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रविवार, 2 मार्च 2014

उत्तम


   जब कोई हम से पूछता है कि हम कैसे हैं, तो सामान्यतः हमारा उत्तर होता है, "बहुत बढ़िया", या "उत्तम"; अर्थात "मैं ठीक हूँ", या फिर यह कि "सब बहुत अच्छा चल रहा है" - हम अपने चरित्र की नहीं वरन अपने सामान्य हाल-चाल की बात कर रहे होते हैं। मैंने भी अनगिनित बार इस प्रश्न का ऐसे ही "उत्तम" कह कर उत्तर दिया है, लेकिन हाल ही में मेरे उत्तर ने मुझे कुछ परेशान करना आरंभ कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि चाहे हम इस बात का एहसास नहीं रखते, लेकिन "उत्तम" शब्द कुछ विशेष की ओर संकेत करता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के पास एक जवान धनी व्यक्ति आया और उसे "हे उत्तम गुरू" (मरकुस 10:17) कहकर संबोधित किया। वह जवान व्यक्ति सही था, क्योंकि प्रभु यीशु उत्तम अर्थात सर्वसिद्ध और गुरू दोनो ही है, और चरित्र के दृष्टिकोण से यह संबोधन केवल उस पर ही ठीक बैठता है।

   लेकिन प्रभु यीशु ने उस जवान के सामने प्रश्न रखा कि वह उसे उत्तम क्यों कह रहा है क्योंकि उत्तम तो केवल परमेश्वर है। प्रभु यीशु उससे यह कहना चाह रहे थे कि जो संबोधन वह कर रहा है उसकी गंभीरता और महत्व को वह समझता भी है कि नहीं। प्रभु यीशु को "उत्तम" कहना तो ठीक है, क्योंकि वह परमेश्वर है और उससे बढ़कर और कोई नहीं है। लेकिन अनायास ही अपने ऊपर एक ऐसी संज्ञा ले लेना जो परमेश्वर के लिए है और हम जिसके योग्य नहीं हैं, यह उचित नहीं है।

   इसलिए अगली बार यदि कोई आप से पूछे कि आप कैसे हैं तो यह कहना कि "मैं ठीक हूँ" तो उचित होगा, किंतु "उत्तम" कहने से पहले विचार कर लीजिए, क्योंकि केवल प्रभु यीशु ही उत्तम है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर महान है, परमेश्वर भला है; उसके बिना हम कुछ भी नहीं हैं।

यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर। - मरकुस 10:18

बाइबल पाठ: मरकुस 10:17-23
Mark 10:17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं? 
Mark 10:18 यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर।
Mark 10:19 तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। 
Mark 10:20 उसने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं। 
Mark 10:21 यीशु ने उस पर दृष्टि कर के उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले। 
Mark 10:22 इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। 
Mark 10:23 यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 10-12


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