आज के संसार में अकसर एक बात सुनने में आती है - "कम, और कम!" सरकार और कारोबार चलाने वाले इसी प्रयास में रहते हैं कि कम से कम खर्च करके काम चला सकें; लोगों से कहा जाता है कि वे कम से कम ऊर्जा का प्रयोग करें, संसाधनों के सीमित स्त्रोतों के कम से कम उपयोग के साथ कार्य करें, इत्यादि। यह सब अच्छी सलाह है, और हम सब को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए, इसे मानना चाहिए। लेकिन मसीही विश्वास के संसार में प्रेम, अनुग्रह और सामर्थ की कोई घटी नहीं है, इसी लिए परमेश्वर हमें निर्देश देता है कि उसके इन संसाधानों को हम अधिक, और अधिक संसार में उपयोग करें, उन्हें लोगों के सामने रखें, लोगों को इन साधनों को स्वीकार करके अपने जीवनों में बहुतायत से उपयोग करने को कहें।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने थिस्सुलुनिकिया के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पहली पत्री में उनसे कहा: "और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए" (1 थिस्सुलुनीकियों 3:12) तथा उन्हें उकसाया के ऐसी जीवन-शैली जीने में जो परमेश्वर को भाती है वे और भी बढ़ते जाएं (1 थिस्सुलुनीकियों 4:1); पौलुस ने परस्पर प्रेम को दिखाने के लिए उनकी प्रशंसा भी करी, तथा इस प्रेम भरे व्यवहार में भी और अधिक बढ़ते जाने को कहा (1 थिस्सुलुनीकियों 4:10)।
इस प्रकार का सदा बढ़ते रहने वाला प्रेम मनुष्य के अपने सीमित तथा खर्च हो जाने वाले संसाधानों से नहीं वरन केवल परमेश्वर के असीम संसाधानों से आ सकने के कारण ही संभव है। कवियत्री ऐनी जौनसन फ्लिंट ने अपनी एक कविता में हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम के बारे में लिखा:
उसके प्रेम की कोई सीमा नहीं है, उसके अनुग्रह का कोई नाप नहीं है,
कोई मनुष्य उसके सामर्थ को हद नहीं दे सकता;
क्योंकि प्रभु यीशु में होकर अपने असीम संसाधनों में से,
वह देता रहता है, देता रहता है और भी अधिक देता रहता है।
क्योंकि परमेश्वर ने हमसे ऐसा असीम प्रेम किया है इसलिए हमें परमेश्वर से और लोगों से कितना प्रेम दिखाना है - अधिक, और अधिक! - डेविड मैक्कैसलैंड
प्रेम करने की हमारी सीमित क्षमता में होकर भी परमेश्वर अपने असीम प्रेम और सामर्थ को हम में होकर दिखाता है।
और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए। - फिलिप्पियों 1:9
बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 3:12-4:10
1 Thessalonians 3:12 और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए।
1 Thessalonians 3:13 ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें।
1 Thessalonians 4:1 निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
1 Thessalonians 4:2 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई।
1 Thessalonians 4:3 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो।
1 Thessalonians 4:4 और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्त करना जाने।
1 Thessalonians 4:5 और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं।
1 Thessalonians 4:6 कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था।
1 Thessalonians 4:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है।
1 Thessalonians 4:8 इस कारण जो तुच्छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्वर को तुच्छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।
1 Thessalonians 4:9 किन्तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
1 Thessalonians 4:10 और सारे मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि और भी बढ़ते जाओ।
एक साल में बाइबल:
- 2 कुरिन्थियों 1-3
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