अफ्रीका की एक दंत-कथा के अनुसार, चार उँगलियाँ और अंगूठा हाथ पर साथ-साथ रहा करते थे, बड़े घनिष्ठ अविभाज्य मित्र थे। एक दिन उन्होंने देखा कि उनके पास ही सोने की एक अंगूठी पड़ी है और उँगलियों ने उसे अपना लेने की योजना बनाई। लेकिन अंगूठे ने एतराज़ किया और कहा कि उनके लिए उस अंगूठी को चोरी करना सही नहीं है। चारों उँगलियों ने अंगूठे को स्वधर्मी और कायर बताते हुए उसे अपने से अलग कर दिया। क्योंकि अंगूठा भी उनकी बुराई में उनका साथ देना नहीं चाहता था, इसलिए वह भी अलग हो गया। और तब से अंगूठा हाथ पर बाकी उँगलियों से अलग ही रहता है।
इस दंत-कथा से मुझे ऐसे समय स्मरण हो आते हैं जब हमें लगता है कि हमारे चारों ओर बुराई पनप रही है और हम बुराई से अलग होने के प्रयासों में अकेले ही खड़े हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में नूह के दिनों के समय के वर्णन में हम पाते हैं कि पृथ्वी बुराई और उपद्रव से भर गई थी, और मनुष्यों के मनों में बुरा ही उत्पन्न होता था (उत्पत्ति 6:5, 11); "परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही" (उत्पत्ति 6:8)। उस बुराई और उपद्रव से भरे समय में भी नूह परमेश्वर को संपूर्णतः समर्पित और परमेश्वर का आज्ञाकारी बना रहा, परमेश्वर के कहने पर और उसके निर्देशों के अनुसार नूह ने जहाज़ बनाया, जिसमें होकर परमेश्वर ने नूह और उसके परिवार को अपने अनुग्रह द्वारा बचा लिया।
प्रभु यीशु के जीवन, बलिदान और पुनरुत्थान में होकर परमेश्वर ने हम पर भी अपना अनुग्रह किया है। नूह के समान ही अपने जीवनों में परमेश्वर के लिए दृढ़ होकर खड़े रहना और अपने जीवनों से उसे आदर देने के पर्याप्त कारण हमारे पास भी हैं। परमेश्वर सदा हमारे साथ बना रहता है, पवित्र-आत्मा के रूप में हमारे अन्दर विद्यमान रहता है; इसलिए हम कभी अकेले नहीं है। उसके कान हमारी पुकार के लिए सदा खुले रहते हैं (भजन 34:15-17)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
भीड़ के साथ खड़े होना आसान है;
भीड़ से अलग अकेले खड़े होने के लिए साहस चाहिए।
यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है। - भजन 34:15-17
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 6:11-22
Genesis 6:11 उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।
Genesis 6:12 और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा, कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी।
Genesis 6:13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।
Genesis 6:14 इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उस में कोठरियां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना।
Genesis 6:15 और इस ढंग से उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ की हो।
Genesis 6:16 जहाज में एक खिड़की बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक अलंग में एक द्वार रखना, और जहाज में पहिला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।
Genesis 6:17 और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जलप्रलय कर के सब प्राणियों को, जिन में जीवन की आत्मा है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं: और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएंगे।
Genesis 6:18 परन्तु तेरे संग मैं वाचा बान्धता हूं: इसलिये तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।
Genesis 6:19 और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक एक जाति के दो दो, अर्थात एक नर और एक मादा जहाज में ले जा कर, अपने साथ जीवित रखना।
Genesis 6:20 एक एक जाति के पक्षी, और एक एक जाति के पशु, और एक एक जाति के भूमि पर रेंगने वाले, सब में से दो दो तेरे पास आएंगे, कि तू उन को जीवित रखे।
Genesis 6:21 और भांति भांति का भोज्य पदार्थ जो खाया जाता है, उन को तू ले कर अपने पास इकट्ठा कर रखना सो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा।
Genesis 6:22 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया।
एक साल में बाइबल:
- भजन 74-76
- रोमियों 9:16-33
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