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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

मित्र


   सिसरो रोमी साम्राज्य का एक महानतम दार्शनिक था। वह एक कुशल वक्ता, अधिवक्ता, राजनैतिज्ञ, भाषा ज्ञानी और लेखक था। आज भी उसके व्यावाहारिक ज्ञान और स्पष्ट कथनों के लिए उसे स्मरण किया जाता है। उदाहरणस्वरूप उसने मित्रता के विषय में कहा: "मित्र हमारे आनन्द को दोगुना कर देते हैं और शोक को विभाजित करके उसे घटा देते है"। उसने जीवन यात्रा में मित्रता के दोहरे लाभ को पहचाना था।

   उसके लगभग एक सहस्त्र वर्ष पूर्व राजा सुलेमान ने भी मित्रता के विषय में लिखा था। सुलेमान द्वारा लिखी परमेश्वर के वचन बाइबल की सभोपदेशक नामक पुस्तक में लिखा है: "एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो" (सभोपदेशक 4:9-10)। निश्चय ही बिना किसी मित्र के हमारी जीवन यात्रा एकाकी और कठिन होती है।

   रोमी सिसरो और यहूदी राजा सुलेमान, दोनों ने बिलकुल सही कहा है, मित्र बहुत आवश्यक हैं। अच्छे मित्र नेक सलाहकार, बोझ बाँटने वाले और मन की बात समझने वाले सहायक होते हैं। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले अपने चेलों से कहा, "...मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना 15:15)। प्रभु यीशु एक ऐसा मित्र है जो सदा साथ रहता है, सदा सहायक होता है और सदा विश्वासयोग्य रहता है। क्या आपने प्रभु यीशु को अपना मित्र बना लिया है? - डेनिस फिशर


जीवन की बगिया में मित्र सुगन्धित फूलों के समान होते हैं।

मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है। - नीतिवचन 17:17

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 4:9-12;  यूहन्ना 15:12-16
Ecclesiastes 4:9 एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। 
Ecclesiastes 4:10 क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो। 
Ecclesiastes 4:11 फिर यदि दो जन एक संग सोए तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला क्योंकर गर्म हो सकता है? 
Ecclesiastes 4:12 यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका साम्हना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।

John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 31-33


गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

समाधान


   दाऊद ने आह भरी, "और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!" (भजन 55:6); यदि मैं दाउद के स्थान पर होता तो मैं भी कामना करता की कहीं दूर ऊँची पहाड़ियों पर या किसी ऊँची मीनार में जाकर बैठ जाऊँ। जब जीवन भारी हो जाता है तो मैं भी दाऊद के समान बचकर कहीं शान्त स्थान पर चले जाने को लालायित हो जाता हूँ।

   दाऊद ने इस भजन में अपनी परिस्थितियों के विषय में खुल कर लिखा है: झगड़े, शोषण और परेशानियाँ उसे चारों ओर से घेरे हुए थे, एक पुराने मित्र के धोखे ने उसे बड़ी विकट परिस्थिति में डाल दिया था (भजन 55:8-14)। भय, संकट, पीड़ा, कंपकंपाहट, चिंता आदि ने उसे अभिभूत कर दिया था (पद 4-5)। इन परिस्थितियों में वह बचकर कहीं उड़ जाने की इच्छा रखे तो यह कोई विचित्र बात नहीं है।

   लेकिन बच निकलना संभव नहीं था, उसे उन परिस्थितियों का सामना करना ही था। इसलिए उसने वह किया जो बुद्धिमानी की बात थी, उन विकट परिस्थितियों का सामना अपनी बुद्धि और सामर्थ से करने की बजाए, उसने उन परिस्थितियों को परमेश्वर को सौंप दिया जिससे परमेश्वर की सामर्थ से वह उनका सामना कर सके: "परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा" (भजन 55:16-17)।

   हमारी परिस्थितियाँ चाहे कुछ भी क्यों ना हों - एक बोझिल सेवकाई, कठिन विवाह बन्धन, बेरोज़गारी, गंभीर एकाकीपन, इत्यादि - हम उन सबको परमेश्वर को सौंप सकते हैं। जब उसने हमारे पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया तो क्या वह हमारे अन्य बोझों को नहीं लेगा? जब हम अपनी आत्मा के अनन्त स्थान के लिए उस पर भरोसा कर सकते हैं तो क्या अपनी वर्तमान परिस्थितियों के लिए नहीं कर सकते?

   दाऊद से सीखिए: "अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा" (भजन 55:22)। - डेविड रोपर


क्योंकि परमेश्वर हमारी चिंता करता है इसलिए हम अपनी चिंताएं उसे सौंप सकते हैं।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: भजन 55:1-23
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़! 
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं। 
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। 
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। 
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! 
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता, 
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।
Psalms 55:9 हे प्रभु, उन को सत्यानाश कर, और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे; क्योंकि मैं ने नगर में उपद्रव और झगड़ा देखा है। 
Psalms 55:10 रात दिन वे उसकी शहरपनाह पर चढ़कर चारों ओर घूमते हैं; और उसके भीतर दुष्टता और उत्पात होता है। 
Psalms 55:11 उसके भीतर दुष्टता ने बसेरा डाला है; और अन्धेर, अत्याचार और छल उसके चौक से दूर नहीं होते।
Psalms 55:12 जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो मैं उस से छिप जाता। 
Psalms 55:13 परन्तु वह तो तू ही था जो मेरी बराबरी का मनुष्य मेरा परममित्र और मेरी जान पहचान का था। 
Psalms 55:14 हम दोनों आपस में कैसी मीठी मीठी बातें करते थे; हम भीड़ के साथ परमेश्वर के भवन को जाते थे। 
Psalms 55:15 उन को मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है।
Psalms 55:16 परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। 
Psalms 55:17 सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा। 
Psalms 55:18 जो लड़ाई मेरे विरुद्ध मची थी उस से उसने मुझे कुशल के साथ बचा लिया है। उन्होंने तो बहुतों को संग ले कर मेरा साम्हना किया था। 
Psalms 55:19 ईश्वर जो आदि से विराजमान है यह सुनकर उन को उत्तर देगा। ये वे हैं जिन में कोई परिवर्तन नहीं और उन में परमेश्वर का भय है ही नहीं।
Psalms 55:20 उसने अपने मेल रखने वालों पर भी हाथ छोड़ा है, उसने अपनी वाचा को तोड़ दिया है। 
Psalms 55:21 उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं।
Psalms 55:22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।
Psalms 55:23 परन्तु हे परमेश्वर, तू उन लोगों को विनाश के गड़हे में गिरा देगा; हत्यारे और छली मनुष्य अपनी आधी आयु तक भी जीवित न रहेंगे। परन्तु मैं तुझ पर भरोसा रखे रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 28-30


बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

अनसुनी प्रार्थना


   प्रेरित पौलुस की एक तीव्र इच्छा थी, कि उसके संगी यहूदी भी प्रभु यीशु मसीह को पहचान जाएं, उसका अंगीकार कर लें, चाहे इसके लिए उसे आप ही मसीह से श्रापित क्यों ना होना पड़े। इस विषय में उसने लिखा: "कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से शापित हो जाता" (रोमियों 9:2-3)। अपनी जात-भाईयों की भलाई की कामना करने के बाद भी उसके संगी यहूदियों ने प्रत्येक स्थान पर उसका और प्रभु यीशु तिरस्कार किया।

   उद्धार के विषय को लेकर पौलुस द्वारा लिखी गई उसकी सबसे उत्कृष्ट पत्री के मध्य भाग में उसने यहूदियों के प्रति अपनी इस लालसा और उससे संबंधित उसकी अनसुनी प्रार्थना की व्यथा को बड़े स्पष्ट शब्दों में लिखा है। इसी खण्ड में पौलुस ने इस बात का भी अंगीकार किया कि यहूदियों द्वारा प्रभु यीशु केतिरस्कार का प्रमाण यह हुआ कि गैर-यहूदियों ने प्रभु को स्वीकार कर लिया। इस बात पर विचार करते हुए पौलुस इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि चाहे यहूदियों ने परमेश्वर का तिरस्कार किया हो, परमेश्वर ने उनका तिरस्कार नहीं किया है, वरन अब यहूदियों को भी वही अवसर उपलब्ध है जो गैर-यहूदियों को उपलब्ध है। उनके तिरस्कार से परमेश्वर की दया और अनुग्रह का दायरा सिमट नहीं गया था वरन और व्यापक हो गया था।

   इस बात का एहसास करते ही पौलुस परमेश्वर की महानता के प्रति गद गद हो जाता है और उस से परमेश्वर की प्रशंसा के स्वर फूट निकलते हैं: "आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!" (रोमियों 11:33)

   परमेश्वर की युगों तक के लिए बनाई गई योजना को पहचानते ही उस योजना की महानता के सामने पौलुस की अनसुनी प्रार्थनाएं और अनसुलझे रहस्यों की गुत्थी तुरंत महत्वहीन हो गई। वह अनसुनी प्रार्थना ही पौलुस को उस महान रहस्य के समक्ष ले कर आई जिसने पौलुस के मन को शान्त कर दिया, वह अपने और परमेश्वर के दृष्टिकोण के अन्तर को समझने पाया, और अपनी उस अनसुनी प्रार्थना को लेकर उसकी व्यथा जाती रही।

   क्या आप भी किसी ऐसी ही अनसुनी प्रार्थना को लेकर जूझ रहे हैं, व्याकुल हैं? प्रार्थना जो आपको तो बिलकुल जायज़ और उचित लगती है परन्तु परमेश्वर की ओर से उसका कोई उत्तर आ नहीं रहा है। परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखिए और उसके हाथों में सब कुछ छोड़ दीजिए। उसकी योजनाएं सिद्ध और उसकी विधियाँ अद्भुत हैं; वह जो करता है, भले ही के लिए करता है। - फिलिप यैन्सी


प्रार्थना विश्वास में चलते रहने और थकित ना होने की सामर्थ देती है।

क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है। - यशायाह 55:9

बाइबल पाठ: रोमियों 11:26-36
Romans 11:26 और इस रीति से सारा इस्त्राएल उद्धार पाएगा; जैसा लिखा है, कि छुड़ाने वाला सियोन से आएगा, और अभक्ति को याकूब से दूर करेगा। 
Romans 11:27 और उन के साथ मेरी यही वाचा होगी, जब कि मैं उन के पापों को दूर कर दूंगा। 
Romans 11:28 वे सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से बाप दादों के प्यारे हैं। 
Romans 11:29 क्योंकि परमेश्वर अपने वरदानों से, और बुलाहट से कभी पीछे नहीं हटता। 
Romans 11:30 क्योंकि जैसे तुम ने पहिले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उन के आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई। 
Romans 11:31 वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इस से उन पर भी दया हो। 
Romans 11:32 क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।
Romans 11:33 आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! 
Romans 11:34 प्रभु की बुद्धि को किस ने जाना या उसका मंत्री कौन हुआ? 
Romans 11:35 ​या किस ने पहिले उसे कुछ दिया है जिस का बदला उसे दिया जाए। 
Romans 11:36 क्योंकि उस की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उस की महिमा युगानुयुग होती रहे: आमीन।

एक साल में बाइबल: 
गिनती 25-27

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

वाचा


   हमारा एक मित्र कंप्यूटर पर बहुत कार्य करता है। एक रात्रि जब हमारा परिवार उसके घर पर था तो मैंने देखा कि उसने कंप्यूटर के मॉनिटर पर परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद कागज़ पर लिख कर लगाया हुआ था: "मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है..." (अय्युब 31:1)। प्रगट था कि वह घंटों तक अकेले इंटरनैट पर बैठकर कार्य करने के खतरों को समझता था; उसे एहसास था कि इंटरनैट पर अशोभनीय तस्वीरों और वेब साईट्स की कोई कमी नहीं है, जिनसे उसे सावधान और बच कर रहना है।

   जो पद मेरे उस मित्र ने अपने कंप्यूटर मॉनिटर पर लगाया था वह अय्युब द्वारा कही गई बात है जिसके शेष भाग में लिखा है: "...फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं?" अय्युब के समान हम में से बहुतेरे मसीही विश्वासियों ने भी अपने आप से वाचा बांधी है कि हम वासना से दूर रहेंगे। अपनी वाचा के बारे में अय्युब ने आगे कहा है: "क्या वह[परमेश्वर] मेरी गति नहीं देखता और क्या वह मेरे पग पग नहीं गिनता?"(अय्युब 31:4); बाइबल हमें स्पष्ट बताती है कि परमेश्वर हमें देखता है और हम उसके प्रति उत्तरदायी हैं (इब्रानियों 4:13)। हम मसीही विश्वासियों के लिए "क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो" (1 थिस्सलुनिकीयों 4:3)। संसार और समाज के लोग नैतिकता की सीमा को लेकर विवाद कर सकते हैं और करते भी हैं परन्तु हम मसीही विश्वासियों के लिए हमारे प्रभु यीशु ने यह सीमा पहले से निर्धारित कर रखी है: "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका" (मत्ती 5:28)।

   यदि आप ने भी अपनी आँखों से अय्युब के समान वाचा बाँधी है, तो विचार कीजिए कि किस प्रकार परमेश्वर का वचन बाइबल आपकी सहायता कर सकती है। मेरे उस मित्र के समान आप भी कोई पद अपने कंप्यूटर मॉनिटर पर, अपने टेलिविज़न अथवा अपनी कार में अपने सामने लगा कर रख सकते हैं। यह स्मरण रखें कि, "क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है" (1 थिस्सलुनिकीयों 4:7) और अपनी वाचा पर स्थिर रहें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


एक ठहरी हुई दृष्टि मन को भटका सकती है।

और सृष्‍टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं। - इब्रानियों 4:13

बाइबल पाठ: अय्युब 31:1-4
Job 31:1 मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है, फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं? 
Job 31:2 क्योंकि ईश्वर स्वर्ग से कौन सा अंश और सर्वशक्तिमान ऊपर से कौन सी सम्पत्ति बांटता है? 
Job 31:3 क्या वह कुटिल मनुष्यों के लिये विपत्ति और अनर्थ काम करने वालों के लिये सत्यानाश का कारण नहीं है? 
Job 31:4 क्या वह मेरी गति नहीं देखता और क्या वह मेरे पग पग नहीं गिनता?

1 Thessalonians 4:1 निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ। 
1 Thessalonians 4:2 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई। 
1 Thessalonians 4:3 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो। 
1 Thessalonians 4:4 और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्त करना जाने। 
1 Thessalonians 4:5 और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं। 
1 Thessalonians 4:6 कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था। 
1 Thessalonians 4:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है। 
1 Thessalonians 4:8 इस कारण जो तुच्‍छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्वर को तुच्‍छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 21-24


सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

दोषपूर्ण और सिद्ध


   एक जाने-पहचाने कलाकार ने एक बार टिप्पणी करी कि उसे चल-चित्रों में दोषपूर्ण चरित्र वाले किरदार निभाना अधिक पसन्द है क्योंकि दर्षक सिद्ध की बजाए दोषपूर्ण चरित्रों के साथ अपने आप को बेहतर जोड़ पाते हैं। हम में से अधिकांश इस बात से सहमत होंगे कि सिद्ध लोगों की बजाए हमें अपूर्ण लोगों को समझना अधिक सरल होता है क्योंकि हम जानते हैं कि हम भी अपूर्ण हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर ने ऐसे लोगों की कहानियाँ रखवाईं हैं जो ऐसे ही अपूर्ण थे - कोई धोखेबाज़, कोई कमज़ोर, कोई अविश्वासयोग्य तो कोई क्रोधी आदि। याकूब को ही लीजिए, अपने बड़े भाई की आशीषें हथियाने के लिए उसने बुढापे से लगभग अन्धे हो चले अपने पिता से झूठ बोला और अपने पिता तथा बड़े भाई दोनो को धोखा दिया (उत्पत्ति 27:1-29)। फिर गिदौन के बारे में विचार कीजिए जो डरपोक था, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उसे चुना और इस्त्राएलियों के छुटकारे के लिए उसे इस्त्राएलियों का नेतृत्व करने का बीड़ा दिया; गिदौन को विश्वास नहीं हुआ और उसने दो बार परमेश्वर से उसके इस चुनाव और ज़िम्मेदारी दिए जाने की पुष्टि माँगी (न्यायियों 6:39)। और पतरस के विषय में तो हम जानते ही हैं कि वह कैसा बड़बोला था, और कैसे प्रभु से अपनी विश्वासयोग्यता के दावे करने के बाद उसने तीन बार प्रभु यीशु का इन्कार किया (मरकुस 14:66-72)।

   लेकिन इन सब पात्रों की कहानियाँ उनकी इन कमज़ोरियों और अयोग्यता के वर्णनों के साथ ही समाप्त नहीं हो जातीं। बाइबल हमें यह भी दिखाती है कि अपनी इन अपूर्णताओं और दोषों के बावजूद ये सब, और इनके जैसे अनेक अन्य लोग, परमेश्वर के लिए सामर्थी और उपयोगी हुए, परमेश्वर के लिए बड़े बड़े काम किए और अब इन सब के नाम बड़े आदर के साथ परमेश्वर के वचन में सदा सदा के लिए दर्ज हैं। वे लोग ऐसा तब कर पाए जब उन्होंने अपनी अयोग्यताओं की ओर नहीं वरन उन्हें सामर्थ देकर परिपूर्ण बनाने वाले परमेश्वर की ओर देखा और उसपर तथा उसकी योजनाओं और विधियों पर विश्वास किया।

   जैसे वे सब थे, जिन्हें आज हम विश्वास के योद्धा कहते हैं, वैसे ही आज हमारे जीवनों में भी दोष और कमज़ोरियाँ हैं। लेकिन वही परमेश्वर जिसने उनको सामर्थी और पराक्रमी बना दिया था, आज हमें भी वैसे ही अपनी महिमा के लिए उपयोग कर सकते है, यदि हम उसमें अपने विश्वास को दृढ़ करें, उसके आज्ञाकारी बनें और उसके दिखाए मार्ग पर चलते रहें; क्योंकि जैसे प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन के अनुभव से लिखा, "और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे" (2 कुरिन्थियों 12:9)। अपनी अविश्वासयोग्यता पर नहीं वरन परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा बनाए रखिए। - सिंडी हैस कैसपर


हमारा अपनी कमज़ोरियों को जानना भला है यदि वे हमें परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास करने की ओर ले जाती हैं।

वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। - यशायाह 40:29

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:32-40
Hebrews 11:32 अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं। 
Hebrews 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए। 
Hebrews 11:34 आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। 
Hebrews 11:35 स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। 
Hebrews 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्‍धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। 
Hebrews 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे। 
Hebrews 11:38 और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। 
Hebrews 11:39 संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली। 
Hebrews 11:40 क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।

एक साल में बाइबल: 

  • गिनती 18-20


रविवार, 9 फ़रवरी 2014

मृत्यु में महिमा


   हम जब जवान और बलवन्त होते हैं तब अकसर यह तो सोचते हैं कि किस प्रकार अपने जीवन से परमेश्वर की महिमा करें, लेकिन क्या हमें यह भी नहीं सोचना चाहिए कि हम अपनी मृत्यु के द्वारा भी परमेश्वर की महिमा करने पाएं?

   पतरस ने तीन बार प्रभु यीशु का इन्कार करा (युहन्ना 18:15-27) लेकिन फिर भी प्रभु यीशु ने उसे अवसर दिया कि वह प्रभु के प्रति अपने प्रेम को बता सके (युहन्ना 21:15-17); तीन बार प्रभु यीशु ने पतरस से पूछा, "क्या तू मुझ से प्रेम करता है?" और फिर तुरंत अनापेक्षित रीति से विषय बदलते हुए प्रभु यीशु ने पतरस से कहा, "मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले" (युहन्ना 21:18-19)। प्रभु यीशु ने पतरस से स्पष्ट कह दिया कि उसके जीवन में वह समय आएगा जब लोग उसे जबरन वहाँ ले जाएंगे जहाँ वह जाना नहीं चाहता, लेकिन मृत्यु की उस अनचाही रीति से भी वह परमेश्वर की महिमा करेगा।

   प्रेरित पौलुस ने भी कहा, "मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं" (फिलिप्पियों 1:20)। मसीही मण्डली तथा मसीही विश्वासियों के इतिहास को यदि हम देखें तो ना केवल उस आरंभिक मण्डली के सदस्यों को, वरन प्रत्येक काल और स्थान पर मसीह के विश्वासियों को हमेशा ही सताव, क्लेष और संकट से होकर गुज़रना पड़ा है और बहुतों ने अपने विश्वास के लिए प्राण बलिदान करके अपने विश्वास की सार्थकता प्रमाणित करी है, प्रभु के नाम को महिमा दी है।

   यह सौभाग्य केवल हम मसीही विश्वासियों ही को है कि हम ना केवल जीते जी अपने जीवनों से अपने और समस्त संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा करें, वरन अपनी मृत्यु के द्वारा भी अपने प्रभु को महिमा दे सकें। प्रार्थना में प्रभु से माँगिए कि ना केवल अपने जीवन से वरन अपनी मृत्यु से भी आप प्रभु यीशु की महिमा करने पाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड


आप परमेश्वर की अनूठी और अनुपम रचना हैं; अपने जीवन और अपनी मृत्यु, दोनो ही से, जो महिमा आप परमेश्वर को दे सकते हैं, वह कोई और नहीं दे सकता।

तब उन्होंने उस की बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना। वे इस बात से आनन्‍दित हो कर महासभा के साम्हने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। - प्रेरितों 5:40-41

बाइबल पाठ: युहन्ना 21:12-19
John 21:12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है। 
John 21:13 यीशु आया, और रोटी ले कर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी। 
John 21:14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।
John 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उसने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा। 
John 21:16 उसने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उसने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर। 
John 21:17 उसने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा। 
John 21:18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। 
John 21:19 उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-17


शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

भला परमेश्वर


   जोएल और लॉरेन ने वॉशिंगटन राज्य से वापस अपने राज्य मिशिगन लौट जाने का निर्णय लिया। जब जाने का दिन आया तो अपने शहर एडमन्ड्स की अन्तिम यादगार के लिए वे अपने मन पसन्द कैफे में गए और वहाँ की कॉफी पी, फिर अपनी पसन्दीदा किताबों की दुकान में जाकर उस शहर के नाम से जुड़े हुए आदर्श वाक्य के दो बड़े स्टिकर खरीदे, और अपनी यात्रा पर निकल पड़े।

   दो सप्ताह और 3000 मील की यात्रा करने के बाद वे मिशिगन राज्य में दाखिल हुए। अपने राज्य में अपनी वापसी की खुशी मनाने और अपनी भूख को मिटाने के लिए उन्होंने किसी रेस्टोरेन्ट का पता पूछा तो मालुम हुआ कि वह कुछ मील पीछे रह गया है और उन्हें उतना वापस लौटना पड़ा। वह एक छोटा किंतु सुन्दर कैफे था, जिसमें एक महिला वेटर्स एम्मा ने उनके लिए प्रबंध किया। एम्मा को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उसके ये दोनों ग्राहक एम्मा के प्रदेश वॉशिंगटन से आए हैं। जब एम्मा ने उन दोनों से उनके शहर का नाम पूछा, और उन्होंने उत्तर दिया ’एडमन्ड्स’ तो एम्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एम्मा की खुशी को और बढ़ाने के लिए जोएल ने कार से लाकर उसे ’एडमन्ड्स’ शहर के आदर्श वाक्य वाला वह बड़ा सा स्टिकर भेंट किया। जब एम्मा ने उसके बारे में उन से पूछा तो मालुम हुआ कि जिस दुकान से जोएल और लॉरेन ने वह स्टिकर खरीदा था वह एम्मा की माताजी की दुकान थी। वह स्टिकर माँ के हाथों से निकलकर 3000 मील की यात्रा करने के बाद दो अजनबियों के द्वारा बेटी के हाथों तक पहुँच गया था।

   क्या यह सब महज़ एक संयोग है? या फिर यह उस भले परमेश्वर के कार्यों का एक नमूना है जो अपने बच्चों की खुशी के लिए कार्य करता रहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक में लिखा है: "मनुष्य का मार्ग यहोवा की ओर से ठहराया जाता है..." (नीतिवचन 20:24)। उस भले परमेश्वर के भलाई के कार्यों के लिए आईए उसके प्रति धन्यवादी हों, उसकी आराधना करें। - एनी सेटास


प्रत्येक भला उपहार परमेश्वर पिता से आता है।

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है। - भजन 136:1

बाइबल पाठ: भजन 100:1-5
Psalms 100:1 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो! 
Psalms 100:2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ! 
Psalms 100:3 निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।। 
Psalms 100:4 उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो! 
Psalms 100:5 क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये, और उसकी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।

एक साल में बाइबल: 

  • गिनती 11-14