जब मैं ओक्लाहोमा में रहता था, तो मेरा एक
मित्र था, जॉन, जो चक्रवाधी तूफानों का “पीछा” करता था। जॉन बड़े ध्यान से अपने
समान अन्य तूफ़ान का पीछा करने वालों के और स्थानीय रडार यंत्र के साथ संपर्क में
बना रहता था, और उनकी सहायता से एक सुरक्षित दूरी से लोगों को उस चक्रवाध की
स्थिति, दिशा, और संभावित मार्ग बताता रहता था, जिससे जो लोग उस तूफ़ान के मार्ग
में हों, वे अपनी सुरक्षा की तैयारी कर लें। एक दिन एक चक्रवाध ने अचानक और इतनी
तीव्रता से अपनी दिशा बदली कि जॉन बड़े खतरे में पड़ गया। किन्तु संयोग से उसे एक
शरण स्थान मिल गया, और वह वहाँ सुरक्षित रह सका।
जॉन के उस दोपहर के अनुभव से मुझे एक अन्य
विनाशकारी बात का स्मरण हो आता है – हमारे जीवनों में बसा हुआ पाप। परमेश्वर का
वचन बाइबल हमें बताती है, “परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच
कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा
गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है” (याकूब 1:14-15)। इस पद में पाप के दुष्परिणामों का एक क्रम दिया गया
है। वह जो आरम्भ में अहानिकारक प्रतीत होता है, वही अचानक ही नियंत्रण से बाहर
होकर विनाशकारी बन सकता है। परन्तु हम मसीही विश्वासियों को हमारा प्रभु परमेश्वर
एक शरण स्थान प्रदान करता है, जो हमें सदा उपलब्ध रहता है।
परमेश्वर का वचन हमें यह भी आश्वासन देता है
कि कभी भी परमेश्वर हमें किसी परीक्षा में नहीं डालता है, और हम अपने बुरे या गलत
चुनावों के लिए अपने आप को ही दोषी कह सकते हैं। परमेश्वर का आश्वासन है “तुम
किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से
बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने
देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको” (1 कुरिन्थियों 10:13)। जब हम उसकी
ओर मुड़ते हैं, और परीक्षा की घड़ी में उससे सहायता की प्रार्थना करते हैं, तब हमारा
प्रभु हमें उस परिस्थिति पर जयवंत होने तथा सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक सामर्थ्य
एवं मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाता है।
प्रभु यीशु सदा हमारा दृढ़ और विश्वसनीय शरण
स्थान है। - जेम्स बैंक्स
जगत का
उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, हमारे जीवनों के तूफानों में हमारा शरण स्थान है।
परन्तु परमेश्वर
के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं
ने प्रभु यहोवा को अपना शरण स्थान माना है, जिस से मैं तेरे
सब कामों का वर्णन करूं। - भजन 73:28
बाइबल पाठ: याकूब
1:12-18
याकूब 1:12 धन्य
है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस
की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
याकूब 1:13 जब
किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि
मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी
बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की
परीक्षा आप करता है।
याकूब 1:14
परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और
फंस कर परीक्षा में पड़ता है।
याकूब 1:15 फिर
अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न
करता है।
याकूब 1:16 हे
मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
याकूब 1:17
क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न
तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर
छाया पड़ती है।
याकूब 1:18 उसने
अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि
हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
एक साल में बाइबल:
- भजन 29-30
- प्रेरितों 23:1-15
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