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सोमवार, 27 जनवरी 2020

नम्र



      एक दिन विश्वविद्यालय की एक दर्शनशास्त्र की कक्षा में, एक छात्र ने अपने शिक्षक द्वारा व्यक्त दृष्टिकोण को लेकर भड़काऊ टिप्पणी की। अन्य छात्र यह देखकर हैरान रह गए कि उस शिक्षक ने उस छात्र का धन्यवाद किया, और अगली टिप्पणी की ओर मुड़ गया। बाद में जब उससे पूछा गया कि उसने उस उद्दण्ड छात्र को उचित उत्तर क्यों नहीं दिया, तो शिक्षक का उत्तर था, “मैं अपनी ही बात को अंतिम बात न रखने के अनुशासन का अभ्यास कर रहा हूँ।”

      यह शिक्षक परमेश्वर से प्रेम करता था और उसका आदर करता था, और परमेश्वर के प्रेम को प्रतिबिंबित करने वाले व्यवहार को दिखाने के लिए वह नम्र भावना रखता था। उस शिक्षक के शब्द मुझे एक अन्य शिक्षक के शब्दों को स्मरण करवाते हैं, और यह दूसरा शिक्षक बहुत समय पहले का है – परमेश्वर के वचन बाइबल में सभोपदेशक का लेखक। यद्यपि इस दूसरे शिक्षक ने यह बात किसी क्रुद्ध व्यक्ति के प्रति व्यवहार करने के सन्दर्भ में नहीं कही थी, वरन परमेश्वर के निकट आने के समय हमारे उचित व्यवहार को सिखाने के लिए कही थी। सभोपदेशक के लेखक ने लिखा, “जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं। बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों” (सभोपदेशक 5:1-2)।

      आप परमेश्वर के निकट किस मानसिकता के साथ आते हैं? यदि आपको लगता है कि आपके व्यवहार में कुछ सुधार होना चाहिए तो क्यों न कुछ समय परमेश्वर की महानता और महिमा पर विचार करने में बिताएं? जब हम परमेश्वर की असीम बुद्धिमत्ता, सामर्थ्य, और उपस्थिति पर मनन करते हैं, तो हमारे प्रति उसके उमड़ते हुए प्रेम से हम अभिभूतित हो सकते हैं, जो फिर हमें नम्र बनाता है। जब हम ऐसे नम्र रहना पसंद करेंगे, तो फिर अपनी बात को सबसे ऊपर रखने की प्रवृत्ति रहेगी ही नहीं। - एमी बाउचर पाई

ध्यान पूर्वक चुने गए शब्द परमेश्वर को आदर देते हैं।

...यह वही बात है जिसे यहोवा ने कहा था, कि जो मेरे समीप आए अवश्य है कि वह मुझे पवित्र जाने, और सारी जनता के साम्हने मेरी महिमा करे। - लैव्यवस्था 10:3

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 5:1-7
Ecclesiastes 5:1 जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं।
Ecclesiastes 5:2 बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों।
Ecclesiastes 5:3 क्योंकि जैसे कार्य की अधिकता के कारण स्वप्न देखा जाता है, वैसे ही बहुत सी बातों का बोलने वाला मूर्ख ठहरता है।
Ecclesiastes 5:4 जब तू परमेश्वर के लिये मन्नत माने, तब उसके पूरा करने में विलम्ब न करना; क्यांकि वह मूर्खों से प्रसन्न नहीं होता। जो मन्नत तू ने मानी हो उसे पूरी करना।
Ecclesiastes 5:5 मन्नत मान कर पूरी न करने से मन्नत का न मानना ही अच्छा है।
Ecclesiastes 5:6 कोई वचन कहकर अपने को पाप में ने फंसाना, और न ईश्वर के दूत के साम्हने कहना कि यह भूल से हुआ; परमेश्वर क्यों तेरा बोल सुन कर अप्रसन्न हो, और तेरे हाथ के कार्यों को नष्ट करे?
Ecclesiastes 5:7 क्योंकि स्वप्नों की अधिकता से व्यर्थ बातों की बहुतायत होती है: परन्तु तू परमेश्वर को भय मानना।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 16-18
  • मत्ती 18:1-20



रविवार, 26 जनवरी 2020

उद्देश्य



      कहा जाता है कि “जब आप मज़े ले रहे हों, तो समय बहुत तेज़ी से बीतता है।” यह कोई तथ्य तो नहीं है, किन्तु अनुभव इसे सत्य प्रतीत करवाता है। जब जीवन मनोरम हो, तो समय बहुत जल्दी बीत जाता है। यदि मैं कोई ऐसा कार्य कर रही हूँ जो मुझे अच्छा लगता है, या मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हूँ जिसकी संगति मुझे अच्छी लगती है, तो फिर समय का कोई महत्व नहीं रहता है।

      इस बात के अनुभव ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रकाशितवाक्य 4 अध्याय में वर्णित दृश्य के प्रति एक नई समझ दी है। पहले जब मैं परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर बैठे उन चार प्राणियों के बारे में विचार करती थी, जो वही शब्द बारंबार दोहरा रहे हैं, तो मुझे लगता था, यह कितनी उबाऊ स्थिति होगी।

      परन्तु अब मैं ऐसा नहीं सोचती हूँ। अब जब मैं उन दृश्यों के बारे में सोचती हूँ जो उन्होंने अपनी अनेकों आँखों से देखे हैं (पद 8), और उन दर्शनों के बारे में विचार करती हूँ जिन्हें उन्होंने परमेश्वर के सिंहासन के पास होने के कारण निहारा है (पद 6), तो मुझे लगता है कि वे कितने आश्चर्यचकित होंगे परमेश्वर के गलती करते रहने वाले मनुष्यों के प्रति बुद्धिमान और प्रेम पूर्ण व्यवहार के लिए। इसलिए फिर इस सब के लिए उनके उस प्रत्युत्तर से बेहतर और क्या प्रत्युत्तर हो सकता है? वे और क्या कहेंगे, सिवाए इसके कि “पवित्र, पवित्र, पवित्र”?

      क्या उन्हीं शब्दों को बारंबार कहते रहना उबा देने वाला हो सकता है? यदि आप किसी ऐसे के साथ हैं जिसे आप प्रेम करते हैं, तब तो नहीं; और न ही तब जब आप ठीक वही कर रहे हैं जिसे करने के लिए आपको योजनाबद्ध रीति से बनाया गया है। उन चार प्राणियों के समान जिन्हें परमेश्वर ने अपनी महिमा करने के उद्देश्य से बनाया है, हमें भी परमेश्वर ने अपनी महिमा के उद्देश्य से बनाया है। यदि हम अपने जीवन परमेश्वर द्वारा हमारे लिए रखे गए उद्देश्य पर केंद्रित रखें, और उस उद्देश्य को पूरा करते रहें, तो हमारे जीवन कभी भी उबाऊ नहीं होंगे। - जूली एकरमैन लिंक

परमेश्वर के साथ सामंजस्य में बना हुआ ह्रदय, उसकी स्तुति किए बिना रह नहीं सकता है।

इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें। - यशायाह 43:21

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 4
Revelation 4:1 इन बातों के बाद जो मैं ने दृष्टि की, तो क्या देखता हूं कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है; और जिस को मैं ने पहिले तुरही के से शब्द से अपने साथ बातें करते सुना था, वही कहता है, कि यहां ऊपर आ जा: और मैं वे बातें तुझे दिखाऊंगा, जिन का इन बातों के बाद पूरा होना अवश्य है।
Revelation 4:2 और तुरन्त मैं आत्मा में आ गया; और क्या देखता हूं, कि एक सिंहासन स्वर्ग में धरा है, और उस सिंहासन पर कोई बैठा है।
Revelation 4:3 और जो उस पर बैठा है, वह यशब और मानिक सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत सा एक मेघधनुष दिखाई देता है।
Revelation 4:4 और उस सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन है; और इन सिंहासनों पर चौबीस प्राचीन श्वेत वस्‍त्र पहिने हुए बैठें हैं, और उन के सिरों पर सोने के मुकुट हैं।
Revelation 4:5 और उस सिंहासन में से बिजलियां और गर्जन निकलते हैं और सिंहासन के साम्हने आग के सात दीपक जल रहे हैं, ये परमेश्वर की सात आत्माएं हैं।
Revelation 4:6 और उस सिंहासन के साम्हने मानो बिल्लौर के समान कांच का सा समुद्र है, और सिंहासन के बीच में और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी हैं, जिन के आगे पीछे आंखे ही आंखे हैं।
Revelation 4:7 पहिला प्राणी सिंह के समान है, और दूसरा प्राणी का मुंह बछड़े के समान है, तीसरे प्राणी का मुंह मनुष्य का सा है, और चौथा प्राणी उड़ते हुए उकाब के समान है।
Revelation 4:8 और चारों प्राणियों के छ: छ: पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आंखे ही आंखे हैं; और वे रात दिन बिना विश्राम लिये यह कहते रहते हैं, कि पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था, और जो है, और जो आने वाला है।
Revelation 4:9 और जब वे प्राणी उस की जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीवता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे।
Revelation 4:10 तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठने वाले के साम्हने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और अपने अपने मुकुट सिंहासन के साम्हने यह कहते हुए डाल देंगे।
Revelation 4:11 कि हे हमारे प्रभु, और परमेश्वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।

(इस लेक की लेखिका, जूली, अब स्वर्ग में परमेश्वर की स्तुति करने वालों के साथ हैं)

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17



शनिवार, 25 जनवरी 2020

आशा



      कुछ समय पहले मैं अपने एक मित्र के साथ एम्पायर स्टेट बिलडिंग देखने गया। हमारे समान उसे देखने आए अन्य लोगों की लाइन छोटी ही लग रही थी, बस थोड़ा सा आगे जाकर कोना मुड़ने तक की। परन्तु जब हम ने उस बिलडिंग में प्रवेश किया तो पाया कि आए हुए लोगों की लाइन लॉबी से आगे सीढ़ियों , और फिर एक कमरे के अन्दर तक तक जा रही थी। हमारा हर मोड़ मुड़ना, कुछ और दूरी को दिखाता था। आकर्षणस्थल और घूमने के स्थानों के संचालक, आने वाले लोगों की भीड़ को ऐसे मार्गों से ले चलते हैं कि देखने वालों को भीड़ कम लगे, किन्तु वास्तविकता तो “मोड़ मुड़ते ही” दिखाई देती है।

      इसी प्रकार जीवन की निराशाएं भी कभी-कभी जितनी दिखाई देती हैं, उससे बढ़कर गंभीर होती हैं। हमने जिस नौकरी के मिलने की आशा रखी थी, वह नहीं मिलती है; जिन मित्रों पर हमने भरोसा किया था उन्होंने हमारे भरोसे को तोड़ दिया; जिस प्रेम संबंध पर हमने आशा रखी थी, वह सफल नहीं हुआ; आदि। परन्तु इन नाकामियों और दिल तोड़ने वाली घटनाओं में परमेश्वर का वचन बाइबल हमें एक नई आशा के प्रति प्रोत्साहित करता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, “केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है” (रोमियों 5:3-5)।

      हम जब परमेश्वर में अपना भरोसा बनाए रखते हैं, तो परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमें धीमी आवाज़ में बताता है कि वह हम से बिना किसी शर्त के प्रेम करता है और एक दिन हम उसके साथ होंगे – चाहे आज हमारे सामने कैसी भी बाधाएं क्यों न आ रही हों।

      एक ऐसे संसार में, जो हमें बहुधा निराश करता है, यह जानना कितना अच्छा है कि परमेश्वर में हमें एक वास्तविक आशा मिलती है। - जेम्स बैंक्स

मसीह यीशु में निराश लोगों को भी आशा मिलती है।

प्रभु यीशु ने कहा: “हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” (मत्ती 11:28)

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-11
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज।
Romans 5:4 और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है।
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16



शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

जीवन



      कुछ वर्ष पहले, हमारे निवास स्थान पर शरद ऋतु असामान्य लंबे समय तक रही और दो सप्ताह तक बाहर का तापमान शून्य से बहुत नीचे, -20oC रहा। एक बहुत ही ठंडी प्रातः, रात्रि की शान्ति को दर्जनों, या सैंकड़ों पक्षियों के चहचहाहट ने भंग किया; वे सभी ऊँची आवाज़ में अपना अपना गीत गा रहे थे। यदि मुझे सही बात पता नहीं होती, तो मैं तो यही मानता कि वे अपने सृष्टिकर्ता से माँग कर रहे थे कि अब तो इस सर्दी को समाप्त करके  गर्म मौसम को ले आए।

      पक्षी विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि शरद ऋतु के अंत के निकट जो पक्षियों का कोलाहल हम सुनते हैं, वह अधिकांशतः नर पक्षियों द्वारा मादाओं को आकर्षित करने और अपने-अपने क्षेत्र स्थापित करने के लिए किया जाता है। उनके इस चहचहाने ने मुझे स्मरण दिलाया कि परमेश्वर ने अपनी सृष्टि का बारीकी से समंजन किया है जिससे जीवन बना रहे और बढ़ता रहे – क्योंकि वह जीवन का परमेश्वर है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 104 में, जो परमेश्वर की फूलती-फलती धरती को लेकर परमेश्वर की स्तुति करने का भजन है, भजनकार ने यह कहकर आरंभ किया कि, “हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!...” (भजन 104:1); फिर उसने आगे लिखा, “उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं”(भजन 104:12)।

      चहचहाते और बसेरा करते हुए पक्षियों से लेकर समुद्र के अनगिनत जलचरों तक (पद 25)हमें चारों ओर सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता की स्तुति और आराधना करने के कारण दिखाई देते हैं, उसके द्वारा जीवन को बनाए रखने और फूलता-फलता रखने के कार्यों के द्वारा। - जैफ ओलसन

और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं। - कुलुस्सियों1:17

क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं... – रोमियों 1:20

बाइबल पाठ: भजन 104:1-12, 24-30
Psalms 104:1 हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है,
Psalms 104:2 जो उजियाले को चादर के समान ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है,
Psalms 104:3 जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है,
Psalms 104:4 जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।
Psalms 104:5 तू ने पृथ्वी को उसकी नींव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।
Psalms 104:6 तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया।
Psalms 104:7 तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली कर के बह गया।
Psalms 104:8 वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था।
Psalms 104:9 तू ने एक सिवाना ठहराया जिस को वह नहीं लांघ सकता है, और न फिरकर स्थल को ढांप सकता है।
Psalms 104:10 तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं,
Psalms 104:11 उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं।
Psalms 104:12 उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं।
Psalms 104:24 हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।
Psalms 104:25 इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचर जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।
Psalms 104:26 उस में जहाज भी आते जाते हैं, और लिव्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिये बनाया है।
Psalms 104:27 इन सब को तेरा ही आसरा है, कि तू उनका आहार समय पर दिया करे।
Psalms 104:28 तू उन्हें देता हे, वे चुन लेते हैं; तू अपनी मुट्ठी खोलता है और वे उत्तम पदार्थों से तृप्त होते हैं।
Psalms 104:29 तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।
Psalms 104:30 फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 9-11
  • मत्ती 15:21-39



गुरुवार, 23 जनवरी 2020

प्रेम



      अगस्त 21, 2016 के दिन कैरिस्सा ने सोशल मीडिया पर लुइसियाना प्रांत में आई विनाशकारी बाढ़ के चित्र पोस्ट किए। अगले दिन उसने उस बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से किसी के द्वारा भेजे गई सहायता करने की विनती को पोस्ट किया। इसके पाँच घंटे बाद, कैरिस्सा ने एक और निवेदन पोस्ट किया, कि लोग उंके साथ 1000 मील की यात्रा पर उन बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने के लिए निकल चलें। इसके चौबीस घंटों के अन्दर तेरह लोग उन लोगों की सहायता के लिए चल पड़े थे जिनके घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे।

      वह क्या था जिसने लोगों को अपना हर काम छोड़कर सत्रह घंटे की यात्रा करके एक ऐसे स्थान पर जाने के प्रेरित किया जहाँ वे पहले कभी नहीं गए थे, जिससे कि वहां जाकर उन लोगों की सहायता कर सकें जिन से वे पहले कभी नहीं मिले थे, जिन्हें वे कभी नहीं जानते थे? यह प्रेरणा देने वाला प्रेम है।

      कैरिस्सा द्वारा सहायता करने के उस निवेदन के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल से लेकर पोस्ट किए गए बाइबल के इस पद पर विचार कीजिए: “अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा” (भजन 37:5)। यह विशेषकर महत्वपूर्ण होता है जब हम सहायता करने की परमेश्वर की बुलाहट पर कार्य करते हैं। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?” (1 यूहन्ना 3:17)। ऐसा करना एक कठिन कार्य हो सकता है, परन्तु परमेश्वर ने हम से वायदा किया है, “...जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और वह उन में बना रहता है...” (पद 22)।

      जब भी आवश्यकता आए, हम परमेश्वर का आदार कर सकते हैं, औरों की सहायता करने की उसके द्वारा हमें दी रही बुलाहट को स्वीकार करके, जो हमारे प्रेम का प्रमाण है। - डेव ब्रैनन

औरों की सहायता करना स्वीकार करके हम परमेश्वर के प्रेम को दिखाते हैं;
 उसके द्वारा हमें सौंपे गए कार्यों को करने के द्वारा हम उसकी सामर्थ्य को दिखाते हैं।

सो जब कि तुम ने भाईचारे की निष्‍कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो। - 1 पतरस 1:22

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:16-24
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
1 John 3:19 इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
1 John 3:20 क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।
1 John 3:21 हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है।
1 John 3:22 और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।
1 John 3:23 और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
1 John 3:24 और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और वह उन में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उसने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 7-8
  • मत्ती 15:1-20



बुधवार, 22 जनवरी 2020

दृष्टिकोण



      रेजिना घर लौट रही थी, थकी हुई और निराश। उसके दिन का आरंभ एक मित्र से मिले दुखद समाचार के साथ हुआ था; जो फिर दफतर में होने वाली मीटिंग्स में और बिगड़ता चला गया क्योंकि उसके सहकर्मी उसके किसी भी सुझाव को स्वीकार करके उनके साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थे। कार चलाते हुए रेजिना जब प्रभु के साथ अपने दिन के विषय वार्तालाप कर रही थी, तो उसे लगा कि दिन भर की उन परेशानियों को एक ओर करके उसे अपनी एक वृद्ध सहेली, मारिया, से मिलने एक वृद्धाश्रम में जाना चाहिए, और वह उसके लिए कुछ फूल लेकर उसके पास वहाँ पहुँच गई। वहां पहुँचने पर रेजिना का मन तरोताज़ा हो गया जब मारिया ने उसके साथ अपने अनुभव को बाँटा कि प्रभु परमेश्वर उसके साथ कितना भला बना हुआ है। मारिया ने कहा, “मेरे पास अपना बिस्तर है, कुर्सी है, मुझे तीन बार भोजन मिलता है, और यहाँ की नर्सें मेरा ध्यान रखती हैं, मेरी सहायता करती हैं। और कभी-कभी परमेश्वर मेरी खिड़की पर मेरे पसंदीदा पक्षी बुलबुल को भी भेज देता है, क्योंकि वह जानता है कि मैं उन से प्रेम करती हूँ, और परमेश्वर मुझ से प्रेम करता है।”

      दृष्टिकोण। स्वभाव। पुरानी कहावत है, “जीवन 10 प्रतिशत वह है जो हमारे साथ होता है और 90 प्रतिशत वह है कि हम उसे क्या प्रतिक्रिया देते हैं।” परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने जिन लोगों को पत्र लिखा था, वे अपने मसीही विश्वास के कारण सताव झेलते हुए बेघर और तित्तर बित्तर हो रखे थे, और याकूब ने उनसे कहा कि वे अपनी कठिनाइयों के प्रति अपने दृष्टिकोण पर गौर करें। उसने, उन्हें इस शब्दों के साथ चुनौती दी: “हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो...” (याकूब 1:2-3)।  

      हम में से प्रत्येक अपनी कठिन परिस्थितियों और समस्याओं के साथ परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना सीखने की जीवन यात्रा में है। याकूब ने जिस आनंदपूर्ण दृष्टिकोण की बात की, वह तब ही आता है जब हम यह मानना सीख लेते हैं कि परमेश्वर कठिन परिस्थितियों तथा संघर्षों को हमारे विश्वास को परिपक्व करने के लिए उपयोग करता है। - एनी सेटास

परमेश्वर हमारे दुःख के समयों को हमारी उन्नति के समय बना सकता है।

धन्य हो तुम, जब मनुष्य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और तुम्हारी निन्‍दा करेंगे, और तुम्हारा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनन्‍दित हो कर उछलना, क्योंकि देखो, तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है: उन के बाप-दादे भविष्यद्वक्ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थे। - लूका 6:22-23

बाइबल पाठ: याकूब 1:1-12
James 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
James 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
James 1:3 तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है।
James 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
James 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी।
James 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे; क्योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
James 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
James 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
James 1:9 दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
James 1:10 और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्योंकि वह घास के फूल के समान जाता रहेगा।
James 1:11 क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
James 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 4-6
  • मत्ती 14:22-36



मंगलवार, 21 जनवरी 2020

प्रतिज्ञाएं


      मेरी सबसे छोटी बेटी और मैं कभी-कभी एक खेल खेलते हैं, जिसे हम “चुटकी” कहते हैं। खेल बहुत साधारण सा है – जब वह सीढ़ी चढ़ रही होती है तो मैं उसके पीछे भागकर, उस तक पहुंचकर, उसे एक हल्की सी चुटकी काटता हूँ; किन्तु यदि मेरे पहुँचने से पहले वह सीढ़ी चढ़कर ऊपर पहुँच जाती है, तो फिर वह सुरक्षित है, मैं चुटकी नहीं काट सकता हूँ। किन्तु कभी ऐसा भी होता है जब वह खेलने के मूड में नहीं होती है, और तब वह मुझ से कहने लगती है, “चुटकी नहीं”, “चुटकी नहीं”; और मेरा प्रत्युत्तर होता है, “अच्छा चुटकी नहीं। मेरा वायदा।”

      अब कहने को तो मेरी यह प्रतिज्ञा छोटी से बात लगती है, परन्तु जब मैं वही करता हूँ जो मैं उस से कहता हूँ, तो मेरी बेटी मेरे बारे में सीखती है, मेरे चरित्र को समझने लगती है। वह समझने लगती है कि मैं अपनी बात पर पक्का हूँ और वह मुझ पर भरोसा रख सकती है। मेरा यह प्रतिज्ञा निभाना छोटी सी बात हो सकती है, परन्तु इसी प्रकार से अपनी बातों पर बने रहना और उन्हें निभाना ही संबंधों को बनाए रखने का आधार है। इसी से रिश्तों में प्रेम और भरोसे की नींव पड़ती है।

      मुझे लगता है कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भी पतरस का यही अभिप्राय था जब उसने कहा कि परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं हमें “ईश्वरीय स्वभाव में सहभागी बनाती हैं” (2 पतरस 1:4)। हम जब परमेश्वर की कही बात पर भरोसा करते हैं, जो वह अपने बारे में और हमारे बारे में कहता है, उस पर विश्वास करते हैं, तो हम हमारे प्रति उसकी भावनाओं को समझने पाते हैं। जब हम उसकी बातों और वचन पर निर्भर तथा दृढ़ बने रहते हैं, तो उसे भी अपने आप को हमारे प्रति विश्वासयोग्य प्रमाणित करने के अवसर मिलते हैं।

      मैं प्रभु परमेश्वर का धन्यवादी हूँ कि उसका वचन हमारे लिए उसकी प्रतिज्ञाओं से भरा पड़ा है; और ये प्रतिज्ञाएं दृढ़ स्मृतियाँ हैं कि उसकी करुणा सदा नई होती रहती है, कभी टलती नहीं है (विलापगीत 3:22-23)।

परमेश्वर का वचन उसके मन को प्रगट करता है।

हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। - विलापगीत 3:22-23

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:1-9
2 Peter 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है।
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-3
  • मत्ती 14: 1-21