बाद में जब चक उस दिन की घटना पर विचार कर रहा था, और सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि ना तो उसे ही कोई गंभीर चोट आई और ना ही उस व्यक्ति को जिस से वह टकराया था, तो उसके मन में बात उठी, "क्या होता यदि दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती? क्या तब भी वह परमेश्वर को भला ही कहता? क्या ऐसा होने से परमेश्वर के भले होने पर प्रश्न चिन्ह लग जाता?"
जब हम किसी दुर्घटना या त्रासदी में पड़ें, तो परमेश्वर की भलाई पर सन्देह आना स्वाभाविक सा लगता है। क्या परमेश्वर सदा ही भला रहता है? जी हाँ, परमेश्वर सदा ही भला रहता है। परमेश्वर ने कभी यह वायदा नहीं किया कि उसके विश्वासियों पर कभी कोई तकलीफ या क्लेष नहीं होगा, लेकिन उसने यह वायदा अवश्य किया है कि हर तकलीफ और क्लेष में वह हमारे साथ ही होगा ( भजन ४६:७)। परमेश्वर ने कभी यह नहीं कहा कि उसके विश्वासियों को किसी विपत्ति का या भयानक परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन यह अवश्य कहा है कि ऐसी हर परिस्थिति में उसका जन कभी अकेला नहीं होगा, उस जन की सहायता और सांत्वना के लिए वह भी उसके साथ उपस्थित रहेगा ( भजन २३:४)।
परमेश्वर सदा ही भला है, हम चाहे जैसी भी परेशानी और दुख में से होकर निकल रहे हों। चाहे परिस्थिति हमारी समझ से बिल्कुल बाहर हो और हमें उसमें कुछ भी भला नज़र नहीं आ रहा हो, फिर भी परमेश्वर अन्ततः उस में से भी हमारे लिए भला ही करेगा, क्योंकि अपने बच्चों के लिए भले के अलावा वह और कुछ कर ही नहीं सकता, उनकी भलाई करने के अलावा और कुछ करना उसके चरित्र में ही नहीं है। इसलिए प्रत्येक मसीही विश्वासी परमेश्वर के वचन बाइबल के भविष्यद्वकता हबक्कूक के साथ मिलकर कह सकता है: "क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है" (हबक्कूक३:१७-१९)।
परमेश्वर हमारे विश्वास को परखता है जिससे हम उसकी विश्वासयोग्यता पर विश्वास रख सकें।
बाइबल पाठ: भजन ४६
Psa 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक।
Psa 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।
Psa 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संगे है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं!
Psa 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण ३०-३१
- मरकुस १५:१-२५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें