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बुधवार, 14 जनवरी 2015

प्रोत्साहक


   कठिन मंदी के दौर में मैंने अपने साथी मसीही विश्वासियों के साथ अन्य बेरोज़गार मसीही विश्वासियों की सहायता और प्रोत्साहन के लिए एक सहायता समूह बनाया। हम उन बेरोज़गार लोगों के नौकरी पाने में सहायता के लिए उनकी अर्ज़ियों, शैक्षिक एवं कार्य अनुभव आदि को अच्छी रीति से लिखने में सहायता करते, लोगों के साथ संपर्क करके उनके रोज़गार के अवसर तलाशते और उनके लिए प्रार्थनाएं किया करते थे। लेकिन एक समस्या बार-बार सामने आने लगी, जब किसी को नौकरी मिल जाती तो विरला ही कोई होगा जो समूह के लोगों को प्रोत्साहित करने लौटा होगा। इससे समूह में शेष रह गए लोगों में एकाकीपन और निराशा बढ़ जाती थी।

   लेकिन इस से भी बदतर थीं वे टिप्पणियाँ जो उन लोगों से सुनने को मिलती थीं जिन्होंने कभी बेरोज़गारी का कष्ट अनुभव नहीं करा था। उन लोगों की बातें अय्युब के मित्रों द्वारा उसके कष्ट के समय में उस पर लगाए जाने वाले लांछनों के समान ही होते थे; जैसा अय्युब के मित्रों ने उससे कहा: "और यदि तू निर्मल और धमीं रहता, तो निश्चय वह तेरे लिये जागता; और तेरी धमिर्कता का निवास फिर ज्यों का त्यों कर देता" (अय्युब 8:6)। जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब और उसके मित्रों के बीच हो रहे इस संवाद को पढ़ते हैं तो अय्युब की पुस्तक के बारहवें अध्याय में पहुँचने तक अय्युब उनसे कहना आरंभ कर देता है कि जिन लोगों का जीवन सरल रहा है, वह उन से उपेक्षित अनुभव कर रहा है (पद 5)।

   जब हमारे लिए सब कुछ अच्छा चल रहा हो तब कभी-कभी हम यह सोचना आरंभ कर देते हैं कि या तो हम उन लोगों से जो कष्ट में होकर निकल रहे हैं भले हैं, या फिर परमेश्वर उनसे तो कम और हम से अधिक प्रेम रखता है। हम यह नज़रन्दाज़ कर बैठते हैं कि परमेश्वर तो सभी से समान ही प्रेम रखता है, और सब का ही भला चाहता है, इसीलिए तो उसने सारे संसार के सभी लोगों के उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु को इस संसार में बलिदान होने के लिए भेजा। साथ ही हम यह भी भूल जाते हैं कि इस पतित संसार के दुषप्रभाव किसी को भी, कभी भी और किसी भी सीमा तक प्रभावित कर सकते हैं; जो स्थिति आज किसी और की है, वही या उससे भी बुरी कल हमारी भी हो सकती है।

   हम चाहे अच्छे समय से होकर निकल रहे हों या फिर बुरे, हमें परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता सदा ही रहती है। परमेश्वर हम से यह भी आशा रखता है कि उसके द्वारा हमें प्रदान करी गई सफलता, समृद्धि और सामर्थ को हम दूसरों की भलाई और प्रोत्साहन में उपयोग करें। वह हमें आलोचक नहीं प्रोत्साहक देखना चाहता है। - रैन्डी किलगोर


परमेश्वर के प्रति दीनता हमें दूसरों के प्रति नम्रता प्रदान करती है।

हम पर अनुग्रह कर, हे यहोवा, हम पर अनुग्रह कर, क्योंकि हम अपमान से बहुत ही भर गए हैं। हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है। - भजन 123:3-4

बाइबल पाठ: अय्युब 12:1-10
Job 12:1 तब अय्यूब ने कहा; 
Job 12:2 नि:सन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी। 
Job 12:3 परन्तु तुम्हारी नाईं मुझ में भी समझ है, मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो? 
Job 12:4 मैं ईश्वर से प्रार्थना करता था, और वह मेरी सुन लिया करता था; परन्तु अब मेरे पड़ोसी मुझ पर हंसते हैं; जो धमीं और खरा मनुष्य है, वह हंसी का कारण हो गया है। 
Job 12:5 दु:खी लोग तो सुखियों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; और जिनके पांव फिसला चाहते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है। 
Job 12:6 डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो ईश्वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; और उनके हाथ में ईश्वर बहुत देता है। 
Job 12:7 पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। 
Job 12:8 पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी। 
Job 12:9 कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है। 
Job 12:10 उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 33-35
  • मत्ती 10:1-20


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