कुछ वर्ष पहले एक महिला ने उसके साथ उसके घर
में हुई एक घटना के बारे में बताया था। उस महिला ने अपने 13 वर्ष से भी कम आयु के
बेटे को टेलिविज़न पर हिंसा से भरी घटनाओं के समाचार देखते हुए पाया। उस ने
टेलिविज़न का रिमोट उठाया और कोई दूसरा प्रोग्राम लगा दिया, और उस से कुछ रूखेपन से
कहा, “तुम्हें यह सब नहीं देखना चाहिए।” इस के बाद उन दोनों में कुछ बहस हुई, और
अंततः उस महिला ने अपने बेटे से कहा कि “...जो जो बातें सत्य हैं,
और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें
उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और
जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं,
निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं,
उन्हीं पर ध्यान लगाया करो” (फिलिप्पियों
4:8) उन से अपने मन को से भरना चाहिए न कि ऐसी घटनाओं और बातों से। रात के भोजन के
पश्चात, वह और उसके पति साथ बैठ कर समाचार देख रहे थे जब उनकी पांच वर्षीय पुत्री
अन्दर आई, और टेलिविज़न को बंद कर दिया, और अपनी माँ की नक़ल करते हुए बोली,
“तुम्हें यह सब देखने की आवश्यकता नहीं है; बाइबल की उन बातों के बारे में ध्यान
करो!”
व्यसक होने के कारण, हम अपने बच्चों के
अपेक्षा समाचारों की बेहतर समझ रखते हैं, अपने जीवनों में उनके प्रभावों को
नियंत्रित कर सकते हैं। लेकिन फिर भी उनकी पुत्री के द्वारा की और कही गई वह अपनी
माँ की नक़ल लेने वाली बात हंसाने वाली भी थी और बुद्धिमानी से भरी भी थी। परिपक्व
व्यस्क भी जीवन के नकारात्मक पक्ष से प्रभावित हो सकते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल
में पौलुस द्वारा फिलिपियों 4:8 में लिखी गई बातों पर मनन करना संसार में हो रही
बातों और हालात के कारण होने वाली निराशा का प्रबल समाधान हैं।
हमारे मनों में क्या भरता है और हमें क्या प्रभावित
कर ने पाता है, उस के विषय सही निर्णय करना न केवल हमारे मनों की सुरक्षा का, वरन
परमेश्वर को आदर देने का भी एक अच्छा तरीका है। - रैंडी किलगोर
हम जो अपने मनों
में आ लेने देते हैं, वह हमारे अंदर की दशा को निर्धारित करता है।
फिर उसने कहा;
जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को
अशुद्ध करता है। क्योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी
बुरी चिन्ता, व्यभिचार। चोरी, हत्या,
पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता,
छल, लुचपन, कुदृष्टि,
निन्दा, अभिमान, और
मूर्खता निकलती हैं। ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध
करती हैं। - मरकुस 7:20-23
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों
4:4-9
फिलिप्पियों 4:4
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
फिलिप्पियों 4:5
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
फिलिप्पियों 4:6
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित
किए जाएं।
फिलिप्पियों 4:7
तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
फिलिप्पियों 4:8
निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य
हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो
जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी
हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की
बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।
फिलिप्पियों 4:9
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्हीं
का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है
तुम्हारे साथ रहेगा।
एक साल में
बाइबल:
- 1 इतिहास 25-27
- यूहन्ना 9:1-23
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