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सोमवार, 30 जून 2014

अज्ञानता


   कुछ लोग डॉक्टर के पास जाना इसलिए पसन्द नहीं करते क्योंकि वे यह जानना नहीं चाहते कि उनके अन्दर कोई रोग हो सकता है। कुछ लोग इसी कारण चर्च भी जाना पसन्द नहीं करते क्योंकि वे जानना नहीं चाहते कि उनकी आत्मिक स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन जैसे हमारे शरीर की दशा के प्रति हमारी अज्ञानता हमें स्वस्थ नहीं ठहरा देती, वैसे ही हमारा हमारे पाप के प्रति अज्ञान होना हमें बेगुनाह या बेकसूर नहीं ठहरा देता।

   एक धारणा है कि रोमी कानून इस विचार का स्त्रोत है कि नियमों के प्रति अज्ञान होने से हम उनके उल्लंघन के परिणामों से बच नहीं सकते। लेकिन वास्तव में यह विचार रोमी साम्रज्य और कानून से भी बहुत पुरातन है; यह परमेश्वर के वचन बाइबल का एक भाग है। जब हज़ारों वर्ष पहले परमेश्वर ने इस्त्राएल को अपने नियम और व्यवस्था दी थी, तब उसने उनमें यह स्थापित कर दिया था कि अनजाने में किए गए पापों के लिए भी वैसे ही प्रायश्चित की आवश्यकता है, जैसे कि जान-बूझ कर किए गए पापों के लिए (लैव्यवस्था 4; यहेजकेल 45:18-20)।

   रोम में रहने वाले मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने इस अज्ञानता और नासमझी को संबोधित किया है। जब लोग परमेश्वर की धार्मिकता से अनजान हो गए तब उन्होंने अपनी धार्मिकता गढ़ ली (रोमियों 10:3)। जब हम अपनी ही गढ़ी हुई धार्मिकता के माप के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं तो हम अपने आप को लेकर अच्छा अनुभव कर सकते हैं। वस्तुस्थिति तो तब सामने आती है जब हम परमेश्वर की धार्मिकता के माप अर्थात प्रभु यीशु मसीह के समक्ष अपने आप को खड़ा करके देखते हैं - हमारी आत्मिक स्थिति का वास्तविक आँकलन तो तब ही होता है।

   कोई मनुष्य अपने किसी भी प्रयास द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता के माप पर खरा नहीं उतर सकता, लेकिन परमेश्वर का धन्यवाद हो कि किसी मनुष्य को ऐसा करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि परमेश्वर अपनी धार्मिकता सभी मनुष्यों के साथ सेंत-मेंत बाँटने को तैयार है (रोमियों 5:21); वह हमें हमारे पापों की दशा में ही स्वीकार करके, स्वयं ही हमें पाप की सब मलिनता से शुद्ध और पवित्र करना चाहता है (1 यूहन्ना 1:9)।

   हमें हमारी आत्मिक दशा के प्रति अज्ञानी बने रहने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह महान परमेश्वर जो हमारी वस्तुस्थिति को भली भाँति जानता है, स्वयं ही हमें धर्मी ठहराने को तैयार है, यदि हम प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाकर उससे अपने पापों की क्षमा मांग लें और अपना जीवन उसे समर्पित कर दें, क्योंकि जो पाप क्षमा नहीं होंगे, उसे उनका न्याय करना होगा (प्रेरितों 17:30-31)। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


परमेश्वर ही हमारी आत्मिक दशा को मापने वाला तथा उसे ठीक करने वाला है।

इसलिये परमेश्वर अज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है। - प्रेरितों 17:30-31

बाइबल पाठ: रोमियों 5:12-21
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Romans 5:16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे। 
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। 
Romans 5:20 और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 
Romans 5:21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 109-111


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