मुझे भोजन बहुत पसन्द है! मुझे अच्छे से सजा कर परोसे हुए भोजन को देखना पसन्द है; मुझे अच्छे भोजन की सुगन्ध और स्वाद पसन्द है। यदि मेरा बस चलता तो मैं आवश्यकता से अधिक मात्रा में और बारंबार भोजन खाता रहता - लेकिन इससे ना केवल मेरी कमर का आकार बिगाड़ जाता वरन अन्य अनेक स्वास्थ्य संबम्धी समस्याएं भी उत्पन्न हो जातीं! इसलिए मेरी पत्नि मार्टी इस बात का सदा ध्यान रखती है कि मैं कितनी बार और कितनी मात्रा में भोजन करता हूँ, और जब आवश्यक होता है तो वह सप्रेम मुझे स्मरण भी करा देती है कि मैं सही भोजन सही मात्रा में ही खाऊँ।
परमेश्वर के वचन बाइबल में भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह द्वारा एक रोचक विचार लिखा गया है - जब उसे परमेश्वर का वचन मिला (परमेश्वर के न्याय से संबंधित भी) तो उसने उस वचन को खा लिया (यिर्मयाह 15:16)। इसे पढ़कर मेरे मन में विचार आता है कि क्या मैं परमेश्वर के वचन बाइबल को उतनी ही रुचि और आनन्द से वैसे ही बारंबार अपने अन्दर लेता हूँ जितनी रुचि और आनन्द से मैं शारीरिक भोजन को बारंबार अपने अन्दर लेता हूँ?
यह तो स्पष्ट है कि यिर्मयाह ने परमेश्वर के वचन को भोजन वस्तु के समान वास्तव में "खा" नहीं लिया था; वरन उसके ऐसा लिखने का तात्पर्य था कि उसने परमेश्वर के वचन को अपने अन्दर समा लिया था और अन्दर ही उसका स्वाद ले रहा था; और यही वह स्थान है जहाँ परमेश्वर का वचन होना चाहिए - हमारे अन्तःकरण में, हमारे मन-मस्तिष्क-विचारों में। परमेश्वर का वचन हमारे अन्तःकरण और आत्मा के लिए भोजन है; जब हम इस वचन को "खाते" हैं, अर्थात अपने अन्दर समा लेते हैं तो परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सहायता से यह हमें प्रभु यीशु की समानता में ढालता है। यह वचन परमेश्वर, धन-दौलत, शत्रुओं, जीवन यापन और कारोबार, परिवार आदि से संबंधित हमारे सोच-विचारों को परिवर्तित करता है, उन्हें परमेश्वर की इच्छा और आज्ञाओं के अनुरूप बनाता है। दूसरे शब्दों में, यह वचन ना केवल हमारे लिए बहुत अच्छा और भला है, वरन हम जितनी अधिक मात्रा में और जितनी अधिक बार इसे "खाएंगे", अपने अन्दर समाएंगे, यह हमारे लिए उतना अधिक लाभकारी होगा। हमें इसे अपने अन्दर लेने पर नियंत्रण लगाने या इससे हमारे लिए कोई दुषप्रभाव होने की चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस वचन से केवल भला ही होता है।
इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल को जी भर के "खाएं"; और आप अपने आप को यिर्मयाह के समान कहते हुए पाएंगे, "जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ" (यिर्मयाह 15:16)! - जो स्टोवैल
परमेश्वर के वचन को आप जितना अधिक खाएंगे, आप उतने ही अधिक स्वस्थ होते चले जाएंगे।
मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:11
बाइबल पाठ: भजन 19:7-14
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं;
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं।
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं।
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है।
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर।
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 28-29
- मरकुस 14:54-72
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