मेरी एक आंटी की बहुत अच्छी
नौकरी थी, जिसके लिए
उन्हें अकसर एक से दूसरे शहर यात्रा करनी पड़ती थी। लेकिन अपने माता-पिता की देखभाल
करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी और उससे जुड़े उनके उन्नत भविष्य को छोड़ देने का
निर्णय लिया। उनके दोनों भाइयों का उनकी युवावस्था में ही दुखद परिस्थितियों में
देहांत हो गया था, और अब माता-पिता की देखभाल के लिए वह
अकेली ही रह गई थी। उसके लिए, अपने माता-पिता की सेवा करना, उसके मसीही विश्वास को जी कर दिखाना था।
परमेश्वर के वचन बाइबल में
पौलुस प्रेरित द्वारा रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी गई पत्री में, उसने उन से आग्रह किया कि वे
परमेश्वर के लिए एक “जीवित और पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान”
बनें (रोमियों 12:1)। वह चाहता था कि वे मसीह के समान बलिदान देने वाले प्रेम को
एक-दूसरे के प्रति दिखाएं। उसने उन से यह भी कहा कि वे अपने आप को जैसा समझना
चाहिए उससे बढ़कर न समझें (पद 3)। पौलुस ने उन्हें समझाया कि यदि उनमें मतभेद और
विभाजन होने लगें, तो वे अपने अहम् को छोड़कर एक-दूसरे से
व्यवहार करें क्योंकि “हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग
हैं” (पद 5)। पौलुस की
बहुत लालसा थी कि वे बलिदान देने वाला प्रेम दिखाएँ।
हमारे पास प्रतिदिन यह अवसर
होता है कि हम औरों की सेवा करें। उदाहरण के लिए, हम किसी और को कतार में, अपने से आगे
जाने दें, या, जैसे मेरी उस आंटी ने
किया, किसी की सेवा करने के लिए आगे बढ़ें। हम अपने अनुभवों
के आधार पर किसी को परामर्श और मार्गदर्शन भी दे सकते हैं।
जब हम बलिदान वाला प्रेम
दिखाते हैं, तब हम
परमेश्वर की आज्ञाकारिता और आदर करते हैं। - एमी बाउचर पाई
जब हम प्रभु परमेश्वर के नाम में औरों की सेवा करते हैं, तो परमेश्वर प्रसन्न होता है।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे,
और परमेश्वर की पहचान में बढ़ते जाओ। - कुलुस्सियों 1:10
बाइबल पाठ: रोमियों 12:1-8
रोमियों 12:1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी
आत्मिक सेवा है।
रोमियों 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन
भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर
की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।
रोमियों 12:3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर
ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
रोमियों 12:4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
रोमियों 12:5 वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
रोमियों 12:6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यवाणी का दान मिला हो,
वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यवाणी
करे।
रोमियों 12:7 यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे।
रोमियों 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से
करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।
एक साल में बाइबल:
- गिनती 1-3
- मरकुस 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें