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बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

आंकलन


   लोकप्रीयता क्षणिक होती है; जो आज लोकप्रीय है वह कल तुच्छ समझा जा सकता है। किसी भी राजनैतिज्ञ से यह पूछ कर देख लीजिए। वे अपनी लोकप्रीयता के आंकलन पर नज़र रखते हैं और साथ ही इस पर भी कि कहीं कोई और तो उनसे अधिक लोकप्रीय नहीं होता जा रहा। अपनी लोकप्रीयता के कारण वे चुनाव जीतते हैं परन्तु अपनी नीतियों, कार्यों और कथनों के द्वारा वे लोकप्रीयता गवां भी सकते हैं। कभी कभी यह जन भावनाओं के विरुद्ध किसी खरी बात पर बने रहने के कारण भी हो सकता है।

   प्रभु यीशु के साथ भी एक समय ऐसा ही हुआ। परमेश्वर के वचन बाइबल में युहन्ना ६ अध्याय में हम इस बात को पाते हैं। प्रभु की लोकप्रीयता ५००० से अधिक की भीड़ को भोजन कराने के बाद अपने चरम सीमा पर थी; लोग उन्हें भविष्यद्वक्ता कहने लगे और राजा बनाना चाहते थे (यूहन्ना ६:१४-१५)। किंतु जब उन्होंने लोगों से कहा कि वे परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ग से उतरे हैं तो यह लोकप्रीयता घट गई (६:३८), और लोगों की प्रतिक्रीया हो गई कि "यह अपने आप को क्या समझता है?" (६:४१)

   जब प्रभु यीशु ने कहा कि स्वर्ग से उतरी जीवन की रोटी वे ही हैं (६:५१-५२) तो यह उन के पीछे हो लेने वालों की समझ से बाहर था "इसलिये  उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है?" (६:६०); और इस बात की व्याख्या को सुनकर तो उन में से बहुतेरे प्रभु को छोड़ कर चल दिए (६:६६)।

   वह भीड़ प्रभु यीशु के पीछे तब तक ही थी जब तक प्रभु उनकी आवश्यक्ताओं को पूरा करते रहे और उन लोगों के मन के अनुसार बातें करते रहे। जैसे ही प्रभु यीशु ने उनसे एक समर्पण चाहा तो यह उनके लिए नागवार हो गया। जो रह गए थे, "तब यीशु ने उन बारहों से कहा, क्‍या तुम भी चले जाना चाहते हो?" (६:६७) तो "शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं (६:६८)।"

   आज आपका आंकलन प्रभु यीशु के लिए क्या है? क्या आप संसार में उसकी लोकप्रीयता के आधार पर अपना फैसला लेना चाहते हैं या उसकी खराई और सच्चाई के अनुसार? क्या पतरस के समान प्रभु यीशु के पक्ष में निर्णय लेने और उसे जीवन समर्पण करके अनन्त जीवन का भागी होने का फैसला आपका भी फैसला है? ध्यान दीजिएगा, अनन्त जीवन की बातें तो प्रभु यीशु ही के पास हैं। - सी. पी. हीया


प्रभु यीशु को समर्पण जीवन भर के लिए प्रतिदिन के समर्पण की बुलाहट है।

इस पर उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले। - युहन्ना ६:६६

बाइबल पाठ: युहन्ना ६:४७-५१; ५७-६९
Joh 6:47 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्‍त जीवन उसी का है। 
Joh 6:48  जीवन की रोटी मैं हूं। 
Joh 6:49  तुम्हारे बापदादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। 
Joh 6:50 यह वह रोटी है जो स्‍वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। 
Joh 6:51 जीवन की रोटी जो स्‍वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है। 
Joh 6:57  जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। 
Joh 6:58 जो रोटी स्‍वर्ग से उतरी यही है, बापदादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा। 
Joh 6:59  ये बातें उस ने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं। 
Joh 6:60  इसलिये उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है? 
Joh 6:61 यीशु ने अपने मन में यह जान कर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं, उन से पूछा, क्‍या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है? 
Joh 6:62 और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहां वह पहिले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्‍या होगा? 
Joh 6:63  आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं। 
Joh 6:64 परन्‍तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते: क्‍योंकि यीशु तो पहिले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं और कौन मुझे पकड़वाएगा। 
Joh 6:65  और उस ने कहा, इसी लिये मैं ने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर यह वरदान न दिया जाए तक तक वह मेरे पास नहीं आ सकता। 
Joh 6:66  इस पर उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले। 
Joh 6:67 तब यीशु ने उन बारहों से कहा, क्‍या तुम भी चले जाना चाहते हो? 
Joh 6:68 शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्‍त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। 
Joh 6:69  और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३४-३६ 
  • कुलुस्सियों २

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