ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

ईर्ष्या का फन्दा

ईर्ष्या का एक कारण है दूसरे की तुलना में किसी बात अथवा वस्तु की घटी होना। ऐसा प्रतीत होता है कि असमानता ईर्ष्या को जन्म देती है।

जब मैं रेडियो प्रसारण के लिए लोगों से साक्षातकार करता था, तो मैं उनसे पूछता था कि क्या वे मानते हैं कि सब मनुष्य समान बनाए गए हैं? अधिकांशतः लोगों का उत्तर होता था "नहीं"; और अपने उत्तर के पक्ष में वे भिन्न भिन्न योग्यताओं, स्वरूप, परिस्थित्यों आदि का उदाहरण देते। एक व्यक्ति को शिकायत थी कि उसे सस्ते ढाबों या ठेलियों से सस्ता भोजन ही नसीब हो पाता है जबकि कितने ही लोग आलिशान होटलों में भोजन करते हैं। केवल एक ही व्यक्ति ने इस प्रश्न की गहराई को समझ कर उत्तर दिया। उसने कहा, "परमेश्वर की आधीनता में सब मनुष्य समान हैं।"

बाइबल सिखाती है कि सभी मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए हैं, और सभी मनुष्य परमेश्वर द्वारा उन्हें दिए गए गुणों और योग्यताओं के लिए परमेश्वर को जवाबदेह हैं - कि उन्होंने उन गुणों और योग्यताओं का कैसे उपयोग किया; सभी मनुष्यों को एक दिन मरना भी है और परमेश्वर के न्यायासन के सामने खड़ा भी होना है। इस लिए परमेश्वर के आधीन - और केवल परमेश्वर के आधीन सभी के लिए समानता है। लेकिन परमेश्वर और उसके सच्चे तथा खरे न्याय के बाहर, संसार में बहुत कुछ है जो अन्यायपूर्ण है।

मसीही विश्वासी सही परिपेक्ष रखते हुए इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं क्योंकि वे सब परमेश्वर के पास पापी आए और सब ने परमेश्वर ही से पापों की क्षमा प्राप्त करी, अपनी किसी योग्यता के कारण नहीं वरन केवल उसके अनुग्रह के कारण। परमेशवर के सन्मुख वे सभी कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु के बलिदान के वसीले से ही आ सके हैं, वहाँ अमीर गरीब सब एक समान हैं। परमेश्वर की आधीनता में अमीर आनन्दित हैं क्योंकि उन्होंने सांसारिक धन के खोखलेपन और व्यर्थता को समझ लिया है, और गरीब भी आनन्दित है क्योंकि उन्हें स्वर्ग का अनन्त धन मिल गया है।

यही ज्ञान वह ज्ञान है जो ईर्ष्या के फन्दे से बचा कर रखता है। - मार्ट डी हॉन


जो परमेश्वर हमें देता है, उसे कोई हमसे छीन नहीं सकता।

...जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है? - नीतिवचन २७:४


बाइबल पाठ: नीतिवचन (संकलित)

Pro 3:31 उपद्रवी पुरूष के विषय में डाह न करना, न उसकी सी चाल चलना।
Pro 6:34 क्योंकि जलन से पुरूष बहुत ही क्रोधित हो जाता है, और पलटा लेने के दिन वह कुछ कोमलता नहीं दिखाता।
Pro 14:30 शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियां भी जल जाती हैं।
Pro 23:17 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
Pro 27:4 क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १९-२१
  • लूका ११:२९-५४

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें