संसार के अनेक देश बसन्त ऋतु के स्वागत में ट्यूलिप दिवस मनाते हैं। ट्यूलिप की बात करने पर मेरा ध्यान निदिरलैंड देश पर जाता है जो अपने ट्यूलिप्स की खेती के लिए विश्व-विख्यात है। किंतु ट्यूलिप्स की व्यावसायिक खेती मध्य-पूर्व में आरंभ हुई थी, और आज ये रंगबिरंगे सुन्दर फूल सारे संसार में पाए जाते हैं। अनुमान है कि आज इस फूल की 109 उप-जातियाँ संसार भर में उद्यानों, मार्गों के किनारे, घरों के बाग़ीचों और अन्य स्थानों पर उगाई जाती हैं। पिछली पतझड़ मैंने ट्यूलिप की कुछ गाँठें अपने बाग़ीचे में बोई थीं। अब कुछ महीने पश्चात, बसन्त ऋतु के आगमन पर मेरे बाग़ीचे में सुन्दर ट्यूलिप के फूल दिखाई दे रहे हैं और मुझे स्मरण करवा रहे हैं कि ग्रीष्म ऋतु भी आने वाली है, जिसके साथ आँखों को आनन्दित करने के लिए और भी फूल देखाई देंगे।
मेरे लिए फूल परमेश्वर के अद्भुत अनुग्रह को स्मरण करवाने का माध्यम हैं। हमारे प्रभु यीशु ने अपने महान पहाड़ी उपदेश में ट्यूलिप के फुलों के समान उगने वाले सोसन के फूलों के द्वारा परमेश्वर के इस अनुग्रह के बारे में शिक्षा देते हुए कहा, "और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं। तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था। इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?" (मत्ती 6:28-30)।
ये फूल हमें प्रति वर्ष शीत ऋतु के अन्त और बसन्त के आगमन को दर्शाते हैं, साथ ही यह भी स्मरण करवाते हैं कि वह परमेश्वर जो इन फूलों का ध्यान रखता है, उन्हें सारी शीत ऋतु में सुरक्षित रखता है तथा बसन्त के आगमन पर उन्हें धरती के अन्दर से फूट कर बाहर आने और सुन्दरता बिखरने की सामर्थ देता है, वही परमेश्वर पिता मेरा भी ध्यान रखता है, मेरी भी मेरी सुरक्षा तथा प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के इंतिज़ाम करता है, उचित समय पर विलक्षण रीति से मुझ में होकर संसार पर अपनी महिमा प्रगट करता है। - डेनिस फिशर
यदि प्रभु यीशु फूलों और पक्षियों का ध्यान रखता है, तो निःसन्देह वह मेरा और आपका भी ध्यान रखता है।
सो जब तुम बुरे हो कर अपने लड़के-बालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा। - लूका 11:13
बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
Matthew 6:28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
एक साल में बाइबल:
2 राजा 17-18
यूहन्ना 3:19-36
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