचन के लेखक राजा सुलेमान ने आरंभिक अध्यायों में यही बात समझाई है, एक नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा को अपने अन्दर बनाए रखना जिससे अपने बुज़र्गों के अनुभवों और शिक्षाओं से तथा परमेश्वर और उसके वचन से हम उत्तम बातें सीख सकें: "हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े" (नीतिवचन 2:1); "क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं" (नीतिवचन 2:6); "अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना" (नीतिवचन 3:7)।

   अगस्त में 30 ही दिन होते हैं या 31 दिन, यह जानना चाहे कोई विशेष महत्व ना रखता हो, लेकिन नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा रखना बहुत महत्व रखता है, क्योंकि तभी हम दूसरों से तथा परमेश्वर से सीखने वाले हो सकेंगे। और परमेश्वर से सीखने के लिए प्रतिदिन नीतिवचन से एक अध्याय पढ़ना, उत्तम शिक्षा पाने के लिए एक अच्छा आरंभ है - क्या कल से आरंभ हो रहे नए माह से आप यह करने का संकल्प लेंगे, और उस संकल्प को पूरा भी करेंगे? - ऐनी सेटास


सच्ची बुद्धिमता परमेश्वर से ही आरंभ होती है और उसी पर अन्त भी होती है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 2:1-9
Proverbs 2:1 हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
Proverbs 2:2 और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
Proverbs 2:3 और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
Proverbs 2:4 ओर उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;
Proverbs 2:5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
Proverbs 2:6 क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।
Proverbs 2:7 वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
Proverbs 2:8 वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
Proverbs 2:9 तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 132-134 
  • 1 कुरिन्थियों 11:17-34


शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

निर्भर

   आयर्नमैन ट्राएथलन एक बहुत ही कठिन और असाधारण स्पर्धा है। इस स्पर्धा में भाग लेने वाले को 2.4 मील तक तैरना होता है, 112 मील तक साईकिल चलानी होती है और 26.2 मील की दूरी दौड़ कर तय करनी होती है। किसी भी व्यक्ति के लिए इसे पूरा कर पाना सरल नहीं है। लेकिन फिर भी डिक होयट ने इसमें अपने विकलांग पुत्र रिक के साथ भाग लिया और पूरा भी किया। जब डिक तैर रहा था तो अपने बेटे रिक को एक छोटी नाव में बैठा कर खींच भी रहा था, जब उसे साईकिल चलानी थी तो रिक को अपने साथ साईकिल पर सवार कर रखा था, और जब दौड़ना था तब रिक को पहिए वाली कुर्सी पर बैठा कर उसे धक्का देते हुए वह दौड़ता रहा। इस पूरी स्पर्धा को पूरा करने के लिए रिक पूर्णतया अपने पिता डिक पर निर्भर था; अपने पिता के बिना रिक कुछ भी नहीं कर सकता था, परन्तु पिता के साथ तथा उनकी सामर्थ से रिक ने असंभव को संभव कर लिया।

   डिक और रिक की इस कहानी से हम मसीही विश्वासी अपने मसीही जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा ले सकते हैं। जैसे रिक अपने पिता पर स्पर्धा पूरी करने के लिए पूर्णतया निर्भर था, हम मसीही विश्वासी भी अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पर अपनी जीवन दौड़ सफलतापूर्वक पूरी करने के लिए पूर्णतया निर्भर हैं। परमेश्वर को भाता हुआ जीवन जीने के प्रयास में, चाहे हमारे उद्देश्य, संकल्प और प्रयास कितने ही दृढ़ और उत्तम क्यों ना हों, फिर भी हम अनेक बार ठोकर खाते हैं, चूक जाते हैं, गिर जाते हैं। हम केवल अपनी ही सामर्थ से कुछ भी नहीं कर सकते; हमें अपने प्रभु की सहायता की आवश्यकता है ही।

   आनन्द की बात यह है कि हमारे प्रेमी परमेश्वर पिता द्वारा यह सहायता हमारे माँगने से पहले ही हमारे लिए उपलब्ध करा दी गई है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा: "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलतियों 2:20)। प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए कितना प्रेर्णादायक और उत्साहवर्धक है यह आश्वासन - "अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है"। जब मसीह मुझे में जीवित है तो मसीह की सामर्थ भी मुझ में कार्यकारी है, और यदि मसीह यीशु, अर्थात परमेश्वर की सामर्थ मुझे में कार्यकारी है तो फिर ऐसा क्या है जो उसकी सामर्थ की सहायता से मैं कर नहीं सकता?

   हम अपनी मसीही जीवन दौड़ अपनी सामर्थ से पूरी नहीं कर सकते; परन्तु यदि हम मसीह यीशु पर निर्भर रहेंगे, अर्थात, हर बात में उसके आज्ञाकारी रहेंगे, उसे अपने जीवन में प्रथम स्थान देंगे, अपने जीवन से उसे महिमा देंगे, उसके गवाह बन कर संसार के सामने उस में सेंत-मेंत सबके लिए उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार सुनाने वाले होंगे, तो उसकी सामर्थ भी स्वतः ही हमारे अन्दर कार्यकारी रहेगी और हमें हर बात, हर परिस्थिति पर एक जयवन्त जीवन प्रदान करती रहेगी। - एलबर्ट ली


विश्वास हमारी दुर्बलता को परमेश्वर की सामर्थ से जोड़ कर हमें सबल बना देता है।

तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। - यूहन्ना 15:4-5

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-13
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 129-131 
  • 1 कुरिन्थियों 11:1-16


गुरुवार, 29 अगस्त 2013

दृष्टिकोण

   अनेक बार यह प्रश्न किया जाता है: "अरे भई आप समस्या का भाग हैं या समस्या के समाधान का?" चाहे यह प्रश्न किसी व्यावासयिक चर्चा में उठे या पारिवारिक विचार-विमर्श में, या फिर किसी चर्च समिति की बैठक में, या अन्य किसी भी गोष्ठी में, इस प्रश्न के पूछने वाले का भाव रोशपूर्ण और तात्पर्य यह जानने का प्रयास करना होता है कि जिस व्यक्ति से यह प्रश्न किया जा रहा है उसने वह बात वैसे क्यों करी या कही जिस के कारण यह प्रश्न उठा। और अधिकाँशतः इस प्रश्न का कोई सीधा या स्पष्ट उत्तर भी नहीं होता क्योंकि उत्तर का वाजिब होना उत्तर सुनने वाले के दृष्टिकोण पर निर्धर करता है।

   यदि हम उन इस्त्राएलियों में होते जो 400 वर्ष की ग़ुलामी के बाद मिस्त्र से निकल कर जा रहे थे, तो हमारे दृष्टिकोण से निसन्देह मिस्त्र का अधिपति, फिरौन, समस्या ही का भाग होता - और वह था भी। लेकिन परमेश्वर का दृष्टिकोण भिन्न था।

   इस्त्राएलियों को समझ नहीं आया जब परमेश्वर ने उन्हें वापस मिस्त्र देश की ओर मुड़कर अपने डेरे लाल समुद्र के किनारे लगाने को कहा, जिससे फिरौन द्वारा उन पर हमला करना सरल हो गया (निर्गमन 14:1-3)। फिरौन को सेना सहित हमले के लिए आता देखकर इस्त्राएलियों ने समझा कि बस अब उनका अन्त आ गया और वे अत्यंत घबरा गए; लेकिन परमेश्वर का उत्तर था कि इस विकट और जान-लेवा दिखने वाली परिस्थिति में भी फिरौन और उसकी सेना के द्वारा उसे महिमा और आदर मिलेगा, तथा "तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं" (निर्गमन 14:4, 17-18), और अन्ततः ऐसा ही हुआ।

   जब हम यह समझ ना पाएं कि क्यों परमेश्वर हमारे जीवनों में ऐसी कठिन परिस्थितयाँ आने देता है जिनसे हम अपने को खतरे में तथा परिस्थितियों से अभिभूतित अनुभव करते हैं, तो यह ध्यान रखना सदा सहायक होता है कि हर बात और परिस्थिति के द्वारा परमेश्वर केवल हमारी भलाई ही चाहता है और हर बात के द्वारा वह अपनी महिमा करवा सकता है। जब हम मसीही विश्वासियों का दृष्टिकोण भी परमेश्वर के दृष्टिकोण के समान ही होगा, तो हम पूरे मन और विश्वास के साथ हर परिस्थिति में यह प्रार्थना कर सकेंगे: "हे पिता, इस परिस्थिति में भी मैं आप पर अपना विश्वास बनाए रखूँ और आपको आदर तथा महिमा देने वाला हो सकूँ"। तब परिस्थितियाँ हमें विचिलित करने वाली नहीं रहेंगी, परमेश्वर कि अद्भुत शांति हमारे जीवनों में बनी रहेगी और हमारे जीवन परमेश्वर के लिए और भी अधिक उपयोगी तथा एक गवाही हो जाएंगे। - डेविड मैक्कैसलैंड


विश्वास हमें वह स्वीकार करने में सहायता करता है जिसे हम बुद्धि से समझ नहीं पाते।

तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया। -निर्गमन 14:4

बाइबल पाठ: निर्गमन 14:1-18
Exodus 14:1 यहोवा ने मूसा से कहा,
Exodus 14:2 इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिगदोल और समुद्र के बीच पीहहीरोत के सम्मुख, बालसपोन के साम्हने अपने डेरे खड़े करें, उसी के साम्हने समुद्र के तट पर डेरे खड़े करें।
Exodus 14:3 तब फिरौन इस्राएलियों के विषय में सोचेगा, कि वे देश के उलझनों में बझे हैं और जंगल में घिर गए हैं।
Exodus 14:4 तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया।
Exodus 14:5 जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फिरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह क्या किया, कि इस्राएलियों को अपनी सेवकाई से छुटकारा देकर जाने दिया?
Exodus 14:6 तब उसने अपना रथ जुतवाया और अपनी सेना को संग लिया।
Exodus 14:7 उसने छ: सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन मिस्र के सब रथ लिये और उन सभों पर सरदार बैठाए।
Exodus 14:8 और यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन के मन को कठोर कर दिया। सो उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली तो बेखटके निकले चले जाते थे।
Exodus 14:9 पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा कर के उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया।
Exodus 14:10 जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी।
Exodus 14:11 और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
Exodus 14:12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी।
Exodus 14:13 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे।
Exodus 14:14 यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।
Exodus 14:15 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करें।
Exodus 14:16 और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच हो कर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे।
Exodus 14:17 और सुन, मैं आप मिस्रियों के मन को कठोर करता हूं, और वे उनका पीछा कर के समुद्र में घुस पड़ेंगे, तब फिरौन और उसकी सेना, और रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।
Exodus 14:18 और जब फिरौन, और उसके रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 126-128 
  • 1 कुरिन्थियों 10:19-33