विश्व-विख्यात
महान शिल्पकार माइकलएंजेलो की मृत्यु के समय उनके द्वारा आरम्भ की गई अनेकों
शिल्प-कृतियाँ अधूरी पड़ी थीं। परन्तु उनमें से चार – The Bearded Slave, The Atlas
Slave, The Awakening Slave, और The Young Slave ऐसे थे जिन्हें पूरा करने की कभी
कोई योजना नहीं थी। उन्हें देखकर प्रतीत होता है कि वे अधूरी हैं, परन्तु वे वैसी
ही हैं जैसा माइकलएंजेलो उन्हें दिखाना चाहता था। शिल्पकार यह दिखाना चाहता था कि हमेशा
दासत्व में बने रहना कैसा अनुभव होता है।
उन
आकृतियों को जंजीरों में बंधे हुए दिखाने के स्थान पर, माइकलएंजेलो ने उन्हें
संगमरमर की उन्हीं चट्टानों में फंसा हुआ दिखाया है जिनमें से उन्हें तराशा जा रहा
था। उन पत्थरों में से शरीर निकलते हुए दिखते हैं, परन्तु वे पूर्णतया निकले हुए
नहीं हैं। उनकी मांस-पेशियाँ कार्यशील दिखाई देती हैं परन्तु वे अपने आप को स्वतंत्र
नहीं कर पा रहे हैं।
उन
दासों की प्रतिमाओं के साथ मेरी सहानुभूति तुरंत जागृत हुई। उनकी वह दशा, पाप के
साथ मेरे संघर्ष में मेरी दशा से भिन्न नहीं है। उन दासों के समान, मैं भी अपने आप
को पाप की प्रवृत्ति से स्वतंत्र करने नहीं पाती हूँ, उन प्रतिमाओं के समान मैं भी
फंसी हुई हूँ “पाप की व्यवस्था के बन्धन में” (रोमियों 7:23)। मैं चाहे
कितना भी प्रयास करूँ, मैं अपने आप को बदलने नहीं पाती हूँ। परन्तु प्रभु परमेश्वर
का धन्यवाद हो कि मैं और आप, हम सभी मसीही विश्वासी, पाप के साथ संघर्ष में ऐसे ही
फंसे नहीं रहेंगे; ऐसी अधूरी कृतियाँ नहीं रहेंगे। हम स्वर्ग पहुँचने से पहले तो
संपूर्ण नहीं होंगे, परन्तु स्वर्ग पहुँचने तक परमेश्वर हम में कार्य कर रहा है और
अपने आत्मा के द्वारा हमने अंश अंश करके हमारे प्रभु यीशु मसीह के स्वरूप में ढालता
जा रहा है। प्रभु परमेश्वर का हमसे वायदा है कि उसने हम में जो अच्छा काम आरम्भ
किया है, वह उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा (फिलिप्पियों
1:6), हमें पूर्ण करेगा। - एमी पीटरसन
हम मिट्टी हैं, और वह कुम्हार है।
...तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है,
हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों
3:18
बाइबल पाठ: रोमियों 7:14-25
Romans 7:14 क्योंकि हम जानते हैं कि
व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शरीरिक और पाप के हाथ
बिका हुआ हूं।
Romans 7:15 और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है,
वही करता हूं।
Romans 7:16 और यदि, जो
मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
Romans 7:17 तो ऐसी दशा में उसका करने वाला
मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा
हुआ है।
Romans 7:18 क्योंकि मैं जानता हूं,
कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती,
इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से
बन नहीं पड़ते।
Romans 7:19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं
इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु
जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
Romans 7:20 परन्तु यदि मैं वही करता हूं,
जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला
मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:21 सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं,
कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई
मेरे पास आती है।
Romans 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व
से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
Romans 7:23 परन्तु मुझे अपने अंगो में
दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की
व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में
डालती है जो मेरे अंगों में है।
Romans 7:24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं!
मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
Romans 7:25 मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के
द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की
व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता
हूं।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 11-13
- प्रेरितों 9:1-21
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