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मंगलवार, 22 जनवरी 2019

चेहरा



      एक लेखक के रूप में मेरी अधिकांश जीविका दुःख की समस्या को संबोधित करने में व्यतीत हुई है। मैं बारंबार लौट कर उन्हीं प्रश्नों पर आ जाता हूँ, मानो एक ऐसे घाव को कुरेदता रहता हूँ जो कभी भरने का नहीं। मुझे अपने पाठकों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त होती हैं, और उनकी दुखद कहानियाँ मेरी शंकाओं को एक मान्वीय चहरे प्रदान करती हैं। मुझे स्मरण है कि एक युवा पास्टर ने मुझे फोन करके प्रश्न किया, “अब भला मैं अपने युवाओं के समूह के साथ एक प्रेमी परमेश्वर के बारे में कैसे बात कर सकता हूँ?” – उसकी पत्नि और शिशु बच्ची ऐड्स से ग्रसित होकर मर रहे थे क्योंकि उन्हें एड्स से संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया था!

      मैंने सीख लिया है कि इस प्रकार के “क्यूँ?” प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास भी नहीं करूँ। उस पास्टर के पत्नि को वही एक संक्रमित खून की बोतल ही क्यों मिली? क्यों चक्रवाधि तूफ़ान ने एक नगर को तबाह कर दिया और पास के दूसरे नगर की कुछ हानि नहीं हुई? क्यों शारीरिक चंगाई के लिए की गई प्रार्थनाएं निरुत्तरित चली जाती हैं?

      लेकिन एक प्रश्न है जो मुझे अब वैसे परेशान नहीं करता है, जैसे पहले किया करता था – “क्या परमेश्वर को हमारी परवाह है?” मैं इस प्रश्न का केवल एक ही उत्तर जानता हूँ, और वह उत्तर है प्रभु यीशु मसीह। प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर ने हमें वह चेहरा दिया है जिसे देखने से हमें पता चल जाता है कि परमेश्वर इस दुःख से कराहते हुए सँसार की परवाह करता है कि नहीं।

      “क्या परमेश्वर को हमारी प्रवाह है?” हमारे पापों के लिए परमेश्वर के पुत्र की मृत्यु, जिससे अन्तः सारा दुःख, कष्ट, पीड़ा, और मृत्यु भी सदा के लिए समाप्त हो जाएँगी, ही इस प्रश्न का उत्तर है – “इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिसने कहा, कि अन्धकार में से ज्योति चमके; और वही हमारे हृदयों में चमका, कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो” (2 कुरिन्थियों 4: 6)। - फिलिप यैंसी


हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम का विस्तार क्रूस पर मसीह यीशु की फ़ैली हुई बाहों के जितना है।

फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य 21:3-4

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4: 1-11
2 Corinthians 4:1 इसलिये जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते।
2 Corinthians 4:2 परन्तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्तु सत्य को प्रगट कर के, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं।
2 Corinthians 4:3 परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है।
2 Corinthians 4:4 और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।
2 Corinthians 4:5 क्योंकि हम अपने को नहीं, परन्तु मसीह यीशु को प्रचार करते हैं, कि वह प्रभु है; और अपने विषय में यह कहते हैं, कि हम यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं।
2 Corinthians 4:6 इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिसने कहा, कि अन्धकार में से ज्योति चमके; और वही हमारे हृदयों में चमका, कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो।
2 Corinthians 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
2 Corinthians 4:8 हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
2 Corinthians 4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2 Corinthians 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2 Corinthians 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगट हो।
                                                                                                                                                        
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 4-6
  • मत्ती 14: 22-36



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