मेरे
पसंदीदा चर्चों में से एक ऐसा है जो अनेकों वर्ष पहले उन कैदियों के लिए आरंभ किया
गया था जो जेल से छूटने के बाद समाज में पुनः स्थापित होने के प्रयास और प्रक्रिया
में थे। आज वह चर्च काफी बढ़ चुका है, और उसमें समाज के सभी वर्गों के लोग आते हैं।
मुझे वह चर्च इसलिए पसन्द है क्योंकि वह मुझे ध्यान करवाता है कि स्वर्ग कैसा होगा
- विभिन्न प्रकार के लोगों से भरा हुआ, वे
सभी लोग जो पापों के दासत्व से प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास और उससे मिलने वाली
पापों की क्षमा के द्वारा छुड़ाए गए हैं, और सभी परस्पर प्रभु के प्रेम के द्वारा
बंधे हुए हैं।
किन्तु
कभी-कभी मुझे लगता है कि क्या चर्च वास्तव में पापों से क्षमा पाए हुए लोगों के
लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है अथवा कुछ लोगों का विशिष्ट ‘क्लब’ है; क्योंकि स्वाभाविक
रीति से कुछ विशेष स्वभाव एवँ रुचि के लोग एक-दूसरे के साथ एकत्रित होने लगते हैं क्योंकि
वे उनके साथ अधिक सुविधाजनक अनुभव करते हैं, और अन्य लोग फिर अपने आप को अलग पड़ा
हुआ अनुभव करते हैं। परन्तु जब प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा था कि “मेरी
आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा,
वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो” (यूहन्ना
15:12), तो उनका अभिप्राय इस प्रकार के गुट बनाने का कदापि नहीं था। प्रभु की
कलीसिया, उसके चर्च को, उसके प्रेम का प्रगटिकर्ण होना था जिसमें सभी जन परस्पर
प्रेम में बंधे हुए साथ रहें।
यदि
दुखी, उपेक्षित लोगों को प्रभु यीशु मसीह में क्षमा, सांतवना और शरण मिल सकती है,
तो उनका प्रभु की कलीसिया से इससे कुछ भी कम की अपेक्षा रखना कैसे संभव है? इसलिए
हमें सभी के प्रति प्रभु यीशु के प्रेम को प्रदर्शित करना है – विशेषकर उनके प्रति
जो हमारे समान स्वभाव या रुचि नहीं भी रखते हों। हमारे चारों ओर ऐसे अनेकों लोग
हैं जिनके प्रति, प्रभु की अपेक्षा है कि हम उन से प्रेम रखें, उन पर प्रभु के
प्रेम को प्रगट करें। यह कितने आनन्द का समय होता है जब लोग मिलकर प्रभु की आराधना
करते हैं; परस्पर और प्रभु के प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं, और प्रभु के प्रेम को
एक दूसरे के साथ बाँटते हैं। यह पृथ्वी पर स्वर्ग के आनन्द को चखने के लिए प्रभु द्वारा
हमारे लिए किया गया प्रावधान है। - जो स्टोवैल
प्रभु यीशु के प्रेम को एक-दूसरे के साथ
बाँटें।
मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। - यूहन्ना 13:34
बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:9-17
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा,
वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम
में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे,
तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं
को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये
कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक
दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं,
कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता
हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र
हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा,
क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या
करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं
ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु
मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ
पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें
इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 65-66
- 1 तिमुथियुस 2
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