ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 27 अक्टूबर 2011

लालसाएं

   बच्चे को खिलौने वाला ट्रक चहिए था, और उसने स्टोर में उपस्थित प्रत्येक जन को इससे अवगत करा दिया; जब उसकी माँ ने ट्रक खरीदने के उसके आग्रह को नहीं माना तो उस बच्चे ने ज़ोर से रोना और हाथ-पैर मारना आरंभ कर दिया। उसका रोना-चिल्लाना बढ़ता ही गया, जब तक परेशान होकर मँ ने उसे उसका मनपसन्द खिलौना दिलवा नहीं दिया।

   मैं यह सब देख रहा था, और मुझे अपनी माँ की कही बात स्मरण हो आई; वे कहा करती थीं: "वस्तुओं पर अपना मन मत लगाओ।"

   आज के समय में, जब आकर्षक विज्ञापनों का बोल-बाला है, तो अपने आप को वस्तुओं के आकर्षण से अछूता रखना विश्वासियों के लिए भी कठिन होता जा रहा है। पत्रिकाओं में रंगीन चित्र और विज्ञापन, रेडियो पर लुभावने सन्देश, टेलिविज़न पर दिखाई जाने वाली आकर्षक वस्तुएं - यह सब हमें ऐसा प्रतीत करवाती हैं कि मानो हम इन वस्तुओं के बिना रह ही नहीं सकते।

   प्रभु के चेले और प्रेरित पतरस ने हमें चिताया: "परन्‍तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्‍द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। तो जब कि ये सब वस्‍तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए" (२ पतरस २:१०, ११)। क्योंकि संसारिक वस्तुएं नाशमान हैं, इसलिए हमें उन वस्तुओं पर ध्यान लगाना चाहिए जो चिर स्थाई हैं, "पृथ्वी पर की नहीं परन्‍तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ" (कुलुस्सियों ३:२)।

   हमें संसार की वस्तुओं के अर्जित करने की प्रवृति से बचना चाहिए क्योंकि वे ऐसी लालसएं बन जातीं हैं जो हमें प्रभु से दूर कर देती हैं। भौतिक वस्तुएं तो नाशमान हैं, किंतु आत्मिक चिर स्थाई हैं। - रिचर्ड डी हॉन

संसार की वस्तुओं को हलके से, परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं को मज़बूती से थामे रहो।

क्‍योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा। - मत्ती ६:२१

बाइबल पाठ: मत्ती ६:१९-३४
    Mat 6:19  अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।
    Mat 6:20  परन्‍तु अपने लिये स्‍वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।
    Mat 6:21  क्‍योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
    Mat 6:22  शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा।
    Mat 6:23  परन्‍तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्‍धियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्‍धकार हो तो वह अन्‍धकार कैसा बड़ा होगा।
    Mat 6:24  कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
    Mat 6:25  इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
    Mat 6:26  आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
    Mat 6:27  तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
    Mat 6:28  और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
    Mat 6:29  तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
    Mat 6:30  इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
    Mat 6:31  इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
    Mat 6:32  क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिए।
    Mat 6:33  इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
    Mat 6:34  सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १२-१४ 
  • २ तिमुथियुस १

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें