मैंने और मेरे बच्चों ने एक नई दैनिक बात
आरम्भ की है, प्रत्येक रात्रि को सोने जाने के समय, हम रंगीन पेंसिलें लेते हैं,
एक मोमबत्ती जलाते हैं, और परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमें अपनी ज्योति से
मार्गदर्शन प्रदान करे। फिर हम अपनी कॉपियाँ निकाल कर उसमें दो प्रश्नों के उत्तर
को या तो लिखते हैं या उनके चित्र बनाते हैं। वे प्रश्न हैं, आज मैंने प्रेम कब और
कैसे दिखाया? और, आज मैंने प्रेम दिखाने के अवसर का कब और कैसे उपयोग नहीं किया?
मसीही जीवन का एक महत्वपूर्ण व्यवहार है अपने
पड़ौसियों से प्रेम दिखाना, और यह आरम्भ से ही है (2 यूहन्ना 1:5)। यूहन्ना अपनी
दूसरी पत्री में मंडली को यही बात लिख रहा था, कि वे परमेश्वर के आज्ञाकारी होकर,
एक दूसरे से प्रेम करें (2 यूहन्ना 1:5-6)। उसकी सभी पत्रियों में प्रेम यूहन्ना
का प्रीय विषय रहा है। वह कहता है कि वास्तविक प्रेम को व्यवहार में प्रगट करना यह
व्यक्त करने का एक तरीका है कि हम परमेश्वर की उपस्थिति में जीवन व्यतीत कर रहे
हैं, और सत्य के हैं। जब मैं और मेरे बच्चे इन प्रश्नों पर विचार करते हैं, तो हम
पाते हैं कि हमारे जीवनों में प्रेम को प्रगट करना सामान्य, साधारण बातों द्वारा
होता है, जैसे कि, अपना छाता किसी के साथ साझा करना, किसी उदास जन को प्रोत्साहित
करना, किसी के पसंद का भोजन बना कर परोसना, आदि। इसी प्रकार से, प्रेम व्यक्त करने
के अवसरों का उपयोग न करना भी ऐसे ही व्यावाहारिक होता है, जैसे कि, कानाफूसी
करना, किसी वस्तु को साझा करने से इनकार करना, किसी अन्य की आवश्यकताओं की चिंता
किए बिना, अपनी ही इच्छाओं को पूरा करना, आदि।
प्रत्येक रात्रि को इन बातों पर ध्यान देने के द्वारा, हम दिन के समय में इनके प्रति और उसके प्रति जो परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें दिखा और सिखा रहा है, अधिक सचेत और संवेदनशील रहने पाते हैं। अपने जीवनों में, पवित्र आत्मा की सहायता से हम प्रेम में चलाना सीख रहे हैं (2 यूहन्ना 1:6)। - एमी पीटरसन
मैं आज प्रेम
कैसे दिखा सकता हूँ?
क्योंकि जो
समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें। - 1 यूहन्ना 3:11
बाइबल पाठ: 2
यूहन्ना 1:1-6
2 यूहन्ना 1:1
मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई श्रीमती और उसके लड़के बालों के नाम जिन से मैं
उस सच्चाई के कारण सत्य प्रेम रखता हूं, जा हम में स्थिर
रहती है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगी।
2 यूहन्ना 1:2
और केवल मैं ही नहीं, वरन वह सब भी प्रेम रखते हैं, जो सच्चाई को जानते हैं।
2 यूहन्ना 1:3
परमेश्वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह,
और दया, और शान्ति, सत्य,
और प्रेम सहित हमारे साथ रहेंगे।
2 यूहन्ना 1:4
मैं बहुत आनन्दित हुआ, कि मैं ने तेरे कितने लड़के-बालों को
उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी सत्य पर
चलते हुए पाया।
2 यूहन्ना 1:5
अब हे श्रीमती, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूं;
और तुझ से बिनती करता हूं, कि हम एक दूसरे से
प्रेम रखें।
2 यूहन्ना 1:6
और प्रेम यह है कि हम उस की आज्ञाओं के अनुसार चलें: यह वही आज्ञा है, जो तुम ने आरम्भ से सुनी है और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 14-16
- प्रेरितों 9:22-43
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