हमारे
विवाह के आरंभिक समय में, मेरे अन्दर
अपनी पत्नी की इच्छा जानकर उसके अनुसार करने के लिए संघर्ष रहता था। मैं सोचा करता
था कि उसे क्या पसंद आएगा, कि हम संध्या
को घर रहकर एक दूसरे के साथ समय बिताएं और भोजन करें, या बाहर किसी आकर्षक रेस्टोरेंट में जाकर बैठें और वहाँ भोजन करें? उसे क्या अच्छा लगेगा, कि मैं अपने मित्रों के साथ कुछ समय बिता कर आऊँ, या उसकी इच्छा होगी के मैं सप्ताहांत उसके साथ बिताने के लिए कार्य मुक्त
रखूँ? फिर एक बार मैंने अटकलें
लगाने और दुविधा में पड़ने के स्थान पर सीधे उसी से पूछ लेने का निर्णय लिया; मैंने उससे पूछा, “तुम्हारी इच्छा क्या है;
तुम्हें क्या पसंद आएगा?” उसने
उत्तर दिया, “मेरे लिए दोनों ही ठीक
हैं; बस मुझे इसकी प्रसन्नता है कि
तुम ने मेरे बारे में सोचा।”
मेरे
साथ ऐसे भी समय आए हैं जब मैंने कुछ बातों के लिए परमेश्वर की इच्छा जानने की बहुत
लालसा रखी – यह कि मैं बिलकुल स्पष्ट जान लूँ कि परमेश्वर मुझ से क्या चाहता है –
जैसे कि मैं कौन सी नौकरी करूं। मार्गदर्शन के लिए प्रार्थनाएं करना और परमेश्वर
के वचन बाइबल को पढ़ने से मुझे कोई सुस्पष्ट उत्तर नहीं मिले। परन्तु एक उत्तर
बिलकुल स्पष्ट था: मुझे परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना है, उसी को अपने सुख का मूल
जानना है, और अपने मार्ग की चिंता
को उसी पर छोड़ देना है (भजन 37:3-5)।
तब
मुझे यह बोध हुआ कि परमेश्वर अकसर हमें चुनने की स्वतंत्रता देता है – यदि हम अपने
मार्गों से पहले उसके मार्गों को चुनते हैं। इसका स्पष्ट अर्थ है कि हम ऐसा कुछ नहीं
करें जो गलत है, या उसे पसंद नहीं
आएगा। यह कुछ भी अनैतिक, अधर्मी, या उसके साथ हमारे संबंधों की उन्नति के लिए सहायक
न होने वाला हो सकता है। यदि ऐसे सभी विकल्पों को हटा दिया जाए, तो फिर जो विकल्प शेष रह जाते हैं, जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं, हमें स्वतंत्रता है कि हम उनमें से कोई एक चुन
लें।
हमारा
परमेश्वर पिता हमें – जो उसे अपने सुख का मूल जानते हैं, अपने मन की इच्छाएं पूरी करने देना चाहता है – वे जो उसे आदर और महिमा
देती हैं। - लेस्ली कोह
क्या आपके निर्णय परमेश्वर को पसंद आते हैं?
हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और
अपनी जवानी के दिनों के मगन रह; अपनी
मनमानी कर और अपनी आंखों की दृष्टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों
के विषय में परमेश्वर तेरा न्याय करेगा। - सभोपदेशक 11:9
बाइबल पाठ: भजन 37:3-7,
23-24
भजन संहिता 37:3 यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह।
भजन संहिता 37:4 यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।
भजन संहिता 37:5 अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा
करेगा।
भजन संहिता 37:6 और वह तेरा धर्म ज्योति के समान, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले के समान प्रगट करेगा।
भजन संहिता 37:7 यहोवा के सामने चुपचाप रह, और
धीरज से उसका आसरा रख; उस मनुष्य के
कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है!
भजन संहिता 37:23 मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है;
भजन संहिता 37:24 चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 5-6
- इफिसियों 1
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