किसी ने कहा है, "जो भलाई आप आज करेंगे, वह कल भुला दी जाएगी; फिर भी भलाई करते ही रहें।" मुझे यह बात पसन्द भी है, तथा मेरा मानना है कि स्मरण रखने और पालन करने के लिए यह एक महान सलाह भी है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका ने प्रभु यीशु के पृथ्वी के जीवन में किए गए कार्यों का सार लिखा: "...वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा...(प्रेरितों 10:38)।"
जब बाइबल हमें भलाई करने को कहती है तो इसका क्या तात्पर्य है? प्रभु यीशु ने अपने आस-पास के लोगों को उपदेश, चंगाई, आवश्यकतापूर्ति और सांत्वना देकर उनकी भलाई करी और अपने अनुयायीयों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रभु यीशु ने यही करने की शिक्षा अपने चेलों को दी, उनके प्रति भी जो उनके बैरी हों: "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है" (मत्ती 5:44-45)। प्रभु यीशु के निर्देश हैं कि उसके चेले ना केवल आपस में एक दूसरे की देखभाल और सेवा करें (गलतियों 6:10), वरन बिना प्रत्युत्तर में कुछ मिलने की आशा रखते हुए सभी की सेवा करने वाले लोग हों, अपने शत्रुओं की भी; सताव, स्वार्थ और समय का आभाव या जीवन में व्यस्तता उनकी भलाई की सेवा को कभी बाधित ना करने पाएं: "पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है" (इब्रानियों 13:16)।
अपने तथा समस्त संसार के उद्धारकर्ता के अनुयायी होने पर हमें उसके समान जीवन व्यतीत करना है और उसके गुणों को अपने जीवन में दर्शाना है, और यह करने का एक तरीका है प्रतिदिन अपने आप से पूछना, "मैं आज अपने प्रभु की समानता और नाम में क्या भलाई कर सकता हूँ?" जब हम भलाई करते हैं तो ना केवल हम परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं वरन लोगों को भी उनके उद्धारकर्ता के प्रति आकर्षित करते हैं (मत्ती 5:16)। - मार्विन विलियम्स
प्रभु यीशु से पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त करें तथा उसके नाम में भलाई करने में लगे रहें।
कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था। - प्रेरितों 10:38
बाइबल पाठ: लूका 6:27-36
Luke 6:27 परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो।
Luke 6:28 जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो।
Luke 6:29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक।
Luke 6:30 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग।
Luke 6:31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।
Luke 6:32 यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं।
Luke 6:33 और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं।
Luke 6:34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं।
Luke 6:35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है।
Luke 6:36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो।
एक साल में बाइबल:
- भजन 57-59
- रोमियों 4
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