ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 12 मई 2015

आनन्द


   मैं बच्चों की एक बेसबॉल टीम के प्रशिक्षक का कार्य कर रहा था; एक खेल के दौरान बेसबॉल की गेन्द आकर एक बच्चे के मुँह पर लगी। उसे कोई गंभीर चोट तो नहीं आई किंतु वह इस अनुभव से डर अवश्य गया। इसके बाद हर खेल में वह बहादुरी के साथ प्रयास तो करता रहा किंतु गेन्द को बल्ले से मार पाना उसके लिए लगभग असंभव सा हो गया। अपने अन्तिम खेल में हम प्रतिद्वंदी टीम से बहुत पिछड़ गए थे, और हमारे पास आनन्दित होने की कोई आशा या कारण नहीं रह गया था। ऐसे में उस बच्चे की बारी आई और वह गेन्द को मारने के लिए स्थान पर जाकर खड़ा हो गया; गेन्द उसकी ओर फेंकी गई, और सब देखकर दंग रह गए कि उसने पूरी ताकत से गेन्द को ऐसा मारा कि वह दूर तक चली गई। टीम के उसके सभी साथी खुशी से झूम उठे; उसके अपने तथा अन्य बच्चों के अभिभावक एवं माता-पिता खुशी से उसे प्रोत्साहित करने लगे, और यद्यपि हम अभी खेल को हारने की स्थिति से बाहर नहीं आए थे, मैं तो ज़ोर ज़ोर से उछल कर खुशी से चिल्लाने लगा। हम सब उस बच्चे के साहस से अति आनन्दित हो गए थे।

   मुझे लगता है कि ऐसे ही हमारा परमेश्वर पिता भी हमें जीवन में प्रोत्साहित करता है। वह हम से बहुत प्रेम करता है और कहता है कि तुम "सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ" (इफिसियों 3:18-19)।

   कुछ लोग सोचते हैं कि परमेश्वर हम से प्रेम नहीं करता, वरन इस इंतज़ार में रहता है कि हम कोई गलती करें और वह हमें द्ण्डित करे। ऐसे लोगों को परमेश्वर के हमारे प्रति गहरे प्रेम के बारे में बताने का हमें अवसर रहता है। उनके उस आनन्द की कलपना कीजिए जब आप उन्हें परमेश्वर के प्रेम के बारे में बताएंगे कि कैसे उस प्रेम में होकर उसने हम सभी के पापों के प्रायश्चित के लिए अपने एकलौते पुत्र को कलवरी के क्रूस पर बलिदान होने के लिए दे दिया जो आज भी अपने लोगों के लिए प्रार्थना निवेदन करता है तथा उन्हें प्रोत्साहित करता है, और वे उस प्रेम को अनुभव करने पाएंगे। इस आनन्द को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाईए। - रैन्डी किलगोर


प्रभु यीशु के कीलों से छिदे हाथ, परमेश्वर के प्रेम से भरे हृदय को दिखाते हैं।

और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने। - यूहन्ना 17:3

बाइबल पाठ: इफिसियों 3:14-21
Ephesians 3:14 मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं, 
Ephesians 3:15 जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है। 
Ephesians 3:16 कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ। 
Ephesians 3:17 और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। 
Ephesians 3:18 सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। 
Ephesians 3:19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
Ephesians 3:20 अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है, 
Ephesians 3:21 कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 15-16
  • यूहन्ना 3:1-18



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें