अंतरिक्ष यान, पृथ्वी पर अपनी वापसी के समय ध्वनि कि गति से २५ गुना अधिक तीव्र गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है। वायुमंडल से उत्पन्न घर्षण के कारण, यान का बाहरी तापमान ३००० डिग्री फैरन्हाईट तक हो जाता है। इतने अधिक तापमान पर यान को भस्म होने से बचाने के लिये विशेष ताप रोधक पदार्थ से बनी ३४,००० पट्टियों से बने खोल से उसकी सुरक्षा की जाती है। इन पट्टियां का ताप से नाश अथवा भस्म न होना अनिवार्य है, नहीं तो अंतरिक्ष यान नाश हो जाएगा।
मृत्यु और विनाश के इस संसार में कुछ भी अविनाशी नहीं है, परन्तु बाइबल अविनाशी जीवन के बारे में बताती है। प्रभु यीशु की तुलना व्यवस्था के कामों से करके कहा गया है कि, "जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हो तो हमारा दावा और भी स्पष्टता से प्रगट हो गया" (इब्रानियों ७:१६)।
मसीह हमारा महायाजक (महापुरोहित) है, जिसकी याजकीय सेवकाई में हमारे पापों के लिये उसका बलिदान दिया जाना अनिवार्य था, और उसने ऐसा किया। पापों के लिये उस एक बलिदान के दिये जाने के बाद अब मृतकों में से मसीह का पुनरुत्थान इस बात को निश्चित करता है कि जितने पापों से पश्चाताप के साथ उसमें विश्वास लाएंगे, वे मसीह में अनन्त उद्धार को प्राप्त करेंगे।
स्वास्थ्य, संबंधों, धन-संपत्ति आदि की हानि में हम सोच सकते हैं कि जीवन विनाश हो गया, किंतु एक विश्वासी के लिये यह सत्य कदापि नहीं है। मसीह के साथ हुए हमारे आत्मिक गठजोड़ के कारण, यह उसका वायदा है कि हम उसके अविनाशी जीवन के भागीदार होंगे (युहन्ना १४:१९)। - डेनिस फिशर
...परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे। - यूहन्ना १४:१९
बाइबल पाठ: इब्रानियों ७:११-२१
तक यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिस के सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए
क्योंकि जब याजक का पद बदला जाता है तो व्यवस्था का भी बदलना अवश्य है।
क्योंकि जिस के विषय में ये बातें कही जाती हैं कि वह दूसरे गोत्र का है, जिस में से किसी ने वेदी की सेवा नहीं की।
तो प्रगट है, कि हमारा प्रभु यहूदा के गोत्र में से उदय हुआ है और इस गोत्र के विषय में मूसा ने याजक पद की कुछ चर्चा नहीं की।
और जब मलिकिसिदक के समान एक और ऐसा याजक उत्पन्न होने वाला था।
जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हो तो हमारा दावा और भी स्पष्टता से प्रगट हो गया।
क्योंकि उसके विषय में यह गवाही दी गई है, कि तू मलिकिसिदक की रीति पर युगानुयुग याजक है।
निदान, पहिली आज्ञा निर्बल और निष्फल होने के कारण लोप हो गई।
(इसलिये कि व्यवस्था ने किसी बात की सिद्धि नहीं कि) और उसके स्थान पर एक ऐसी उत्तम आशा रखी गई है जिस के द्वारा हम परमेश्वर के समीप जा सकते हैं।
और इसलिये कि मसीह की नियुक्ति बिना शपथ नहीं हुई।
(क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उस की ओर से नियुक्त किया गया जिस ने उसके विषय में कहा, कि प्रभु ने शपथ खाई, और वह उस से फिर ने पछताएगा, कि तू युगानुयुग याजक है)।
एक साल में बाइबल:
मृत्यु और विनाश के इस संसार में कुछ भी अविनाशी नहीं है, परन्तु बाइबल अविनाशी जीवन के बारे में बताती है। प्रभु यीशु की तुलना व्यवस्था के कामों से करके कहा गया है कि, "जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हो तो हमारा दावा और भी स्पष्टता से प्रगट हो गया" (इब्रानियों ७:१६)।
मसीह हमारा महायाजक (महापुरोहित) है, जिसकी याजकीय सेवकाई में हमारे पापों के लिये उसका बलिदान दिया जाना अनिवार्य था, और उसने ऐसा किया। पापों के लिये उस एक बलिदान के दिये जाने के बाद अब मृतकों में से मसीह का पुनरुत्थान इस बात को निश्चित करता है कि जितने पापों से पश्चाताप के साथ उसमें विश्वास लाएंगे, वे मसीह में अनन्त उद्धार को प्राप्त करेंगे।
स्वास्थ्य, संबंधों, धन-संपत्ति आदि की हानि में हम सोच सकते हैं कि जीवन विनाश हो गया, किंतु एक विश्वासी के लिये यह सत्य कदापि नहीं है। मसीह के साथ हुए हमारे आत्मिक गठजोड़ के कारण, यह उसका वायदा है कि हम उसके अविनाशी जीवन के भागीदार होंगे (युहन्ना १४:१९)। - डेनिस फिशर
जिन्होंने अपनी सुरक्षा परमेश्वर के हाथों में रखी है उन्हें कुछ भी हिला नहीं सकता।
...परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे। - यूहन्ना १४:१९
बाइबल पाठ: इब्रानियों ७:११-२१
तक यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिस के सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए
क्योंकि जब याजक का पद बदला जाता है तो व्यवस्था का भी बदलना अवश्य है।
क्योंकि जिस के विषय में ये बातें कही जाती हैं कि वह दूसरे गोत्र का है, जिस में से किसी ने वेदी की सेवा नहीं की।
तो प्रगट है, कि हमारा प्रभु यहूदा के गोत्र में से उदय हुआ है और इस गोत्र के विषय में मूसा ने याजक पद की कुछ चर्चा नहीं की।
और जब मलिकिसिदक के समान एक और ऐसा याजक उत्पन्न होने वाला था।
जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हो तो हमारा दावा और भी स्पष्टता से प्रगट हो गया।
क्योंकि उसके विषय में यह गवाही दी गई है, कि तू मलिकिसिदक की रीति पर युगानुयुग याजक है।
निदान, पहिली आज्ञा निर्बल और निष्फल होने के कारण लोप हो गई।
(इसलिये कि व्यवस्था ने किसी बात की सिद्धि नहीं कि) और उसके स्थान पर एक ऐसी उत्तम आशा रखी गई है जिस के द्वारा हम परमेश्वर के समीप जा सकते हैं।
और इसलिये कि मसीह की नियुक्ति बिना शपथ नहीं हुई।
(क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उस की ओर से नियुक्त किया गया जिस ने उसके विषय में कहा, कि प्रभु ने शपथ खाई, और वह उस से फिर ने पछताएगा, कि तू युगानुयुग याजक है)।
एक साल में बाइबल:
- भजन ११०-११२ १
- कुरिन्थियों ५
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