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रविवार, 26 अगस्त 2012

बुज़ुर्ग या बेहतर?


   हम जानने लगते हैं कि हम उम्र में बढ़ रहे हैं जब हम कहना आरंभ कर देते हैं कि, "क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि ये व्यावासायिक खिलाड़ी कितनी कम उम्र के हैं?" और बुज़ुर्ग होने का यह निश्चित चिन्ह है जब आप अपने किसी हम-उम्र मित्र से मिलने पर उससे यह नहीं पूछते, "कैसे हो?" परन्तु, जैसे उसे देखकर अचरज हुआ हो, उस से कहते हैं, "अरे तुम तो बड़े अच्छे और स्वस्थ दिख रहे हो!"

   उम्र में बढ़ना अवश्यंभावी है, इसे टाला या रोका नहीं जा सकता। दुर्भाग्यवश हमारा समाज हमें इसे छुपाना और इससे भयभीत रहना सिखाता है। परन्तु उम्र में बढ़ना मसीही विश्वासियों के लिए अद्भुत बात है और और उनके बेहतर होते जाने का समय भी। जैसे प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा : "इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है" (२ कुरिन्थियों ४:१६)।

   जैसे कि शारीरिक चिन्ह प्रगट करते हैं कि हम उम्र में बढ़ रहे हैं, वैसे ही कुछ बातें प्रगट करती हैं कि हम बेहतर हो रहे हैं। बजाए इसके कि उम्र के साथ साथ वे अधिक चिड़चिड़ाने और खिसियाने वाले बनें, या असहनशील होते जाएं, या लोगों से प्रेमपूर्ण व्यवाहार छोड़ दें, एक प्रौढ़ मसीही विश्वासी क्षमा करने, दूसरों की चिंता और देखभाल करने तथा प्रेमपूर्ण व्यवाहार प्रदर्शित करने में और बेहतर होता जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके लिए बढ़ती उम्र अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में बढ़ते जाने की जीवन यात्रा का एक भाग ही है। इसका तात्पर्य है कि मसीही विश्वासियों के लिए समय के साथ साथ मसीह की समानता में अपने मन और अपनी प्रवृत्तियों को ढालते जाना एक स्वाभाविक बात है और उनके जीवन मसीह के चरित्र और दिल जीत लेने वाले स्वभाव को अधिकाधिक प्रतिबिंबित करते रहते हैं।

   इसलिए आइये, उम्र बढ़ने के साथ मसीह की समानता में और अधिक ढलने के अवसर का और भी अधिक लाभ उठाएं। तब हमारे मित्र तथा आस-पास वाले पहचानेंगे कि हम बुज़ुर्ग नहीं बेहतर होते जा रहे हैं। - जो स्टोवैल


मसीह के अनुयायी होने के कारण केवल बुज़ुर्ग ही ना हों, वरन साथ ही बेहतर भी होते जाएं।

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। - २ कुरिन्थियों ४:१६

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:१६-१८
2Co 4:16  इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। 
2Co 4:17  क्‍योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्‍त जीवन महिमा उत्‍पन्न करता जाता है। 
2Co 4:18  और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्‍योंकि देखी हुई वस्‍तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुएं सदा बनी रहती हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११९:८९-१७६ 
  • १ कुरिन्थियों ८

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