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सोमवार, 30 अक्टूबर 2017

आँधी-तूफान


   परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस रचित सुसमाचार में हम एक प्रचण्ड तूफान के बारे में पढ़ते हैं। शिष्य प्रभु यीशु के साथ थे, और वे नाव द्वारा गलील के सागर के पार जा रहे थे, कि वे एक बड़ी आँधी में फंस गए। उन शिष्यों में से कुछ अनुभवी मछुआरे भी थे, परन्तु वे भी आँधी के वेग को देख कर डर गए (मरकुस 4:37-38)। उन शिष्यों के मनों में विचार उठने लगे, क्या परमेश्वर को हमारी कोई चिंता नहीं है? क्या वे प्रभु यीशु द्वारा चुने और नियुक्त किए हुए तथा प्रभु के करीबी नहीं थे? क्या झील के पार जाने में वे प्रभु की आज्ञा का पालन नहीं कर रहे थे? तो फिर उन्हें ऐसी बड़ी आँधी-तूफान का सामना क्यों करना पड़ रहा था?

   जीवन में आँधी-तूफान के अनुभव से कोई अछूता नहीं है। परन्तु जैसे वे शिष्य पहले आँधी से डरे परन्तु फिर उस आँधी के अनुभव के कारण ही प्रभु यीशु के प्रति उनकी श्रद्धा और भी अधिक बढ़ गई, उसी प्रकार जब हम अपने जीवनों में आँधी-तूफानों का सामना करते हैं, तो परमेश्वर और उसके कार्यों के प्रति हमारी समझ और गहरी हो जाती है। उन शिष्यों के मन में कौतहूल था, "यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?" (मरकुस 4:41)। हमारे जीवनों में आने वाले आँधी-तूफानों से हम सीख सकते हैं कि हमारे जीवन का कोई आँधी-तूफान प्रभु परमेश्वर को अपनी इच्छा पूरी करने से नहीं रोक सकता है (मरकुस 5:1)।

   चाहे हम यह नहीं समझ पाएं कि प्रभु परमेश्वर हमारे जीवनों में आँधी-तूफानों क्यों आने देता है, परन्तु हम उसके धन्यवादी हो सकते हैं कि उन में हो कर हम उसके बारे में और अधिक सीख सकते हैं। हर परिस्थिति हमें सिखाती है कि हमारा प्रभु परमेश्वर सदा हमारा ध्यान रखता है, हमारी देखभाल करता है, और हमारी भलाई ही के लिए कार्य करता है। - एल्बर्ट ली


हमारे जीवन के लंगर की सामर्थ्य आँधी-तूफानों में ही प्रकट होती है।

और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो। और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे। - 1 पतरस 1:6-7

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-5:1
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आँधी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं? 
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 20-21
  • 2 तिमुथियुस 4


शुक्रवार, 26 मई 2017

तूफान


   जब चक्रवादी तूफान कैट्रीना मिसीसिपी प्रांत के समुद्र तट की ओर बढ़ रहा था, तो एक सेवानिवृत हुए पास्टर और उसकी पत्नि से उनकी पुत्री ने बहुत आग्रह किया कि वे अटलांटा आ जाएं जहाँ वह उनकी देखभाल कर सकती थी। परन्तु क्योंकि बैंक बन्द हो गए थे इसलिए वह दंपति अटलांटा की यात्रा के लिए पर्याप्त पैसे का इन्तज़ाम नहीं कर सका और उन्हें अपना घर छोड़ कर एक आश्रय स्थल में जाना पड़ा। तूफान के गुज़र जाने के पश्चात, वे अपने घर गए जिससे कि अपने सामान को संभाल सकें, जहाँ पानी में तैर रही केवल कुछ पारिवारिक फोटो ही उन्हें मिलीं। जब वह पास्टर फोटो फ्रेम में से सुखाने के लिए अपने पिता की फोटो निकाल रहे थे तो उस फ्रेम में से $366 बाहर निकल कर गिरे, जो उन दोनों के लिए अटलांटा जाने का हवाई टिकिट खरिदने के लिए पर्याप्त रकम थी। यह उनके लिए पाठ था कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वे प्रभु यीशु पर विश्वास रख सकते थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4:35-41 में दी गई घटना प्रभु यीशु के चेलों के लिए प्रभु में विश्वास बनाए रखने का पाठ था। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से गलील की झील के उस पार जाने के लिए कहा और नाव में सो गया। झील पार करते हुए अनायास ही एक तेज़ तूफान ने उन्हें घेर लिया और उफनती हुई लहरों तथा तेज़ हवा को देखकर चेले घबरा गए। उन्होंने प्रभु को सोते से उठाया और कहा, "हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?" (पद 38); तब प्रभु यीशु ने "उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया" (पद 39)।

   जीवन में हम सब को अनेक प्रकार के तूफानों - सताव, आर्थिक कठिनाईयाँ, बीमारियाँ, निराशाएँ, एकाकीपन इत्यादि का सामना करना पड़ता है - और प्रभु यीशु सदा उनको रोक कर नहीं रखता है। परन्तु उसने हम से प्रतिज्ञा की है कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, कभी नहीं त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। वह हर तूफान में हमें शान्त रखेगा। - मार्विन विलियम्स


जीवन के तूफानों में हम अपने प्रभु परमेश्वर के चरित्र को देख सकते हैं।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 9:24-41


शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

भय


   जब सैलिनियों से भरा पानी का जहाज़ किनारे पहुँचा तो यात्री जितना शीघ्र हो सका जहाज़ से उतरने लगे। उन्होंने पिछले कुछ दिन जहाज़ में एक जीवाणु के संक्रमण के साथ बिताए थे, जिससे सैंकड़ों यात्री बीमार पड़ गए थे। उतरते हुए यात्रियों से उनके अनुभवों के बारे में पूछताछ कर रहे समाचार संवाददाता द्वारा पूछे जाने पर एक यात्री ने कहा, "मैं शिकायत तो नहीं करना चाहता; क्योंकि हम सभी एक ही नाव पर सवार थे।" यात्री की यह बात सुनकर वह संवाददाता मुस्कुरा उठा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 8 में हम एक अन्य जल यात्रा के बारे में पढ़ते हैं (पद 23-27)। प्रभु यीशु एक नाव में चढ़े और चेले भी उनके पीछे उसी नाव में चढ़ गए। वे झील के पार जा रहे थे कि एक बड़े तूफान ने उन्हें घेर लिया, नाव बुरी तरह से डगमगाने लगी और चेलों को भय लगने लगा कि नाव अब डूब ही जाएगी। उन्होंने घबरा कर प्रभु यीशु को उठाया, यह समझकर कि वह उनपर मंडरा रहे खतरे से अनभिज्ञ है।

   प्रभु यीशु उन चेलों के साथ उसी नाव में तो था परन्तु चेलों के समान वह तूफान से भयभीत नहीं था। सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता होने के नाते उसे इन बातों का कोई भय नहीं था; "...तब उसने उठ कर आन्‍धी और पानी को डांटा, और सब शान्‍त हो गया" (मत्ती 8:26)।

   परन्तु हम प्रभु यीशु के समान सामर्थी नहीं हैं, इसीलिए परिस्थितियों द्वारा हम भयभीत हो जाते हैं। जब हमारे जीवन परिस्थितियों के तूफानों में घिरने लगें तो हमें क्या करना चाहिए? वे तूफान चाहे जल्दी से निकल जाएं या फिर लंबे समय तक बने रहें, हम एक बात को लेकर आश्वस्त रह सकते हैं, हमारा उध्दारकर्ता प्रभु यीशु सदा हमारे साथ बना रहता है; हम उसके साथ एक ही नाव में सवार हैं जिसकी बात हर तूफान और परिस्थिति मानती है। इसलिए जिसका उसे भय नहीं है, उसे लेकर हमें भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। - सिंडी हैस कैस्पर


एक मसीही विश्वासी के जितना निकट प्रभु परमेश्वर रहता है, 
उतना निकट कोई तूफान कभी नहीं आ सकता है।

और उन्होंने निकलकर हर जगह प्रचार किया, और प्रभु उन के साथ काम करता रहा, और उन चिन्‍हों के द्वारा जो साथ साथ होते थे वचन को, दृढ़ करता रहा। आमीन। - मरकुस 16:20

बाइबल पाठ: मत्ती 8:23-27
Matthew 8:23 जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए। 
Matthew 8:24 और देखो, झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरों से ढंपने लगी; और वह सो रहा था।
Matthew 8:25 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, हे प्रभु, हमें बचा, हम नाश हुए जाते हैं। 
Matthew 8:26 उसने उन से कहा; हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो? तब उसने उठ कर आन्‍धी और पानी को डांटा, और सब शान्‍त हो गया। 
Matthew 8:27 और लोग अचम्भा कर के कहने लगे कि यह कैसा मनुष्य है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 3-5
  • लूका 20:1-26


रविवार, 2 अक्टूबर 2016

तूफान


   एक भयानक तूफान के आने के लक्षण साफ दिख रहे थे - केवल क्षितिज़ पर ही नहीं, वरन मेरे एक मित्र के घर में भी। उस मित्र ने बताया कि जब वह हाँग-काँग में थी तो स्थानीय मौसम विभाग ने चेतावनी ज़ारी करी कि एक तीव्र तूफान आने को है। लेकिन घर की खिड़की के बाहर दस्तक दे रहे उस तूफान से भी बड़ा तूफान घर के अन्दर आने की तैयारियाँ कर रहा था। उस मित्र के पिता बीमार थे, अस्पताल में भरती थे, और उनकी देखभाल में लगे परिवार के लोग अपनी पारिवारिक तथा कार्य संबंधी ज़िम्मेदारियों को निभाने और उन ज़िम्मेदारियों में परस्पर संतुलन बनाए रखने तथा घर एवं अस्पताल के बीच आने-जाने की कशमकश में लगे हुए थे। सब थक रहे थे, सबका धैर्य कमज़ोर पड़ रहा था और घर के अन्दर की परिस्थिति तनावपूर्ण होती जा रही थी।

   जब बदकिस्मती, दुःख और तनाव के थपेड़े हमें इधर से उधर पटकते हैं, तब जीवन एक तूफान के समान प्रतीत हो सकता है। ऐसे में हम किस ओर मुड़ें? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि जब प्रभु यीशु के चेले नाव द्वारा झील पार करते समय एक तूफान में फंस गए, और नाव भयानक रीति से हिचकोले लेने लगी, और उन्हें लगा कि वे अब डूबने पर हैं, तब उनके मन में उनके साथ यात्रा कर रहे प्रभु यीशु को लेकर विचार आया कि क्या प्रभु को उनकी कोई चिन्ता नहीं है? अर्थात, उस विकट परिस्थिति में भी चेले जानते थे कि उन्हें किसकी ओर मुड़ना है; उनकी सहायता कौन कर सकता है। और प्रभु यीशु ने उस तूफान को शांत करके अपनी सामर्थ उन पर प्रकट करी (मरकुस 4:38-39)।

   लेकिन कई बार प्रभु तुरंत ही तूफान को शांत नहीं करता है, जिससे उस समय उन चेलों के समान, आज हम भी यही सोचने लगते हैं कि क्या प्रभु को हमारी चिंता है भी? अपने भय को शांत करने के लिए हमें अपने उस विश्वास को थामे रहना है कि परमेश्वर कौन है और क्या कुछ कर सकता है। हम उसमें शरण ले सकते हैं: "जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा" (भजन 91:1)। हम उसकी सहायता से, उसके अनुग्रह के द्वारा दूसरों को सांत्वना और शांति दे सकते हैं। हम सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी, प्रेम करने वाले सबसे बुद्धिमान पिता परमेश्वर की शरण में आकर शांत होकर बैठ सकते हैं; क्योंकि वह जीवन के हर तूफान में हमारे साथ बना रहता है, और उस तूफान में से हमें सुरक्षित निकाल भी लाता है। - पोह फैंग चिया


किसी को ज़ोर से चिल्लाकर उसे पुकारने की आवश्यकता नहीं है; 
प्रभु हमारे सोचने से भी अधिक निकट है। - भाई लॉरेंस

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 14-16
  • इफिसियों 5:1-16


शनिवार, 21 मई 2016

लंगर


   समुद्री तूफान सैन्डी ने फ्लोरिडा के तट पर प्रहार किया था, और उससे बचने के लिए मैट तथा जेसिका अपनी नाव को सुरक्षित स्थान पर लाने का प्रयास कर रहे थे कि उनकी नाव पानी के नीचे की मिट्टी में फंस गई। नाव वहीं फंसी इधर-उधर हिचकोले लेने लगी, लेकिन वे उसे बाहर नहीं निकाल पा रहे थे। इसलिए मैट तथा जेसिका ने वहीं नाव का लंगर पानी में डाल दिया। ऐसा करने से नाव एक स्थान पर स्थिर हो गई, हिचकोले आने बन्द हो गए और जब तक बचाव दल उन्हें लेने नहीं आ गया वे नाव में सुरक्षित रहे। बाद में मैट तथा जेसिका ने बताया कि यदि वे लंगर ना डालते तो तूफान और ऊंची लहरों के प्रहार उस नाव को किनारे पर पटक देते, चकनाचूर कर देते।

   हमारे आत्मिक जीवनों में भी हमें ऐसे ही लंगरों की आवश्यकता होती है जो हमें जीवन के तूफानों में स्थिर तथा सुरक्षित बनाए रखें। जब मूसा की मृत्यु के बाद परमेश्वर ने यहोशु को इस्त्राएल का अगुवा नियुक्त किया, तो साथ ही परमेश्वर ने यहोशु को अपनी प्रतिज्ञाओं के लंगर भी दिए जिससे कठिन समयों में वह स्थिर बना रह सके। परमेश्वर ने यहोशु से कहा: "तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा" (यहोशु 1:5)। साथ ही परमेश्वर ने यहोशु तथा इस्त्राएलियों को अपना वचन भी दिया कि वे उसका अध्ययन तथा पालन करें: "इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा" (यहोशु 1:7-8)। परमेश्वर का वचन, परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं और उनके साथ बनी रहने वाली परमेश्वर की उपस्थिति यहोशु तथा इस्त्राएलियों के लिए वे आत्मिक लंगर थे जो आने वाले कठिन समयों तथा चुनौतियों में उन्हें स्थिर बनाए रखने के लिए दिए गए थे।

   जब कभी हम दुःखों से होकर निकलें, या हमारे मसीही विश्वास को लेकर कोई शंका हमें परेशान अथवा विचलित करने लगे तो यही आत्मिक लंगर आज हमारी भी उसी प्रकार से सुरक्षा प्रदान करेंगे जैसे तब यहोशु और इस्त्राएलियों को प्रदान करी थी। हमारा विश्वास चाहे कितना भी कमज़ोर क्यों ना हो, किंतु यदि वह परमेश्वर के वचन बाइबल की बातों एवं प्रतिज्ञाओं तथा हमारे साथ परमेश्वर की लगातार बनी रहने वाली उपस्थिति पर आधारित है, तो संसार का कोई तूफान हम पर प्रबल नहीं हो सकता; परमेश्वर हर परिस्थिति से हमें सुरक्षित निकाल ले आएगा। - ऐनी सेटास


जब हम तूफान की प्रचण्डता का अनुभव करते हैं, 
तब ही हम अपने लंगर की सामर्थ पहचान पाते हैं।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: यहोशु 1:1-9
Joshua 1:1 यहोवा के दास मूसा की मृत्यु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून का पुत्र था कहा, 
Joshua 1:2 मेरा दास मूसा मर गया है; सो अब तू उठ, कमर बान्ध, और इस सारी प्रजा समेत यरदन पार हो कर उस देश को जा जिसे मैं उन को अर्थात इस्राएलियों को देता हूं। 
Joshua 1:3 उस वचन के अनुसार जो मैं ने मूसा से कहा, अर्थात जिस जिस स्थान पर तुम पांव धरोगे वह सब मैं तुम्हें दे देता हूं। 
Joshua 1:4 जंगल और उस लबानोन से ले कर परात महानद तक, और सूर्यास्त की ओर महासमुद्र तक हित्तियों का सारा देश तुम्हारा भाग ठहरेगा। 
Joshua 1:5 तेरे जीवन भर कोई तेरे साम्हने ठहर न सकेगा; जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा, और न तुझ को छोडूंगा। 
Joshua 1:6 इसलिये हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा। 
Joshua 1:7 इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। 
Joshua 1:8 व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। 
Joshua 1:9 क्या मैं ने तुझे आज्ञा नहीं दी? हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन कच्चा न हो; क्योंकि जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 13-15
  • यूहन्ना 7:1-27


रविवार, 13 मार्च 2016

सामर्थ


   अक्टूबर 2012 के अन्तिम दिनों में अमेरिका के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में एक प्रचण्ड तूफान आया जिससे उस इलाके में भीषण विनाश और बाढ़ आई। उस तूफान के कारण 80 लाख से अधिक लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा जिससे भोजन वस्तुओं और पानी की भारी कमी हो गई और यातायात के साधन रुक गए। तेज़ हवाओं के कारण बहुत से घर गिर गए, रिहायशी इलाकों में मलबा और रास्तों पर रेत भर गया और जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

   प्राकृतिक तूफान के समान ही कोई व्यक्तिगत त्रासदी भी हमें अन्दर से ध्वस्त, असहाय और अन्धकार से भरा हुआ छोड़ सकती है। लेकिन ऐसे कठिन समयों में परमेश्वर अपने वचन बाइबल से अपने बच्चों को आश्वस्त करता है "वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है" (यशायाह 40:29)।

   हमारे कठिन समयों में, जब हमें लगता है कि हम अपने जीवन और सामर्थ के न्यून्तम बिन्दु पर पहुंच गए हैं, वहाँ भी हम अपने परमेश्वर पिता में आश्वस्त होकर उस पर भरोसा रख सकते हैं, और उससे सामर्थ पा सकते हैं क्यों कि उसने हम से वायदा किया है, "परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे" (यशायाह 40:31)।

   जीवन के प्रत्येक तूफान में परमेश्वर ही हमारा बल और सामर्थ बना रहता है, हमें सुरक्षित लिए चलता है, पार लगाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


आश्रय की सामर्थ का वास्तविक प्रमाण तूफान आने पर ही होता है।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: यशायाह 40:25-31
Isaiah 40:25 सो तुम मुझे किस के समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूं? उस पवित्र का यही वचन है। 
Isaiah 40:26 अपनी आंखें ऊपर उठा कर देखो, किस ने इन को सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले ले कर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बली है कि उन में के कोई बिना आए नहीं रहता।
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? 
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। 
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। 
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22
  • मरकुस 13:21-37


मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

सामर्थी सहायक


   एक दिन प्रातः बहुत तड़के तेज़ हवा चलने लगी और बारिश की मोटी मोटी बूँदें मेरे घर पर कंकरों के समान गिरने लगीं। मैंने बाहर झाँककर धुँधले पीले-स्लेटी आकाश को और तेज़ हवा के थपेड़ों से पेड़ों को हिलते हुए देखा। आकाश में बिजली बार बार तेज़ी से कौंध रही थी और उसके कड़कने की आवाज़ हड्डियों को भी हिला रही थी। घर के अन्दर की बिजली कभी आती और कभी चली जाती, और मैं सोच में थी कि यह तूफान कब तक चलेगा?

   उस तूफान के गुज़र जाने के बाद मैंने अपने दैनिक मनन के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल को खोला। मेरा ध्यान बाइबल में अय्युब की पुस्तक के उस भाग पर गया जहाँ तूफान के बल को परमेश्वर की सामर्थ को समझाने के लिए उपयोग किया गया है। अय्युब के मित्र एलिहू ने कहा, "ईश्वर गरज कर अपना शब्द अद्भूत रीति से सुनाता है, और बड़े बड़े काम करता है जिन को हम नहीं समझते" (अय्युब 37:5); "वह बिजली को अपने हाथ में ले कर उसे आज्ञा देता है कि दुश्मन पर गिरे" (अय्युब 36:32)। वास्तव में परमेश्वर "अति सामर्थी" है (अय्युब 37:23)।

   अति सामर्थी परमेश्वर के सामने हम मनुष्य बहुत ही सामर्थहीन हैं। ना तो हम अपने आप को आत्मिक रीति से संभाले रख सकते हैं, ना अपने मनों को स्वस्थ रख सकते हैं और ना ही उस अन्याय का कोई समाधान कर पाते हैं जिसे हमें अकसर सहना पड़ता है। लेकिन वह अति सामर्थी परमेश्वर हमें संभालता है, हमारी चिंता करता है, क्योंकि उसे हमारी सृष्टि स्मरण रहती है (भजन103:14)। ना केवल वह हमारी देखभाल और चिंता करता है वरन "वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है" (यशायाह 40:29)। हम मसीही विश्वासी इस बात द्वारा आश्वस्त और निशचिंत रह सकते हैं कि हमारा परमेश्वर पिता हमारा सामर्थी सहायक भी है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर ही हमारी सामर्थ का स्त्रोत है।

क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है। - भजन 103:14 

बाइबल पाठ: अय्युब 37:14-24
Job 37:14 हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर। 
Job 37:15 क्या तू जानता है, कि ईश्वर क्योंकर अपने बादलों को आज्ञा देता, और अपने बादल की बिजली को चमकाता है? 
Job 37:16 क्या तू घटाओं का तौलना, वा सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्म जानता है? 
Job 37:17 जब पृथ्वी पर दक्खिनी हवा ही के कारण से सन्नाटा रहता है तब तेरे वस्त्र क्यों गर्म हो जाते हैं? 
Job 37:18 फिर क्या तू उसके साथ आकाशमण्डल को तान सकता है, जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है? 
Job 37:19 तू हमें यह सिखा कि उस से क्या कहना चाहिये? क्योंकि हम अन्धियारे के कारण अपना व्याख्यान ठीक नहीं रच सकते। 
Job 37:20 क्या उसको बताया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? क्या कोई अपना सत्यानाश चाहता है? 
Job 37:21 अभी तो आकाशमण्डल में का बड़ा प्रकाश देखा नहीं जाता जब वायु चलकर उसको शुद्ध करती है। 
Job 37:22 उत्तर दिशा से सुनहली ज्योति आती है ईश्वर भययोग्य तेज से आभूषित है। 
Job 37:23 सर्वशक्तिमान जो अति सामथीं है, और जिसका भेद हम पा नहीं सकते, वह न्याय और पूर्ण धर्म को छोड़ अत्याचार नहीं कर सकता। 
Job 37:24 इसी कारण सज्जन उसका भय मानते हैं, और जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान हैं, उन पर वह दृष्टि नहीं करता।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 12-14
  • 2 तिमुथियुस 1


शुक्रवार, 29 मई 2015

शान्ति


   मेरी सहेली इलूइस जीवन की सामान्य बातों को चतुराई से अलग ही परिपेक्ष्य में ढाल देती है। एक दिन मैं ने उस से पूछा, "कहो, कैसी हो?" मुझे आशा थी कि वह इस प्रश्न का सामान्यतः दिया जाने वाला जाना-पहचाना उत्तर देगी, "ठीक हूँ"। किंतु उसने उत्तर दिया, "मुझे जाकर उसे जगाना है!" मैं यह सुनकर चकरा गई और उस से उसकी इस बाता का अर्थ पूछा। उसने बच्चों के समान चकित हुए कहा, "तुम अपनी बाइबल भी नहीं जानतीं?" फिर वह बोली, "जब प्रभु के चेलों के सामने संकट आया, तो वे प्रभु यीशु को जगाने गए थे ना; मुझे भी प्रभु को जगाने जाना है!"

   जब हम किसी परेशान कर देने वाली परिस्थिति में आ जाते हैं और उस से निकलने का कोई मार्ग सूझ नहीं पड़ता, तब हम क्या करते हैं? हो सकता है कि प्रभु के चेलों के समान हम भी प्रभु यीशु के पास जाते हैं (मरकुस 4:35-41)। लेकिन कभी कभी हम अपने ही प्रयासों से अपने आप को परिस्थिति से बाहर निकालने के प्रयास करते हुए, हमारी परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति से बदला लेना चाहते हैं; या उसे बदनाम करने लगते हैं; या निराश और हताश होकर किसी कोने में दुबक कर बैठ जाते हैं।

   हमें प्रभु यीशु के चेलों से शिक्षा लेनी चाहिए, जो विकट परिस्थिति में अपनी एकमात्र आशा प्रभु यीशु के पास आए। हो सकता है कि प्रभु हमें तुरंत ही या हमारे सोचे तरीके से उस परिस्थिति से बाहर ना निकाले, किंतु यह ध्यान रखना कि हमारे संकट में वह हमारे साथ खड़ा है, सांत्वना देता है। हमें उसका धन्यवादी होना चाहिए कि वह सदा हमारे साथ बना रहता है और हमारे जीवन के तूफानों को भी कहता है, "शान्त रह, थम जा" (मरकुस 4:39)।

   इसलिए अपने जीवन के तूफानों में उसकी ओर देखें, उसे पुकारें, और वह अपनी शान्ती आपके जीवन में भर देगा। - जो स्टोवैल


जब जीवन में परेशानियों के तूफान भयभीत करें तो समाधान के लिए मसीह यीशु को अपना प्रथम विकल्प बनाएं।

प्रभु यीशु ने कहा: मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। -  यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 11:1-29



बुधवार, 27 मई 2015

तूफान


   कहा जाता है कि वर्तमान इतोपिया देश में लाल सागर के तट पर स्थित प्राचीन देश अक्सुम के निवासियों ने खोज करी कि वर्षा ऋतु की तूफानी हवाओं के वेग को नाव में लगे पाल द्वारा वश में लेकर तेज़ी से नौकावाहन किया जा सकता है। इससे उन्होंने तेज़ हवाओं और ऊँची लहरों से डर कर रहने की बजाए, उन तूफानी परिस्थितियों को अपने लाभ के लिए उपयोग करना सीख लिया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 107 भी हमारे लिए जीवन में तूफानों की भूमिका का एक उत्तम शब्दचित्र प्रस्तुत करता है। इस भजन में भजनकार वर्णन करता है कि कैसे परमेश्वर हमारे जीवन में तूफानों को आने देता है और फिर उनमें हमें सुरक्षित निकाल कर ले आता है जिससे हम हर परिस्थिति में उस पर विश्वास रखना सीख सकें।

   परेशान परिस्थितियों में परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना बाइबल में अनेक बार दोहराया गया विषय है। इब्रानियों के नाम लिखी पत्री के 11वें अध्याय में लेखक उन अनेक परमेश्वर के विश्वासी जनों का उल्लेख करता है जिन्होंने अपनी समस्याओं तथा विकट परिस्थितियों को परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को व्यक्त करने का अवसर बनाया और परमेश्वर के अनुग्रह, प्रावाधान तथा छुटकारे का अनुभव किया (इब्रानियों 11:33-34)।

   जीवन में अनेकों तूफानों का आना तो अवश्यंभावी हैं; उन तूफानों के प्रति चाहे हमारी प्रथम प्रतिक्रीया उन से बचकर भाग निकल पाने के प्रयास की हो, फिर भी हम परमेश्वर से प्रार्थना में माँग सकते हैं कि वह हमें उन तूफानों में उस पर अपने विश्वास को बनाए रखना सिखाए और उन तूफानों का उपयोग उसकी निकटता में बढ़ने तथा उस से आशीषें प्राप्त करने के लिए करना सिखाए। - डेनिस फिशर


मसीह यीशु के साथ तूफान से होकर निकलना मसीह यीशु के बिना आरामदायक जीवन जीने से बेहतर है।

इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए। आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। - इब्रानियों 11:33-34

बाइबल पाठ: भजन 107:23-32
Psalms 107:23 जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर हो कर व्यापार करते हैं; 
Psalms 107:24 वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं। 
Psalms 107:25 क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठ कर तरंगों को उठाती है। 
Psalms 107:26 वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता; 
Psalms 107:27 वे चक्कर खाते, और मतवाले की नाईं लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है। 
Psalms 107:28 तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है। 
Psalms 107:29 वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं। 
Psalms 107:30 तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है। 
Psalms 107:31 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें। 
Psalms 107:32 और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 1-3
  • यूहन्ना 10:1-23


शुक्रवार, 20 मार्च 2015

तूफान और बारिश


   जब मूसलाधार बारिश ने मेरे बाग़ीचे के फूलों पर आघात किया, उन्हें झुका दिया तो मुझे उनके लिए बहुत बुरा लगा। मेरा मन हुआ कि मैं उन सभी फूलों को घर के अन्दर तूफान तथा बारिश से सुरक्षित स्थान पर ले आऊँ। बारिश के समाप्त होने तक वे फूल पानी के वज़न से नीचे की ओर झुक गए थे, मुर्झाए हुए, कमज़ोर और दुखी प्रतीत हो रहे थे। लेकिन कुछ ही घंटों में वे वापस ऊपर आकाश की ओर उठने लगे थे, और अगले दिन वे सभी सीधे खड़े और मज़बूत दिखाई दे रहे थे! यह एक अद्भुत परिवर्तन था। बारिश ने उन फूलों तथा उनके पौधों पर प्रहार किया, बारिश का पानी उन पर से बह कर नीचे धरती पर पड़ा, धरती ने उसे सोख लिया, और वही पानी उन पौधों की जड़ों से होकर वापस उन की टहनियों और उन्हीं फूलों में आ गया, उन्हें सीधा खड़ा रहने के लिए मज़बूती और ताकत देने लगा!

   क्योंकि मुझे धूप अच्छी लगती है इसलिए जब भी बारिश मेरे बाहर रहने की योजनाओं में बाधा डालती है, मुझे बहुत बुरा लगता है। लेकिन मेरा लिए बारिश के प्रति नकारात्मक विचार रखना सही नहीं है; जिस किसी ने भी सूखे या अकाल को अनुभव किया है वह जानता है कि बारिश कितनी बड़ी आशीष होती है, धरती पर रहने वालों के लिए कितनी आवश्यक है, और धर्मी हों या अधर्मी वर्षा दोनों ही को लाभ पहुँचाती है।

   यह बात केवल पानी की बारिश के लिए ही सत्य नहीं है। जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हम पर आघात कर सकते हैं, ऐसा आघात जो हमें झुका दें, मुर्झाया सा बना दें; लेकिन हम मसीही विश्वासियों के लिए यह हानिकारक कदापि नहीं हो सकता। हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता इन सभी बातों के द्वारा हमें और मज़बूत, और बेहतर बनाता है; वह हमें इन सब से टूटने नहीं देता। जो तूफान और परिस्थितियाँ की बारिश हमें बाहर आहत करती हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें भीतर से बलवन्त कर देता है, सीधा तथा दृढ़ खड़े रहने के क्षमता प्रदान कर देता है। हम मसीही विश्वासियों को यह परमेश्वर का अद्भुत आश्वासन है कि जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हमारे लिए भलाई ही का कारण बन जाएगी।

   किसी भी परिस्थिति में निराश-हताश ना हों, सदैव परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें, सदा उसके धन्यवादी बने रहें, उसे अपना कार्य करने दें और वह आपको बेहतर तथा सामर्थी करता जाएगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जो तूफान और बारिश हमें तोड़ने के प्रयास करते हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें और बलवान बना देता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: यशायाह 55:8-13
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, 
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे। 
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 4-6
  • लूका 1:1-20



मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

दृढ़ नींव


   जब एक तूफान में मेरे घर के चारों के बाड़े का एक भाग गिर गया तो मेरी पहली प्रतिक्रीया उस व्यक्ति को दोषी ठहराने की थी जिसने कुछ माह पहले ही मेरे लिए वह बाड़ा लगाया था। लेकिन थोड़ा विचार करने के बाद मुझे स्पष्ट हो गया कि वास्तव में इसका दोषी मैं ही हूँ। जब बाड़ा बनकर पूरा होने के निकट था तब मैंने ही उस व्यक्ति को बाड़े की मज़बूती के लिए कौन्क्रीट में डाले गए चार नए दृढ़ खंबे लगाने से मना कर दिया था, यह कहकर कि नए खंबों की कोई आवश्यकता नहीं है, बाड़े को पुराने खंबों से ही बाँध दो, जब कि वे पुराने खंबे दृढ़ नींव वाले नहीं थे। जब तक तूफान नहीं आया, सब कुछ ठीक रहा, किन्तु तूफान आते ही बाड़े का वह भाग जो कमज़ोर नींव वाले खंबों के सहारे था स्थिर नहीं रह सका, टूट कर गिर गया।

   प्रभु यीशु ने एक दृष्टांत के द्वारा परमेश्वर के वचन और उसकी आज्ञाकारिता की दृढ़ नींव पर जीवन निर्माण करने के महत्व को समझाया। प्रभु ने कहा: "इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी" (मत्ती 7:24-25)। यह घर आन्धी तथा बाढ़ का प्रहार इसलिए झेल सका और स्थिर खड़ा रह सका क्योंकि वह ना केवल चट्टान पर बना था, वरन साथ ही उसकी नींव भी दृढ़ डाली गयी थी।

   परमेश्वर का वचन वह चट्टान है और उसकी आज्ञाकारिता वह दृढ़ नींव है जो स्थिरता देते हैं। प्रभु यीशु के वचन को सुनना आवश्यक है, लेकिन जो वह अपने वचन के द्वारा हमें कहता और सिखाता है उसका पालन करे बिना हम जीवन के तूफानों में स्थिर खड़े नहीं रह पाएंगे; वह अति आवश्यक अडिग स्थिरता सुनने भर से नहीं वरन सुनने और मानने दोनों के सामूहिक प्रभाव से ही आती है। यदि आपने अभी तक मसीह यीशु के वचन पर विश्वास की चट्टान पर अपने जीवन का निर्माण आरंभ नहीं किया है तो आप अभी यह कर सकते हैं; जीवन के निर्माण को एक दृढ़ नींव अर्थात परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता का आधार दें, और आप जीवन में आने वाले हर आन्धी-तूफान-बाढ़ में सदा स्थिर बने रहेंगे। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जब परिस्थितियाँ और विपत्तियाँ संसार को चूर कर रही होंगी, तब मसीह यीशु पर बनाए गए जीवन स्थिर खड़े मिलेंगे।

क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे। - रोमियों 2:13

बाइबल पाठ: मत्ती 7:21-29
Matthew 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। 
Matthew 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? 
Matthew 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ। 
Matthew 7:24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 
Matthew 7:25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी। 
Matthew 7:26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। 
Matthew 7:27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।
Matthew 7:28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 
Matthew 7:29 क्योंकि वह उन के शास्‍त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाईं उन्हें उपदेश देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 5-7


सोमवार, 17 जनवरी 2011

आता तूफान

मैं अपने मित्र के साथ झील में नाव में था और हम मछली पकड़ रहे थे। अचानक दूर हमने बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनी। वह आने वाले तूफान की चेतावनी थी। मुझे लगा कि अभी तूफान के आने में देर है, इसलिये मैं ने अपने अपने मित्र की बात पर ध्यान नहीं दिया कि हमें शीघ्र वापस किनारे पहुंच कर घर की ओर चल देना चाहिये। मैं सोच रहा था कि तूफान दिशा बदल कर हम से दूर निकल जाएगा। तभी परिस्थिति अचानक बदल गई, हवा में तेज़ी आ गई और हमारे ऊपर आकाश में बादल भरने लगे। यह देखकर हमने अपनी नाव के इंजन को चालू करने की कोशिश करी परन्तु वह नहीं चला। मेरा मित्र अपनी पूरी शक्ति से नाव खेने लगा और मैं इंजन चालू करने के प्रयास करता रहा। पानी में ऊंची लहरें उठने लगीं और तेज़ बारिश आरंभ हो गई, और तूफान की तेज़ हवा हमारी नाव को पतझड़ के पत्ते की तरह डगमगाने लगी। बड़ी मुशकिल से हम सही सलामत किनारे पहुंच पाए।

इस अनुभव ने मुझे एक बहुमूल्य शिक्षा और बड़ा सन्देश सिखाया - न्याय का दिन आ रहा है! वह दिन कहीं दूर प्रतीत तो हो सकता है, लेकिन वह अचानक ऊपर आ पड़ेगा और उस समय बचाव का कोई मार्ग नहीं रहेगा। जिन बातों पर हम अपनी सुरक्षा के लिये आज भरोसा करते हैं वे ऐन मौके पर मिथ्या सबित हो जाएंगी और हम गंभीर खतरे में पड़ जाएंगे।

जीवन के अन्त और न्याय के लक्षणों को पहिचन कर उनके प्रति जागृत रहने में ही सच्ची बुद्धिमानी है। अपने काम पर निकलने से पहले आज दर्पण में अपने आप को ग़ौर से देखिये और उन चिन्हों को पहिचानने का प्रयास कीजिए। सफेद होते बाल, चेहरे पर आती झुर्रियां, जोड़ों में बढ़ती अकड़ाहट और दुखन, काम करने से सांस का तेज़ हो जाना, कभी कभी चक्कर आ जाना, ये सब उस आने वाले ’तूफान’ के लक्षण हैं जो एक न एक दिन घेर ही लेगा।

इससे पहले कि बहुत देर हो जाए क्यों न मसीह यीशु में अपना शरणस्थान बना लें और सुरक्षित हो जाएं? अपने ’इंजन’ और अपनी ’नाव खेने’ की शक्ति पर भरोसा न रखें, ये न जाने कब धोखा दे जाएं। - एम. आर. डी हॉन


जब तक हम मृत्यु और मृत्यु के पश्चात के लिये तैयार न हों, हम जीने के लिये भी तैयार नहीं हैं।

...मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। - इब्रानियों ९:२७


बाइबल पाठ: नीतिवचन २९:१-६

जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा।
जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाथ मारती है।
जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है; परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है।
राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है।
जो पुरूष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित हो कर जयजयकार करता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४१-४२
  • मत्ती १२:१-२३