सन 1880 में पहली बार प्रकाशित होने के बाद
से ल्यू वॉलेस का सुप्रसिद्ध उपन्यास, “बेन-हर : ए टेल ऑफ द क्राईस्ट,” कभी भी
अप्रकाशित नहीं रहा है, सदा ही उसकी माँग रही है और वह उपलब्ध रहा है। उसे उन्नीसवीं
सदी की सबसे अधिक प्रभावी पुस्तक भी कहा गया है, और आज भी वह प्रभु यीशु की
वास्तविक कहानी के साथ एक काल्पनिक कुलीन युवा यहूदी पात्र, जूडाह बेन-हर, के जीवन
को लेकर चलते हुए, पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
एमी
लिफ्सन ने ह्युमैनीटीज़ पत्रिका में इस उपन्यास के विषय लिखते हुए कहा कि इस पुस्तक
के लिखने के द्वारा उसके लेखक का जीवन बदल गया; “जैसे बेन-हर पाठकों को यीशु के जीवन
और उससे संबंधित भावनाओं के दृश्यों से लिए चलता है , वैसे ही वह ल्यू वॉलेस को
मसीह यीशु में विश्वास की ओर भी लेकर चला।” वॉलेस ने कहा, “मैंने नासरी के कार्यों
को देखा है...ऐसे कार्य जो मात्र मनुष्य कभी भी नहीं कर सकता था।”
परमेश्वर
के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड के आरंभ में दी गई प्रभु यीशु की जीवनियाँ हमें भी
अवसर देती है कि हम भी उसके साथ संपर्क में चलें, उसके आश्चर्यकर्मों को देखें,
उसके वचनों को सुनें, और यरूशलेम में ‘पाम सन्डे’ के नाम से जाने वाले दिन में
उसके आदर साहित प्रवेश के गवाह बनें। यूहन्ना ने अपने द्वारा लिखे गए सुसमाचार के
अन्त में लिखा, “यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए,
जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए। परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं,
कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का
पुत्र मसीह है: और विश्वास कर के उसके नाम से जीवन पाओ” (यूहन्ना
20:30-31)।
जिस
प्रकार से ल्यू वॉलेस के शोध, बाइबल अध्ययन, और उसके विषय में लिखने के द्वारा वह
प्रभु यीशु मसीह में विश्वास ला सका, उसी प्रकार परमेश्वर का वचन हमें भी मनों और
हृदयों के परिवर्तन की ओर खींचता है, जिससे हम प्रभु यीशु में विश्वास करने के
द्वारा पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन प्राप्त कर सकें। - डेविड
मैक्कैस्लैंड
अनेकों पुस्तकें ज्ञान बढ़ा सकती है, परन्तु
केवल बाइबल ही है जो जीवन बदल सकती है।
और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ
है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के
लिये बुद्धिमान बना सकता है। - 2 तिमुथियुस 3:15
बाइबल पाठ: यूहन्ना 20:24-31
John 20:24 परन्तु बारहों में से एक
व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो
उन के साथ न था।
John 20:25 जब और चेले उस से कहने लगे कि
हम ने प्रभु को देखा है: तब उसने उन से कहा, जब तक मैं उस के
हाथों में कीलों के छेद न देख लूं, और कीलों के छेदों में
अपनी उंगली न डाल लूं, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं,
तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा।
John 20:26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर
घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और
द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा हो कर कहा,
तुम्हें शान्ति मिले।
John 20:27 तब उसने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में
डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।
John 20:28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया,
हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!
John 20:29 यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं
जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया।
John 20:30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों
के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए।
John 20:31 परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं,
कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का
पुत्र मसीह है: और विश्वास कर के उसके नाम से जीवन पाओ।
एक साल में बाइबल:
- 1 शमूएल 25-26
- लूका 12:32-59
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