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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

अनावश्यक मज़दूरी

   मेक्सिको शहर में १९८५ में आए भयानक भूकंप से हुई त्रासदी के चित्र टेलिविज़न द्वारा समस्त विश्व में सजीव दिखाए जा रहे थे। टी०वी० के पटल पर ध्वस्त हुए कॉंन्क्रीट के मकानों और मकानों के खण्डहरों के चित्र भरे पड़े थे। बचाव कार्यों में लगे लोग इन खण्डरों को खोदने में जी-जान से लगे हुए थे कि जीवन के कहीं कोई चिन्ह मिलें। जगह जगह आग लगी हुई थी और धुँआ तथा धूल वायुमण्डल में भरे हुए थे। जब मैं यह सब देख रहा था तो अचानक टी०वी० के एक कोने में कुछ अक्षर लिखे हुए आए - "सौजन्य से: SIN"

   वास्तव में वे तीन अक्षर SIN "Spanish Ingternational Network" का लघु रूप थे; परन्तु एक क्षण के लिए मेरे मन में इस का भिन्न अर्थ आया, अर्थात अंग्रेज़ी शब्द "SIN" का अर्थ पाप ध्यान में आया। मुझे स्मरण आया कि संसार की सभी समस्याओं, दुखः और कष्टों का मूल कारण पाप है। मेरा यह तात्पर्य नहीं कि परमेश्वर ने मैक्सिको शहर का भूकंप द्वारा न्याय किया; किंतु यदि पाप प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में किसी त्रासदी के लिए ज़िम्मेवार है तो हमें पाप को उसके वास्तविक घृणित रूप में पहचानना और देखना अति आवश्यक है ना कि उसे हलके में लेकर उस से कोई शिष्टाचार निभाना चाहिए।

   क्योंकि मनुष्यों के सारे दुख-दर्द का उदगम पाप से है, उसे कैसे हलके में लिया जा सकता है? हम क्यों पाप के साथ समझौता कर के रहें, जिस के कारण एक प्रेमी परमेश्वर को न्यायी बनना पड़ता है और प्रकाशितवाक्य ६ में वर्णित भयंकर न्याय को लाना पड़ता है? अब हम पाप के देनदार नहीं रहे हैं क्योंकि मसीह यीशु ने समस्त मानव जाति के लिए, कलवरी के क्रूस पर चढ़ कर, पाप के हर एक कर्ज़ को चुका दिया है और उसकी सामर्थ को निरस्त कर दिया है। परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि "क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्‍तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है" (रोमियों ६:२३); किंतु अब पाप को हमें किसी भी मज़दूरी के देने का कोई कारण शेष नहीं है। बस प्रभु यीशु से करी गई एक साधारण विश्वास की प्रार्थना "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा करें और मुझे अपनी शरण में ले लें" और सच्चे मन से यीशु को किया गया समर्पण हमें पाप के हर एक कर्ज़ से मुक्त कर देने के लिए पर्याप्त है।

   प्रभु यीशु के पुनरुत्थान की सामर्थ में जीने से हम अपने पाप की अनावश्यक मज़दूरी पाने से बच जाते हैं। - मार्ट डी हॉन

यदि हम पाप के विरुद्ध खड़े होने का निर्णय लेते हैं तो उसमें परमेश्वर हमें विजय भी देता है।

सो हे भाइयो, हम शरीर के कर्जदार नहीं, ताकि शरीर के अनुसार दिन काटें। क्‍योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रीयाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे। - रोमियों ८:१२, १३

बाइबल पाठ: रोमियों ६:६-१८
Rom 6:6  क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें।
Rom 6:7  क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8  सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9  क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10  क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12  इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13  और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14  और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्‍योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15  तो क्‍या हुआ क्‍या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
Rom 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्‍त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्‍त धामिर्कता है
Rom 6:17  परन्‍तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18  और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल ११-१२ 
  • यहूदा

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