ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

पूर्ति लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पूर्ति लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

भरोसा



      जब एन्ड्रयू चीटल ने समुद्र तट पर अपना फोन खोया तो उसे भरोसा नहीं था कि वह उसे कभी मिल जाएगा। किन्तु इसके लगभग एक सप्ताह के बाद, एक मछुआरे, ग्लेन केरली ने, उसे फोन किया। ग्लेन को एन्ड्रयू का फोन एक 25 पौंड वज़न की मछली के पेट में से मिला था, और उसे सुखा लेने के पश्चात, वह फिर भी काम कर रहा था।

      जीवन विचित्र घटनाओं से भरा पड़ा है, और परमेश्वर के वचन बाइबल में भी ऐसी घटनाओं की कोई कमी नहीं है। हम प्रभु यीशु के जीवन से संबंधित घटनाओं में पाते हैं कि एक बार मंदिर का कर लेने वाले कुछ अधिकारी प्रभु के शिष्य पतरस के पास आए, और उससे पूछा, “क्या तुम्हारा गुरू मन्दिर का कर नहीं देता?” (मत्ती 17:24)। प्रभु यीशु ने इस अवसर को एक शिक्षा देने का अवसर बना दिया। प्रभु चाहता था कि पतरस प्रभु के राजा होने को समझे। राजा की संतानों से कर नहीं लिए जाते थे, और प्रभु ने यह स्पष्ट किया कि न तो राजा और न ही उसकी संतान मंदिर का कर देने के लिए बाध्य थे (पद 25-26)।

      परन्तु प्रभु किसी को कोई “ठोकर” भी नहीं देना चाहते थे (पद 27), इसलिए प्रभु ने पतरस से कहा कि वह जाकर मछली पकड़े – और यह इस घटना का विचित्र भाग है – जो पहली मछली पतरस ने पकड़ी, उसके मुंह में एक सिक्का था; प्रभु ने कहा कि उस सिक्के से वह मंदिर का कर चुका दे।

      प्रभु यीशु यहाँ पर क्या भरोसा दिला रहे हैं? चाहे लोग उसे न भी पहचानें, किन्तु इस सृष्टि के सार्वभौमिक राजा और अधिकारी वे ही हैं। सारी सृष्टि की हर वस्तु उनकी आज्ञा मानती है। जब हम अपने जीवनों में उन्हें प्रभु मानकर, अपना जीवन उन्हें सच्चे मन और स्वेच्छा से पूर्णतः समर्पित कर देते हैं, उनपर विश्वास करने लगते हैं, तो हम उनकी संतान हो जाते हैं।

      जीवन अपनी विभिन्न मांगें फिर भी हमारे सामने उठाएगा, परन्तु हम हर परिस्थिति में भरोसा रख सकते हैं कि प्रभु हमारी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति करेगा। जैसे कि भूतपूर्व पास्टर डेविड पौमपो ने कहा, “जब हम अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता के लिए मछुआरे बन जाते हैं, तो हम अपनी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए उस पर भरोसा रख सकते हैं।” – टिम गुस्ताफ्सन

हम मसीही विश्वासी राजा की संतान हैं!

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: मत्ती 17:24-27
Matthew 17:24 जब वे कफरनहूम में पहुंचे, तो मन्दिर के लिये कर लेने वालों ने पतरस के पास आकर पूछा, कि क्या तुम्हारा गुरू मन्दिर का कर नहीं देता? उसने कहा, हां देता तो है।
Matthew 17:25 जब वह घर में आया, तो यीशु ने उसके पूछने से पहिले उस से कहा, हे शमौन तू क्या समझता है पृथ्वी के राजा महसूल या कर किन से लेते हैं? अपने पुत्रों से या परायों से? पतरस ने उन से कहा, परायों से।
Matthew 17:26 यीशु ने उस से कहा, तो पुत्र बच गए।
Matthew 17:27 तौभी इसलिये कि हम उन्हें ठोकर न खिलाएं, तू झील के किनारे जा कर बंसी डाल, और जो मछली पहिले निकले, उसे ले; तो तुझे उसका मुंह खोलने पर एक सिक्का मिलेगा, उसी को ले कर मेरे और अपने बदले उन्हें दे देना।

एक साल में बाइबल: 
  • हाग्गै 1-2
  • प्रकाशितवाक्य 17



शनिवार, 8 सितंबर 2018

स्त्रोत



      मैं 18 वर्ष की थी जब मुझे मेरी पहली पूर्णकालिक नौकरी मिली, और मैंने पैसे बचाने के अनुशासन के बारे में एक महत्वपूर्ण शिक्षा सीखी। मैं काम करती रही और पैसे बचाती रही, जब तक कि मेरे पास स्कूल की एक वर्ष की फीस चुकाने के लिए पैसे एकत्रित नहीं हो गए। तभी मेरी माँ को अचानक ही ऑपरेशन के लिए ले जाना पड़ा, और मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास बैंक में उनके इलाज के लायक पैसे हैं। मेरी माँ के प्रति मेरा प्रेम, मेरे भविष्य के लिए मेरी योजनाओं से बढ़कर था।

      ऐसे में इलाज़बेथ इलियट द्वारा उनकी पुस्तक Passion and Purity में लिखे गए ये शब्द मेरे लिए और भी अधिक अर्थपूर्ण हो गए: “यदि हमें जो दिया गया है, हम उसे कस कर पकड़ लेते हैं और समयानुसार उसे छोड़ने को तैयार नहीं होते हैं, या उसका वैसा प्रयोग नहीं करते हैं जैसा हमें देने वाला चाहता है कि हम करें, तो हम अपनी आत्मा की उन्नति में बाधा डालते हैं। यहाँ यह गलती करना बहुत सरल रहता है कि हम यह कहें कि ‘क्योंकि यह मुझे परमेश्वर से मिला है इसलिए यह मेरा ही है; मैं इसके साथ जैसा चाहे वैसा कर सकता हूँ।’ जी नहीं! सत्य यह है कि वह हमारे पास इसलिए है जिससे हम उसके लिए उस देने वाले स्त्रोत का धन्यवाद करें, और उस वस्तु को पुनः उसे ही समर्पित कर दें,...वह दे देने के लिए मेरा है।”

      उस समय मुझे एहसास हुआ कि मेरी नौकरी, और पैसे बचाने का मेरा वह अनुशासन मुझे परमेश्वर से मिले उपहार थे! मैं अपने परिवार को उदारता से दे सकी क्योंकि मैं जानती थी कि परमेश्वर किसी और रीति से मुझे स्कूल की पढ़ाई करवा देगा, और उसने ऐसा ही किया भी।

      आज परमेश्वर कैसे चाहता है कि हम दाऊद की प्रार्थना, “मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है” (1 इतिहास 29:14) को अपने जीवनों में  लागू करें; यह जानते और मानते हुए कि परमेश्वर ही हमारी सभी आवाश्यकताओं की पूर्ति का स्त्रोत है। - कीला ओकोआ


सब कुछ परमेश्वर का, और परमेश्वर से ही है।

क्योंकि उस की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उस की महिमा युगानुयुग होती रहे: आमीन। - रोमियों 11:36

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 29:14
1 Chronicles 29:14 मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।
1 Chronicles 29:15 तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं के समान पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीते जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं।
1 Chronicles 29:16 हे हमारे परमेश्वर यहोवा! वह जो बड़ा संचय हम ने तेरे पवित्र नाम का एक भवन बनाने के लिये किया है, वह तेरे ही हाथ से हमे मिला था, और सब तेरा ही है।
1 Chronicles 29:17 और हे मेरे परमेश्वर! मैं जानता हूँ कि तू मन को जांचता है और सिधाई से प्रसन्न रहता है; मैं ने तो यह सब कुछ मन की सिधाई और अपनी इच्छा से दिया है; और अब मैं ने आनन्द से देखा है, कि तेरी प्रजा के लोग जो यहां उपस्थित हैं, वह अपनी इच्छा से तेरे लिये भेंट देते हैं।
1 Chronicles 29:18 हे यहोवा! हे हमारे पुरखा इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर! अपनी प्रजा के मन के विचारों में यह बात बनाए रख और उनके मन अपनी ओर लगाए रख।
1 Chronicles 29:19 और मेरे पुत्र सुलैमान का मन ऐसा खरा कर दे कि वह तेरी आज्ञाओं चितौनियों और विधियों को मानता रहे और यह सब कुछ करे, और उस भवन को बनाए, जिसकी तैयारी मैं ने की है।


एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 3-5
  • 2 कुरिन्थियों 1



शनिवार, 7 अप्रैल 2018

इच्छा एवं योजना



   मेरे पति जब 18 वर्ष के थे तब उन्होंने कारों की सफाई करने का व्यवसाय आरंभ किया था। उन्होंने एक गैराज को किराए पर लिया, सहायकों को वेतन पर रखा, और विज्ञापन के लिए पर्चे छपवा कर बंटवाए। उनका यह व्यवसाय चल निकला। उनका उद्देश्य था कि वे इस व्यवसाय को बेचकर उससे मिलने वाले धन से अपनी कॉलेज की पढाई का खर्चा उठाएंगे। इसलिए जब एक ग्राहक ने व्यवसाय को खरीदने में रुचि दिखाई तो वे बहुत प्रसन्न हुए। कुछ बातचीत और मोल-भाव के बाद ऐसा लगा कि यह सौदा सफल हो जाएगा; परन्तु एन मौके पर आकर सौदा चूक गया। फिर इसके सात महीन बाद ही व्यवसाय बेचने की उनकी योजना सफल हुई।

   यदि हमारी योजनाओं के संबंध में परमेश्वर की योजनाएं और पूर्ति के समय हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होते हैं, तो निराश होना स्वाभाविक होता है। हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि जब राजा दाऊद ने परमेश्वर के मंदिर को बनवाना चाहा, तो उसका उद्देश्य सही था, उसका नेतृत्व सही था, और उसके पास इसके लिए आवश्यक सभी संसाधन थी उपलब्ध थे। परन्तु परमेश्वर ने उसे मंदिर बनावाने से मना किया, क्योंकि उसने युद्ध में बहुत से लोगों का खून बहाया था (1 इतिहास 22:8)।

   परमेश्वर की इस बात को सुनकर दाऊद क्रोधित हो सकता था, खीज कर मुँह फुला सकता था, या फिर अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए परमेश्वर की बात को अनदेखा कर के आगे बढ़ सकता था। परन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया, वरन दीनता से परमेश्वर के सामने झुक गया और कहा, “...हे यहोवा परमेश्वर! मैं क्या हूँ? और मेरा घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है” (1 इतिहास 17:16)। इसके आगे दाऊद ने परमेश्वर की आराधना की, और उसके प्रति अपने समर्पण और भक्ति की पुष्टि की। अपनी इच्छाओं से अधिक, वह परमेश्वर के साथ अपने संबंध को महत्व एवँ मूल्य देता था।

   हमारे लिए यह विचार करने की बात है कि हमारे लिए किस का अधिक महत्व और कीमत है – हमारी अपनी इच्छाओं एवँ योजनाओं की पूर्ति होने की, या परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम, समर्पण और आज्ञाकारिता की? – जेनिफर बेन्सन शुल्ट


सच्ची संतुष्टि परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित होने से मिलती है।

हे यहोवा, मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है, या आदमी क्या है, कि तू उसकी कुछ चिन्ता करता है? – भजन 144:3

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 17:1-20
1 Chronicles 17:1 जब दाऊद अपने भवन में रहने लगा, तब दाऊद ने नातान नबी से कहा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु यहोवा की वाचा का सन्दूक तम्बू में रहता है।
1 Chronicles 17:2 नातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर, क्योंकि परमेश्वर तेरे संग है।
1 Chronicles 17:3 उसी दिन रात को परमेश्वर का यह वचन नातान के पास पहुंचा, जा कर मेरे दास दाऊद से कह,
1 Chronicles 17:4 यहोवा यों कहता है, कि मेरे निवास के लिये तू घर बनवाने न पाएगा।
1 Chronicles 17:5 क्योंकि जिस दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से ले आया, आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा; परन्तु एक तम्बू से दूसरे तम्बू को ओर एक निवास से दूसरे निवास को आया जाया करता हूँ।
1 Chronicles 17:6 जहां जहां मैं ने सब इस्राएलियों के बीच आना जाना किया, क्या मैं ने इस्राएल के न्यायियों में से जिन को मैं ने अपनी प्रजा की चरवाही करने को ठहराया था, किसी से ऐसी बात कभी कही, कि तुम लोगों ने मेरे लिये देवदारु का घर क्यों नहीं बनवाया?
1 Chronicles 17:7 सो अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तो तुझ को भेड़शाला से और भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से इस मनसा से बुला लिया, कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए;
1 Chronicles 17:8 और जहां कहीं तू आया और गया, वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे सब शत्रुओं को तेरे साम्हने से नष्ट किया है। अब मैं तेरे नाम को पृथ्वी के बड़े बड़े लोगों के नामों के समान बड़ा कर दूंगा।
1 Chronicles 17:9 और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा कि वह अपने ही स्थान में बसी रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटिल लोग उन को नाश न करने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे;
1 Chronicles 17:10 उस समय भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; सो मैं तेरे सब शत्रुओं को दबा दूंगा। फिर मैं तुझे यह भी बताता हूँ, कि यहोवा तेरा घर बनाये रखेगा।
1 Chronicles 17:11 जब तेरी आयु पूरी हो जायेगी और तुझे अपने पितरों के संग जाना पड़ेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे पुत्रों में से होगा, खड़ा कर के उसके राज्य को स्थिर करूंगा।
1 Chronicles 17:12 मेरे लिये एक घर वही बनाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।
1 Chronicles 17:13 मैं उसका पिता ठहरूंगा और वह मेरा पुत्र ठहरेगा; और जैसे मैं ने अपनी करुणा उस पर से जो तुझ से पहिले था हटाई, वैसे मैं उस पर से न हटाऊंगा,
1 Chronicles 17:14 वरन मैं उसको अपने घर और अपने राज्य में सदैव स्थिर रखूंगा और उसकी राजगद्दी सदैव अटल रहेगी।
1 Chronicles 17:15 इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।
1 Chronicles 17:16 तब दाऊद राजा भीतर जा कर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे यहोवा परमेश्वर! मैं क्या हूँ? और मेरा घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है?
1 Chronicles 17:17 और हे परमेश्वर! यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई, क्योंकि तू ने अपने दास के घराने के विषय भविष्य के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, और हे यहोवा परमेश्वर! तू ने मुझे ऊंचे पद का मनुष्य सा जाना है।
1 Chronicles 17:18 जो महिमा तेरे दास पर दिखाई गई है, उसके विषय दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तू तो अपने दास को जानता है।
1 Chronicles 17:19 हे यहोवा! तू ने अपने दास के निमित्त और अपने मन के अनुसार यह बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।
1 Chronicles 17:20 हे यहोवा! जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर है।


एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 7-9
  • लूका 9:18-36



रविवार, 6 दिसंबर 2015

आवश्यकता से बढ़कर


   मैंने अपने घर में मित्रों के एक बड़े समूह की मेज़बानी आयोजित करी। जब भोजन का समय निकट आया तो मुझे आशंका हुई कि इतने लोगों में मेरे द्वारा बनाया गया भोजन कहीं कम ना पड़ जाए। लेकिन मेरी यह चिंता व्यर्थ थी। आने वाले अनेक मेहमान मित्र अपने साथ कुछ कुछ भोजन वस्तु लेकर आए, और उन सब को मिलाकर हमारे पास आवश्यकता से अधिक भोजन सामग्री हो गई जिसे हम सब ने छक कर खाया और आपस में बाँट भी लिया।

   हम मसीही विश्वासी बहुतायत के परमेश्वर की सेवा करते हैं; परमेश्वर के भण्डारों में कभी कोई घटी नहीं होती, वरन सदा सब कुछ आवश्यकता से अधिक उपलब्ध होता है जिसे वह अपने सब बच्चों को वैसे ही उदारता से देता है जैसे उसने अपने प्रेम को हमपर उदारता से उण्डेला है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 103 में दाऊद हमें परमेश्वर से मिलने वाले अनेक उपहारों के विषय में लिखता है, जिनमें से एक है: "वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है" (भजन 103:4)।

   प्रेरित पौलुस हमें स्मरण कराता है कि, "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उसने हमें मसीह में स्‍वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है" (इफिसियों 1:3); और परमेश्वर "ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है" (इफिसियों 3:20)।

   परमेश्वर के हमारे प्रति ऐसे महान प्रेम के कारण ही हम परमेश्वर की सनतान कहलाते हैं (1 यूहन्ना 3:1) जिस कारण "परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो" (2 कुरिन्थियों 9:8)।

   हमारे जीवनों में बहुतायत से उण्डेला गया परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह हमें इस योग्य बनाता है कि हम अपनी आशीषों को दूसरों के साथ बाँट सकें। हमें सब बातों और सब आवश्यकताओं के लिए निश्चिंत रहना चाहिए क्योंकि हमारे परमेश्वर पिता की सामर्थ और भण्डारों की भरपूरी सदा ही हमारी आवश्यकताओं से कहीं अधिक बढ़कर रहती है। - सिंडी हैस कैस्पर


जब परमेश्वर हमारी आपूर्ति करने वाला हो तो हमारे पास सदा आवश्यकता से बढ़कर ही उपलब्ध रहता है।

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना। - 1 यूहन्ना 3:1

बाइबल पाठ: भजन 103
Psalms 103:1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 
Psalms 103:2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 
Psalms 103:3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, 
Psalms 103:4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है, 
Psalms 103:5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
Psalms 103:6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है। 
Psalms 103:7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए। 
Psalms 103:8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। 
Psalms 103:9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। 
Psalms 103:10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। 
Psalms 103:11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। 
Psalms 103:12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। 
Psalms 103:13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। 
Psalms 103:14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।
Psalms 103:15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है, 
Psalms 103:16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है। 
Psalms 103:17 परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है, 
Psalms 103:18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण कर के उन पर चलते हैं।
Psalms 103:19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है। 
Psalms 103:20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो! 
Psalms 103:21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो! 
Psalms 103:22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल 3-4
  • 1यूहन्ना 5


शनिवार, 10 अक्टूबर 2015

गवाह


   अपनी किशोरावस्था में मैंने एक वाहन दुर्घटना देखी। अपने आप में यही एक स्तब्ध कर देने वाला अनुभव था, लेकिन जो कुछ इसके बाद हुआ वह इससे भी अधिक परेशान कर देने वाला था। क्योंकि उस दुर्घटना का मैं ही एक मात्र गवाह था, इसलिए कुछ महीनों तक मुझे बार बार पुलिस, वकीलों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को उस दुर्घटना का विवरण देना पड़ा। उन्हें मुझ से उस दुर्घटना के घटित होने के पीछे के कारण या उस दुर्घटना से उत्पन्न हुई चिकित्सा संबंधित बातों पर मेरी राय अथवा टिप्पणी नहीं चाहिए थी, उन्हें केवल जो मैंने होते देखा उसका ही विवरण चाहिए था।

   प्रभु यीशु के अनुयायी होने के नाते हमें संसार के सामने वह रखना है जो हमने अपने जीवनों में प्रभु यीशु के द्वारा होते देखा या अनुभव किया है। लोगों को प्रभु यीशु की ओर प्रेरित करने के लिए आवश्यक नहीं कि हम उनके सभी प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर देने पाएं या धर्मविज्ञान को समझाने पाएं। जो हमें करना है वह इतना ही है कि हम प्रभु यीशु के क्रूस और पुनरुत्थान के कारण हमारे जीवन में जो कुछ हुआ उसे लोगों को बताएं। इसमें सब से अच्छी बात यह है कि ऐसा करने के लिए हमें अपनी किसी क्षमता पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है; हमारे गवाह होने के लिए प्रभु यीशु ने हमारे लिए एक सहायक नियुक्त किया है: "परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरितों 1:8)।

   हम जितना परमेश्वर के पवित्रात्मा के मार्गदर्शन और सामर्थ पर निर्भर होकर प्रभु यीशु के गवाह होने की अपनी ज़िम्मेदारी को निभाएंगे, उतने ही अधिक प्रभावी रीति से हम पाप से आहत संसार को पाप से राहत देने वाले प्रभु यीशु की ओर प्रेरित कर सकेंगे। प्रभु यीशु द्वारा हमारे बदले गए जीवनों की गवाही दूसरों के भी इस आशीष को पाने में उपयोगी हो जाएगी। - बिल क्राउडर


हमारी गवाही परमेश्वर द्वारा हमारे जीवन में हुए कार्यों का बताना ही है।

इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। मत्ती 28:19-20

बाइबल पाठ: प्रेरितों 1:1-9
Acts 1:1 हे थियुफिलुस, मैं ने पहिली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ में किया और करता और सिखाता रहा। 
Acts 1:2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया। 
Acts 1:3 और उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। 
Acts 1:4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो। 
Acts 1:5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे। 
Acts 1:6 सो उन्हों ने इकट्ठे हो कर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा? 
Acts 1:7 उसने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। 
Acts 1:8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। 
Acts 1:9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 34-36
  • कुलुस्सियों 2


शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015

रोटी


   ऐसे समाज में जहाँ भोजन वस्तुओं की बहुतायत और विविधता हो, रोटी को दैनिक भोजन के अनिवार्य भाग के रूप में नहीं देखा जाता है; कुछ लोग कई दिन तक बिना रोटी खाए भी अन्य वस्तुओं को खाते हुए सरलता से रह लेते हैं। लेकिन प्रभु यीशु के जीवनकाल में रोटी भोजन का अनिवार्य भाग थी; रोटी बिना भोजन की कलपना भी नहीं की जा सकती थी।

   एक दिन लोगों की एक भीड़ प्रभु यीशु को खोजती हुई आई क्योंकि उन्होंने पाँच रोटी और दो मछलियों के सहारे पाँच हज़ार से अधिक लोगों की भीड़ को खिलाया था (यूहन्ना 6:11, 26)। लोगों ने चाहा कि प्रभु यीशु उनके सामने कोई आश्चर्यकर्म करें, जैसे कि परमेश्वर ने स्वर्ग से मन्ना बरसा कर अपने लोगों की बियाबान में आवश्यकता-पूर्ति करी थी (यूहन्ना 6:30-31, निर्गमन 16:4)। लेकिन जब प्रभु यीशु ने उनसे कहा कि यीशु स्वयं ही स्वर्ग से उतरने वाली सच्ची रोटी हैं तो लोगों को उनकी बात समझ नहीं आई। लोग अपने सामने प्रत्यक्ष दैनिक भोजन वाली रोटी चाहते थे, परन्तु प्रभु यीशु उनसे उनकी आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली आत्मिक रोटी की बात कर रहा था। प्रभु यीशु का तात्पर्य था कि यदि वे साधारण सामान्य विश्वास से उसके वचनों को ग्रहण करें और अपने जीवन में उन्हें लागू करें, तो वे ना केवल अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति को होता देखेंगे वरन अनन्त आत्मिक संतुष्टि को भी अनुभव करेंगे (पद 35)।

   प्रभु यीशु हमारे जीवनों में वैकल्पिक संसाधन बनकर नहीं आना चाहता; वह हमारे जीवन का अनिवार्य भाग बनकर रहना चाहता है, ऐसा भाग जिसके बिना हमारे लिए कुछ भी कर पाने की सामर्थ रखना असंभव हो। जैसे प्रभु यीशु के समय के वे लोग बिना रोटी के भोजन की कलपना भी नहीं कर सकते थे, वैसे ही आज हम भी बिना प्रभु यीशु के जीवन की कलपना ना करें। - मार्विन विलियम्स


केवल सच्ची आत्मिक रोटी ही आत्मा की भूख मिटा सकती है।

जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा बदन है। - यूहन्ना 6:51 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:24-35
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए। 
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो। 
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर। 
John 6:35 यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 32-33
  • कुलुस्सियों 1


गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

पूर्ति


   मेरे घर में मेरे कार्यस्थल की खिड़की के बाहर गिलहरियां शीघ्र ही आने वाली शीतऋतु की तैयारी में लगी हैं; वे अपने लिए बांझ वृक्ष के फल एकत्रित कर के रख रही हैं जिससे जब बर्फ पड़े और सब कुछ बर्फ से धक जाए तब भी उनके पास उनकी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त भोजन एकत्रित हो। ऐसा करने में उनके द्वारा मचाया जाने वाला शोर मुझे मनोरंजक लगता है। इसके बिलकुल विपरीत हिरण हैं; हिरणों का पूरा झुंड मेरे घर के पिछले आंगन से होकर निकल भी जाए तो मुझे पता नहीं चल पाता क्योंकि वे शान्त रहते हैं, परन्तु एक भी गिलहरी बाहर कुछ कर रही हो तो उसका शोर सबकि उसकी उपस्थिति का एहसास करवा देता है।

   इन दोनों प्राणियों में एक और भी भिन्नता है; गिलहरियों के समान, शीतऋतु के लिए हिरण अपना भोजन एकत्रित करके नहीं रखते। जब सब तरफ बर्फ की चादर फैल जाती है तो हिरण इधर-उधर घूम्नते हुए, उन्हें जो भी मिलता है, चाहे वह घर के बाग़ीचे में लगे पौधे ही क्यों ना हों, खाते रहते हैं। किंतु यदि गिलहरियाँ ऐसा करें तो वे आवश्यक भोजन के आभाव में भूखी मर जाएंगी।

   हिरण और गिलहरियाँ परमेश्वर द्वारा हमारी देखरेख और पूर्ति करे जाने के दो उदाहरणों को दिखाते हैं। परमेश्वर ने हमें कार्य करके भविष्य के लिए संजोने की क्षमता भी दी है, और जब स्त्रोत पूरे ना पड़ने की स्थिति हो तब भी वह हमारे लिए संसाधन उपलब्ध करवा देता है।  जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन की पुस्तक में दिया गया है, परमेश्वर हमें बहुतायत के समय प्रदान करता है जिससे हम घटी के दिनों के लिए तैयार हो सकें (नीतिवचन 12:11)। साथ ही बाइबल में भजन 23 हमें आश्वस्त करता है कि संकट की स्थितियों में भी परमेश्वर हमें संभाले रखकर सुखद चारागाहों में ले जाता है। एक और तरीका है जिसके द्वारा परमेश्वर हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है - जिनके पास बहुतायत से हो, वे उनके साथ बांटें जो घटी में हों (व्यवस्थाविवरण 24:19)।

   अतः हमारी आवश्यकातों की पूर्ति के लिए बाइबल की शिक्षा है कि, जब हम कार्य सकते हैं तो कार्य करें, जब संचय कर सकते हैं तो संचय करें, और जो आवश्यकता में हैं उनके साथ अपनी आशीषों को बाँटने से ना कतराएं, और परमेश्वर पर हमारी सभी आवश्यक्ताओं की पूर्ति करते रहने के लिए विश्वास को बनाए रखें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आवश्यकताएं कभी भी परमेश्वर के संसाधनों से बढ़कर नहीं हो पाएंगी।

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 24:19-22
Deuteronomy 24:19 जब तू अपने पक्के खेत को काटे, और एक पूला खेत में भूल से छूट जाए, तो उसे लेने को फिर न लौट जाना; वह परदेशी, अनाथ, और विधवा के लिये पड़ा रहे; इसलिये कि परमेश्वर यहोवा तेरे सब कामों में तुझ को आशीष दे। 
Deuteronomy 24:20 जब तू अपने जलपाई के वृक्ष को झाड़े, तब डालियों को दूसरी बार न झाड़ना; वह परदेशी, अनाथ, और विधवा के लिये रह जाए। 
Deuteronomy 24:21 जब तू अपनी दाख की बारी के फल तोड़े, तो उसका दाना दाना न तोड़ लेना; वह परदेशी, अनाथ और विधवा के लिये रह जाए। 
Deuteronomy 24:22 और इस को स्मरण रखना कि तू मिस्र देश में दास था; इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 30-31
  • फिलिप्पियों 4


शनिवार, 4 अक्टूबर 2014

सही समय


   कुछ महीने बीत जाने के बाद ही मुझे पता चला कि जिसे मैं एक संयोगात्मक मुलाकात का परिणाम समझे बैठी थी, वास्तव में वह मेरे होने वाले पति के द्वारा सही समय का प्रयोग था। हमारी पहली औपचारिक मुलाकात होने से पहले उन्होंने मुझे चर्च की बॉलकनी से देखा, अन्दाज़ा लगाया कि मैं किस ओर से बाहर निकलूँगी, दौड़ कर दो मंज़िल सीढ़ियाँ नीचे उतरे और मेरे पहुँचने से कुछ सेकेंड पहले ही पहुँच कर दरवाज़ा पकड़ कर खड़े हो गए और फिर बहाने से मुझ से वार्तालाप आरंभ कर लिया। मुझे बाद में ही यह भी पता चला कि जो उस समय मुझे भोजन के लिए बाहर मिलने का एक आकस्मिक निमंत्रण प्रतीत हुआ था, वह भी उनके द्वारा सही समय का प्रयोग था जो उन्होंने बड़े विचार और योजना के साथ मेरे सामने उस "आकस्मिक" रीति से रखा था। उस "सही समय" के प्रयोग से मुलाकातों का सिलसिला बना और बढ़ा और सही समय पर फिर हम पति-पत्नि भी हो गए।

   हम मनुष्यों के लिए सही समय की प्रतीक्षा और उपयोग की अपेक्षा, अधीरता तथा जल्दबाज़ी अधिक सामान्य व्यवहार रहता है। लेकिन परमेश्वर के हमारे लिए विशेष उद्देश्य और योजनाएं रहती हैं, और उसका समय सर्वदा सही समय होता है। जो हमें संयोग लगता है, वह परमेश्वर की योजना और निर्धारण होता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम अनेक उदाहरण पाते हैं जहाँ प्रतीत होने वाला संयोग वास्तव में परमेश्वर द्वारा निर्धारित सही समय पर पूरा हुआ कार्य था; जैसे कि: अब्राहम के सेवक ने अपने स्वामी की आज्ञानुसार सही पुत्रवधु से मिलवाने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करी और उसकी मुलाकात रिबका से हो गई (उत्पत्ति 24); यूसुफ को उसके भाईयों ने दास बनाकर बेच दिया, फिर वह निर्दोष होने पर भी कैदखाने में डाला गया, लेकिन एक समय ऐसा आया जब परमेश्वर ने उसे लाकर मिस्त्र के राजा के सामने खड़ा कर दिया और यूसुफ वहाँ का प्रधानमंत्री और राजा के बाद सबसे अधिक अधिकार रखने वाला बना, और उसकी सलाह तथा कार्य से लाखों लोगों का जीवन अकाल में नाश होने से बचा, उसके अपने उन कुटिल भाईयों का भी (उत्पत्ति 45:5-8; 50:20); मोर्देकै के "क्योंकि जो तू इस समय चुपचाप रहे, तो और किसी न किसी उपाय से यहूदियों का छुटकारा और उद्धार हो जाएगा, परन्तु तू अपने पिता के घराने समेत नाश होगी। फिर क्या जाने तुझे ऐसे ही कठिन समय के लिये राजपद मिल गया हो?" (एस्तेर 4:14) कहने पर एस्तेर रानी ने अपनी जान जोखिम में डालकर राजा के सामने जाना स्वीकार किया और उसके प्रयास से यहूदीयों की जान बच सकी।

   क्या आज आप अपने जीवन में परमेश्वर की योजना की गति को लेकर निराश हैं? क्या आपको लग रहा है कि परमेश्वर ने आपको छोड़ दिया है, आपको भूल गया है या आपकी परवाह नहीं करता है? परमेश्वर पर भरोसा रखिए (भजन 37:3); सही समय पर वह आपके लिए सही कार्य करने के सही दरवाज़े भी खोलेगा और अपनी योजनाओं को आपके जीवन में पूरा भी करेगा, और उसकी योजना से बेहतर आपके लिए और कुछ हो नहीं सकता। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर का समय ही सिद्ध तथा सही समय है - सर्वदा।

यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति 50:20 

बाइबल पाठ: भजन 37:3-11
Psalms 37:3 यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह। 
Psalms 37:4 यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।
Psalms 37:5 अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा। 
Psalms 37:6 और वह तेरा धर्म ज्योति की नाईं, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले की नाईं प्रगट करेगा।
Psalms 37:7 यहोवा के साम्हने चुपचाप रह, और धीरज से उसका आसरा रख; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है! 
Psalms 37:8 क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उस से बुराई ही निकलेगी। 
Psalms 37:9 क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे। 
Psalms 37:10 थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भांति देखने पर भी उसको न पाएगा। 
Psalms 37:11 परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • नहूम 1-3