ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 19 मई 2021

सीधा

 

          हमें ज्ञात हुआ कि चर्च के भवन की छत की ऊँची मीनार के टेढ़े हो जाने से लोग घबरा जाते हैं। हम कुछ मित्रों से मिलने गए हुए थे, और बात-चीत के दौरान उन्होंने बताया कि कैसे एक भयानक तूफ़ान के बाद उनके चर्च भवन की छत पर बनी मीनार कुछ टेढ़ी हो गई, जिससे लोग घबरा गए। निःसंदेह चर्च के लोगों ने तुरंत ही उसकी मरम्मत भी करवा दी, किन्तु उस हास्यास्पद चित्रण ने मेरे मन में कुछ विचार भी उत्पन्न किए। अकसर चर्च को एक ऐसा स्थान समझा जाता है जहाँ पर सब कुछ बिलकुल ठीक और व्यवस्थित हो। वह ऐसा स्थान नहीं होता है जहाँ पर हम ‘टेढ़े या अव्यवस्थित दशा में आ जाएँ। है न?

          किन्तु पाप में गिरे और टूटे हुए इस संसार में, हम सभी किसी न किसी रीति से ‘टेढ़े हैं; हम सभी में अपनी कमजोरियों और बुराइयों का संग्रह है। हमें अपनी इन दुर्बलताओं को छिपाए रखने का प्रलोभन रहता है, परन्तु पवित्र शास्त्र हमें इससे विपरीत करने के लिए कहता है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर के वचन बाइबल में, 2 कुरिन्थियों 12 अध्याय में, पौलुस यह सुझाव देता है कि यह हमारी दुर्बलताओं में ही होता है कि मसीह अपनी सर्वाधिक सामर्थ्य हम में होकर प्रगट करता है – और फिर वह अपनी एक अनाम दुर्बलता के साथ संघर्ष – “शरीर में एक काँटा” (पद 7) का उल्लेख करता है। प्रभु ने पौलुस से कहा,मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (पद 9)। इसलिए पौलुस का निष्कर्ष था,इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं” (पद 10)।

          हमें अपनी दुर्बलताएं पसन्द तो नहीं आएँगी, किन्तु उन्हें छिपाने के द्वारा हम उनमें होकर मसीह की सामर्थ्य को हमारे जीवनों में काम करने देने से बाधित करते हैं। जब हम प्रभु यीशु को अपने जीवनों के ‘टेढ़े क्षेत्रों में आमंत्रित करते हैं, तो वह कोमलता के साथ उन्हें सीधा करता है, और हमें उनसे छुड़ाकर ऐसा नया बनाता जैसा हम अपने प्रयासों से कभी नहीं कर पाते। - एडम होल्ज़

 

सुधार कर सीधे किए जाने के लिए, प्रभु यीशु को अपने टेढ़ेपन में आमंत्रित करें।


केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। - रोमियों 5:3-4

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:1-10

2 कुरिन्थियों 12:1 यद्यपि घमण्ड करना तो मेरे लिये ठीक नहीं तौभी करना पड़ता है; सो मैं प्रभु के दिए हुए दर्शनों और प्रकाशनों की चर्चा करूंगा।

2 कुरिन्थियों 12:2 मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूं, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, परमेश्वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया।

2 कुरिन्थियों 12:3 मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूं न जाने देह सहित, न जाने देह रहित परमेश्वर ही जानता है।

2 कुरिन्थियों 12:4 कि स्वर्ग लोक पर उठा लिया गया, और एसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिन का मुंह पर लाना मनुष्य को उचित नहीं।

2 कुरिन्थियों 12:5 ऐसे मनुष्य पर तो मैं घमण्ड करूंगा, परन्तु अपने पर अपनी निर्बलताओं को छोड़, अपने विषय में घमण्ड न करूंगा।

2 कुरिन्थियों 12:6 क्योंकि यदि मैं घमण्ड करना चाहूं भी तो मूर्ख न हूंगा, क्योंकि सच बोलूंगा; तौभी रुक जाता हूं, ऐसा न हो, कि जैसा कोई मुझे देखता है, या मुझ से सुनता है, मुझे उस से बढ़कर समझे।

2 कुरिन्थियों 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशनों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं।

2 कुरिन्थियों 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए।

2 कुरिन्थियों 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे।

2 कुरिन्थियों 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 6:22-44


1 टिप्पणी:

  1. आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है. ऐसे ही आप अपनी कलम को चलाते रहे. Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं