ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

बाधाएं



   मैंने कुछ लोगों को इस रवैये के साथ कार्य करते देखा है कि यदि उन्हें कोई ऐसा विचार आता है जो उनकी दृष्टि में अच्छा है, या कोई ऐसा अवसर दिखाई देता है जो उन्हें लाभप्रद प्रतीत होता है तो वे उसे पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, उस की पूर्ति के लिए अपने सारे साधन लगा देते हैं, और यदि उस पूर्ति में कोई बाधा आए तो उन्हें फिर चाहे बाधा के ऊपर होकर जाना पड़े या फिर उसके नीचे से, चाहे बाधा में होकर जाना पड़े या बाधा के इर्द-गिर्द घूम कर, लेकिन उस पूर्ति के लिए वह बाधा को हर रीति से पार करने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी यह निष्ठा अच्छी तो प्रतीत होती है, लेकिन आवश्यक नहीं कि यह बात हमेशा सही ही हो; और इस बात को प्रमाणित करने के लिए मैं बिलाम नामक एक आदमी तथा उसके गदहे को आपके सामने रखना चाहता हूँ।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में बिलाम नाम के एक व्यक्ति का उल्लेख आता है जो पहली नज़र में परमेश्वर का आज्ञाकारी भक्त दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में परमेश्वर के नाम से अपनी ही लालसाओं और लालचों के आधीन कार्य करने वाला था। जब परमेश्वर इस्त्राएल को मिस्त्र के दासत्व से निकाल कर कनान देश में बसाने के लिए ले कर जा रहा था, तो मार्ग के एक स्थान के राजा ने उन इस्त्राएलियों का नाश करने के लिए बिलाम की सहायता माँगी, और बिलाम को इसके प्रतिफल में अच्छा ईनाम देने का वायदा किया। बिलाम ने परमेश्वर से इस बात के लिए आज्ञा माँगी लेकिन परमेश्वर ने उसे मना कर दिया। तब राजा ने बिलाम को और भी अधिक ईनाम का लालच दिया, और बिलाम फिर से परमेश्वर से इस्त्राएल के विरुद्ध हाथ बढ़ाने की अनुमति माँगने लगा। क्योंकि परमेश्वर बिलाम के हृदय की दशा जानता था, इसलिए उसने बिलाम को आज्ञा तो दे दी लेकिन कुछ सख्त शर्तें साथ जोड़ दीं, लेकिन फिर भी परमेश्वर बिलाम से प्रसन्न नहीं था। इसलिए जब बिलाम इस्त्राएल को श्राप देने के लिए अपने गदहे पर बैठा जा रहा था तो मार्ग में एक बहुत संकरे स्थान पर परमेश्वर ने अपने एक दूत को खड़ा कर दिया जिससे बिलाम का आगे बढ़ना रुक जाए; बिलाम उस दूत को नहीं देख पा रहा था लेकिन वह उसके गदहे को दिखाई दे रहा था और वह जानवर उस दूत को देख कर वहीं रुक गया। बिलाम के बहुत प्रयास करने पर भी जब वह गदहा आगे नहीं बढ़ा तो बिलाम गदहे पर बहुत क्रोधित हुआ और उसे पीटा भी। तब परमेश्वर का दूत उस पर प्रगट हुआ और बिलाम को अपनी गलती का एहसास हुआ।

   बिलाम के साथ हुई यह घटना हमें सिखाती है कि ज़रूरी नहीं कि प्रत्येक बाधा से पार निकलने का प्रयास किया जाए; कभी कभी परमेश्वर हमारे मार्ग अवरुद्ध करता है ताकि हम कुछ मूर्खतापूर्ण या अनुचित ना कर बैठें। इसलिए जब हमारी कुछ योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हों, कुछ प्रयास बारंबार विफल हो रहे हों तो हमें यही नहीं मान लेना चाहिए कि शैतान हमारे रास्ते में बाधा डाल रहा है। हो सकता है कि परमेश्वर ही वह बाधा डाल रहा हो जिससे हम किसी नुकसान में पड़ने से बच जाएं। इसलिए बाधा में भी परमेश्वर की इच्छा जानने और फिर उस इच्छा के अनुसार कार्य करने की प्रवृति रखना लाभप्रद है। - जूली ऐकरमैन लिंक


परमेश्वर हर समय अपने बच्चों की रखवाली तथा रक्षा करता रहता है; तब भी जब उन्हें आभास भी नहीं होता कि उन्हें उसकी आवश्यकता है।

और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूंगा, जिन के पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूं। कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं। - प्रेरितों 26:17-18

बाइबल पाठ: गिनती 22:10-34
Numbers 22:10 बिलाम ने परमेश्वर से कहा सिप्पोर के पुत्र मोआब के राजा बालाक ने मेरे पास यह कहला भेजा है, 
Numbers 22:11 कि सुन, जो दल मिस्र से निकल आया है उस से भूमि ढंप गई है; इसलिये आकर मेरे लिये उन्हें शाप दे; सम्भव है कि मैं उनसे लड़कर उन को बरबस निकाल सकूंगा। 
Numbers 22:12 परमेश्वर ने बिलाम से कहा, तू इनके संग मत जा; उन लोगों को शाप मत दे, क्योंकि  वे आशीष के भागी हो चुके हैं। 
Numbers 22:13 भोर को बिलाम ने उठ कर बालाक के हाकिमों से कहा, तुम अपने देश को चले जाओ; क्योंकि यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की आज्ञा नहीं देता। 
Numbers 22:14 तब मोआबी हाकिम चले गए और बालाक के पास जा कर कहा, कि बिलाम ने हमारे साथ आने से ना किया है। 
Numbers 22:15 इस पर बालाक ने फिर और हाकिम भेजे, जो पहिलों से प्रतिष्ठित और गिनती में भी अधिक थे। 
Numbers 22:16 उन्होंने बिलाम के पास आकर कहा, कि सिप्पोर का पुत्र बालाक यों कहता है, कि मेरे पास आने से किसी कारण ना न कर; 
Numbers 22:17 क्योंकि मैं निश्चय तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा, और जो कुछ तू मुझ से कहे वही मैं करूंगा; इसलिये आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त शाप दे। 
Numbers 22:18 बिलाम ने बालाक के कर्मचारियों को उत्तर दिया, कि चाहे बालाक अपने घर को सोने चांदी से भरकर मुझे दे दे, तौभी मैं अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को पलट नहीं सकता, कि उसे घटाकर वा बढ़ाकर मानूं। 
Numbers 22:19 इसलिये अब तुम लोग आज रात को यहीं टिके रहो, ताकि मैं जान लूं, कि यहोवा मुझ से और क्या कहता है। 
Numbers 22:20 और परमेश्वर ने रात को बिलाम के पास आकर कहा, यदि वे पुरूष तुझे बुलाने आए हैं, तो तू उठ कर उनके संग जा; परन्तु जो बात मैं तुझ से कहूं उसी के अनुसार करना। 
Numbers 22:21 तब बिलाम भोर को उठा, और अपनी गदही पर काठी बान्धकर मोआबी हाकिमों के संग चल पड़ा। 
Numbers 22:22 और उसके जाने के कारण परमेश्वर का कोप भड़क उठा, और यहोवा का दूत उसका विरोध करने के लिये मार्ग रोककर खड़ा हो गया। वह तो अपनी गदही पर सवार हो कर जा रहा था, और उसके संग उसके दो सेवक भी थे। 
Numbers 22:23 और उस गदही को यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब गदही मार्ग छोड़कर खेत में चली गई; तब बिलाम ने गदही को मारा, कि वह मार्ग पर फिर आ जाए। 
Numbers 22:24 तब यहोवा का दूत दाख की बारियों के बीच की गली में, जिसके दोनों ओर बारी की दीवार थी, खड़ा हुआ। 
Numbers 22:25 यहोवा के दूत को देखकर गदही दीवार से ऐसी सट गई, कि बिलाम का पांव दीवार से दब गया; तब उसने उसको फिर मारा। 
Numbers 22:26 तब यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक सकेत स्थान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी और न बाईं ओर। 
Numbers 22:27 वहां यहोवा के दूत को देखकर गदही बिलाम को लिये दिये बैठ गई; फिर तो बिलाम का कोप भड़क उठा, और उसने गदही को लाठी से मारा। 
Numbers 22:28 तब यहोवा ने गदही का मुंह खोल दिया, और वह बिलाम से कहने लगी, मैं ने तेरा क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार मारा? 
Numbers 22:29 बिलाम ने गदही से कहा, यह कि तू ने मुझ से नटखटी की। यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता। 
Numbers 22:30 गदही ने बिलाम से कहा क्या मैं तेरी वही गदही नहीं जिस पर तू जन्म से आज तक चढ़ता आया है? क्या मैं तुझ से कभी ऐसा करती थी? वह बोला, नहीं। 
Numbers 22:31 तब यहोवा ने बिलाम की आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब वह झुक गया, और मुंह के बल गिरके दण्डवत की। 
Numbers 22:32 यहोवा के दूत ने उस से कहा, तू ने अपनी गदही को तीन बार क्यों मारा? सुन, तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूं, इसलिये कि तू मेरे साम्हने उलटी चाल चलता है; 
Numbers 22:33 और यह गदही मुझे देखकर मेरे साम्हने से तीन बार हट गई। जो वह मेरे साम्हने से हट न जाती, तो नि:सन्देह मैं अब तक तुझ को मार ही डालता, परन्तु उसको जीवित छोड़ देता। 
Numbers 22:34 तब बिलाम ने यहोवा के दूत से कहा, मैं ने पाप किया है; मैं नहीं जानता था कि तू मेरा साम्हना करने को मार्ग में खड़ा है। इसलिये अब यदि तुझे बुरा लगता है, तो मैं लौट जाता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 23-24
  • मत्ती 20:1-16



गुरुवार, 29 जनवरी 2015

लाल फीताशाही


   "लाल फीताशाही" एक वाक्यांश है जो अभिव्यक्त करता है कार्य करने के उस कष्टदायक तरीके को जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की नौकरशाही के द्वारा सामन्य व्यक्तियों के लिए किसी कार्य को किए जाने में बाधाएं डाली जाती हैं। इस वाक्यांश का आरंभ हुआ था सरकारी दस्तावेज़ों को लाल फीते से बांधे जाने के कारण, और यह वाक्यांश प्रसिद्ध हुआ स्कॉटलैण्ड के इतिहासकार थौमस कार्लाइल द्वारा सन 1800 के आरंभिक वर्षों में लिखे गए लेखों के कारण, जब वे धीमी गति से कार्य करने वाली सरकारी कार्यविधि का विरोद्ध कर रहे थे। अमेरीकी गृह-युद्ध के पश्चात "लाल-फीताशाही" की समस्या फिर से व्यापक रूप से सामने आई जब युद्ध से सेवा-निवृत हुए लोगों को उनके मिलने वाले लाभ प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आज भी यह वाक्यांश उन निराशाओं और हताशाओं के लिए प्रयोग होता है जो कार्यों की पूर्ति में लगाई जाने वाली बाधाओं के कारण होती हैं; और यह आज के समय में भी कामकाज की विधियों से जुड़ी बातों की एक ऐसी ज्वलंत समस्या है जिसका सामना प्रायः प्रत्येक स्थान पर, प्रत्येक कार्य के लिए किसी ना किसी रूप में सभी जन-साधारण को करना पड़ता रहता है।

   लेकिन इस सृष्टि में एक स्थान है जहाँ यह लाल फीताशाही किसी भी रूप में लेश-मात्र भी विद्यमान नहीं है - परमेश्वर के सिंहासन के सामने। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने मसीह यीशु के लिए लिखा, "...तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई..." (रोमियों 5:1-2)। जब मन दुखी होते हों, या हृदय टूट रहे हों, और आप परमेश्वर के सामने अपने मन की बात रखना चाहते हों तो स्मरण रखें कि उस तक पहुँचने और उससे बात-चीत करने में अब आपके सामने कोई रुकावट नहीं है। मसीह यीशु ने मनुष्यों के समान जीवन व्यतीत करके तथा उनके पापों के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे के, सभी मनुष्यों के लिए हियाव के साथ परमेश्वर के सम्मुख पहुँच पाने का मार्ग बना कर दे दिया है (इब्रानियों 4:15-16)।

   इसलिए जब भी आपको परमेश्वर के सामने आने और अपने मन की बात कहने की इच्छा हो, तो निश्चिंत रहें के आपको किसी लाल फीताशाही को पार करने, किसी रस्म, किसी विधि-विधान आदि की पूर्ति की कतई आवश्यकता नहीं है। मसीह यीशु में होकर आपके लिए परमेश्वर के सामने तुरंत प्रस्तुत होने और उसे संबोधित करने का मार्ग तैयार है, देरी केवल आपके निर्णय लेने और कदम बढ़ाने मात्र की है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर पिता के सिंहासन तक उसके बच्चों के जाने में कोई बाधा नहीं है।

क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। - इब्रानियों 4:15-16

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-8
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। 
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। 
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 21-22
  • मत्ती 19



बुधवार, 28 जनवरी 2015

बीते दिन



   कई बार हमारे विचार हमारे बीते हुए समय की ओर चले जाते हैं और हमारे अन्दर एक तीव्र लालसा उठती है उस बीते हुए समय में लौट जाने की क्योंकि हमें लगता है कि वे दिन और स्थान वर्तमान के बजाए अधिक अच्छे थे। लेकिन कुछ लोगों के लिए बीते दिनों की यादें केवल कड़ुवाहट भरी होती हैं। रात के पहरों में वे अपनी असफलताओं पर, अपने भ्रम तथा भ्रान्तियों पर विचार करते रहते हैं और कसमसाते रहते हैं यह सोचकर कि जीवन ने उनके साथ क्रूर बरताव ही किया है।

   मैंने एक वृद्ध महिला की कहानी सुनी थी जो हाथ अपनी गोद में रखे हुए, आँखें किसी दूर स्थान पर लगाए हुए घंटों अपनी कुर्सी शाँत पर बैठी रहती थी। एक दिन उसकी बेटी ने उससे पूछा, "माँ, आप वहाँ कुर्सी पर खामोश बैठी क्या सोचती रहती हो?" उस वृद्धा ने मुस्कुराते हुए, और आँखों में एक चमक के साथ हलकी आवाज़ में उत्तर दिया, "यह मेरे और प्रभु यीशु के बीच की बात है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक, राजा दाऊद ने बीते समय को स्मरण करने के बारे में लिखा: "मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं" (भजन 143:5)। जब हम परमेश्वर पिता के प्रेम और अनुकंपा को स्मरण करते हैं, बीते दिनों में उससे मिली आशीषों के बारे में विचार करते हैं, तो ये वे यादें होती हैं जो हमें और भलाई के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वे हमारे अन्दर परमेश्वर की और भी अधिक संगति, उसकी और भी अधिक प्रेम भरी देख-रेख में बने रहने की लालसा को बढ़ा देती हैं। वे यादें हमारे बीते दिनों को प्रभु के साथ की हमारी घनिष्ठता और संगति के आनन्द का स्थान बना देती हैं।

   मेरी यह प्रार्थना है कि हमारे बीते दिनों की यादें और उनका मनन हमें परमेश्वर की और निकटता में लाने वाला बन सके। - डेविड रोपर


प्रभु यीशु के साथ संगति हमारे वर्तमान एवं अनन्त आनन्द की कुँजी है।

मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है। मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं - भजन 77:5-6

बाइबल पाठ: भजन 143:1-6
Psalms 143:1 हे यहोवा मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्चा और धर्मी है, सो मेरी सुन ले, 
Psalms 143:2 और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता।
Psalms 143:3 शत्रु तो मेरे प्राण का ग्राहक हुआ है; उसने मुझे चूर कर के मिट्टी में मिलाया है, और मुझे ढेर दिन के मरे हुओं के समान अन्धेरे स्थान में डाल दिया है। 
Psalms 143:4 मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।
Psalms 143:5 मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं। 
Psalms 143:6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हुए हूं; सूखी भूमि की नाईं मैं तेरा प्यासा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35




मंगलवार, 27 जनवरी 2015

अगुवे



   सर्दियों के एक अति ठंडे दिन में मुझे परड्यू विश्वविद्यालाय जाना पड़ा। विश्वविद्यालय के परिसर में एक छात्रावास के पास से निकलते समय मुझे दो लड़के दिखाई दिए जो छात्रावास के मार्ग पर जमी हुई बर्फ की मोटी परत को हटाने में लगे हुए थे। यह सोचकर कि वे दोनों प्रथम वर्ष के छात्र होंगे जिन्हें छात्रावास के वरिष्ठ छात्रों ने यह कठिन कार्य करने को कहा है, मैंने उनसे कहा, "जब यहाँ दाखिला लिया था तब किसी ने यह नहीं कहा होगा कि ऐसा भी करना पड़ेगा?" उन में से एक ने सिर उठाकर मेरी ओर देखा और मुस्कुरा कर बोला, "ऐसा नहीं है; हम दोनों ही इस छात्रावास के वरिष्ठ छात्र हैं और इस छात्रावास के छात्रसंघ के पदाधिकारी भी - मैं उपाध्यक्ष हूँ और मेरा यह मित्र अध्यक्ष है।" मैंने उन दोनो को उनकी कठिन मेहनत के लिए धन्यवाद किया और अपने कार्य के लिए आगे बढ़ गया; मुझे उन दोनों ने अपने उदाहरण से याद दिला दिया कि सच्चे अगुवे दूसरों के सेवक होते हैं।

   जब प्रभु यीशु के दो चेलों ने प्रभु यीशु से चाहा कि आने वाले उसके स्वर्गीय राज्य में वे दोनों उसके दाहिने और बांए ओर बैठने का आदरणीय स्थान पाएं; तब प्रभु ने अपने बारहों चेलों को पास बुला कर उन सभी से कहा, "पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने" (मरकुस 10:43-44)। यदि किसी के मन में इस बारे में फिर भी कोई भ्रम रह गया हो, तो उस भ्रम को दूर करने के उद्देश्य से प्रभु यीशु ने आगे उनसे अपने बारे में कहा, "क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे" (मरकुस 10:45)।

   परमेश्वर के भय में चलने और कार्य करने वाले सच्चे अगुवे का चिन्ह है कि वह सत्ता-अधिकार तथा विशेषाधिकारों के लिए परन्तु नम्रता से सेवा करने के लिए अगुवे होने की ज़िम्मेदारी ग्रहण करता है और फिर उसे वैसे ही निभाता भी है। प्रत्येक मसीही विश्वासी को परमेश्वर सामर्थ देता है कि वे प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करते हुए उसके गुणों को अपने जीवन से दिखाने पाएं; परमेश्वर द्वारा प्रदान की गई इस सामर्थ से अपनी ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में प्रभु यीशु को महिमा देने वाले बनें। - डेविड मैक्कैसलैंड


एक योग्य अगुवा वह ही है जो सेवा करना सीख चुका है।

क्योंकि हम अपने को नहीं, परन्तु मसीह यीशु को प्रचार करते हैं, कि वह प्रभु है; और अपने विषय में यह कहते हैं, कि हम यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं। - 2 कुरिन्थियों 4:5 

बाइबल पाठ: मरकुस 10:35-45
Mark 10:35 तब जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिये करे। 
Mark 10:36 उसने उन से कहा, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? 
Mark 10:37 उन्होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे। 
Mark 10:38 यीशु ने उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्या मांगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, क्या ले सकते हो? 
Mark 10:39 उन्होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे। 
Mark 10:40 पर जिन के लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएं बिठाना मेरा काम नहीं। 
Mark 10:41 यह सुन कर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसयाने लगे। 
Mark 10:42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। 
Mark 10:43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। 
Mark 10:44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। 
Mark 10:45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 

  • निर्गमन 16-18
  • मत्ती 18:1-20



सोमवार, 26 जनवरी 2015

कथावाचक



   बचपन में जब मेरी माँ मुझे किताब से कहानी पढ़कर सुनाती थीं तो मुझे बहुत अच्छा लगता था; मैं उनकी गोद में बैठकर उनके प्रत्येक शब्द को बड़े ध्यान से सुनता था। वो पढ़कर सुनाती थीं और मैं किताब के हर एक पृष्ठ पर बने चित्रों को बारीकी से देखता रहता था, और बड़ी उत्सुकता से अगले पृष्ठ पर जो था उसकी प्रतीक्षा करता था।

   क्या आपने कभी इस बात के बारे में सोचा है कि आप का जीवन भी एक कहानी सुनाता है? प्रत्येक परिस्थिति में - अच्छी, बुरी या सामान्य - हमारे चारों ओर के लोग हमें देख रहे हैं और जो कहानी हम अपने जीवनों से कह रहे हैं उसे सुन रहे हैं। हमारी यह कहानी ना केवल हमारे शब्दों से वरन हमारे रवैये और जीवन की परिस्थितियों के प्रति हमारी प्रतिक्रीया के द्वारा भी लोगों के सामने बयान होती है। हमारे बच्चे और नाती-पोते, हमारे जीवन साथी, हमारे पड़ौसी, हमारे सहकर्मी या सहपाठी, सभी हमारे द्वारा दिखाई जाने वाली कहानी को देखते हैं और हमारे बारे में अपनी अपनी राय बनाते हैं।

   प्रेरित पौलुस हमें स्मरण दिलाता है कि मसीही विश्वासी होने के नाते, हमारे जीवन पत्रियों के समान हैं जिन्हें लोग पढ़ते हैं, "हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (2 कुरिन्थियों 3:2-3)।

   हमारे चारों ओर के लोग हमारे जीवनों से कैसी कहानियाँ पढ़ रहे हैं? क्षमा की? करुणा की? उदारता की? धैर्य की? प्रेम की? या फिर कहीं कोई ऐसी कहानी भी है जो हमारे मसीही विश्वास में होने के दावे से मेल नहीं खाती?

   यदि आपने प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार को और उसके अनुग्रह को पाया है; यदि परमेश्वर का पवित्र-आत्मा आपके अन्दर निवास करता है; यदि आप परमेश्वर की सेवकाई किसी प्रतिफल के लिए नहीं वरन उसके प्रति प्रेम से वशिभूत होकर करते हैं, तो आप एक ऐसे कथावाचक हैं जिसकी पाप के कारण नाश की ओर बढ़ते इस संसार को बहुत आवश्यकता है। प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास द्वारा आपको सेंत-मेंत में मिले उद्धार और पाप क्षमा की अपनी कथा को अपने आस-पास के लोगों को सुनाते रहिए, अपने वचन, चरित्र और व्यवहार से दिखाते रहिए। - जो स्टोवैल


अपने जीवन से मसीह यीशु के अनुग्रह और प्रेम की कहानी सुनाते रहिए।

क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। - 1 थिस्सुलुनीकियों 1:8

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 3:1-11
2 Corinthians 3:1 क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? या हमें कितनों कि नाईं सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुम से लेनी हैं? 
2 Corinthians 3:2 हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। 
2 Corinthians 3:3 यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। 
2 Corinthians 3:4 हम मसीह के द्वारा परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा रखते हैं। 
2 Corinthians 3:5 यह नहीं, कि हम अपने आप से इस योग्य हैं, कि अपनी ओर से किसी बात का विचार कर सकें; पर हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। 
2 Corinthians 3:6 जिसने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया, शब्द के सेवक नहीं वरन आत्मा के; क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है। 
2 Corinthians 3:7 और यदि मृत्यु की यह वाचा जिस के अक्षर पत्थरों पर खोदे गए थे, यहां तक तेजोमय हुई, कि मूसा के मुंह पर के तेज के कराण जो घटता भी जाता था, इस्त्राएल उसके मुंह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे। 
2 Corinthians 3:8 तो आत्मा की वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:9 क्योंकि जब दोषी ठहराने वाली वाचा तेजोमय थी, तो धर्मी ठहराने वाली वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:10 और जो तेजोमय था, वह भी उस तेज के कारण जो उस से बढ़कर तेजामय था, कुछ तेजोमय न ठहरा। 
2 Corinthians 3:11 क्योंकि जब वह जो घटता जाता था तेजोमय था, तो वह जो स्थिर रहेगा, और भी तेजोमय क्यों न होगा?

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17



रविवार, 25 जनवरी 2015

विचार और व्यवहार


   कुमरान प्रथम ईसवीं का एक यहूदी समुदाय था जिसने अपने आप को बाहरी सभी प्रभावों से पृथक कर लिया था जिससे वे भविष्यवाणी करे हुए मसीहा के आगमन के लिए अपने आप को तैयार कर सकें। वे भक्तिमय जीवन व्यतीत करने, अनुष्ठानों और विधि-विधानों का पालन करने तथा कड़ाई से नियमों के अनुसार चलने के द्वारा अपने आप को परमेश्वर की दृष्टि में न्यायसंगत रखने में विश्वास रखते थे। उनसे संबंधित विद्यमान दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वे अपनी सभाओं और समुदायों में किसी भी लंगड़े, अन्धे या अपंग व्यक्ति को नहीं आने देते थे, क्योंकि उनका मानना था कि शारिरिक दोष वाला कोई भी व्यक्ति अनुष्ठानात्मक रीति से ’अपवित्र’ है। जब वे आपस में कोई प्रीति-भोज आयोजित करते थे तो उनकी अतिथि सूची में भी कोई विक्लांग व्यक्ति नहीं होता था।

   कुमरान के यहूदी लोगों के दिनों में ही इस्त्राएल का वही भविष्यवाणी किया हुआ मसीहा जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे - प्रभु यीशु, उस इलाके में कार्यरत था, परमेश्वर पिता के स्वर्गीय राज्य की शिक्षाएं लोगों को दे रहा था, बड़े बड़े आश्चर्यकर्म और चंगाई के कार्य कर रहा था तथा बहुतेरों को उससे राहत तथा शांति मिल रही थी; और एक विचित्र विरोधाभास की बात है कि कुमरान की मान्यताओं के विपरीत प्रभु यीशु लोगों से कह रहा था, "परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा" (लूका 14:13-14)।

   प्रभु यीशु की शिक्षाओं और कुमरान के "आत्मिक विशिष्ट वर्ग" के लोगों की मान्यताओं के बीच का विरोधाभास हमारे लिए शिक्षाप्रद है। हम अकसर बाहरी कर्म-कांडों के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने को मान्यता देते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि परमेश्वर बाहरी स्वरूप नहीं वरन मनों को जाँचने वाला और मन के विचारों के अनुसार प्रतिफल देता है। हम अपने समान दिखाई देने तथा विचार-व्यवहार रखने वाले व्यक्तियों के साथ संगति रखना चाहते हैं, अपनी मान्यताओं और विचारधारों के अनुसार लोगों को ऊँचा-नीचा, सही-गलत, भला-बुरा आँकते हैं; लेकिन प्रभु यीशु ने कभी किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं किया।

   हम मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु ने अपने समान विचार और व्यवहार रखने को कहा है, उसके समान ही हमारे दिल और दरवाज़े सभी के लिए खुले रहें। - डेनिस फिशर


सभी को साथ लेकर चलने वाला सुसमाचार, अपने आप को विशिष्ट वर्ग का मानने वाले लोगों के द्वारा नहीं फैलाया जा सकता - जॉर्ज स्वीटिंग

जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। - नीतिवचन 19:17

बाइबल पाठ: लूका 14:7-14
Luke 14:7 जब उसने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्‍टान्‍त देकर उन से कहा। 
Luke 14:8 जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उसने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो। 
Luke 14:9 और जिसने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित हो कर सब से नीची जगह में बैठना पड़े। 
Luke 14:10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिसने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी। 
Luke 14:11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।। 
Luke 14:12 तब उसने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए। 
Luke 14:13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्‍डों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुला। 
Luke 14:14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धर्मियों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16



शनिवार, 24 जनवरी 2015

अनुसरण


   बच्चों के लिए आयोजित एक चर्च सभा में उनकी शिक्षिका ने परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए परमेश्वर की दस आज्ञाओं में से प्रथम, "तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना" (निर्गमन 20:3) के बारे में उन्हें बताया, और उन्हें कुछ तरीके भी बताए जिससे वे इस नियम का पालन कर सकें। शिक्षिका ने उन बच्चों को समझाया कि उनके जीवनों में परमेश्वर से बढ़कर और कुछ भी नहीं होना चाहिए - ना तो उनका खेल-कूद और विडियो-गेम्स, ना स्कूल का कार्य और ना ही उनके खान-पीन; तथा परमेश्वर को सर्वप्रथम रखने का अर्थ है प्रतिदिन उसके साथ समय बिताना, जो उससे प्रार्थना करने और उसके वचन बाइबल को पढ़ने तथा उसकी आज्ञाओं के पालन के द्वारा होता है, और ऐसा करने की प्राथमिकता में अन्य किसी भी बात से कोई हस्तक्षेप कभी नहीं होना चाहिए।

   बच्चों के उस समूह में से एक बड़ी बालिका ने इस संदर्भ में एक विचार प्रेरक प्रश्न पूछा - क्या मसीही विश्वास का जीवन केवल आज्ञाओं के पालन मात्र तक सीमित है या फिर परमेश्वर को मसीही विश्वासी के जीवन के प्रत्येक भाग में सम्मिलित होना चाहिए?

   कई बार हम परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमों के सूची-पत्र के रूप में देखने तथा मानने की गलती कर लेते हैं। इसमें कोई संश्य नहीं है कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना (यूहन्ना 14:21) और उसके साथ समय बिताना अति महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसा करना मनोभावना की बात है ना कि वैधानिक आवश्यकता-पूर्ति की - हमारे द्वारा अपने जीवनों में परमेश्वर को दी गई प्राथमिकता तथा उसके प्रति आज्ञाकारिता, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम के कारण होनी चाहिए। प्रभु यीशु और स्वर्गीय परमेश्वर पिता के बीच एक गहरे प्रेम का संबंध था, और प्रभु यीशु सदा परमेश्वर पिता की इच्छापूर्ति, आज्ञाकारिता तथा उसके साथ प्रार्थना में समय बिताने को सर्वोपरि रखते थे। प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण हम मसीही विश्वासियों को भी प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करना है, उसके दिखाए-बताए मार्ग पर चलना है, "सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था" (1 यूहन्ना 2:6)।

   जब भी हमें जीवन की किसी परिस्थिति में मार्गदर्शन की या कुछ समझने की आवश्यकता पड़े तो हम प्रभु यीशु के जीवन को देख कर सीख सकते हैं - चाहे वह नम्र तथा दीन होना हो, विश्वास में दृढ़ तथा समर्पित होना हो, प्रेम दिखाने और निभाने के बारे में जानना हो, अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण करना हो, या अन्य कोई भी बात हो; हम प्रभु यीशु की ओर देखते हुए, उसके उदाहरण का अनुसरण करते हुए अपने मसीही विश्वास के जीवन में आगे बढ़ते रह सकते हैं। - ऐनी सेटास


प्रभु यीशु ने हमें उसका अनुसरण करने के लिए बुलाया है।

जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। - यूहन्ना 14:21

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 2:1-11
1 John 2:1 हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। 
1 John 2:2 और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। 
1 John 2:3 यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो इस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 
1 John 2:4 जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उस में सत्य नहीं। 
1 John 2:5 पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 
1 John 2:6 सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। 
1 John 2:7 हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 
1 John 2:8 फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं; और यह तो उस में और तुम में सच्ची ठहरती है; क्योंकि अन्धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 
1 John 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। 
1 John 2:10 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1 John 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है; और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 9-11
  • मत्ती 15:21-39