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गुरुवार, 3 सितंबर 2020

यात्रा

 

         कभी-कभी यह जीवन यात्रा इतनी कठिन हो जाती है कि हम अभिभूत हो जाते हैं, और हमें लगता है कि अंधकार का कोई अन्त ही नहीं है। हमारे पारिवारिक जीवन में भी एक समय ऐसा चल रहा था, और एक प्रातः मेरी पत्नी जब परमेश्वर के साथ संगति और प्रार्थना के अपने एकांत-समय के बाद जब बाहर आई तो उसने कहा, “मुझे लगता है कि परमेश्वर चाहता है कि इस अन्धकार में हम जो शिक्षाएँ प्राप्त करें, उन्हें अपने उजियाले के समयों में कभी भूलें नहीं।”

         परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस भी कुछ ऐसा ही विचार कोरिन्थ के मसीही मण्डली को लिखी उसकी दूसरी पत्री में व्यक्त करता है (2 कुरिन्थियों 1), उन्हें अपने उन कठिन अनुभवों के बारे में बताने के पश्चात जिनका सामना उसे और उसके साथियों को एशिया में करना पड़ा था। पौलुस चाहता था कि कोरिन्थ के मसीही विश्वासी यह समझ सकें कि किस प्रकार परमेश्वर हमारे सबसे अंधकारपूर्ण समय का भी सदुपयोग कर सकता है। वह कहता है कि हम सांत्वना इसलिए पाते हैं, जिससे औरों को सांत्वना देना सीख सकें (पद 4)। पौलुस और उसके साथी अपनी परीक्षा के समयों में परमेश्वर से वे बातें सीख रहे थे जिनका प्रयोग वे कोरिन्थ के लोगों को सिखाने और सांत्वना देने के लिए कर सकते थे, जब कोरिन्थ के लोग परीक्षाओं में से हो कर निकलें। और परमेश्वर यही हम सभी के लिए भी करता है। वह हमारी परीक्षाओं का सदुपयोग हमें वह सिखाने के लिए करेगा जिसका प्रयोग हम औरों की सेवा में कर सकें।

         क्या अपनी जीवन यात्रा में आप अभी अन्धकार के समय में हैं? पौलुस के वचन और अनुभव से प्रोत्साहित हों। भरोसा रखें कि अभी इस समय में भी परमेश्वर आपके कदमों को निर्धारित दिशा में ले कर जा रहा है, साथ ही आपके हृदय पर अपने सत्यों को बैठा रहा, जिससे कि आप उन्हें औरों के साथ, जो ऐसी ही परिस्थितियों में हों, बाँट सकें, उन्हें उभार सकें। जब आप यात्रा की उन कठिनाइयों के अनुभवों से परिचित होंगे, तो अन्य यात्रा करने वालों का भी मार्गदर्शन कर सकेंगे। - रैंडी किल्गोर

 

अन्धकार में हम जो शिक्षाएँ प्राप्त करें, उन्हें अपने उजियाले के समयों में कभी भूलें नहीं।


क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:17

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:3-11

2 कुरिन्थियों 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है।

2 कुरिन्थियों 1:4 वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्लेश में हों।

2 कुरिन्थियों 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम अधिक सहभागी होते हैं, वैसे ही हमारी शान्ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है।

2 कुरिन्थियों 1:6 यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं।

2 कुरिन्थियों 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्ति के भी सहभागी हो।

2 कुरिन्थियों 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ्य से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।

2 कुरिन्थियों 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।

2 कुरिन्थियों 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।

2 कुरिन्थियों 1:11 और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

  

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 140-142
  • 1 कुरिन्थियों 14:1-20

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