मेरे मित्र टिम डेविस को अपने बचपन का वह समय याद है जब वह अपने माता-पिता के साथ ट्रिनिडैड में था, और इंग्लैंड की महारानी इलज़ाबेथ उस छोटे से स्थान पर आईं थीं। टिम भी अपने माता-पिता तथा उस भीड़ के साथ महारानी को देखने गया, और शेष भीड़ के साथ उस मार्ग के किनारे हाथ में झंडा लिए हुए वह भी खड़ा हुआ। जिस मार्ग से होकर महारानी को निकलना था उसे अच्छे से साफ करके खूब सजाया गया था। कुछ समय पश्चात महारानी की सवारी आई, पहले पैदल सैनिक, फिर घोड़ों पर सैनिकों का दस्ता, फिर महारानी की गाड़ी जिस में से महारानी इलज़ाबेथ अपने हाथ हिलाकर भीड़ के अभिवादन को स्वीकार कर रहीं थीं। महारानी और भीड़ एक दुसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे, भीड़ उत्साहित और प्रफुल्लित थी, किंतु भीड़ और महारानी का परस्पर कोई व्यक्तिगत परिचय या संबंध नहीं था। टिम और अन्य लोगों के देखते देखते राजसी सवारी का वह जलूस आगे बढ़ गया और फिर सब अपने अपने घरों और कार्यों को लौट गए। कुछ ही समय के बाद उस मार्ग से सारी सजावट हटा ली गई, मार्ग फिर से पहले के समान हो गया और कुछ समय पश्चात पता भी नहीं चलता था कि महारानी इसी मार्ग पर आईं थीं। टिम ने कहा, "वे राजसी अधिकारी आए और शहर के मार्गों से होकर चले गए; शहर में या लोगों में कोई स्थाई परिवर्तन नहीं आया।"
हम मसीही विश्वासियों के लिए भी एक दिन वह था जब हमारे व्यक्तिगत निमंत्रण पर परमेश्वर का पुत्र तथा जगत का उद्धाकर्ता हमारे दिलों में आया। कुछ ने उसे अपने दिलों में बैठा लिया और उनके मनों को उसने अपने पवित्र आत्मा का मन्दिर बना लिया (१ कुरिन्थियों ६:१९), उनके मनों को स्वच्छ किया और अब भी करता रहता है, उनके जीवन बदल गए तथा यह सुधार दिन-प्रतिदिन ज़ारी रहता है। लेकिन अनेक ऐसे भी हैं जिन्होंने केवल उसे अपने अन्दर से होकर निकलने भर दिया है, अपने अन्दर रहने और कार्य करने का स्थान तथा अनुमति नहीं दी है; कुछ समय के लिए उनके जीवनों में कुछ भला परिवर्तन दिखाई देता है किंतु समय के साथ सब कुछ फिर से पहले जैसा हो जाता है। ये लोग इसी भ्रम में जीते हैं और संसार के सामने भी इस असत्य को रखते हैं कि वे मसीही विश्वासी हैं, और उनके जीवन मसीही विश्वासी होने का गलत उदहरण संसार के सामने प्रस्तुत करते हैं; जब कि वास्तविकता इस से विपरीत है। इस एक सच्चाई के अनेक अति महत्वपूर्ण आयाम हैं। यदि मसीह यीशु हमारे हृदय में विराजमान है और हमारा मन परमेश्वर की पवित्र आत्मा का मन्दिर है तो अवश्यंभावी है कि उसकी उपस्थिति हमारे जीवनों के अन्दर कुछ स्थायी परिवर्तन लाएगी जो स्वयं हमें तथा हमारे सम्पर्क में आने वाले लोगों पर प्रगट होंगे तथा मसीह की महिमा के कारण ठहरेंगे। हमारी वार्तालाप की विधि विषय और प्रयुक्त शब्द, हमारा व्यवहार विशेषकर जब कोई जानकार हमें देखने वाला ना हो, लोगों के साथ हमारे संबंध और व्यवहार, हमारा अपनी ज़िम्मेवरियों एवं अपने अधिकारियों के प्रति रवैया, सांसारिक उपलब्धियों एवं धन-संपत्ति तथा उन के महत्व तथा उपयोग के प्रति हमारा रवैया, हमारे शत्रुओं के प्रति हमारी मनसा और हमारा व्यवहार इत्यादि; जीवन की हर छोटी बड़ी बात में यह परिवर्तन दिखाई देगा।
यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो अपने जीवन को जाँच के देखिए कि मसीह यीशु को अपने जीवन में आमंत्रित करने के बाद क्या आपके जीवन में स्थाई रूप से कुछ बदला है, और क्या यह परिवर्तन ज़ारी है? क्या आपके आस-पास के लोग और आपके प्रीय जन इस परिवर्तन को अनुभव करते हैं? यदि नहीं तो गंभीरता से विचार कीजिए और जांचिए कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपने मसीह यीशु को हृदय में स्थान देने की बजाए उसे अपने अन्दर से होकर जाने भर का केवल समय और मार्ग भर दिया हो। आपके निमंत्रण पर वह आया और उसके साथ ही थोड़े समय का भला परिवर्तन भी आया; फिर ठहरने के स्थाई स्थान और आपके जीवन को स्वच्छ तथा परिवर्तित करने के कार्य की अनुमति के अभाव में उसे आगे बढ़ जाना पड़ा और आप उसे आगे विदा करके अपने जीवन में पहले जैसे ही रह गए?
मसीह यीशु को आमंत्रित करके अपने मनों में उसे स्थाई स्थान दीजिए और वह आपके जीवन में स्थाई परिवर्तन ले आएगा। - जो स्टोवैल
यदि मसीह यीशु ने हमारे अन्दर स्थाई निवास पाया है तो संसार और सांसारिकता को हमारे अन्दर स्थान नहीं मिलेगा।
क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? - १ कुरिन्थियों ६:१९
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ६:१२-२०
1 Corinthians6:12 सब वस्तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुएं लाभ की नहीं, सब वस्तुएं मेरे लिये उचित हैं, परन्तु मैं किसी बात के आधीन न हूंगा।
1 Corinthians6:13 भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्तु परमेश्वर इस को और उसको दोनों को नाश करेगा, परन्तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन प्रभु के लिये; और प्रभु देह के लिये है।
1 Corinthians6:14 और परमेश्वर ने अपनी सामर्थ से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएगा।
1 Corinthians6:15 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं? सो क्या मैं मसीह के अंग ले कर उन्हें वेश्या के अंग बनाऊं? कदापि नहीं।
1 Corinthians6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है? क्योंकि वह कहता है, कि वे दोनों एक तन होंगे।
1 Corinthians6:17 और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1 Corinthians6:18 व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है।
1 Corinthians6:19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
1 Corinthians6:20 क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन ३४-३५
- मत्ती २२:२३-४६
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