प्रदूषण कितनी कुण्ठित कर देने वाली समस्या है! हर कोई इसके दुषप्रभाव का मारा हुआ है, किंतु फिर भी हर कोई इसके बढ़ते जाने में योगदान करता रहता है।
प्रदूषण के अनेक रूप हैं, एक ऐसा रूप भी है जो समाज में व्याप्त तो है, किंतु जिसकी अकसर अवहेलना होती है; लेखक चार्ल्स स्विंडौल ने इसे ’शब्दों के प्रदूषण’ की संज्ञा दी है। यह वह प्रदूषण है जो कुड़कुड़ाने वालों, आलोचकों और निन्दकों के द्वारा बड़ी सहजता से फैलाया जाता है और समाज द्वारा इसे उतनी ही सहजता से स्वीकार भी किया जाता है। स्विंडौल लिखते हैं "नकारात्मक रवैये का यह विष अपने चारों ओर ऐसा निषेधात्मक वातावरण उत्पन्न कर देता है जहां हर बात की केवल बुराई पर ही ध्यान केंद्रित हो।"
कुछ मसीही विश्वासी मित्रों को इस नकारत्मक शब्दों के प्रदूषण के विषय में चिंता हुई और उन्होंने निर्णय लिया कि वे इसके विरुद्ध कुछ अपने प्रयास करेंगे। उन्होंने निर्णय लिया कि आपसी बातचीत में एक सप्ताह तक किसी भी विषय पर कोई आलोचनात्मक या नकारात्मक शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे। उन्हें अचंभा हुआ यह देख कर कि उस सप्ताह में वे आपस में कितनी कम बातचीत कर पाए। उन्होंने अपना यह प्रयास ज़ारी रखा और उन्होंने पाया कि आपसी बातचीत को ज़ारी रखने के लिए उन्हें अपने संवाद कौशल और भाषा की शब्दावली को पुनः सीखने की आवश्यकता पड़ी।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने भी मसीही विश्वासियों को ऐसे ही निर्णायक कदम उठाने का आवाहन किया; इफीसियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने लिखा कि वे अपने पुराने मनुष्यत्व और उसके व्यवहार को जो परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित करता है उतार फेंकें और मसीह से मिला वह नया मनुष्यत्व पहन ले जो दूसरों को बनाने और बढ़ाने में सक्रीय रहता है। हमारे व्यवहार, विचार और वाणी में यह परिवर्तन केवल परमेश्वर के पवित्र आत्मा पर निर्भर रहने से ही संभव है, "आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे" (गलतियों ५:१६)।
यदि हमें नकारात्मक शब्दों के प्रदूषण से बच कर अपने जीवन के पर्यावरण को स्वच्छ करना है तो पहले हमें इसका निर्णय लेना होगा, फिर परमेश्वर से सहायता कि प्रार्थना के साथ, परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ से परमेश्वर के वचन और आज्ञाओं के पालन के द्वारा हम अपने आत्मिक पर्यावरण को स्वच्छ कर पाएंगे। - जोनी योडर
अपनी वाणी को स्वच्छ कीजीए और अपने वातावरण को प्रदूषित होने से बचाइए।
कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। - इफिसीयों ४:२९
बाइबल पाठ: इफिसीयों ४:१७-३२
Eph 4:17 इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
Eph 4:18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
Eph 4:19 और वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।
Eph 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Eph 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Eph 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
Eph 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
Eph 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Eph 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़ कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Eph 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Eph 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Eph 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे, वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Eph 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Eph 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Eph 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Eph 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।
Eph 4:17 इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
Eph 4:18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
Eph 4:19 और वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।
Eph 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Eph 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Eph 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
Eph 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
Eph 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Eph 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़ कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Eph 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Eph 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Eph 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे, वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Eph 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Eph 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Eph 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Eph 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- २ शमूएल १९-२०
- लूका १८:१-२३
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