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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

कार्यकारी

   रोबर्ट मोफ्फट (१७९५-१८८३) अफ्रीका में मिशनरी कार्यों में संलग्न थे। एक बार जब वे इंगलैंड आए और अफ्रीका में अपने कार्य के बारे में बता रहे थे तब एक विद्यार्थी बड़ी दिलचस्पी से उन की बातें सुन रहा था। मोफट ने अकसर उन्हें अफ्रीका में दिखाई देने वाले एक दृश्य के बारे में बताया, उन्होंने कहा, "जहाँ मैं कार्य करता हूँ उसके उत्तर दिशा में एक बहुत विशाल मैदान है, जहाँ प्रातः के सूरज के साथ मैंने हज़ार गाँवों से उठता धुआँ देखा है, ऐसे गाँव जहाँ कभी कोई मिशनरी नहीं गया।"

  यह शब्द ’हज़ार गाँवों से उठता धुआँ’ उस विद्यार्थी के मन में घर कर गए और उस स्थान की कलपना ने उस के मन में उन स्थानों पर जहाँ कभी कोई नहीं गया जाने की प्रबल लालसा जगा दी। अपने इस दर्शन और लालसा से वशीभूत हो कर वह विद्यार्थी मोफट के पास आया, और बोला, "क्या मैं अफ्रीका में कार्यकारी हो सकता हूँ?" यह विद्यार्थी था आगे चल कर अफ्रीका में अपने कार्य के लिए विश्व भर में प्रसिद्धि तथा आदर पाने वाला विख्यात मिशनरी डेविड लिविंगस्टन।

   हम जो ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ सुसमाचार निर्बाध रूप से प्रचार हो सकता है, इस बात को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं कि संसार में ऐसे भी इलाके हैं जहाँ लोगों ने कभी सुसमाचार सुना ही नहीं है। जब हम उन करोड़ों लोगों के बारे में सुनते हैं जो मसीह और उसमें मिलने वाले उद्धार तथा पापों से क्षमा के बारे में जानते ही नहीं तो हमें भी मत्ती ९ में वर्णित हमारे प्रभु की तरह उन के लिए संवेदना से भर कर सुसमाचार उन तक पहुँचाने के लिए कार्यकारी होने को लालायित हो जाना चाहिए।

   प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "क्‍या तुम नहीं कहते, कि कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं देखो, मैं तुम से कहता हूं, अपनी आंखे उठा कर खेतों पर दृष्‍टि डालो, कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं" (यूहन्ना ४:३५)। प्रभु को आज भी उस के लिए ’खेतों’ में कार्य करने वाले मज़दूरों की आवश्यक्ता है। मोफट और लिविंगस्टन के जैसे हमें भी उन ’हज़ार गाँवों से उठता धुआँ’ देखने वाली आँखें और उन तक जाने की लालसा रखने वाला मन चाहिए। तब हम परमेश्वर से माँग सकते हैं कि उन इलाकों में जहाँ सुसमाचार कभी नहीं पहुँचा, वहाँ सुसमाचार पहुँचाने के लिए हम उस के लिए कैसे कार्यकारी हो सकते हैं? - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर के आवश्यक वचन के साथ हमें आवश्यक्ता में पड़े संसार में जाने वाले बनना है।

जब उस ने भीड़ को देखा तो उस को लोगों पर तरस आया, क्‍योंकि वे उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे। - मत्ती ९:३६

बाइबल पाठ: मत्ती ९:३२-३८
Mat 9:32  जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूंगे को जिस में दुष्‍टात्मा थी उस के पास लाए।
Mat 9:33  और जब दुष्‍टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा; और भीड़ ने अचम्भा कर के कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।
Mat 9:34  परन्‍तु फरीसियों ने कहा, यह तो दुष्‍टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्‍टात्माओं को निकालता है।
Mat 9:35  और यीशु सब नगरों और गांवों में फिरता रहा और उन की सभाओं में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और हर प्रकार की बीमारी और र्दुबलता को दूर करता रहा।
Mat 9:36  जब उस ने भीड़ को देखा तो उस को लोगों पर तरस आया, क्‍योंकि वे उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे।
Mat 9:37  तब उस ने अपने चेलों से कहा, पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं।
Mat 9:38  इसलिये खेत के स्‍वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • अमोस ४-६ 
  • प्रकाशितवाक्य ७

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