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रविवार, 23 अगस्त 2015

उपहार


   सर क्रिस्टोफर रेन ने 17वीं शताब्दी के अन्त के समय में लंडन शहर में 50 से भी अधिक चर्च भवनों का नक्शा और निर्माण किया। उनके चर्च भवन बनाने में दो प्रमुख विशेषताएं थीं, पहली थी कि उनके द्वारा योजनाबद्ध किए हुए चर्च में ऊँचे और नोकीले, मीनार के समान दिखने वाले ढांचे होते थे। दूसरी विशेषता के साथ कुछ गहरा अर्थ जुड़ा हुआ था। रेन को इस बात का दृढ़ निश्चय था कि उनके द्वारा बनाए गए चर्च भवन की खिड़कियों में काँच पारदर्शी और रंगहीन हों, जबकि उन दिनों चर्च में रंगीन और चित्रों को दिखाने वाले काँच लगाने की परंपरा थी। पारदर्शी और रंगविहीन काँच लगाने के पीछे रेन का कारण, रेन ही के शब्दों में था: "मानव जाति के लिए परमेश्वर का सबसे उत्तम उपहार ज्योति है।" रेन चाहते थे कि जब लोग परमेश्वर की आराधना के लिए चर्च में एकत्रित हों तो वे परमेश्वर के उस उपहार, ज्योति, में बैठें और उसका भरपूर उपयोग करें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में उत्पत्ति की पुस्तक में दिए गए सृष्टि की रचना के वर्णन में सृष्टि की रचना के पहले ही दिन परमेश्वर ने ज्योति को बनाया (उत्पत्ति 1:3)। परमेश्वर द्वारा बनाई गई ज्योति केवल देखने का माध्यम ही नहीं थी, वह उस आने वाली बात का भी प्रतिरूप थी जो बाद में प्रभु यीशु अपने साथ इस पाप के अन्धकार से भरे संसार में लेकर आया। प्रभु यीशु ने अपने बारे में कहा, "तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा" (यूहन्ना 8:12)। प्रभु यीशु के अनुयायी के लिए, ज्योति, उसके तथा संसार के मुक्तिदाता के चरित्र को स्मरण करवाने का एक बड़ा और प्रत्यक्ष माध्यम है; पापों के दुषप्रभाव से मिलने वाली उस मुक्ति का जिसके लिए प्रभु यीशु ने अपने प्राण क्रूस पर बलिदान किए थे।

   रेन का मानना बिल्कुल सही था; मानव जाति के लिए परमेश्वर का सबसे बड़ा उपहार ज्योति ही है - प्रभु यीशु, जो जगत की ज्योति है। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु पाप के अन्धकार में पड़े संसार को अनन्त जीवन की ज्योति देने आया।

और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे। - यूहन्ना 3:19

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:12-20
John 8:12 तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। 
John 8:13 फरीसियों ने उस से कहा; तू अपनी गवाही आप देता है; तेरी गवाही ठीक नहीं। 
John 8:14 यीशु ने उन को उत्तर दिया; कि यदि मैं अपनी गवाही आप देता हूं, तौभी मेरी गवाही ठीक है, क्योंकि मैं जानता हूं, कि मैं कहां से आया हूं और कहां को जाता हूं परन्तु तुम नहीं जानते कि मैं कहां से आता हूं या कहां को जाता हूं। 
John 8:15 तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता। 
John 8:16 और यदि मैं न्याय करूं भी, तो मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अकेला नहीं, परन्तु मैं हूं, और पिता है जिसने मुझे भेजा। 
John 8:17 और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है; कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है। 
John 8:18 एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूं, और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिसने मुझे भेजा। 
John 8:19 उन्होंने उस से कहा, तेरा पिता कहां है? यीशु ने उत्तर दिया, कि न तुम मुझे जानते हो, न मेरे पिता को, यदि मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते। 
John 8:20 ये बातें उसने मन्दिर में उपदेश देते हुए भण्‍डार घर में कहीं, और किसी ने उसे न पकड़ा; क्योंकि उसका समय अब तक नहीं आया था।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 113-115
  • 1 कुरिन्थियों 6


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