वह
जानता था कि उसे वो काम नहीं करना चाहिए था। मैं स्पष्ट देख पा रही थी कि वह जानता
था कि उसने गलत किया है: यह उसके चेहरे पर साफ़ लिखा हुआ था। मैं जब उसे लेकर उसकी
गलती के बारे में उससे बात करने बैठी, तो मेरे तीन वर्षीय भतीजे ने अपनी आँखें जोर से बन्द
कर लीं। वह मेरे सामने बैठा था, परन्तु उसके मन में अबोध विचार यही था कि यदि वो
मुझे नहीं देख पा रहा है तो मैं भी उसे नहीं देख पा रही होऊंगी। और जब हम एक दूसरे
को देख ही नहीं पा रहे हैं तो फिर बात कैसे कर सकेंगे, और इससे उसके किए के
परिणामों से बचा जा सकता है।
मुझे
बहुत खुशी है कि मैं उसे उस पल में देख पा रही थी। यद्यपि मैं उसके किए कार्य को
अनदेखा तो नहीं कर सकती थी, और मुझे उससे इसके बारे में बात करना आवश्यक था, लेकिन मैं नहीं
चाहती थी कि हम दोनों के बीच कुछ भी आए। मैं चाहती थी कि वह मेरे चेहरे की ओर देखे, और जाने कि मैं
उससे कितना प्यार करती थी और उसे क्षमा करना चाहती थी। उस पल में मुझे एक झलक मिली
उस समय की जब परमेश्वर अदन की वाटिका में आदम और हव्वा के पास उन्हें ढूँढ़ता हुआ आया
था, क्योंकि उन्होंने उसके भरोसे को तोड़ा था। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है
कि अपनी गलती का एहसास होने के बाद उन्होंने परमेश्वर से छिपने के प्रयास किए
(उत्पत्ति 3:10), जबकि परमेश्वर उन्हें उससे भी अधिक स्पष्ट देख सकता था जितना मैं
अपने भतीजे को देखने पा रही थी।
हमें
जब भी एहसास होता है कि हमने कुछ गलत किया है, तो हम उसका सामना करने और उसके
परिणामों से बचाना चाहते हैं। हम या तो सत्य से भागते हैं, या उसे छिपाते हैं, या सत्य के प्रति
अपनी आँखें मूँद लेते हैं। परमेश्वर हमें अपनी धार्मिकता के मापदंड के अनुसार
अवश्य ही नापेगा, और हम उसकी दृष्टि से छुप नहीं सकते हैं; परन्तु फिर भी वह
हमें अपने पास बुलाता है क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है और हमें प्रभु यीशु में
होकर क्षमा प्रदान करना चाहता है। परमेश्वर हमारे बारे में सब कुछ जानता है; हमें उसके सामने
सब कुछ मान लेना चाहिए। - कर्स्टन होल्मबर्ग
परमेश्वर प्रेम के साथ देखता है।
यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को
क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना
1:9
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-10
उत्पत्ति 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए
थे, उन सब में सर्प धूर्त
था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष
का फल न खाना?
उत्पत्ति 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस वाटिका के वृक्षों के फल
हम खा सकते हैं।
उत्पत्ति 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर
ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
उत्पत्ति 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
उत्पत्ति 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे
उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।
उत्पत्ति 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल
खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने
योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर
खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।
उत्पत्ति 3:7 तब उन दोनों की आँखें खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे
है; सो उन्होंने अंजीर के
पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।
उत्पत्ति 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय वाटिका
में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों
के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।
उत्पत्ति 3:9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है?
उत्पत्ति 3:10 उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा
था; इसलिये छिप गया।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 7-9
- मत्ती 3
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