अमेरिका में एक ३० वर्षीय महिला ३ वर्ष तक सप्ताह में एक बार बूढ़ी औरत का वेष धर कर घूमती रही, अपने व्यक्तिगत अनुभव द्वारा यह जानने के लिए कि अमेरिका में लोग अपने बुज़ुर्गों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। जो उसने सीखा वह बहुत दुखदायी था। उसे कई बार लूटे जाने, अपमानित किए जाने और धमकाए जाने का सामना करना पड़ा, और वह समझ पाई कि उसके वर्तमान समाज में बुज़ुर्गों के लिए जीना कठिन और दुखदायी है।
कुछ लोग कभी कभी दूसरों के साथ सहानुभूति भी रखते हैं, उनके प्रति संवेदनशील तथा सहायक होते हैं; किंतु ऐसे लोगों की गिनती बहुत थोड़ी है। अधिकांशतः लोगों की प्रवृति है कि दूसरे की मजबूरी और परिस्थिति का भरपूर लाभ उठाया जाए, हम इस के उदाहरण अपने आस-पास अपने प्रतिदिन के अनुभवों से देखते रहते हैं।
पापमय संसार में मनुष्य की दशा का व्यक्तिगत अनुभव जैसा प्रभु यीशु ने किया वह अनूठा एवं अनुपम है। जब वे मानव स्वरूप में पृथ्वी पर आए तो वे प्रलोभनों तथा परीक्षाओं में पड़ने, परखे जाने, नफरत का सामना करने और हर प्रकार का दुख उठाने के लिए तैयार थे। उन्होंने उन सभी परिस्थितियों का सामना किया जो एक साधारण मनुष्य इस संसार में करता है। संसार में आने से पूर्व भी वे मनुष्यों की कमज़ोरियों में उनके प्रति सहानुभूति रखते थे, परन्तु मनुष्य स्वरूप में हो कर उन्होंने पूरी तरह से हम मनुष्यों के साथ अपनी पहचान बनाई। उनका मानव अवतार लेना और हमारे समान हमारे जीवनों को कठिन बनाने वाले दुखों, कमज़ोरियों और परीक्षाओं को अनुभव करना दिखाता है कि हमें पापों से बचाने के लिए वे किस सीमा तक जाने को तैयार थे। उनके समान अपने परमेश्वरत्व के सर्वोच्च स्थान को छोड़ कर बहुत साधारण से नाशमान मनुष्य की समानता में आकर, मनुष्यों की परिस्थितियों को अनुभव करने का कार्य कभी भी किसी ने नहीं किया। प्रभु यीशु ने स्वर्ग की महिमा छोड़ी और हमारे समान हर रीति से परखे गए, किंतु कभी पाप नहीं किया। सर्वथा निष्पाप और निषकलंक होने पर भी उन्होंने समस्त मानव जाति के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और क्रूस की मृत्यु सह कर पुनः जी भी उठे, ताकि उनमें किए गए साधारण विश्वास द्वारा, सेंतमेंत हमें पापों से मुक्ति तथा अपनी धार्मिकता दे सकें।
प्रभु यीशु हमारा ऐसा सहायक है जो हमारी परवाह करता है। जब हम प्रलभनों और परीक्षाओं का सामना करते हैं, तो हम सहायता के लिए निश्चिंत हो कर उसके पास जा सकते हैं, क्योंकि वह सब जानता है। - मार्ट डी हॉन
पृथ्वी का कोई ऐसा दुख नहीं है जिसे स्वर्ग नहीं समझता।
बाइबल पाठ: इब्रानियों २:१४-१८; ४:१८-१६
Heb 2:14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
Heb 2:15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
Heb 2:16 क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।
Heb 2:17 इस कारण उसको चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे।
Heb 2:18 क्योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है।
Heb 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें।
Heb 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।
Heb 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्ध कर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
एक साल में बाइबल:
- योना
- प्रकाशितवाक्य १०
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