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शुक्रवार, 4 मई 2012

समर्पण

   अंग्रेज़ी लेखक थौमस कार्लय्ल का विवाह जेन वैल्श से सन १८२६ में हुआ था। विवाह के समय जेन भी एक प्रसिद्धि प्राप्त लेखिका थीं, किंतु विवाह के बाद उन्होंने अपने पति की सफलता के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया और उन की सेवा में लगी रहीं। थौमस को पेट और स्नायुतंत्र के रोग होने के कारण, उनका स्वभाव चिड़चिड़ा रहता था और उनके साथ निभा पाना सरल नहीं था। लेकिन जेन ने उनके लेखन में सहायता के लिए घर को यथासंभव शांत बनाए रखने और उन के लिए विशेष भोजन बना कर देने का बीड़ा उठा लिया, जिससे लिखने में थौमस को कम से कम बाधा हो।

   थौमस, अपने व्यवहार या बोलचाल में बाहरी रूप से, जेन के इस प्रेम पूर्ण समर्पित व्यवहार के लिए ना तो कोई विशेष ध्यान दिखाते थे और ना ही इस के लिए उसे कोई मान देते थे; जेन के साथ उनका समय भी बहुत कम बीतता था, लेकिन जेन अपने कार्य में लगी रहती थी। थौमस ने अपनी माँ को लिखे एक पत्र में जेन के बारे में लिखा, "मैं अपने हृदय से कह सकता हूँ कि वह मुझसे एक ऐसे समर्पण के साथ प्रेम करती है जो मेरी समझ से बाहर है, मैं जिसके कदापि योग्य नहीं हूँ। वह मेरे उदास चेहरे की ओर ऐसे मृदु भाव से देखती है कि उस से नज़र मिलाने भर से ही हर बार मेरे अन्दर एक नई ताज़गी आ जाती है।"

   ऐसा ही, वरन इससे भी बढ़कर प्रेम परमेश्वर ने हम पाप से भरे मनुष्यों और संसार से भी किया; क्यों किया, यह हमारी समझ से परे है। परमेश्वर वह पिता है जिसने पापी संसार के उद्धार के लिए अपने निष्पाप पुत्र को दे दिया, "क्‍योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्‍तु अनन्‍त जीवन पाए" (यूहन्ना ३:१६)। परमेश्वर के वचन बाइबल में इफिसीयों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने प्रार्थना करी कि वे प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर के प्रेम की चौड़ाई, लंबाई, गहराई और ऊँचाई समझ पाएं (इफिसीयों ३:१८)।

   थोड़ा ठहर कर अपने निज जीवन और व्यवहार तथा संसार के व्यवहार पर विचार कीजिए। हम में ऐसा क्या है जिससे परमेश्वर हम से प्रेम करे? क्या हमारे निकट और चारों ओर ही ऐसे कितने ही लोग नहीं हैं जिनसे हम कोई वास्ता नहीं रखना चाहते, जिनसे प्रेम करना तो दूर उनके बारे में बिना मन खट्टा हुए सोचना भी हमारे लिए कठिन है? क्या हमारे अपने बारे में भी कई लोग ऐसे ही विचार और धारणा नहीं रखते? किंतु परमेश्वर फिर भी हम में से प्रत्येक से, और उन से भी जो उसके बैरी हैं, उसके विरोध में बोलते हैं निस्वार्थ प्रेम करता है। ऐसा क्यों? अपने प्रति परमेश्वर के इस प्रेम के लिए हम क्या स्पष्टिकरण दे सकते हैं, क्या कारण बता सकते हैं?

   परमेश्वर के इस प्रेम को समझ सकने की सामर्थ पाने के लिए विश्वास द्वारा मसीह का हमारे हृदय में बसना और हमारा उस में जड़ पकड़कर दृढ़ होना आवश्यक है। परमेश्वर के प्रेम को जानना है तो मसीह को जानिए, उसे अपने हृदय में स्थान दीजिए। - ऐनी सेटास


इससे बढ़कर कोई आनन्द नहीं कि हम यथार्थ में जान सकें कि परमेश्वर हम से प्रेम करता है।
और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर, सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। - इफिसीयों ३:१७, १८
बाइबल पाठ: इफिसीयों ३:१४-२१
Eph 3:14  मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
Eph 3:15 जिस से स्‍वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
Eph 3:16 कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
Eph 3:17  और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर,
Eph 3:18  सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
Eph 3:19  और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
Eph 3:20  अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
Eph 3:21  कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा १६-१८ 
  • लूका २२:४७-७१

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