रेडियो पर एक चर्च के बारे में दिए जा रहे विज्ञापन की ओर मेरा ध्यान गया; विज्ञापन में कहा जा रहा था, "क्योंकि आपने मसीही विश्वास के बारे में सुना है, इसलिए आप धर्म में भी रुचि रखें यह आवश्यक नहीं; आपको जानकर अचंभा होगा कि जगत का उद्धारकर्ता प्रभु यीशु भी धर्म में कम ही रुचि रखता था। लेकिन प्रभु यीशु आपस में एक दूसरे से प्रेम रखना और एक दूसरे से संबंध बनाए में बहुत रुचि रखते थे। संभव है कि आपको हमारे चर्च की हर बात पसन्द ना आए, लेकिन हम आपसे सच्चा सम्बंध बनाना चाहते हैं, तथा हम परमेश्वर से और एक दुसरे से प्रेम करना सीख रहे हैं। आपका स्वागत है।"
मुझे लगा कि इस चर्च विज्ञापन में प्रभु यीशु तथा धर्म से कही गई कुछ बातें आवश्यकता से अधिक बढ़ा-चढ़ा कर कही गई थीं, क्योंकि परमेश्वर का वचन बाइबल याकूब 1:27 में एक दुसरे की सहायता के लिए गए कार्यों को निर्मल भक्ति कहती है। लेकिन यह भी सत्य है कि अपने समय के धर्म-गुरुओं और धार्मिक अगुवों के साथ प्रभु यीशु की तकरार रहती थी। प्रभु यीशु ने फरीसियों के लिए कहा कि वे परमेश्वर से नहीं वरन परंपराओं से प्रेम करने वाले लोग थे और, "इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो" (मत्ती 23:28)। प्रभु यीशु ने उनके साथ रिश्ता बनाना चाहा, परन्तु वे प्रभु यीशु के पास आना नहीं चाहते थे (यूहन्ना 5:40), और ना ही उनके मन में परमेश्वर के लिए प्रेम था (यूहन्ना 5:42)।
यदि धर्मी होने का अर्थ है कुछ नियमों का पालन करना जिससे हम कुछ लोगों को बाहरी तौर पर अच्छे लग सकें, ना कि जगत के उद्धारकर्ता के साथ एक संबंध बनाना, तो फिर प्रभु यीशु ऐसी धार्मिकता में कोई रुचि नहीं रखता है। परन्तु जो कोई भी उसके अनुग्रह के द्वारा, उस से मिलने वाली पापों की क्षमा में हो कर उसके साथ एक निकट संबंध बनाना चाहता है, प्रभु यीशु उसका स्वागत करता है, उसे अपने से कभी दूर नहीं करेगा, उसके साथ एक अटूट एवं अनन्तकाल का संबंध बना के रखेगा। - अनी सेटास
प्रत्येक हृदय में एक ऐसी अभिलाषा है जिसकी संतुष्टि केवल प्रभु यीशु द्वारा ही हो सकती है।
जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा। - यूहन्ना 6:37
बाइबल पाठ: यूहन्ना 5:18, 37-47
John 5:18 इस कारण यहूदी और भी अधिक उसके मार डालने का प्रयत्न करने लगे, कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता, परन्तु परमेश्वर को अपना पिता कह कर, अपने आप को परमेश्वर के तुल्य ठहराता था।
John 5:37 और पिता जिसने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है।
John 5:38 और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते क्योंकि जिसे उसने भेजा उस की प्रतीति नहीं करते।
John 5:39 तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है।
John 5:40 फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते।
John 5:41 मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता।
John 5:42 परन्तु मैं तुम्हें जानता हूं, कि तुम में परमेश्वर का प्रेम नहीं।
John 5:43 मैं अपने पिता के नाम से आया हूं, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
John 5:44 तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो अद्वैत परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो?
John 5:45 यह न समझो, कि मैं पिता के साम्हने तुम पर दोष लगाऊंगा: तुम पर दोष लगाने वाला तो है, अर्थात मूसा जिस पर तुम ने भरोसा रखा है।
John 5:46 क्योंकि यदि तुम मूसा की प्रतीति करते, तो मेरी भी प्रतीति करते, इसलिये कि उसने मेरे विषय में लिखा है।
John 5:47 परन्तु यदि तुम उस की लिखी हुई बातों की प्रतीति नहीं करते, तो मेरी बातों की क्योंकर प्रतीति करोगे।
एक साल में बाइबल:
- भजन 140-142
- 1 कुरिन्थियों 14:1-20
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें