जिन दिनों मैं हाई-स्कूल में बास्केट-बॉल प्रशिक्षक का कार्य किया करता था, मैंने एक बार एक बड़ी गलती कर दी - एक मैच से पहले मैंने अपने प्रतिद्वंदियों के बारे में जानकारी लेने के लिए अपने कुछ खिलाड़ियों को भेज दिया। उन्होंने आकर हमें बताया कि हम उस प्रतिद्वंदी टीम को आसानी से हरा सकते हैं। उनकी इस सूचना से हम अपनी क्षमता और तैयारी के प्रति अतिआश्वस्त हो गए, अपनी तैयारी में ढीले पड़ गए और हम वह मैच हार गए। अपनी क्षमता पर आवश्यकता से अधिक विश्वास रखना और प्रतिद्वंदी को अपने से कमज़ोर समझना अकसर हार के कारण होते हैं - सांसारिक जीवन में भी और आत्मिक जीवन में भी, जिसके लिए शैतान हमें अनेकों तरीकों से गिराने, फंसाने के प्रयास करता रहता है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसी ही एक घटना का उल्लेख है जिससे हम इस बारे में शिक्षा ले सकते हैं - ऐ के युद्ध में इस्त्राएल की पराजय। कनान की भूमि में प्रवेश के पश्चात इस्त्राएलियों का पहला युद्ध यरीहो के निवासियों से हुआ, जिन्हें इस्त्राएलियों ने बड़ी सरलता से हरा दिया। अगला युद्ध ऐ से था, और इस्त्रएली गुप्तचरों ने समाचार दिया कि यरीहो के मुकाबले ऐ एक छोटा सा स्थान है, जिसे हराना कठिन नहीं होगा। गुप्तचरों के समाचार के अनुसार इस्त्राएलियों की एक छोटी सेना ने ऐ पर धावा बोला, परन्तु विजय के स्थान पर उन्हें पराजय मिली और उनके 36 सैनिक भी मारे गए। ऐ की इस पराजय में केवल गुप्तचरों से मिले आँकलन का दोष नहीं था, कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी थीं जिनसे हम आज भी अपने जीवन के लिए शिक्षा ले सकते हैं।
ऐ से पहले यरीहो पर मिली विजय इसलिए संभव हुई थी क्योंकि इस्त्राएल के सेनानायक यहोशु को उस युद्ध के लिए परमेश्वर की योजना का पता था; लेकिन ऐ के युद्ध से पहले कहीं ऐसा वर्णन नहीं है कि यहोशु ने परमेश्वर से इस के बारे में कुछ पूछा या जाना हो; उसने केवल मनुष्यों से मिली सूचना और आँकलन पर ही विश्वास किया और उसके अनुसार योजना बनाई तथा कार्य किया। यरीहो के युद्ध से पहले इस्त्राएल के लोगों ने अपने आप को परमेश्वर के वचन के अनुसार तैयार किया था, उसकी आज्ञाकारिता में रही कमी की पूर्ति करी थी (यहोशू 5:2-8) लेकिन ऐ के युद्ध से पहले कहीं यह देखने को नहीं मिलता कि उन्होंने अपने आप को परमेश्वर के सम्मुख जाँचा हो, उसे अपना समर्पण किया हो, आत्मिक रीति से तैयार हुए हों। ऐ की पराजय का कारण इस्त्राएल की छावनी में छुपा पाप था - एक इस्त्राएली सैनिक, आकान ने यरीहो की लूट में से अर्पण की हुई वस्तुओं में से चुरा कर अपने डेरे में उसे छुपा लिया था (यहोशू 7:1)। जब तक वह पाप उनके मध्य था, इसत्राएली विजयी नहीं हो सकते थे; उस पाप का प्रगट किया जाना, उसके दोष से मुक्त होना और पुनः अपने आप को परमेश्वर के प्रति समर्पित करना आवश्यक था (यहोशू 7:16-26)। जब इस्त्राएलियों ने ऐसा किया, तत्पश्चात ही परमेश्वर ने उन्हें ऐ पर विजयी होने की रणनीति बताई (यहोशू 8:1-7)।
प्रतिदिन के जीवन में हमें अपने कार्यों तथा ज़िम्मेदारियों में अनेकों निर्णय लेने की ’युद्धस्थितियों’ से होकर निकलना पड़ता है और कई बार निराशाओं तथा अनापेक्षित परिणामों का सामना भी करना पड़ता है। परमेश्वर की आज्ञाकारिता, उसके प्रति समर्पण तथा उसके सम्मुख पापों का अंगीकार एवं उनके लिए उससे क्षमा प्रार्थना ही हमें दैनिक जीवन के लिए परमेश्वर से मिलने वाली विजयी रणनीति प्रदान करवाती रहेंगी। - डेव ब्रैनन
मन की पवित्रता जीवन में सामर्थ्य प्रदान करवाती है।
सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके; परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उस का मुँह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता। - यशायाह 59:1-2
बाइबल पाठ: यहोशू 7:1-13
Joshua 7:1 परन्तु इस्राएलियों ने अर्पण की वस्तु के विषय में विश्वासघात किया; अर्थात यहूदा के गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र था, उसने अर्पण की वस्तुओं में से कुछ ले लिया; इस कारण यहोवा का कोप इस्राएलियों पर भड़क उठा।
Joshua 7:2 और यहोशू ने यरीहो से ऐ नाम नगर के पास, जो बेतावेन से लगा हुआ बेतेल की पूर्व की ओर है, कितने पुरूषों को यह कहकर भेजा, कि जा कर देश का भेद ले आओ। और उन पुरूषों ने जा कर ऐ का भेद लिया।
Joshua 7:3 और उन्होंने यहोशू के पास लौटकर कहा, सब लोग वहां न जाएं, कोई दो वा तीन हजार पुरूष जा कर ऐ को जीत सकते हैं; सब लोगों को वहां जाने का कष्ट न दे, क्योंकि वे लोग थोड़े ही हैं।
Joshua 7:4 इसलिये कोई तीन हजार पुरूष वहां गए; परन्तु ऐ के रहने वालों के साम्हने से भाग आए,
Joshua 7:5 तब ऐ के रहने वालों ने उन में से कोई छत्तीस पुरूष मार डाले, और अपने फाटक से शबारीम तक उनका पीछा कर के उतराई में उन को मारते गए। तब लोगों का मन पिघलकर जल सा बन गया।
Joshua 7:6 तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के साम्हने मुंह के बल गिरकर पृथ्वी पर सांझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने अपने सिर पर धूल डाली।
Joshua 7:7 और यहोशू ने कहा, हाय, प्रभु यहोवा, तू अपनी इस प्रजा को यरदन पार क्यों ले आया? क्या हमें एमोरियों के वश में कर के नष्ट करने के लिये ले आया है? भला होता कि हम संतोष कर के यरदन के उस पार रह जाते।
Joshua 7:8 हाय, प्रभु मैं क्या कहूं, जब इस्राएलियों ने अपने शत्रुओं को पीठ दिखाई है!
Joshua 7:9 क्योंकि कनानी वरन इस देश के सब निवासी यह सुनकर हम को घेर लेंगे, और हमारा नाम पृथ्वी पर से मिटा डालेंगे; फिर तू अपने बड़े नाम के लिये क्या करेगा?
Joshua 7:10 यहोवा ने यहोशू से कहा, उठ, खड़ा हो जा, तू क्यों इस भांति मुंह के बल पृथ्वी पर पड़ा है?
Joshua 7:11 इस्राएलियों ने पाप किया है; और जो वाचा मैं ने उन से अपने साथ बन्धाई थी उसको उन्होंने तोड़ दिया है, उन्होंने अर्पण की वस्तुओं में से ले लिया, वरन चोरी भी की, और छल कर के उसको अपने सामान में रख लिया है।
Joshua 7:12 इस कारण इस्राएली अपने शत्रुओं के साम्हने खड़े नहीं रह सकते; वे अपने शत्रुओं को पीठ दिखाते हैं, इसलिये कि वे आप अर्पण की वस्तु बन गए हैं। और यदि तुम अपने मध्य में से अर्पण की वस्तु को सत्यानाश न कर डालोगे, तो मैं आगे को तुम्हारे संग नहीं रहूंगा।
Joshua 7:13 उठ, प्रजा के लोगों को पवित्र कर, उन से कह; कि बिहान तक अपने अपने को पवित्र कर रखो; क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि हे इस्राएल, तेरे मध्य में अर्पण की वस्तु है; इसलिये जब तक तू अर्पण की वस्तु को अपने मध्य में से दूर न करे तब तक तू अपने शत्रुओं के साम्हने खड़ा न रह सकेगा।
एक साल में बाइबल:
- प्रकाशितवाक्य 4-8
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