ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 12 मई 2018

प्रेम



   मैं एक पासबान – मसीही विश्वास में लोगों की सहायता और मार्गदर्शन करने वाला हूँ। मेरे कार्य के दौरान लोग कभी-कभी मुझ से पूछते हैं कि क्या मैं उन्हें कुछ और अधिक आत्मिक सहायता प्रदान कर सकता हूँ? जब कोई सहायता माँगता है तो मुझे खुशी होती है और मैं जितना संभव हो सहायता करने में समय बिताने के लिए उपलब्ध रहता हूँ, परन्तु मैं ने देखा है कि ऐसा करते में मैं सिखाता कम और सीखता अधिक हूँ। मैं इस तथ्य से विशेषकर तब अवगत हुआ जब एक बहुत ईमानदार नए मसीही विश्वासी ने बड़े दुखी मन से मुझ से कहा, “मुझे नहीं लगता के मेरे लिए परमेश्वर के वचन बाइबल पढ़ना अच्छा है। जितना अधिक मैं बाइबल को पढ़ता हूँ कि परमेश्वर मुझ से क्या चाहता है, उतना अधिक मैं उन लोगों की समीक्षा करने लगता हूँ जो बाइबल के अनुसार नहीं चल रहे हैं।”

   उसके ऐसा कहने पर मुझे एहसास हुआ कि उसके अन्दर दूसरों को जाँचने की भावना जागृत करने के लिए कुछ हद तक मैं भी ज़िम्मेदार हूँ। उस समय पर, जो मसीही विश्वास में नए आते आते थे,उन्हें सिखाने के लिए सबसे आरंभिक बातों में से एक बात जो मैं सिखाता था वह थी उन बातों की सूची जो अब उन्हें नहीं करनी थीं। दूसरे शब्दों में, बजाए इसके कि मैं उन्हें परमेश्वर के प्रेम और क्षमा के बारे में समझा सिखा कर परमेश्वर द्वारा उन्हें बनाए और सँवारे जाने के लिए पवित्र-आत्मा के हाथों में छोड़ देता, मैं उन्हें “एक मसीही विश्वासी के समान व्यवहार” के लिए बाध्य कर रहा था।

   अब मुझ में यूहन्ना 3:16-17 की एक नई समझ जागृत हुई। यूहन्ना 3:16 के उनपर विश्वास करने के प्रभु यीशु के निमंत्रण के तुरंत बाद, अगले ही पद में प्रभु ने यह भी कहा कि “परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।”

   प्रभु यीशु हमें दोषी ठहराने के लिए नहीं आए थे। परन्तु नए मसीही विश्वासियों को व्यवहार की एक सूची देने के द्वारा, अनजाने में मैं उन्हें अपने आप को दोषी ठहराना सिखा रहा था, जिससे फिर वे औरों को भी जाँचने वाले बन रहे थे। जबकि हमें दोषी ठहराने वाले नहीं, वरन परमेश्वर के प्रेम, करुणा और क्षमा को बताने सिखाने वाले होना है। - रैंडी किल्गोर


जब मसीह यीशु ही सँसार को दोषी ठहराने के लिए नहीं आए थे; 
तो ऐसा करना हमारे लिए भी उचित नहीं है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका 19:10

बाइबल पाठ: यूहन्ना 3: 1-21
John 3:1 फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था।
John 3:2 उसने रात को यीशु के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, हम जानते हैं, कि तू परमेश्वर की आरे से गुरू हो कर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता।
John 3:3 यीशु ने उसको उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।
John 3:4 नीकुदेमुस ने उस से कहा, मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो क्योंकर जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दुसरी बार प्रवेश कर के जन्म ले सकता है?
John 3:5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
John 3:6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है।
John 3:7 अचम्भा न कर, कि मैं ने तुझ से कहा; कि तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।
John 3:8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसका शब्द सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहां से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है।
John 3:9 नीकुदेमुस ने उसको उत्तर दिया; कि ये बातें क्योंकर हो सकती हैं?
John 3:10 यह सुनकर यीशु ने उस से कहा; तू इस्त्राएलियों का गुरू हो कर भी क्या इन बातों को नहीं समझता?
John 3:11 मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि हम जो जानते हैं, वह कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उस की गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते।
John 3:12 जब मैं ने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं, और तुम प्रतीति नहीं करते, तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूं, तो फिर क्योंकर प्रतीति करोगे?
John 3:13 और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है।
John 3:14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए।
John 3:15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए।
John 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
John 3:17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
John 3:18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
John 3:19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे।
John 3:20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।
John 3:21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 15-16
  • यूहन्ना 3:1-18



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें