फोटोग्राफर औगस्ट सैन्डर्स, १९२० और ३० में जर्मन समाज को चित्रों द्वारा दर्शाने के लिए निकला। अपने कैमरे द्वारा उसने कारखानों के मज़दूरों, उद्योगपतियों, अभिनेत्रियों, गृहणियों, नाट्ज़ियों और यहूदियों के चित्र उतारे और समाज की एक रूपरेखा प्रदर्शित करी। चाहे उसका यह प्रयास उसके अपने निवास स्थान कोलोन और उसके आस-पास के इलाके तक ही सीमित था, तो भी वह, जैसे पत्रकार डेविड प्रौपसन ने Wall Street Journal में लिखा, "मानवता के एक विश्व को सीमाओं में बंधा हुआ" दिखा सका।
डेविड प्रौपसन द्वार प्रयुक्त यह वाक्यांश मुझे आज भी समाज और लोगों पर उतना ही लागू दिखता है। हम जहां कहीं भी जाएं, हमारे मार्ग विभिन्न लोगों के मार्गों से मिलते और उन्हें काटते हुए निकलते हैं; सभी अपनी अपनी सीमाओं और चिन्ताओं में बंधे हुए, जीवन के अर्थ को खोजते हुए।
कई वर्षों तक, रोमी कैद में डाले जाने से पहले, प्रेरित पौलुस मसीही विश्वास के प्रचार के लिए यात्राएं करता रहा। वह जहां कहीं भी जाता, प्रभु यीशु में मिलने वाले उद्धार के बारे में लोगों को बताता क्योंकि उसे उनकी परवाह थी और वह उन्हें पाप और पाप के प्रतिफल अनन्त विनाश से बचाना चाहता था। परमेश्वर के वचन में ’प्रेरितों के काम’ नामक पुस्तक का अन्त पौलुस के रोमी कैद में पड़े होने के साथ होता है, और उस स्थिति में भी वह "जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा" (प्रेरितों २८:३१)।
अपनी सीमाओं और बन्धनों से चिन्तित होने के बजाए, पौलुस ने उन बन्धनों को ही सुसमाचार प्रचार का अवसर बना लिया। यह हमारे लिए भी मार्गदर्शक है; हमारे चहुंओर भी मानवता का एक विश्व विद्यमान है, हमारी पहुंच में है; आवश्यकता है पौलुस के समान ही उन तक मसीह यीशु में सेंतमेंत पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को पहुंचाने की। - डेविड मैक्कैसलैण्ड
सुसमाचार वह अन्मोल तोहफा है जो समस्त मानव जाति को मुफ्त दिया गया है।
और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा। - प्रेरितों २८:३१
बाइबल पाठ: प्रेरितों २८:१६-३१
Act 28:16 जब हम रोम में पहुंचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उस की रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।
Act 28:17 तीन दिन के बाद उस ने यहूदियों के बड़े लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उन से कहा, हे भाइयों, मैं ने अपने लोगों के या बापदादों के व्यवहारों के विरोध में कुछ भी नहीं किया, तौभी बन्धुआ होकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
Act 28:18 उन्होंने मुझे जांच कर छोड़ देना चाहा, क्योंकि मुझ में मृत्यु के योग्य कोई दोष न था।
Act 28:19 परन्तु जब यहूदी इस के विरोध में बोलने लगे, तो मुझे कैसर की दोहाई देनी पड़ी: न यह कि मुझे अपने लोगों पर कोई दोष लगाना था।
Act 28:20 इसलिये मैं ने तुम को बुलाया है, कि तुम से मिलूं और बातचीत करूं, क्योंकि इस्त्राएल की आशा के लिये मैं इस जंजीर से जकड़ा हुआ हूं।
Act 28:21 उन्होंने उस से कहा, न हम ने तेरे विषय में यहूदियों से चिट्ठियां पाईं, और न भाइयों में से किसी ने आकर तेरे विषय में कुछ बताया, और न बुरा कहा।
Act 28:22 परन्तु तेरा विचार क्या है वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।
Act 28:23 तब उन्होंने उसके लिये एक दिन ठहराया, और बहुत लोग उसके यहां इकट्ठे हुए, और वह परमेश्वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भाविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों से यीशु के विषय में समझा समझाकर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा।
Act 28:24 तब कितनों ने उन बातों को मान लिया, और कितनों ने प्रतीति न की।
Act 28:25 जब आपस में एक मत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, कि पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे बापदादों से अच्छा कहा, कि जाकर इन लोगों से कह।
Act 28:26 कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बूझोगे।
Act 28:27 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उन के कान भारी हो गए, और उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।
Act 28:28 सो तुम जानो, कि परमेश्वर के इस उद्धार की कथा अन्यजातियों के पास भेजी गई है, और वे सुनेंगे।
Act 28:29 जब उस ने यह कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहां से चले गए।
Act 28:30 और वह पूरे दो वर्ष अपने भाड़े के घर में रहा।
Act 28:31 और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।
Act 28:16 जब हम रोम में पहुंचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उस की रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।
Act 28:17 तीन दिन के बाद उस ने यहूदियों के बड़े लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उन से कहा, हे भाइयों, मैं ने अपने लोगों के या बापदादों के व्यवहारों के विरोध में कुछ भी नहीं किया, तौभी बन्धुआ होकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
Act 28:18 उन्होंने मुझे जांच कर छोड़ देना चाहा, क्योंकि मुझ में मृत्यु के योग्य कोई दोष न था।
Act 28:19 परन्तु जब यहूदी इस के विरोध में बोलने लगे, तो मुझे कैसर की दोहाई देनी पड़ी: न यह कि मुझे अपने लोगों पर कोई दोष लगाना था।
Act 28:20 इसलिये मैं ने तुम को बुलाया है, कि तुम से मिलूं और बातचीत करूं, क्योंकि इस्त्राएल की आशा के लिये मैं इस जंजीर से जकड़ा हुआ हूं।
Act 28:21 उन्होंने उस से कहा, न हम ने तेरे विषय में यहूदियों से चिट्ठियां पाईं, और न भाइयों में से किसी ने आकर तेरे विषय में कुछ बताया, और न बुरा कहा।
Act 28:22 परन्तु तेरा विचार क्या है वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।
Act 28:23 तब उन्होंने उसके लिये एक दिन ठहराया, और बहुत लोग उसके यहां इकट्ठे हुए, और वह परमेश्वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भाविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों से यीशु के विषय में समझा समझाकर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा।
Act 28:24 तब कितनों ने उन बातों को मान लिया, और कितनों ने प्रतीति न की।
Act 28:25 जब आपस में एक मत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, कि पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे बापदादों से अच्छा कहा, कि जाकर इन लोगों से कह।
Act 28:26 कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बूझोगे।
Act 28:27 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उन के कान भारी हो गए, और उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।
Act 28:28 सो तुम जानो, कि परमेश्वर के इस उद्धार की कथा अन्यजातियों के पास भेजी गई है, और वे सुनेंगे।
Act 28:29 जब उस ने यह कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहां से चले गए।
Act 28:30 और वह पूरे दो वर्ष अपने भाड़े के घर में रहा।
Act 28:31 और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।
एक साल में बाइबल:
- २ शमूएल २३-२४
- लूका १९:१-२७
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